विषयसूची
अमीबा का भोजन क्या है?
इसे सुनेंरोकेंअमीबा एक प्रकार का सिंगल-कोशिका प्रोटोज़ोअल जीव होता है। यह भोजन ज्यादातर छोटे बैक्टीरिया, एलगी या अन्य पौधे या मृत जानवर जो अमीबा के आसपास उपलब्ध होता है।
अमीबा कितने प्रकार का होता है?
अमीबा प्रोटियस
Amoeba limicola
अमीबा/न्यून वर्गीकरण
अमीबा में पाचन कैसे होता है?
इसे सुनेंरोकेंआंतर रस में ही एक बड़ा केंद्रक भी होता है। संपूर्ण आंतर रस अनेक छोटी बड़ी अन्नधानियों तथा एक या दो संकोची रसधानियों से भरा होता है। प्रत्येक अन्नधानी में भोजनपदार्थ तथा कुछ तरल पदार्थ होता है। इनके भीतर ही पाचन की क्रिया होती है।
अमीबा में कितने कोशिका होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंअमीबा एक कोशिकीय जीव होता है। अर्थात अमीबा में एक ही शैल होता है। अमीबा एक कोशिकीय होता है।
अमीबा का वैज्ञानिक नाम क्या है?
Amoeba
अमीबा/वैज्ञानिक नाम
* अमीबा में भोजन के पाचन के लिए कौन जिम्मेदार है?*?
इसे सुनेंरोकेंअमीबा में अंतः कोशिकीय पाचन (Intracellular Digestion) होता है। भोजन का पाचन खाद्य रिक्तिका (Food Vacuole) में होता है। भोजन पचाने के लिए ट्रिप्सिन, पेटिसन, एमाइलेज एंजाइम पाये जाते हैं। खाद्य रिक्तिका में पचा हुआ भोजन एंडोप्लाज्म में विसरित (Diffuse) हो जाता है।
अमीबा में भोजन पाचन के लिए कौन जिम्मेदार होता है?
इसे सुनेंरोकेंअमीबा में भोजन का अंतर्ग्रहण पादाभ की सहायता से होता है तथा इसका पाचन खाद्य धानी में होता है।
अमीबा का जंतु वैज्ञानिक नाम क्या है?
इसे सुनेंरोकेंअमीबा का वैज्ञानिक नाम Amoeba हे।
इसे सुनेंरोकेंयह एक सर्वाहारी जंतु है। इसका भोजन जल में तैरते हुए जीवाणु, शैवाल, डायटम आदि के सूक्ष्म जीवों के रूप में होता है। इन सूक्ष्म जीवों को निगलने में जो विधि अपनाई जाती है उसे फैगोसाइटॉसिस (Phagocytosis) कहते हैं। यह अपने जीवन को शरीर के किसी भी सतह से कूटपाद द्वारा ग्रहण करता है।
अमीबा श्वसन कैसे करता है?
इसे सुनेंरोकेंश्वसन तथा उत्सर्जन की क्रियाएँ अमीबा के बाह्म तल पर प्राय: सभी स्थानों पर होती हैं। इनके लिए विशेष अंगों की आवयकता इसलिए नहीं होती कि शरीर बहुत सूक्ष्म और पानी से घिरा होता है। कोशिकारस की रसाकर्षण दाब (ऑसमोटिक प्रेशर) बाहर के जल की अपेक्षा अधिक होने के कारण जल बराबर कोशाकला को पार करता हुआ कोशारस में जमा होता है।
अमीबा का आकार कैसे होता है?
इसे सुनेंरोकेंअमीबा प्राणीसम भोजी विधि से पोषण करता है। यह एक सर्वाहारी जंतु है। इसका भोजन जल में तैरते हुए जीवाणु, शैवाल, डायटम आदि के सूक्ष्म जीवों के रूप में होता है। इन सूक्ष्म जीवों के निगलने (Ingestion) में जो विधि अपनाई जाती है, उसे फैगोसाइटॉसिस (Phagocytosis) कहते हैं।
अमीबा में भोजन का पाचन कहाँ होता?
इसे सुनेंरोकेंत्रिभुज का गुरुत्व केंद्र होता है।
Free
HSSC Constable Male 23rd December 2018 official paper
100 Questions 80 Marks 90 Mins
Latest HSSC Haryana Police Constable Updates
Last updated on Sep 22, 2022
The Haryana Staff Selection Commission released the Haryana Police Constable Final Result for Male and Revised Final Result for Female Constable post on 17th June 2022. There was a total vacancy of 7298 for the said Haryana Police Constable Recruitment. The candidates can check their Haryana Police Constable Result using the steps mentioned here. The willing candidates can also go through the Haryana Police Constable Cut-Off form here.
सब्सक्राइब करे youtube चैनल
Amoeba in hindi , अमीबा क्या है ? किसे कहते है , परिभाषा अमीबा प्रोटियस की खोज किसने किया था , विखंडन , कोशिका नाम ?
अमीबा (Amoeba)
वर्गीकरण
संघ – प्रोटोजोआ
उपसंघ – प्लाज्मोड्रोमा
वर्ग – सार्कोडिना
उपवर्ग – राइजोपोडिया
गण – लोबोसिआ
वंश – अमीबा
जाति – प्रोटिअस
अमीबा प्रोटिअस शब्द ग्रीक भाषा का एक शब्द है , ग्रीक भाषा में इसका मतलब निम्न होता है –
अमाइबे – बदलना + प्रोटियस – समुद्री देवता।
प्राय: पौराणिक कहानियो और गाथाओं में यह समुद्री समुद्री देवता होता है जो अपना आकार बदलता रहता है ठीक उसी प्रकार अमीबा भी अपना आकार बदलता रहता है अत: अमीबा का यह नाम प्रचलित हो गया।
खोज : अमीबा को सर्वप्रथम “रसेल वान रोसेनहोफ (russell von rosenhoff 1755)” ने खोजा था।
अमीबा का स्वभाव और आवास
यह सामान्यतया अलवण जलीय तालाबों , खाइयो , झीलों तथा वसंत तालों की जल धाराओं में और गीली मिट्टी में पाया जाता है। मुख्य रूप से यह उन स्थानों पर अधिक पाया जाता है जहाँ पर जीवाणु , शैवाल , जलीय वनस्पतियों और अन्य जैविक पदार्थो की प्रचुरता पायी जाती है क्योंकि यह सभी इसकी वृद्धि में सहायक होते है। इनका संवर्धन हम प्रयोगशाला में भी आसानी से कर सकते है। अमीबा को ‘हे इन्फ्यूजन विधि’ के द्वारा प्रयोगशाला में संवर्धित किया जाता है।
अमीबा सूक्ष्मदर्शीय , एककोशिक , रंगहीन और अनियमित आकार का जन्तु होता है। फिर भी इसके अग्र और पश्च सिरे सुनिश्चित होते है क्योंकि अग्र भाग से गमन के लिए ‘कूटपाद’ निकलते है और पश्च सिरे पर ये समाप्त हो जाते है जिसके कारण पश्च सिरे पर झुर्रियां पड़ जाती है जिन्हें ‘यूरोयड’ कहते है। इसका आकार कोमल , दृढ , लचीली , अर्धपारगम्य झिल्ली प्लाज्मा कला या जीवद्रव्य कला द्वारा घिरा रहता है। इसका कोशिकाद्रव्य दो स्पष्ट भागों – बाहरी बहि:प्रद्रव्य और भीतरी अंत:प्रद्रव्य में बंटा होता है। जीवद्रव्य कला पारगम्य होती है और इसमें से जल एवं कुछ छोटे घुलनशील अणु आर-पार जा सकते है। इस जीवद्रव्य कला में पुनर्जनन की असीम क्षमता होती है।
यह वसा और प्रोटीन की बनी होती है जिस पर सुक्ष्मांकुर के रूप में म्यूकोप्रोटीन के छोटे छोटे उभार होते है। यह वसा और प्रोटीन की बनी होने के कारण जल में भीगती नहीं है। जीवद्रव्य में केन्द्रक , खाद्य रिक्तियों , संकुचनशील रिक्तिकायें , जल रिक्तिकायें माइटोकोंड्रिया , गाल्जीकाय , एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम , राइबोसोम , लाइसोसोम आदि कोशिकांग पाए जाते है। जीवद्रव्य एक कोलाइडी पदार्थ है जिसमे सभी जैविक क्रियाएँ होती है। बहि:प्रद्रव्य परिधि के निकट गाढ़ा , जेली सदृश , पारदर्शी , स्थिर और कणविहीन होता है , इस भाग को काचाभ स्तर कहते है। अन्त:द्रव्य तरल , कणदार एवं अर्धपारदर्शी होता है। अंत:द्रव्य में एक गोलाकार , उभयोत्तल केन्द्रक पाया जाता है इस केन्द्रक का स्थान अनिश्चित होता है।
केन्द्रकद्रव्य में कई गुणसूत्र (लगभग 500-550) तथा अनगिनत केन्द्रिकाएँ पाए जाते है। इन गुणसूत्रों को क्रोमीडिया कहते है। ये अमीबा की सारी कार्यिकी को नियंत्रित करते है।
अमीबा सामान्यतया अकशेरुकी जंतुओं की संरचना और कार्यिकी में एकरूपता प्रदर्शित करता है। जिससे पता चलता है कि सभी जंतुओं की मूल रासायनिक संरचना समान होती है। इनमे पायी जाने वाली उत्तेजनशीलता यह प्रदर्शित करती है कि जीवद्रव्य संवेदनशील और उत्तेजनशील होता है।