बच्चे को क्या करने का मौका मिलना चाहिए? - bachche ko kya karane ka mauka milana chaahie?

आपके विचार से बच्चों को काम पर क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए? उन्हें क्या करने के मौके मिलने चाहिए? 

मेरे विचार से बच्चों को काम पर भेजना बिल्कुल अनुचित होगा। ये उनके साथ अन्याय करने के सामान होगा। बचपन का समय उनके शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास का होता हैं। साथ ही खेल- कूदना, नई नई चीज़ों को सिखना, तथा ज्ञान प्राप्त करना का होता हैं। बच्चों को काम पर भेजना उनके बचपन को छीनना है। इसके चलते वे खेल, शिक्षा, और जीवन की उमंग से वंचित रह जाते हैं। उससे उनका शोषण होता है।

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कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए कि 'काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?' कवि की दृष्टि में उसे प्रश्न के रूप में क्यों पूछा जाना चाहिए?

बच्चो की इस स्थिति के लिए उनकी आर्थिक स्थिति ही नही यह समाज भी जिम्मेवार है। केवल कवि के विवरण मात्र से ही उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति नही की जा सकती। इसके लिए समाज को इस समस्या से जागरूक करने के लिए तथा उसके समाधान के लिए ठोस कदम उठाने के लिए बात को प्रश्न रूप में ही पूछा जाना उचित होगा।

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कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है उसे लिखकर व्यक्त कीजिए।

कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से बाल मजदूरी का चित्र उभरता है। बच्चों के प्रति चिंता और करूणा का भाव उमड़ता है। छोटी सी उम्र में ही इन्हे अपना और परिवार का पेट भरने के लिए न चाहते हुए भी इन बच्चों को इतना ठंड में सुबह-सुबह उठकर काम पर जाना पड़ रहा है।

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दिन-प्रतिदिन के जीवन में हर कोई बच्चों को काम पर जाते देख रहा/रही है, फिर भी किसी को कुछ अटपटा नहीं लगता। इस उदासीनता के क्या कारण हो सकते हैं? 

इस प्रकार की उदासीनता के कई कारण हो सकते हैं जैसे - आज का मनुष्य काफी आत्मकेंद्रित हो चूका हैं। उससे केवल अपना ओर अपनी समस्यों का ही ध्यान रहता हैं। दूसरों की परेशानियों को समझने या सुलझाने में उससे समय ही कहा हैं। कई लोगो में जागरूकता की भी कमी है। उन्हें यह भी नही पता की पढाई हर बच्चे का मौलिक अधिकार है। वे सिर्फ ईश्वर और बच्चों के भाग्य को दोष देते हैं।

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आपने अपने शहर में बच्चों को कब-कब और कहाँ-कहाँ काम करते हुए देखा है?

मैंने अपने शहर में बच्चों को निम्नलिखित जगहों पर कम करते देखा हैं:-
1. चाय की दुकानों, होटलों, ढाबों में बर्तनों को साफ़ करते हुए 
2. रास्ते पर लगे हुए ठेलों पर, घरों में काम करते घरेलू नौकरों के रूप में।
3. छोटे निजी कार्यालयों में ऐसे अनेकों स्थानों पर, हर मौसम और रातों को देर तक काम करते हुए देखा है।

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सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से बच्चे वंचित क्यों हैं?

सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से बच्चों के वंचित रहने के मुख्य कारण सामाजिक व्यवस्था और आर्थिक मज़बूरी है। निम्नश्रेणी के बच्चों को बचपन से ही भरण-पोषण करने के लिए श्रम करना पड़ता हैं। समाज के गरीब तबके के बच्चों को न चाहते हुए भी अपने माता-पिता का हाथ बँटाना पड़ता है। जहाँ जीविका के लिए इतनी मेहनत करनी पड़े तब सुख-सुविधाओं की कल्पना करना असंभव सा लगता है।

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हमारे विचार से बच्चों को काम पर नहीं भेजना चाहिए क्योंकि उनके छोटे से मस्तिष्क में इस घटना का दुखद प्रभाव पड़ सकता है, जो धीरे-धीरे बढ़कर विद्रोह का रुप धारण कर सकता है। इसी तरह के बच्चे आर्थिक अभाव तथा सामाजिक असमानता के कारण आगे चलकर आतंकवादी, चोरी जैसे गलत कामों को अंजाम दे सकते हैं। इससे समाज की हानि हो सकती है।

सबसे पहले तो समाज की यह कोशिश होनी चाहिए कि ऐसे बच्चों को अन्य सभी बच्चों की तरह पढ़ने-लिखने तथा समाज के साथ आगे बढ़ने का मौका मिलना चाहिए या फिर उनकी सहायता करने के लिए सरकार तथा समाज से सहायता की माँग करनी चाहिए।

विषयसूची

  • 1 बच्चों को क्या करने का मौका मिलना चाहिए?
  • 2 बच्चे काम पर जा रहे हैं कविता के कवि का क्या नाम है?
  • 3 कवि के हताशा और निराशा का कारण क्या है *?
  • 4 आपके विचार से बच्चों को काम पर क्यों नहीं भेजना जाना चाहिए उन्हें क्या करने के मौके मिलने चाहिए?
  • 5 बच्चे काम पर जा रहे है कविता में कवि ने समाज के लिए क्या संदेश दिया है?
  • 6 बच्चे काम पर जा रहे हैं इस कविता के माध्यम से कवि ने क्या कहने की कोशिश की है?

बच्चों को क्या करने का मौका मिलना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंबच्चों को काम पर भेजे जाने के स्थान पर पढ़ने-लिखने का पूरा मौका मिलना चाहिए, ताकि वे शिक्षा प्राप्त कर अपने जीवन को संवार सकें। उन्हें खेलने-कूदने का उचित अवसर मिलना चाहिए ताकि वे तन-मन से स्वस्थ बन सकें। उन्हें अपने माता-पिता, सगे-सम्बन्धियों और पास-पड़ोस से पूरा प्रेम मिलना चाहिए।

बच्चे काम पर जा रहे हैं कविता के कवि का क्या नाम है?

इसे सुनेंरोकेंप्रस्तुत कविता श्री राजेश जोशी जी द्वारा रची गई है। इस कविता का प्रतिपाद्य बाल मज़दूरी तथा बाल श्रम है। कवि ने बाल मज़दूरी के कारण बच्चों से उनका बचपन छिन जाने की पीड़ा को जताने का प्रयास किया है।

अपने अपने शहर में बच्चों को कब कब और कहाँ कहाँ काम करते हुए देखा है?

आपने अपने शहर में बच्चों को कब-कब और कहाँ-कहाँ काम करते हुए देखा…

  • चाय की दुकानों, होटलों, ढाबों में बर्तनों को साफ़ करते हुए ।
  • रास्ते पर लगे हुए ठेलों पर, घरों में काम करते घरेलू नौकरों के रूप में।
  • छोटे निजी कार्यालयों में ऐसे अनेकों स्थानों पर, हर मौसम और रातों को देर तक काम करते हुए देखा है।

कवि के हताशा और निराशा का कारण क्या है *?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न (ख) कवि की हताशा और निराशा का कारण क्या है? उत्तरः बच्चों का मन मारकर बाल-मजदूरी करना। इसलिए वह हताशा में गेंदों, रंगीन पुस्तकों, खिलौनों, मदरसों, मैदानों बगीचों पर झल्लाता है।

आपके विचार से बच्चों को काम पर क्यों नहीं भेजना जाना चाहिए उन्हें क्या करने के मौके मिलने चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंबच्चों को काम पर भेजना उनके बचपन को छीनना है। इसके चलते वे खेल, शिक्षा, और जीवन की उमंग से वंचित रह जाते हैं। उससे उनका शोषण होता है। कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए कि ‘काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?’

बच्चों को काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान क्यों है?

इसे सुनेंरोकेंबच्चों को काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान क्यों है? बच्चों का काम पर जाना एक बड़े हादसे के समान इसलिए है क्योंकि खेलने-कूदने और पढ़ने-लिखने की उम्र में काम करने से बालश्रमिकों का भविष्य नष्ट हो जाता है। इससे एक ओर जहाँ शारीरिक विकास अवरुद्ध होता है, वहीं उनका मानसिक विकास भी यथोचित ढंग से नहीं हो पाता है।

बच्चे काम पर जा रहे है कविता में कवि ने समाज के लिए क्या संदेश दिया है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता में कवि ने बच्चों के काम पर जाने की समस्या को प्रमुखता से उभारा है। उन्होंने समाज से प्रश्न किया है कि ऐसा क्या हो गया कि बच्चों को पढ़ने-लिखने की उम्र में काम पर जाना पड़ रहा है। कवि समाज की इस संवेदनहीनता तथा भावशून्यता को दूर करना चाहता है।

बच्चे काम पर जा रहे हैं इस कविता के माध्यम से कवि ने क्या कहने की कोशिश की है?

इसे सुनेंरोकेंइस कविता में बच्चों से बचपन छीन लिए जाने की पीड़ा व्यक्त हुई है। कवि ने उस सामाजिक – आर्थिक विडंबना की ओर इशारा किया है जिसमें कुछ बच्चे खेल , शिक्षा और जीवन की उमंग से वंचित हैं। कवि कहता है कि बच्चों का काम पर जाना आज के ज़माने में बड़ी भयानक बात है। यह उनके खेलने-कूदने और पढ़ने-लिखने के दिन हैं।

बच्चों को क्या करने के मौके मिलने चाहिए?

उन्हें क्या करने के मौके मिलने चाहिए ? उत्तरः मेरे विचार में बच्चों को काम पर नहीं भेजा जाना चाहिए, उन्हें पढ़ने-लिखने का पूरा मौका मिलना चाहिए ताकि वे शिक्षा प्राप्त कर अपने जीवन को संवार सकें। उन्हें खेलने-कूदने का उचित अवसर मिलना चाहिए ताकि वे तन-मन से स्वस्थ बन सकें।

बच्चों को पढ़ाने के लिए कैसे प्रेरित करें?

बच्चों को पढ़ाने के तरीके | How to Teach Kids in Hindi.
बच्चे के साथ बैठें ... .
ग्रेड्स को लेकर दबाव न डालें ... .
बच्चे के पक्ष में रहें ... .
पढ़ाई की बात करें ... .
पढ़ाई का शेड्यूल बनाएं ... .
पढ़ाई का माहौल बनाएं ... .
बच्चे के टीचर से भी मिलें ... .
बच्चे के पढ़ने के तरीके को समझें.

आपके विचार में छोटी उम्र के बच्चों को काम पर क्यों नहीं लगाना चाहिए?

अब सवाल ये है कि बच्चों को कम उम्र में स्कूल भेजना सही है या नहीं

काम करने के बारे में बच्चों का क्या विचार था?

बच्चों का काम करने के सम्बन्ध में क्या विचार था? Solution : जब बच्चों ने गलत तरीके से काम किया तो अम्मा ने सिर पीट लिया और बच्चों को डाँटने लगी। इस स्थिति | को देखकर बच्चों ने कहा कि जब घर के बड़े-बूढ़े काम करने दें तो ही हम कार्य कर सकते हैं।

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