आर्थिक राष्ट्रवाद का अग्रदूत किसे माना जाता है - aarthik raashtravaad ka agradoot kise maana jaata hai

किसी देश की आर्थिक विचारधारा तब आर्थिक राष्ट्रवाद (Economic nationalism) कहलाती है जब वह अपने अर्थतंत्र, श्रमशक्ति और पूंजी-निर्माण पर घरेलू नियंत्रण पर बल देता है और आवश्यक होने पर कर (टैरिफ) तथा अन्य पाबन्दियाँ लगाने से नहीं हिचकता। कई दृष्टियों से आर्थिक राष्ट्रवाद और वैश्वीकरण एक-दूसरे के विरोधी हैं। आर्थिक राष्ट्रवाद के अन्तर्गत आने वाले प्रमुख सिद्धान्त ये हैं - संरक्षणवाद, वणिकवाद (mercantilism) तथा आयात प्रतिस्थापन (import substitution)।

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1 Book आधुनिक भारत में उपनिवेशवाद और राष्ट्रवाद

Chandra, Bipan

अनामिका

7 Book हिन्दी भाषा का उद्भव और विकास

Ārya, Sadāvijaya, Misra, Ramesh Chandra, 1935-, Rāmaniran̄jana Pāṇḍeya

चित्रगुप्त प्रकाशन

2 Book 'नव भारत' : गांधीवाद का आर्थिक स्वरूप : सैद्धांतिक प्रस्तावना

Rāmakr̥shṇa

प्रकाश मन्दिर

8 Book भारत में राष्ट्रीय आन्दोलन का उद्भव एवं विकास

Dhavana, Ema. Ela.

अर्जुन पब्लिशिंग हाऊस

3 Book The rise and growth of economic nationalism in India : economic policies of Indian national leadership, 1880-1905

Chandra, Bipan

People's Pub. House

9 Book बिहार में निजी सेनाओं का उद्भव और विकास

Siṃha, Kumāra Narendra, 1958-

वाणी प्रकाशन

4 Book डा॰ आम्बेडकर के आर्थिक विचार और नीतियाँ

Nāgara, Vishṇudatta, Nāgara, Kr̥shṇavallabha Pa.

मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी

10 Book The new economic menace to India

Pal, Bipin Chandra, 1858-1932

Ganesh

5 Book मध्यकालीन भारत में सूफ़ीमत का उद्भव और विकास

Siṃha, Rājabālā, 1958-

राष्ट्रीय कला एवं धर्म शोध संस्थान

11 Book छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता का उद्भव एवं विकास

Kāmaṛe, Śivānanda, 1960-

मेधा बुक्स

6 Book भारतीय संयोजन में समाजवाद : लोकतंत्री समाजवाद की कल्पना तथा प्रगति का विवेचन

Shriman Narayan, 1912-1978, Nehru, Jawaharlal, 1889-1964

सस्ता साहित्य मंडल

12 Book A bunch of current Indian studies : a study of functional economics of areas and ideas

Sinha, Manas Ranjan, Mahalanobis, P. C. (Prasanta Chandra), 1893-1972, All India Scholars' Conference on National …

Published for Indian Institute of Asian Studies [by] Asian Studies Press

भारतीय राष्ट्रवाद के जनक कौन है?

Who is the father of Indian nationalism

December 28, 2018 , updated on November 7, 2022

(A) गोपाल कृष्ण गोखले
(B) बाल गंगाधर तिलक
(C) सुरेंद्रनाथ बैनर्जी
(D) राजा राममोहन राय

Answer : राजा राममोहन राय

भारतीय राष्ट्रवाद के जनक राजा राममोहन राय है। सामाजिक एवं धार्मिक आंदोलनों के सूत्रधार राजा राममोहन राय को भारत के नवजागरण का अग्रदूत, अतीत और भविष्य के मध्य सेतु, भारतीय राष्ट्रवाद के जनक, आधुनिक भारत के पिता, नव प्रभात के भोर का तारा, भारतीय राजनैतिक क्रांति के अग्रदूत, नवीन भारत के संदेश वाहक आदि माना जाता है।....अगला सवाल पढ़े

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आर्थिक राष्ट्रवाद के प्रवर्तक कौन थे?

हलांकि साम्राज्यवादी अर्थव्यवस्था की समालोचना करने वाले राष्ट्रवादी इतिहासकार न होकर राजनीतिक नेता एवं अर्थशास्त्री थे. इस परम्परा मे दो नाम सर्वोपरि हैं - दादाभाई नौरोजी एवं आर. सी. दत्त - जिन्होंने साम्राज्यवादी अर्थव्यवस्था की गहन पड़ताल की थी.

आर्थिक राष्ट्रवाद का क्या महत्व है?

किसी देश की आर्थिक विचारधारा तब आर्थिक राष्ट्रवाद (Economic nationalism) कहलाती है जब वह अपने अर्थतंत्र, श्रमशक्ति और पूंजी-निर्माण पर घरेलू नियंत्रण पर बल देता है और आवश्यक होने पर कर (टैरिफ) तथा अन्य पाबन्दियाँ लगाने से नहीं हिचकता।

उग्र राष्ट्रवाद के जनक कौन है?

राजा राम मोहन राय को भारतीय राष्ट्रवाद के जनक के रूप में जाना जाता है।

भारत में राष्ट्रवाद का उदय किसकी देन है?

भारतीय राष्ट्रवाद कुछ सीमा तक उपनिवेशवादी नीतियों तथा उन नीतियों से उत्पन्न भारतीय प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप ही उभरा था. पाश्चात्य शिक्षा का विस्तार, मध्यवर्ग का उदय, रेलवे का विस्तार तथा सामाजिक-धार्मिक आन्दोलनों ने राष्ट्रवाद की भावना के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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