बिगरी बात बनै नहीं
बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय॥
रहीम कहते हैं कि मनुष्य को सोच-समझ कर व्यवहार करना चाहिए। क्योंकि जैसे एक बार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं निकाला जा सकता उसी प्रकार किसी नासमझी से बात के बिगड़ने पर उसे दुबारा बनाना बड़ा मुश्किल होता है।
स्रोत :
- पुस्तक : रहीम ग्रंथावली (पृष्ठ 91)
- रचनाकार : रहीम
- प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
- संस्करण : 1985
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बिगरी बात बने नहीं लाख करो किन कोय रहिमन फाटे दूध को मथे न माखन होय इस दोहे में मथे शब्द का अर्थ क्या है?
बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय। रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय॥ रहीम कहते हैं कि मनुष्य को सोच-समझ कर व्यवहार करना चाहिए। क्योंकि जैसे एक बार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं निकाला जा सकता उसी प्रकार किसी नासमझी से बात के बिगड़ने पर उसे दुबारा बनाना बड़ा मुश्किल होता है।
माखन किसका प्रतीक है रहीम के दोहे?
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।। इस दोहे का अर्थ यह है कि हमें समाज में और घर-परिवार में अच्छी तरह सोच-समझकर ही सभी से व्यवहार करना चाहिए। जिस प्रकार फटे हुए दूध से माखन नहीं निकाला जा सकता, ठीक उसी प्रकार बात बिगडऩे पर पुन: सुधारी नहीं जा सकती है। # रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
लाख प्रयत्न करने पर भी कौन सी बात नहीं बनती है?
रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय॥ जब बात बिगड़ जाती है तो किसी के लाख कोशिश करने पर भी बनती नहीं है। उसी तरह जैसे कि दूध को मथने से मक्खन नहीं निकलता।
फटे दूध से क्या नहीं निकल सकता?
जी हां, दूध अपने आप में एक पोषक पर यह है और जब फट जाता है तो इससे हम पनीर बनाते हैं. लेकिन पनीर बनाने के बाद भी जो पानी बचता है वह आपकी सेहत के लिए फायदेमंद होता है उसे फेंके नहीं उसका इस्तेमाल करें.