102 डिग्री बुखार में क्या होता है? - 102 digree bukhaar mein kya hota hai?

तेज बुखार हो सकता है खतरनाक

बस्ती। मौसम में उतार-चढ़ाव के चलते इन दिनों वायरल बुखार के मरीजों की संख्या हर दिन बढ़ रही है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है। चिकित्सकों ने तेज बुखार को खतरनाक बताया है। उनका कहना है कि 102 डिग्री से अधिक बुखार पर दवा न देकर केवल बर्फ की पट्टी से शरीर पोंछें। बुखार नापते रहें, जब शरीर का तापमान 102 या उससे नीचे आ जाए तो पैरासिटामाल दें। क्योंकि 102 से ऊपर बुखार पहुंचने के बाद क्षमता प्रभावित होने लगती है।
वायरल बुखार से बचाव के लिए चिकित्सक एक-दूसरे से दूरी बनाकर रहने की सलाह भी दे रहे हैं। वायरल पीड़ित को खुद आइसोलेट हो जाना चाहिए। एसीएमओ डॉ. सीएल कन्नौजिया ने बताया कि शारीरिक क्षमता के अनुसार केवल 102 डिग्री बुखार तक ही पैरासीटामाल काम करती है। इसके बाद शरीर का तापमान करने के लिए कपड़े को बर्फ के पानी में भिगोकर पोंछे। बुखार जब कम हो जाए तो पैरासीटामाल का प्रयोग करें। डॉ. कन्नौजिया के अनुसार तेज बुखार में खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में बुखार होते ही चिकित्सक से संपर्क करें, जिससे तत्काल उस पर काबू पाया जा सके।

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पीके श्रीवास्तव ने कहा कि एक-दूसरे से संपर्क के चलते वायरल फीवर पांव पसार रहा है। घर में कोई बुखार से पीड़ित हो तो तत्काल उसे आइसोलेट कर दें। बुखार में केवल वायरल ही है, यह तय नहीं हो पा रहा है। सीएमओ डॉ. अनूप कुमार ने कहा कि अब तक जिले में बुखार से कोई मौत का मामला नहीं आया है।

Author: Rakesh RanjanPublish Date: Fri, 30 Apr 2021 05:46 PM (IST)Updated Date: Sat, 01 May 2021 07:39 AM (IST)

symptoms of corona जिन्हें भी पांच-छह दिन से 102 डिग्री सेल्सियस बुखार है और खांसी नहीं रुक रही है वे जल्द से जल्द नजदीकी अस्पताल पहुंचे। टाटा मेन हॉस्पिटल (टीएमएच) के स्वास्थ्य सलाहकार डा. राजन चौधरी ने कहा कि कोविड की हर अवस्था के लिए दवा अलग है ।

जमशेदपुर, जासं। कोविड 19 का संक्रमण फैलने के बाद अधिकतर अस्पतालों में बेड की कमी है। संक्रमित मरीज होम आइसोलेशन में है। लेकिन कई मरीज इतने गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंचते हैं कि उन्हें बचाना कठिन हो जाता है। इसलिए सभी से आग्रह है कि जिन्हें भी पांच-छह दिन से 102 डिग्री सेल्सियस बुखार है और खांसी नहीं रुक रही है वे जल्द से जल्द नजदीकी अस्पताल पहुंचे।

टाटा मेन हॉस्पिटल (टीएमएच) के स्वास्थ्य सलाहकार डा. राजन चौधरी ने शुक्रवार शाम टेली कांफ्रेंस के माध्यम से यह जानकारी दी। बकौल डा. चौधरी ऐसे मरीजों का सिटी स्कैन, एक्स-रे व ब्लड जांच कर उन्हें जरूरी दवा दी जाएंगी। ऐसे मरीजों का अस्पताल में भर्ती होना जरूरी हो जाता है। इसलिए एसिम्टोमैटिक या माइल्ड संक्रमित होने पर किसी भी दवा का सेवन न करें। असामान्य ऑक्सीजन की मात्रा भी ठीक नहीं है क्योंकि कोविड की हर अवस्था के लिए दवा अलग है इसलिए डाक्टरी जांच के बिना किसी भी दवा का सेवन न करें।

18 वर्ष से अधिक उम्र वालों को वैक्सीन अभी नहीं

डा. राजन चौधरी ने बताया कि पहली मई से 18 वर्ष से अधिक उम्र वालों को अभी वैक्सीन नहीं दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि वैक्सीन निर्माता कंपनी सिरम इंटरप्राइजेज व भारत बायोटेक से संपर्क में है। लेकिन इनके पास हमें देने के लिए पर्याप्त वैक्सीन नहीं है। हमने राज्य सरकार से भी संपर्क किया है लेकिन जिला प्रशासन ने बताया है कि अगले 10-15 दिनों में वैक्सीन का स्टॉक आएगा। ऐसे में जब हमें वैक्सीन मिलेगा तभी से 18 वर्ष से अधिक उम्र वालों को वैक्सीन सेवा की जाएगी। वहीं, उन्होंने बताया कि हमारे पास अभी स्टॉक है इसलिए 45 वर्ष से अधिक उम्र वालों का वैक्सिनेशन कार्यक्रम जारी रहेगा।

पहले वेब की तुलना में सेकेंड वेब ज्यादा संक्रमित और खतरनाक

डा. राजन चौधरी ने तुलनात्मक अध्ययन करते हुए बताया कि पहले वेब की तुलना में दूसरा वेब ज्यादा खतरनाक और संक्रमण का स्तर भी काफी खतरनाक है। क्योंकि सेंकेड वेब में जो मरीज आ रहे हैं उन्हें तत्काल ऑक्सीजन व ज्यादा देखभाल की जरूरत पड़ रही है। टीएमएच अस्पताल में एक से 30 अप्रैल के बीच 300 मरीजों की मौत हुई जबकि मात्र दिन में 67 मरीजों की मौत हुई। जबकि पहले वेब में अगस्त माह में 152 और सितंबर में 133 मरीजों की मौत हुई थी। जबकि 12 मई 2020 से 30 अप्रैल तक कुल 717 मरीजों की मौत हो चुकी है।

85 लोगों ने लिया टेलीफोनिक कंसल्टिंग सुविधा का लाभ

टीएमएच में शुक्रवार से टेलीफोनिक कंसल्टिंग की सुविधा शुरू हुई है। पहले दिन 85 शहरवासियों ने कोविड संबंधी विषयों पर दो डाक्टरों से जरूरी परामर्श लिए। उन्होंने बताया कि डिमांड बढ़ेगी तो वे डाक्टरों की संख्या भी बढ़ाएंगे। वहीं, डा. चौधरी ने बताया कि कोविड के संबंध में डाक्टरी परामर्श के लिए इच्छुक शहरवासियों को पहले टीएमएच विश्वास एप में पहले खुद को रजिस्टर्ड कराना होगा। इसमें कंपनी कर्मचारियों के लिए निशुल्क जबकि गैर कंपनी कर्मचारियों को 200 रुपये का ऑनलाइन शुल्क का भुगतान करना होगा।

250 से ज्यादा डाक्टर, नर्स व कर्मचारी संक्रमित

डा. चौधरी ने बताया कि अब तक उनके 66 डाक्टर, 122 नर्स सहित 62 से ज्यादा पारा मेडिकल स्टाफ या तो संक्रमित हो चुके हैं या हाई कांटेक्ट टेसिंग के कारण क्वारंटाइन है। वहीं, डा. चौधरी ने बताया कि रैमडिसिवी का स्टॉक उनके पास भी कम है। हालांकि इसकी आपूर्ति का नियंत्रण ड्रग कंट्रोलर के पास है। उम्मीद है कि अगले सप्ताह तक हमारा स्टॉक बढ़ेगा।

Edited By: Rakesh Ranjan

तेज बुखार

लापरवाही महँगी सिद्ध हो सकती है

अक्सर देखा गया है कि बुखार आने पर आम आदमी क्रोसिन या मेटासिन की गोली खाकर निश्चिंत हो जाता है जबकि बुखार इस बात का संकेत है कि शरीर पर आक्रमण करने वाले रोगाणुओं नशरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्र को तात्कालिक रूप से परास्त कर दिया है और शरीर को मदद की दरकार है।

इस दरकार के मायने हैं कि रोगाणुओं से संबंधित दवा दी जाए यानी मलेरिया के रोगाणु हों तो एन्टीमलेरियल दवा और अन्य तरह के हों तो सक्षम एंटीबायोटिक दवाइयाँ देकर उनसे शरीर को निजात दिलवाई जाए। जबकि साधारणत: हम वही करते हैं जिसका जिक्र पहले किया गया है।यदि बुखार को इस तरह सामयिक रूप से दबाकर निश्चिंत हो गए तो आशंका इस बात की भी है कि रोगाणु हमारे रक्त में मौजूद प्राणवायु और ग्लूकोज का उपयोग कर अपना परिवार बढ़ाने का काम द्रुतगति से कर डालें। यदि ऐसा हुआ तो स्थिति गंभीर हो सकती है।

हालाँकि ऐसा भी होता है कि शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता रोगाणुओं को परास्त कर डालती है। ऐसा उन लोगों के साथ होता है जो मेहनत करते हैं और पौष्टिक भोजन करते हैं। किसानों या मजदूरों के बीच प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सकों का अनुभव कुछ ऐसा ही है। क्योंकि ये लोग न तो मलेरिया की और न ही किसी अन्य रोगाणु से बुखार की दवा निर्धारित समय तक यानी चार से सात दिन तक लेते हैं परंतु फिर भी अक्सर पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं।

  याद रखें 102 डिग्री फेरनहाइट से अधिक बुखार हो तो हथेलियाँ, पग‍तलियों, सिर और पेट पर पानी की ‍पट्टियाँ तब तक अदल-बदल कर रखते रहें जब तक कि तापमान 100 डिग्री फेरनहाइट तक नहीं आ जाए। याद रखिए, बुखार इस बात की स्पष्ट सूचना है।      



बुखार आने पर बुखार को मापना निहायत जरूरी समझना चाहिए। इसके लिए आसानी से पढ़े जा सकने वाले क्लिनिकल थर्मामीटर बाजार में उपलब्ध हैं। यदि विविध कारणों से चिकित्सक को तुरंत नहीं दिखा सकते हैं तो बुखार को दिन में तीन या चार बार बराबर के अंतराल से नापकर नोट करते रहें और जब भी डॉक्टर को दिखाने जाएँ बुखार का चार्ट तथा ली गई दवा के बारे में सही जानकारी दें।


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