अगर पित्ताशय की थैली हटा दी जाए तो क्या होगा? - agar pittaashay kee thailee hata dee jae to kya hoga?

जब पित्ताशय की पथरी का आकार बढ़ जाता है तो पित्ताशय (gall bladder meaning in hindi) में पित्त का निर्माण अधिक होने लगता है, जिससे इन्फेक्शन और पित्ताशय में सूजन होने लगता है। मेडिकल भाषा में इस स्थिति को एक्यूट कोलेसिस्टिटिस (acute cholecystitis) कहते हैं। यह संक्रमण जानलेवा होता है। इसलिए, इसे रोकने के लिए तुरंत ही, सर्जरी के द्वारा पित्ताशय को शरीर से अलग कर दिया जाता है।

पित्ताशय की पथरी होने पर गाल ब्लैडर का शरीर से अलग होना आम बात है जो लगभग हर रोगी के साथ होता है। कोई भी व्यक्ति पित्ताशय के बिना जीवित रह सकता है लेकिन, सर्जरी के बाद कई तरह की परेशानियाँ या दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।

  • पित्ताशय हटाने के साइड इफेक्ट – Side effects of gall bladder removal in Hindi
    • 1. खाना पचने में परेशानी
    • 2. घाव में इन्फेक्शन
    • 3. दर्द
    • 4. खून का थक्का बनना
    • 5. बाइल डक्ट में चोट आ जाना
    • 6. हर्निया
    • 7. बुखार
    • 8. कब्ज
    • 9. हृदय संबंधी रोग
    • 10. पीसीएस (PCS)
  • पित्ताशय हटाने के बाद रिकवरी
    • रिकवरी के दौरान, इन बातों का रखें ध्यान 
  • पित्ताशय हटाने की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के फायदे

पित्ताशय हटाने के साइड इफेक्ट – Side effects of gall bladder removal in Hindi

1. खाना पचने में परेशानी

अचानक से, शरीर का एक हिस्सा अलग हो जाने के कारण शरीर को नई प्रक्रिया समझने में थोड़ा समय लग सकता है, इसलिए बाइल जूस छोटी आंत तक बहुत कम मात्रा में जाता है। परिणामस्वरूप डायरिया हो सकता है। इसके अलावा कई बार पित्ताशय की पथरी कॉमन बाइल डक्ट (common bile duct) में हो सकती है और छोटी आंत में बाइल थोड़ी मात्रा में भी नहीं पहुँचता है। इसलिए, अगर आपका खाना बिल्कुल भी नहीं पचता है तो डॉक्टर से जाँच करवाना चाहिए।

इसे भी पढ़ें- पित्ताशय की पथरी का इलाज

2. घाव में इन्फेक्शन

गाल-ब्लैडर को हटाने के लिए या तो ओपन सर्जरी या फिर लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का इस्तेमाल होता है। ओपन सर्जरी में घाव बड़ा होता है जबकि, लेप्रोस्कोपिक में छोटा कट होता है। सर्जरी वाली जगह में इन्फेक्शन का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा इलाज के दौरान अगर उपकरणों को उपयोग करने में कोई लापरवाही हुई तो भीतरी अंग को भी नुकसान पहुँच सकता है। इसलिए, सर्जरी के पहले यह सुनिश्चित कर लें कि सर्जन को कई वर्षों का अनुभव हो।

3. दर्द

सर्जरी के स्थान पर सूजन होना और त्वचा के रंग में परिवर्तन होना आम बात है लेकिन, अगर यह परिवर्तन असहनीय दर्द का कारण बनता है तो यह एक इन्फेक्शन का लक्षण हो सकता है। कभी-कभी चीरा वाले स्थान को हल्का स्पर्श करने पर भी दर्द होता है।

4. खून का थक्का बनना

कई लोगों को पित्ताशय हटवाने के बाद उनके रक्त में थक्का बन सकता है। यह थक्का विचारणीय होता है, क्योंकि यह खून के जरिए पूरी शरीर में भ्रमण कर सकता है और फेफड़ों में होने वाले रक्त प्रवाह को रोक सकता है। इसलिए, पित्ताशय हटवाने के बाद डॉक्टर के कहने पर जाँच जरूर करवाएं।

5. बाइल डक्ट में चोट आ जाना

बाइल डक्ट अर्थात पित्त की नली लीवर से बाइल जूस को आंत तक ले जाने का काम करती है। सर्जरी के दौरान अगर किसी कारण वश यह डैमेज हो जाती है तो पित्त रस (bile juice) पेट में लीक हो सकता है या  फिर उचित मात्रा में निर्धारित अंग तक नहीं पहुँच पाता है।

6. हर्निया

सर्जरी के दौरान किसी टिश्यू को नुकसान पहुँचने से टिश्यू कमजोर पड़ सकती है और बाद में हर्निया हो सकता है। इसे भी पढ़ें- हर्निया का इलाज

7. बुखार

सर्जरी के बाद बुखार आने का मतलब है कि आपका शरीर इन्फेक्शन से लड़ाई कर रहा है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से परामर्श लेना उचित होगा।

8. कब्ज

पित्ताशय को शरीर से अलग करने के लिए उपयोग की जाने वाली सर्जरी के बाद रिकवर होने के लिए दी जानी वाली दवाइयों के सेवन से और पाचन में कई तरह के बदलाव होने से कब्ज हो सकता है। पढ़ें- कब्ज का इलाज

9. हृदय संबंधी रोग

अगर रोगी की हार्ट सर्जरी हुई है या रोगी हृदय रोगी है तो gall bladder हटवाना उसे अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करेगा। सर्जरी के बाद रोगी का स्ट्रेस हृदय रोग को तीव्र कर सकता है। पित्ताशय हटवाने के बाद मोटापा, शुगर और कोलेस्ट्रोल लेवल में चढ़ाव आदि हो सकता है।

10. पीसीएस (PCS)

पीसीएस यानि  पोस्ट-कोलेलिस्टेक्टॉमी सिंड्रोम (post-cholecystectomy syndrome), यदि पित्ताशय की पथरी पित्त नली में विकसित होती है तो पीसीएस हो सकता है। इसका कारण पेट में पित्त रक्त का अप्राकृतिक स्त्राव होना भी है। पीसीएस के लक्षण पित्ताशय की पथरी के समान होते हैं, जिसमे पेट दर्द, दस्त और सीने में जलन आदि शामिल है।

पित्ताशय हटाने के बाद रिकवरी

अगर सर्जरी के बाद कोई जटिलता (complication) नहीं होती है तो रिकवरी होने में कम समय लगेगा। अगर पित्त कि थैली हटाने के लिए ओपन सर्जरी हुई है तो रोगी को अस्पताल में 4 से 5 दिनों तक ठहरना पड़ सकता है, वहीं अगर सर्जरी का प्रकार लेप्रोस्कोपिक है तो उसी दिन रोगी अपने घर वापिस हो सकता है।

रिकवरी के दौरान, इन बातों का रखें ध्यान 

कई बार रोगी को सर्जरी का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है लेकिन, रिकवरी के दौरान की गई गलतियाँ उसके ठीक होने के समय को बढ़ा देती है। आइये कुछ ऐसी बातें जानते हैं जो पित्ताशय हटने के बाद जल्दी रिकवर होने में आपकी मदद करेंगे।

  • दो सप्ताह तक कोई भी फिजिकल वर्क न करें। इस दौरान आपको आराम कि सख्त जरूरत है।
  • अपने जख्म को नियमित रूप से साफ़ करें और डॉक्टर द्वारा बताई गई क्रीम लगाएं।
  • कुछ दिनों तक ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन करें, कठोर पदार्थ खाने से परहेज करें।
  • कुछ हफ्तों के लिए अत्यधिक नमकीन, मीठा, मसालेदार या वसायुक्त भोजन न करें।
  • पाचन बढ़ाने  के लिए फाइबर का अधिक सेवन करें, लेकिन नट्स, बीज, साबुत अनाज, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, फूलगोभी, गोभी, आदि का सेवन न करें।

रिकवरी के दौरान रोगी नीचे दिए गए कुछ लक्षणों का अनुभव कर सकता है। लक्षण नजर आने पर तुरंत ही डॉक्टर से सलाह लें-

  • तेज दर्द (हमेशा रहता है)
  • बार-बार पेट दर्द
  • मतली और उल्टी
  • गैस या मल निकालने में परेशानी
  • दस्त और पीलिया

पित्ताशय हटाने की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के फायदे

पित्ताशय की पथरी का जड़ से इलाज करने के लिए पित्ताशय को शरीर से अलग करना ही एकमात्र टिकाऊ उपाय है। लेकिन, अगर यह प्रक्रिया ओपन सर्जरी द्वारा की जाती है तो साइड-इफेक्ट्स का खतरा ज्यादा होता है। आइये जानते हैं कि पित्ताशय हटाने के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के क्या फायदे हो सकते हैं।

  • कोई बड़ा कट नहीं होता है और रिकवरी में बहुत कम समय लगता है।
  • घाव में इन्फेक्शन होने के चांस बहुत कम होते हैं, क्योंकि, इलाज के दौरान बहुत छोटा कट होता है।
  • सर्जरी के बाद कोई साइड-इफ़ेक्ट नहीं होते हैं।
  • पेशेंट को 48 घंटे के भीतर अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है।

अगर आप पित्त थैली हटवाने के लिए Pristyn Care की मदद लेते हैं तो आपको नीचे बताए गए एक्स्ट्रा लाभ हो सकते हैं।जैसे- 

  • EMI पर इलाज की सुविधा
  • अनुभवी सर्जन द्वारा इलाज
  • इलाज का हाई सक्सेस रेट
  • एडवांस उपकरण का इस्तेमाल
  • इंश्योरेंस का पेपरवर्क और पूरा लाभ
  • अस्पताल लाने और घर छोड़ने की जिम्मेदारी
  • डीलक्स रूम में इलाज
  • गुप्त परामर्श

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|

पित्त की थैली निकालने से क्या नुकसान होता है?

यह दर्द गंभीर हो सकता है और पीठ या दाएं कंधे तक फ़ैल सकता है। रोगी को पेट में भारीपन, मतली और उल्टी का अनुभव होता है जो भोजन करने के ठीक बाद और ज्यादा हों जाता है। यदि पथरी पित्त नली में खिसकता है तो पीलिया या तेज बुखार हो सकता है

गॉलब्लेडर न होने से क्या होता है?

किसी लंबी बीमारी के बाद भी लोगों में इसके लक्षण देखने को मिलते हैं। अगर गॉलब्लैडर से स्टोन बाइल डक्ट में चला जाए तो इससे जॉन्डिस और पैन्क्रियाज में सूजन की समस्या हो सकती है। अगर लंबे समय तक इसका उपचार किया जाए तो इससे कैंसर भी हो सकता है।

पित्ताशय की थैली हटाने के बाद क्या खाने के लिए?

सर्जरी के बाद अधिक वसायुक्त आहार को पचाने में कठिनाई होती है। इसलिए कम वसा वाले खाद्य पदार्थ जैसे सब्जियां, दाल, साबुत अनाज और फल का सेवन करना चाहिए। इन खाद्य पदार्थों में घुलनशील फाइबर पाया जाता है, जो डायरिया की समस्या से बचाता है। इसलिए अपने आहार में ब्रोकली और स्वीट पोटैटो सहित फाइबर युक्त सब्जियों को शामिल करें।

पित्त की थैली के ऑपरेशन के बाद कितने दिन आराम करना चाहिए?

जवाब: ऑपरेशन के बाद इसकी समीक्षा करना सर्जन के हाथ में होता है। आम तौर पर डॉक्टर लगभग छह सप्ताह की प्रतीक्षा अवधि की सलाह देते हैं। अगर वह सहज है तो बड़े ही आराम से संभोग करना ठीक है। कृपया अपने डॉक्टर से भी सलाह लें।

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