आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन PDF - aadhunik bhaarat mein saamaajik parivartan pdf

अपनी मनपसंद पुस्तक यहाँ खोजें

Book Summary

Book Language:हिंदी | Hindi
PDF Download Size:5.6 M
Creator:Dr. K. K. Mishra

Book Writer And Publisher Detail

यह पुस्तक Aadhunik Bharat Mein Samajik Parivartan | आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन, Dr. K. K. Mishra द्वारा रचित एक प्रसिद्ध पुस्तक है । इस पुस्तक को Unknown ने प्रकशित किया है । आप यह पुस्तक booksinhindi पर निःशुल्क पढ तथा डाउनलोड कर सकते है पुस्तक का कुल भार 5.6 M है ।पुस्तकें ही हमारी सच्ची मित्र होती हैं । ऐसी ही पुस्तकों का विशाल संकलन हम लाए हैं आपके लिए बिल्कुल निशुल्क पढ़ें अथवा डाउनलोड करें । booksinhindi पर हज़ारो अन्य ई-पुस्तकें(E-BOOKS) निशुल्क उपलब्ध है ।
(This famous book Aadhunik Bharat Men Samajik Parivartan is written by Dr. K. K. Mishra. The book is published by Unknown. You can read and download this e-book for free having 5.6 M size.)

Aadhunik Bharat Mein Samajik Parivartan Pdf Download free, आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन पीडीऍफ़ डाउनलोड करें , Books By Dr. K. K. Mishra, Dr. K. K. Mishra की किताबें डाउनलोड करें , Aadhunik Bharat Mein Samajik Parivartan book in hindi free download, आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तनहिंदी में डाउनलोड करें फ्री

मज़ेदार और अजीबो गरीब फैक्ट्स देखने के लिए हमारी ऍप डाउनलोड करें Download Link

Book Reading And Downloading Options

ई-बुक डाउनलोड करें ऑनलाइन पढ़ें

इस पुस्तक को अच्छे से पढ़ने के लिए एप्प का इस्तेमाल करें

इस पुस्तक को काम दाम में खरीदें

E-Book Source देखें
आप यहाँ से किताबें खरीद भी सकते है |

लेखक :

Book Language

हिंदी | Hindi

पुस्तक का साइज़ :

6 MB

कुल पृष्ठ :

193

श्रेणी :

यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटी है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)

15 संस्कृतिकरण प्रक्रिया के अन्तगंत नीची जातियों के सदस्य उच्च जातियों के व्यवहारों को अपना रहे हैं। इस अनुकरण की प्रक्रिया के कारण निम्न जाति के सदस्यों का व्यवहार परिवर्तित हो रहा है जिसके परिणामस्वरूप सामाजिक परिवतंन आवश्यक हो जाता है। उदाहरण के तौर पर चमार तथा अस्पृश्य जाति के सदस्य ब्राह्मणों का अनुकरण अपने जीवन की गतिविधि में इसलिए कर रहे हैं ताकि उनकी प्रस्थिति में सुधार हो और वे भी समाज में वही प्रतिष्ठा पा सकें जो ब्राह्मणों को मिलती रही है। पूजा-पाठ, जनेंऊ धारण करना, तीर्थयात्रा करना, अब शूद्र उसी प्रकार कर रहे है जैसा ब्राह्मण किया करते हैं। भव ये. अपने परम्परागत कार्मों को करना नहीं चाहते । इस स्थिति के कारण सामाजिक सम्बन्ध परिवर्तित हो रहे है। संस्कृतीकरण कौ स्पष्ट प्रक्रिया स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद ২. ভি हुई है दसे इसके पहले भी छोटी प्रस्थिति के लोग उच्च प्रस्थिति वाले लोगों का अनुकरण करते रहे हैं। निम्न जाति के स्ोगों द्वारा नये व्यवहार प्रतिमानं के अपनाने के कारण अब उनमें नये-नये विचारों का समावेश हो रहा है, इसी विचार-परिवर्तेन के कारणं उनके भूल्य तथा मान्यताएं भी बदल रही है, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय समाज में परिवर्तन हो रहा है । (2) भौद्योगीफरण ([7075018158101]--यद्यपि प्रौद्योगिक कारक का वर्णन ऊपर किया गया है फिर भी ओद्योगीकरण प्रक्रिया का वर्णन भारतीय सामाजिक परिवर्तेन को व्यक्त करने के लिए आवश्यक जान पड़ता है। भोद्योगी- बारण से तात्पर्य औद्योगिक क्रान्ति से है जिसके परिणामस्वरूप किसी समाज में बड़े उद्योग-धन्धों का विकास होता है। भारतवंषं में प्रोधोंगिक कारक सदियों से सामाजिक व्यवस्था को भ्रभावित करता रहा है फिर भी उसे हम ओऔद्योगीकरण नहीं कहेगे, क्योंकि उससे बड़े मौर मूलभूत उद्योगों का विकास सम्मव नहीं हो सका। भारत में ओद्योगीकरण का वास्तविक श्रीगणेश 1956 ई० में माना जाता है, जबकि भारतीय सरकार ने नियोजन के माध्यम से ओद्योगिक विकास -का कार्यक्रम 'शुरू किया। द्वितीय पंचवर्षीप योजना की उपलब्धियों से पता चलता है कि अब भारतवर्ष में औद्योगीकरण की प्रक्रिया कार्यरत है जिसका प्रभाव हमारे सामाजिक सम्बन्धों पर पड़ रहा है !' बड़े-बड़े उद्योगों के विकास के .कारण जहाँ एक ओर आधिक विकास में सहायता -मिल रही है वही पर दूसरी ओर विभिन्न सामाजिक समस्याएं, जैसे वेफारी, गन्दगी, शारीरिक अपराध, चोरी आदि के कोरण सामाजिक सम्बन्ध परिवर्तित हो रहे हैं। प्राथमिक सामाजिक सम्बन्ध जो भारतीय समाजे की विशेषता “थी अब बदलकर द्वितीयक ' होती जा रही है। सामाजिक दूरी की अवधारणा ' समाप्त हो रही है जिसका प्रत्यक्ष , प्रभाव गतिशीनता में वृद्धि है । लोग अपने गाँवों को छोड़कर उन स्वानों को जाने लगे हैं जहाँ उद्योग स्थापित किये जा रहे हैं ।' ऐसी स्थिति में इस बात की सम्भावना अब बढ़ रही है कि लोग कहीं अब अपने परम्परागत सगठनों से सम्बन्ध न तोड़ लें । ऐसा हो भी रहा है ! * ऐसे लोग जिनकी प्रस्थिति गाँव में ऊँची नही है वे शहरो की, ओर या उमर, स्थान पर जहाँ उद्योग लगाये गये है इसलिए जा रहे हैं ताकि उनकी भ्रस्थिति में सुधार हौ जाये । यदि ऐसा सम्भव हो सका तो फिर वे. लोग अपने पैतृक स्थान से अपने मिकट सम्बन्धियों को भी बुला लेते है और स्थायी रूप से उस नये स्थान पर रहने लगते हैं। इस आम्रवास तथा उत्पवास के कारण अनेक सामाजिक समस्‍्याएँ

  • Issue: *
  • Your Name: *
  • Your Email: *

  • Details: *

आधुनिक काल में भारतीय समाज में क्या क्या परिवर्तन हुए हैं वर्णन कीजिए?

यह काल औद्योगीकरण, नगरीकरण तथा विविध आयामी बौद्धिकता से सम्बद्ध रहा। मनुष्य, समाज, राष्ट्र, धर्म तथा ईश्वर आदि की नूतन व्याख्याएँ की जाने लगी। जीवन तथा उससे सम्बद्ध अनेक क्षेत्रों में अत्यधिक तीव्रता से परिवर्तन हुए, जिनके चलते व्यक्ति या तो व्यवस्था में खो गया अथवा व्यवस्था के पुर्ज मात्र के रूप में सिमट गया।

आधुनिक समाज में सामाजिक परिवर्तन क्या है?

सामाजिक परिवर्तन, समाज के आधारभूत परिवर्तनों पर प्रकाश डालने वाला एक विस्तृत एवं कठिन विषय है। इस प्रक्रिया में समाज की संरचना एवं कार्यप्रणाली का एक नया जन्म होता है। इसके अन्तर्गत मूलतः प्रस्थिति, वर्ग, स्तर तथा व्यवहार के अनेकानेक प्रतिमान बनते एवं बिगड़ते हैं। समाज गतिशील है और समय के साथ परिवर्तन अवश्यंभावी है।

आधुनिकीकरण का भारतीय समाज पर क्या प्रभाव हुआ है?

आधुनिकीकरण की प्रक्रिया से संबंधित कुछ अन्य कारकों, जैसे-- नगरीकरण, पश्चिमी शिक्षा, यातायात व संचार के विकसित साधनों आदि का गहरा प्रभाव भारतीय सामाजिक जीवन तथा परम्परागत तौर पर प्रभावशाली संस्थाओं पर पड़ा। इस प्रकार जाति, संयुक्त परिवार, विवाह, पंचायत आदि सभी मे बड़े परिवर्तन हुए।

आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन के लेखक कौन है?

मैसूर नरसिम्हचार श्रीनिवासआधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन / लेखकnull

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग