विषय सूची
- 1 अभिकेन्द्रीय बल (Centripetal Force)
- 1.1 अभिकेंद्रीय बल की प्रतिक्रिया
- 2 अपकेंद्रीय बल (Centrifugal Force)
- 2.1 Trick
विज्ञान के इस भाग से हमेशा ही प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न बनता है !
अभिकेन्द्रीय बल (Centripetal Force)
- सबसे पहले समझते हैं फिर परिभाषा पर जाएँगे – मान लीजिये यदि हम किसी चीज़ को डोरी से बांध कर गोल गोल घुमायें, तो हमें डोरी अंदर की तरफ खींचे रहना पड़ता है !
- अब इसी को दूसरे शब्दों में कहूँ तो उस चीज़ को डोरी से बांध कर घुमाने पर डोरी में जो तनाव महसूस होता है वही जरूरी अभिकेन्द्रीय बल (Centripetal Force) देता है !
- अब मान लीजिये कि अगर घुमाते घुमाते अगर हम वो डोरी छोड़ दें तो क्या होगा ? वो चीज़ गोल गोल घूमने के बजाय सीधे जाकर कहीं गिरेगी, कारण ये रहा कि जब हमने डोरी छोड़ दी तो डोरी में तनाव तो खत्म हुआ ही साथ ही साथ आवश्यक अभिकेंद्रीय बल भी समाप्त हो गया !
- सूर्य के चारों तरफ ग्रहों की गति और ग्रहों के चारों तरफ प्राकृतिक और कृत्रिम उपग्रहों की गति के लिए गुरुत्वाकर्षण ही जरूरी अभिकेंद्रीय बल प्रदान करता है
- किसी मोड़ पर रेल अथवा कार और मोटर के मुड़ने के समय और सड़क के बीच लगने वाला घर्षण बल आवश्यक अभिकेंद्रीय बल प्रदान करता है
अभिकेंद्रीय बल की प्रतिक्रिया
न्यूटन की गति के तीसरे नियम के अनुसार प्रत्येक क्रिया के बराबर तथा विपरीत प्रतिक्रिया होती है क्रिया तथा प्रतिक्रिया अलग-अलग वस्तुओं पर कार्य करती हैं वृत्तीय पथ पर गतिमान वस्तु पर कार्य करने वाले अभिकेंद्रीय बल की भी प्रतिक्रिया होती है
कुछ उदाहरण देखते हैं
- मौत के कुएं में कुए की दीवार मोटरसाइकिल पर अंदर की ओर क्रिया बल लगाती है जबकि इसका प्रतिक्रिया बल मोटरसाइकिल द्वारा कुए की दीवार पर बाहर की ओर कार्य करता है !
- पृथ्वी चंद्रमा पर अंदर की ओर अभिकेंद्रीय बल( गुरुत्वाकर्षण) लगाती है जबकि चंद्रमा पृथ्वी पर प्रतिक्रिया बल बाहर की ओर लगाता है !
अभिकेन्द्रीय बल– परिभाषा
- जब कोई वस्तु किसी वृत्ताकार मार्ग पर चलती है, तो उस पर कोई एक वृत्त के केंद्र पर कार्य करता है, इस बल को अभिकेंद्रीय बल कहते हैं।
- इस बल के अभाव में वस्तु वृत्ताकार मार्ग पर नहीं चल सकती है। यदि कोई m द्रव्यमान का पिंड v से r त्रिज्या के वृत्तीय मार्ग पर चल रहा है तो उस पर कार्यकारी वृत्त के केंद्र की ओर आवश्यक अभिकेंद्रीय बल f=mv2/r होता है।
अपकेंद्रीय बल (Centrifugal Force)
यहाँ भी पहले हम समझेंगे उसके बाद ही परिभाषा देखेंगे
- मान लीजिये कि कोई आदमी कार में दरवाजे से चिपका बैठा है और वो कार तेजी से चल रही है, अब मान लो कि कार अचानक से तेज स्पीड से ही किसी मोड पर मुड़ती है तो उस आदमी को क्या महसूस होगा ?
- उसे महसूस होगा कि जैसे वो कार की विंडो तोड़ कर बाहर गिर जाएगा, और मान लो कि अगर वो गलती से खुली हो तो वो पक्का बाहर गिरेगा !
- बस यही है अपकेंद्रीय बल, केंद्र से बाहर की ओर लागने वाला !
अपकेन्द्रीय बल परिभाषा
वह बल होता है जिसके कारण किसी गतिशील वस्तु में, केंद्र से दूर भागने की प्रवृत्ति होती है। यह वो आभासी बल होता है जो अभिकेन्द्रीय बल के समान तथा विपरीत दिशा में कार्य करता है।
Trick
- अभिकेंद्रीय – अभी केंद्र की तरफ बल लग रहा है ! केंद्र की ओर लगने वाला बल
- अपकेंद्रीय – केंद्र से Up(ऊपर)- यानि केंद्र से बाहर की ओर लगने वाला बल
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- कोरिऑलिस बल को परिभाषित करते हुए मौसम सम्बक्न्धी गतिविधियों में इसकी भूमिका को स्पष्ट करें।
- बताएँ कि भूमध्य रेखा पर इसका मान शून्य क्यों होता है।
कोरिऑलिस बल एक आभासी बल है जो पृथ्वी के घूर्णन के कारण उत्पन्न होता है। वस्तुतः पृथ्वी के विभिन्न अक्षांशों में परिधि का आकार तथा केंद्र से दूरी के कारण पृथ्वी की घूर्णन गति भिन्न भिन्न होती है। इस गति-भिन्नता के कारण कोई भी गतिमान वस्तु जो एक अक्षांश से दूसरे अक्षांश की ओर गतिमान होती है, उस पर यह बल कार्य करने लगता है। कोरिऑलिस बल के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में वायु की गति की दिशा के दाएं ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में गति की दिशा के बाईं ओर बल लगता है।
मौसम संबंधी गतिविधियों में कोरिऑलिस बल के प्रभाव को निम्नलिखित रूपों में देखा जा सकता है-
- यह बल उपोष्ण कटिबंधीय उच्च वायुदाब पेटी तथा उप ध्रुवीय निम्न दाब पेटियों के निर्माण में सहायक होता है।
- इसके अलावा चक्रवात तथा प्रतिचक्रवात के निर्माण में भी कोरिऑलिस बल का महत्त्वपूर्ण योगदान है। इसके कारण चक्रवात उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई की विपरीत दिशा में तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई की दिशा में घूर्णन करते हैं।
- महासागरीय धाराओं के दिशा परिवर्तन में भी यह बल सहायक होता है।
- ऊपरी स्तर के वायु को प्रभावित कर यह बल जेट स्ट्रीम के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है।
- इसके अलावा, यह बल दक्षिण-पश्चिमी व्यापारिक पवनें तथा मानसून पवनों के निर्माण में भी सहायक है।
भूमध्य रेखा पर कोरियालिस बल का मान शून्य होने के निम्नलिखित कारण हैं-
- भूमध्य रेखा पर उत्तरी गोलार्द्ध का आभासी बल और दक्षिणी गोलार्द्ध का आभासी बल एक दूसरे को संतुलित कर देते हैं, जिससे परिणामी कोरिऑलिस बल लगभग शून्य हो जाता है।
- विषुवत रेखा पर कोणीय आवेग के परिवर्तन की दर अपेक्षाकृत कम होती है जिससे यह बल कम हो जाता है।
- इसके अलावा, विषुवत रेखा पर कोई पदार्थ घूर्णन अक्ष के समानांतर होता है जिससे कोरिऑलिस बल का मान शून्य हो जाता है।