आवेश का सी मात्रक क्या होता है? - aavesh ka see maatrak kya hota hai?

विद्युत आवेश क्या है S.I मात्रक हिंदी में इसकी परिभाषा और क्वाण्टीकरण तथा आवेश संरक्षण का नियम स्थिर विद्युत यानि Static electricity Competitive exams और 10th,11th और 12 में है यहाँ पर में detail दे रहा हूँ

विद्युत आवेश क्या है?

वे कण जिनके कारण कारण विधुत व चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है आवेश कहलाते है

आवेश की परिभाषा-विद्युत आवेश किसी Object या body पर असंतुलित विद्युत की मात्रा है इसे English में charge कहते है यह static,electric,electrostatic होता है

इसकी definition देना थोडा ठीक नहीं रहा वैसे मेरे हिसाब से यही होना चाहिए unbalanced quantity of electric charge असंतुलित विद्युत की मात्रा का use करना सही रहा जैसे जब हम कहते है की इस object पर इतना आवेश है इसका मतलब है की यह असंतुलित है

कूलॉम आवेश का S.I मात्रक है –

विद्युत आवेश का S.I मात्रक क्या है इसका answer है आवेश का S.I मात्रक कूलॉम है इसे Q से प्रदर्शित करते है

Q यानि आवेश धनात्मक और ऋणात्मक हो सकता है दो या दो से अधिक आवेशों के बीच लगने वाला आकर्षी या प्रतिकर्षी बल का मान हम कूलाम के नियम से निकाल सकते है

यदि दो आवेश Q1 और Q2 r दूरी पर रखे है तो उनके बीच लगने बाला बल F

F=k×Q1×Q2/r²

यहाँ पर k एक परवैध्युतांक है जिसका मान हवा और निर्वात में 1/4πε0 होता है

आवेश के प्रकार –

आवेश 2 प्रकार के होते है

1. धन आवेश –

किसी कण मे इलेक्ट्रॉन की कमी के कारण जो आवेश उत्पन्न होता है उसे धन आवेश कहते है

धन आवेश को +Q से दर्शाया जाता है

2.ऋण आवेश-

किसी कण मे इलेक्ट्रॉन की ज्यादा मात्रा के कारण जो आवेश उत्पन्न होता है उस ऋण आवेश कहते हैं

आवेश को -Q से दर्शाया जाता है

दो एक समान प्रकृति वाले अवेशो के मध्य प्रतिकर्षण वह असमान प्रकृति वाले आवेशों के मध्य आकर्षण होता है

  • कूलाम का नियम

आवेश संरक्षण का नियम

इस नियम के अनुसार आवेश को न तो पैदा किया जा सकता है न ही नष्ट किया जा सकता है पूरा आवेश संरक्षित रहता है

यदि हम किसी object से दुसरे object को आवेश देते है तो पहले बाले पर positive और दुसरे पर नेगेटिव आवेश होगा

आवेश संरक्षण के नियम को प्रसिध्द वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रैंकलिन ने दिया था

आवेश के क्वाण्टीकरण का सिध्दांत

विद्युत आवेश का मान e=1.602×10−19 होता है यह न्यूनतम आवेश है जो किसी वस्तु पर हो सकता है

इस क्वाण्टीकरण के अनुसार किसी वस्तु पर पर आवेश इस न्यूनतम आवेश e=1.602×10−19 का पूर्ण गुणक होता है

किसी बस्तु पर आवेश Q=ne

यहाँ पर n सभी पूर्णांक नंबर है जैसे 1,2,3,4 etc. और e=1.602×10−19 है

अवेशो का योगात्मक गुणधर्म

किसी विलगित निकाय का मकुल आवेश उस निकाय मे मे उपस्थित सभी बिंदुओं पर उपस्थित अवेशो के बीजगणितीय योग के बराबर होता है

Q = Q₁+ Q₂+ Q₃ +Q₄ +Q₅

अवेशो का प्रेरण –

अवेशो का प्रेरण कि दो स्थितिया है

  1. जब किसी धन अवेशित पिंड को किसी अनावेशित पिंड के पास लाया जाता है तो इस क्रिया से अनावेशित पिंड के आयन उत्पन्न होते है और वितरित होने लग जाते है इसमे ऋण आवेश धन अवेशित पिंड के सामने एक हिस्से पर व धन आवेश पिंड के पिछले वाले भाग पर चले जाते है

  1. जब किसी ऋण आवेश को किसी अनावेशित पिंड के पास लाया जाता है और उस अनावेशित पिंड के अवेशो का वितरित शुरू हो जाता है इसमे धन आवेश ऋण अवेशित पिंड मे सामने वाले भाग पर और ऋण आवेश पिंड के पिछले भाग पर चला जाता है

आवेश के मूल गुण

विद्युत आवेश के तीन मूल गुण होते है

जिसमे पहला आवेश का बीजीय योग जिसके अनुसार किसी सर्किट का कुल आवेश उसमे उपस्थित सभी आवेशों के बीजीय योग के बराबर होता है आवेश धनात्मक और ऋण आवेशित प्रकृति के होते है इसलिए इनका बीजीय योग कुल आवेश के बराबर होते है

दूसरा गुण और तीसरा आवेश संरक्षण का नियम और आवेश के क्वाण्टीकरण है जो आप पहले पड़ चुके है

विद्युत आवेश या electric charge की definition आपको मिल गई है और संरक्षण का नियम इसका S.I मात्रक और आवेश के क्वाण्टीकरण की information  आप समझ गए होंगें इस page को share जरूर करें अपने friends से नीचे buttons है और कोई question हो तो comment करें

आवेश का मात्रक (unit of charge) : विद्युत धारा को S.I (system international) (अंतर्राष्ट्रीय पद्धति) में मूल राशि के रूप में माना जाता है तथा विधुत धारा का मात्रक एम्पियर (A) होता हैं। 

आवेश का S.I पद्धति में मात्रक कूलम्ब (Coulomb) (कूलॉम) होता है।

1C = 1 AS

विद्युत आवेश की विमा निम्न प्रकार लिखी जाती है।

[Q] = M0L0T1A1

अन्य मात्रक निम्न प्रकार भी लिखे जाते हैं।

1 PC = 10-12 C

1 nC = 10-9 C

1 μC = 10-6 C

आवेश का CGS (centimetre–gram–second) (सेन्टीमीटर – ग्राम – सेकण्ड ) पद्धति में मात्रक फ्रैंकलिन या स्टेट कूलाम है।

1  C = 3 x 109 esu

आवेश का मात्रक फैराडे भी होता हैं।

1 फैराडे = 96500 C

आवेश की परिभाषा (definition of charge) :

आवेश का मात्रक कूलाम होता है इसको निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है –

किसी तार में एक बिंदु से गुजरने वाले आवेश की प्रति सेकंड की मात्रा जबकि धारा 1 एम्पियर रखी जाये , आवेश की इस मात्रा को 1 कूलॉम आवेश कहते है।

इसको निम्न सूत्र द्वारा भी समझा जा सकता है –

चूँकि हम जानते है

 

विद्युत धारा (I) = गुजरने वाला आवेश (Q) (कूलॉम में) / समय (T) (सेकंड में)

अतः

Q (आवेश) = IT

यदि I = 1 ऐम्पियर रखा जाए तथा समय 1 सेकण्ड रखी जाये तो आवेश (Q) का मान 1  कूलॉम होगा।

Q = 1 x 1

Q = 1 A

विद्युत आवेश : किसी वस्तु के पदार्थ या कण का आवेश , वह प्रकृति (ग्रहण की गयी या प्राकृतिक) है जिसके कारण यह वैद्युत व चुम्बकीय प्रभाव उत्पन्न और महसूस करता है। कुछ प्राकृतिक आवेशित कणों के उदाहरण – इलेक्ट्रॉन , प्रोटोन , एल्फा कण आदि।

आवेश एक व्युत्पन्न भौतिक राशि है। S.I पद्धति में आवेश कुलाम में मापा जाता है।

अभ्यास में इसे मिलीकुलाम (mC) = 10-3C

माइक्रोकुलाम (uC) = 10-6C

नैकोकुलाम (nC) = 10-9C आदि काम में लेते है।

आवेश का C.G.S मात्रक = स्थिर वैद्युत इकाई = esu

1 कूलाम = 3 x 109 स्थिर वैद्युत इकाई का आवेश

आवेश की विमा = M0L0T1I1

आवेश के गुण :

1. आवेश एक अदिश राशि है :- आवेश को बीजगणितीय रूप में जोड़ा जाता है और इलेक्ट्रॉनो की न्यूनता या अधिकता को प्रदर्शित करता है।

2.  आवेश दो प्रकार का है :- (i) ऋणात्मक आवेश , (ii) धनात्मक आवेश। किसी वस्तु का आवेशन एक वस्तु से दूसरी वस्तु में आवेश का स्थानान्तरण है। धनात्मक आवेश से तात्पर्य इलेक्ट्रानों की हानि से है अर्थात इलेक्ट्रॉनों की न्यूनता। ऋणात्मक आवेशित वस्तु से तात्पर्य इलेक्ट्रॉनों की अधिकता है। इससे यह भी प्रदर्शित होता है कि एक ऋण आवेशित वस्तु का द्रव्यमान > समान धन आवेशित वस्तु का द्रव्यमान।

3. आवेश संरक्षित रहता है : एक विलगित निकाय में कुल आवेश (धनात्मक व ऋणात्मक का जोड़) नियत रहता है , चाहे उस निकाय में कुछ भी परिवर्तन हो।

5. समान प्रकृति के आवेश एक दुसरे को प्रतिकर्षित करते है जबकि विपरीत प्रकृति के आवेश परस्पर आकर्षित होते है।

6. आवेश सदैव द्रव्यमान से सम्बद्ध होता है अर्थात द्रव्यमान के बिना आवेश का अस्तित्व नहीं होता यद्यपि आवेश के बिना द्रव्यमान का अस्तित्व संभव है। कुछ कण जैसे फोटोन , न्यूट्रीनो इनका द्रव्यमान (विराम) नहीं होता , अत: इन पर कोई आवेश भी नहीं होता है।

7. आपेक्षिकता के सन्दर्भ में अपरिवर्तित है : इसका तात्पर्य यह है कि आवेश निर्देश तन्त्र पर निर्भर नहीं करता है अर्थात किसी वस्तु का आवेश परिवर्तित नहीं होता है , चाहे इसकी चाल कुछ भी हो , इसके विपरीत वस्तु का द्रव्यमान वस्तु की चाल पर निर्भर करता है और चाल के साथ बढ़ता है।

8. एक स्थिर आवेश इसके चारों ओर केवल विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है , एक समान रूप से गति करने वाला आवेश इसके चारो ओर विद्युत क्षेत्र व चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है जबकि त्वरित गति करता हुआ एक आवेश व चुम्बकीय विद्युत चुम्बकीय तरंगे उत्पन्न करता है।

हम इस टॉपिक में देखेंगे कि आवेश की विमा क्या होती है ?

जैसा कि हम सभी जानते है कि आवेश एक प्रकार की अदिश राशि की श्रेणी में गिनी जाती है |

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विद्युत आवेश विमा Q = [T1 I1] होती है , आगे देखते है कि आवेश का यह विमीय सूत्र कैसे प्राप्त होता है |

आवेश की विमा ज्ञात करने के लिए इसका सूत्र देखते है –

विद्युत धारा = आवेश / समय

होता है , इस सूत्र में हम आवेश = विद्युत धारा x समय लिख सकते है |

अत: हमें विद्युत आवेश का जो सूत्र प्राप्त होता है वह है –

Q = I x T

अब इस सूत्र में हम वैद्युत धारा (I) और समय (T) का विमीय सूत्र लिखकर आवेश की विमा का सूत्र ज्ञात करते है |

धारा का विमीय सूत्र = [I1]

इसी प्रकार हम समय का विमीय सूत्र लिखते है = [T1]

इन दोनों राशियों का मान आवेश वाले सूत्र में लिखकर हमें आवेश का विमीय सूत्र प्राप्त हो जाता है जो निम्नलिखित प्रकार है –

आवेश का SI मात्रक क्या है?

विद्युत आवेश का SI मात्रक कूलम्ब है।

विद्युत आवेश का SI मात्रक क्या है ?`?

विद्युत आवेश का SI मात्रक कूलम्ब (C) है।

आवेश का सबसे बड़ा मात्रक क्या होता है?

आवेश का सबसे बड़ा मात्रक फैराडे होता है। आवेश का सबसे छोटा मात्रक 'फ्रेंकलिन ' होता है।

कूलाम का एस आई मात्रक क्या होता है?

कूलाम्ब आवेश मापने का SI मात्रक है।

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