बुंदेलखंड का पठार-मध्य प्रदेश
प्रि - कैम्प्रियन युग में निर्मित बुंदेलखंड पठार अर्धचंद्राकार रूप में बिजावर श्रेणी पन्ना श्रेणी चंदेरी से घिरा है ।
बुंदेलखंड के पठार की विशेषताएं:-
# अवस्थिति एवं क्षेत्रफल :-
मध्य भारत के पठार के पूर्व में तथा रीवा पन्ना के उत्तर में स्थित 23737 वर्ग किमी (7.7% मध्य प्रदेश का)
# निर्माणकारी घटक एवं
चट्टाने :-
आर्कियन क्रम की ग्रेनाइट (बुंदेलखंड नीस) की चट्टानों से निर्मित है, मध्य भाग जलोढ़ मृदा से निर्मित है ।
बुंदेलखंड के पठार की जलवायु :-
महाद्वीपीय जलवायु (गर्मी मे ज्यादा गर्मी ठंड में ज्यादा ठंड)
वर्षा -
दक्षिण पश्चिम मानसून की बंगाल की खाड़ी की शाखा से 75-100 से मी।
#
बुंदेलखंड के पठार के अंतर्गत आने वाले जिले -
निवाड़ी (मध्यप्रदेश का 52 वा जिला , टीकमगढ़ , छतरपुर , पन्ना , सागर , दतिया,
बुंदेलखंड के पठार की मिट्टी
काली व लाल मिट्टी के मिश्रण से बनी दोमट मिट्टी।
# फसलें :-
गेहूं , ज्वार , दलहन , तिलहन , सरसों ,अलसी।
# वन
:-
लगभग 14.3% क्षेत्र वन आरक्षित ।
तेंदू खेर , नीम , महुआ ,आदि वन उत्पाद ।
बुंदेलखंड के पठार की नदियां
बेतवा , केन (बुंदेलखंड की जीवन रेखा) ,धसान आदि प्रमुख नदियां।
पांडव जल प्रपात
केन बेतवा लिंक परियोजना ,माताटीला बेतवा परियोजना आदि
# औसत ऊंचाई :-
150 से 400 मीटर
- बुंदेलखंड के पठार की सर्वोच्च चोटी -सिद्ध बाबा (1172 मी.)
# पर्यटन
:-
खजुराहो ( विश्व विरासत) ,ओरछा (प्रसिद्ध तीर्थ) ,पितांबरा पीठ चंदेरी ,ओरछा किले सोनगिरी ,छत्रसाल संग्रहालय ।
# खनिज :-,
हीरा (पन्ना ) रोक फास्फेट (सागर )।
# उद्योग :-
अल्प उद्योग विकसित क्षेत्र प्रतापपुर (निवाडी )प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र ।
चंदेरी का जरी उद्योग
राष्ट्रीय तेल शोधन कारखाना ,कीटनाशक संयंत्र (बीना)
सागर
बीड़ी उद्योग।
बुंदेलखंड के पठार का सांस्कृतिक परिदृश्य :-
- प्रमुख बोली बुंदेली
-लोकगीत आल्हा-उदल ( जगनिक) , हरदोला कि मनोती
- बधाई ,राई (लोक नृत्य)
-खजुराहो उत्सव आदि ।
* विशेष :-
दतिया और टीकमगढ़ के
धातु शिल्प को जी आई टेग प्राप्त है।
बुंदेलखंड के विकास के लिए वर्ष 2017 में बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण का गठन किया गया ।
हाल ही में बुंदेलखंड क्षेत्र में छतरपुर जिले में हीरा संग्रहालय केंद्र बनाया जा रहा है जो कि भारत का पहला एवं एकमात्र है।
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*** छत्तीसगढ़ का प्राकृतिक विभाजन ***
छत्तीसगढ़ राज्य अपने आप में प्राकृतिक दृष्टि से भरपूरा राज्य है। यहाँ की मिटटी बहुत ही उपजाऊ है। यहां पर्वत पठार और मैदान क्षेत्रों के रूप इसका विभाजन किया गया है।
छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक विभाजन 4 भागों में किया गया है ,जिसके बारे में हम आगे पढ़ेंगे। "छत्तीसगढ़ का प्राकृतिक विभाजन " को जानने के लिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े।
चार भागों में बांटा गया है
:-
- पूर्वी बाघेलखंड का पठार या सरगुजा बेसिन :-
- जशपुर समरीपाठ का प्रदेश :-
- छत्तीसगढ़ का मैदान या महानदी बेसिन :-
- दण्डकारण्य प्रदेश:
पूर्वी बाघेलखंड का पठार या सरगुजा बेसिन :-
यह प्राकृत प्रदेश छत्तीसगढ़ की उत्तर में स्थित है। यह बघेल खंड के पठार का पूर्वी भाग है इसलिए इसे पूर्वी बघेलखंड का पठार कहते है। यह प्राकृतिक प्रदेश महानदी अफवाह तंत्र व गंगा नदी के अफवाह तंत्र के मध्य जल विभाजन करता है।
प्रतिशत -------16. 16
क्षेत्रफल ---------21863 वर्ग किलो. मी.
विस्तार ---------कोरिया , सूरजपुर ,बलरामपुर , सरगुजा ,कोरबा औसत ऊँचाई ---300 --700 मी.
भू-गर्भिक बनावट ---गोंडवाना शैल समूह व आर्कियन शैल समूह
खनिज -------- कोयला
ढाल ----उत्तर की ओर
ऊंची चोंटी ----देवगढ़ की पहाड़ी (1033 मी. )
विशेष :-
- चांगभखार की पहाड़ी देवगढ़ की पहाड़ी , छुरी उदयपुर की पहाड़ी
- यह सोना बेसिन का भाग है। .
- प्राचीनतम नाट्य शाळा रामगढ की पहाडी में स्थित है। .
- हसदो नदी इन्ही पहाड़ी से निकलती है।
- प्रमुख नदिया --हसदेव , रिहन्द , कन्हार , गोपद , एवं बनास , है।
- कर्क रेखा- इस क्षेत्र के मध्य भाग से बलरामपुर , सूरजपुर , एवं कोरिया जिलेसे होकर गुजरती है।
- जशपुर प्रदेश के सबसे कम नगरीय जनसँख्या वाला क्षेत्र है।
जशपुर सामरीपाठ का प्रदेश :-
यह उत्तर पूर्वी दिशा में स्थित है। . जो छोटा नागपुर का पठार का विस्तारित भाग है। ऊँचाई के आधार पर ये राज्य की सबसे ऊंचा प्रदेश है। लेकिन क्षेत्रफल केआधार पर राज्य का सबसे छोटा प्रदेश है इस प्रदेश की संरचना ऊचाई के साथ -साथ अपने पार्श्व क्षेत्र में सीढ़ी नुमा तल रूप में विधमान है।
प्रतिशत - 4. 59 %
क्षेत्रफल --- 6208 वर्ग किलो मी.
विस्तार ------ जशपुर , पूर्वी सरगुजा दक्षिण बलरामपुर , उत्तरी रायगढ़
भू गर्भिक बनवट --- दक्कन ट्रेप
आकृति ----- सीढ़ीनुमा
औसत ऊँचाई -- 400 -1000 मीटर
खनिज ----- बाक्साइड
ढाल ------ दक्षिण पूर्व की ओर
विशेष :-
- छत्तीसगढ़ की सबसे ऊँची छोटी गौरलाटा (1225 मी. )सामरीपाठ में स्थित है। .
छत्तीसगढ़ का मैदान या महानदी बेसिन :-
छत्तीसगढ़ का मैदान राज्य का ह्रदय प्रदेश है। धान का अधिक उत्पादन होने के कारन इसे धान का कटोरा कहा जाता है। छत्तीसगढ़ का मैदान उतर में सरगुजा रायगढ़ के पठार दक्षिण में बस्तर के पठार पश्चिम में माइकल पर्वत श्रेणी के मध्य स्थित है। . चरोवोर ऊँची भूमि से घिरा हुआ है। इसका क्षेत्रफल लगभग 68064 वर्ग किलो. मी. में है इस क्षेत्र क निर्माण मुख्यतः कडप्पा चट्टानों के अपरदन के फलस्वरूप हुआ है। इस क्षेत्र की ऊंचाई 150 -400 मीटर तक है छत्तीसगढ़ के मैदान का विस्तार बिलासपुर जांजगीर ,रायगढ़ ,राजनांदगाव , दुर्ग , रायपुर , धमतरी एवं महासमुंद जिले तक है। .
प्रतिशत -- 50. 34 %
क्षेत्रफल --68064 वर्ग की. मी.
विस्तार -- बिलासपुर दुर्ग व रायपुर संभाग
औसत ऊँचाई -- 150 -400 मीटर
भू -गर्भिक बनावट --कडप्पा शैल
खनिज -- चुना ,डोलोमाइड
ढाल ----पूर्व की ओर
आकृति -- पंखाकार
विशेष --
- मैदानी प्रदेश होने के कारन यहाँ पहाड़ी क्षेत्र से अधिक तापमान होता हैं .
- यह मुख्यतः आर्कियन एवं कडप्पा युग के चट्टानों से बना है। .
- इस क्षेत्र में जलोट लालपिली मिटटी का विस्तार है।
- यहाँ लोह अयस्क चुना पत्थर।, बाक्साइड ,अदि पर्याप्त मात्रा में मिलता है
- महानदी , शिवनाथ , हसदेव , मांड ,जोंक ,पैरी , सोढ़ुर ,अरपा , केलो ,आगर ,मनियारी ,लीलाझर , खारुन तांदुला , आदि इसी क्षेत्र नदिया है.
- महानदी धमतरी के निकट सिहावा पर्वत से निकलती है
- सबसे काम वनाच्छादन वाल क्षेत्र जांजगीर -चंपा इसी क्षेत्र में है।
यह क्षेत्र मुंबई - हावड़ा रेल मार्ग से सीधा जुड़ा हुआ है।
यह छत्तीसगढ़ के दक्षिण में स्थित है , हमारे प्रदेश का जनजाति बाहुल्य क्षेत्र एवं खनिज संसाधन की दृष्टिकोण से यह प्राकृतिक प्रदेश सर्वाधिक सम्पन है। गोदावरी नदी अफावह तंत्र का भाग है।
इसकीऔसत ऊँचाई 600 मीटर के लगभग है दक्षिण के पठार में बस्तर ,दंतेवाड़ा , और कांकेर जिले आते है। इस क्षेत्र में बैलाडीला की पहाड़िया स्थित है जहा लोह अयस्क हेतू प्रसिद्द है।
प्रतिशत -- 28. 91 %
क्षेत्रफल --39060 वर्ग की. मी.
विस्तार --बस्तर संभाग , दक्षिण राजनांदगाव
भू- गर्भिक बनावट --आर्कियन युगीन शैल तथा धारवाड़ शैल समूह
खनिज -- लोह अयस्क
ढाल -- दक्षिण की ओर
वन -- साल
विशेष:-
- इंद्रावती नदी की घाटी बस्तर के पठार को दो भागो में बांटती है उत्तर एवं दक्षिण।
- ये सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र है अबूझमाड़ में सबसे अधिक वर्षा होती है।
- इस क्षेत्र की नदियाँ - इंद्रावती , सबरी , कोटरी , डंकनी , शंखनी , नारंगी , गुदरा , नंदिराज , है
- जगदलपुर के निकट इंद्रावती की प्रसिद्द जलप्रपात चित्रकूट जलप्रपात बनती है।
- बस्तर को साल का द्वीप कहा जाता है
- यहां की मिटटी लाल रेतीली है जो कम उर्वर (उपजाऊ ) है।
इस क्षेत्र का घड़वा या ढोकरा शिल्प काष्ठ शिल्प आदि लोक शिल्प के लिए विश्व विख्यात है।
साथियों आशा करता हूँ ये पोस्ट आपको अच्छा लगा होगा छत्तीसगढ़ की और महत्वपूर्ण जानकारी और सामान्यज्ञान के लिए आप हमारे वेबसाइट www.cggk.in पर देख सकते है।
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