भीमबेटका को विश्व धरोहर की सूची में कब शामिल किया गया? - bheemabetaka ko vishv dharohar kee soochee mein kab shaamil kiya gaya?

मध्य प्रदेश की तीन ऐतिहासिक जगहों को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है. इनमें से भीमबेटका की गुफाएं अपनी सबसे पहले आती हैं. भीमबेटका की रॉक शेल्टर्स मध्य प्रदेश के मध्य भारतीय राज्य में पहाड़ियों के विंध्य श्रृंखला की तलहटी में मौजूद हैं. 

मध्यप्रदेश में झांसी से 16 किमी की दूरी पर ओरछा शहर मौजूद है. हरियाली से घिरा और पहाड़ों की गोद में बसा ओरछा एक समय बुंदेलखंड की राजधानी हुआ करता था. ओरछा एक ऐसी जगह है जहां पर एंट्री करते ही आपको प्राचीनकाल के शहरों के वास्‍तुकला और सौंदर्य की अनुभूति होगी. मान्‍यता है कि ओरछा को दूसरी अयोध्या माना गया है. यहां पर प्रभु राम अपने बाल रूप में विराजमान हैं. लोगों की मान्‍यता है कि श्रीराम दिन में यहां तो रात्रि में अयोध्या विश्राम करते हैं. धार्मिक मान्‍यता है कि श्रीराम के दो निवास हैं जिसमें दिन में वो ओरछा रहते हैं, रात में अयोध्या में वास करते हैं.

सांची चक्रवर्ती सम्राटों की राजधानी रही है

भोपाल से 56 किमी दूर विदिशा से 8 किलोमीटर की दूरी पर है सांची. सांची का जिक्र पौराणिक और ऐतिहासिक कथाओं में भी मिलता है. सांची चक्रवर्ती सम्राटों की राजधानी रही है. सांची का प्रमुख स्तूप, बौद्ध स्तूप 42 फुट ऊंचा है और यहां बुद्ध के ज्ञान से जुड़ी कई सामग्रियां आज भी स्थित हैं. इस स्तूप को महास्तूप कहते हैं. जिसे शुंग काल की पक्की ईंटो से बनाया गया था. सम्राट अशोक के पुत्र श्रीलंका जाने से पहले यहीं रहे थे. यही नहीं सांची को वर्ल्ड हैरिटेज साईट का दर्जा भी प्राप्त है.

खजुराहो के मंदिर वास्तुकला का अद्भुत नमूना

विश्व धरोहरों में से एक मध्य प्रदेश के खजुराहो के मंदिर अपने आप में वास्तुकला का अद्भुत नमूना है. इन खूबसूरत मंदिरों का निर्माण चंदेल राजपूतों ने कराया था. इन मंदिरों का निर्माण 950 से 1050 एडी के बीच 100 साल के पीरियड में हुआ. उस वक्त खजुराहो में कुल 85 मंदिर बनाए गए थे, जिनमें अब सिर्फ 22 बचे हुए हैं. 

कंदारिया महादेव मन्दिर खजुराहो

कंदारिया महादेव मन्दिर खजुराहो में स्थित है. इस मन्दिर का निर्माण चन्देल वंश के पराक्रमी राजा यशोवर्मन ने 1025-1050 ई. के आस-पास करवाया था. कंदारिया महादेव खजुराहो में पश्चिमी समूह के मंदिरों में सबसे बड़ा मंदिर है. 

चौंसठ योगिनी मंदिर जबलपुर

चौंसठ योगिनी मंदिर जबलपुर का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है. यह मंदिर प्रसिद्ध संगमरमर चट्टान के पास स्थित है.इस मंदिर में देवी दुर्गा की 64 अनुषंगिकों की प्रतिमा है. पहाड़ी के शिखर पर होने की वजह से यहां से नर्मदा को निहारा जा सकता है.

तांत्रिकों की यूनिवर्सिटी मितावली

मितावली में बना करीब 1000 साल पुराना मंदिर तांत्रिकों के विश्वविवद्यालय के नाम से भी जाना जाता है. वहीं दिल्ली में बना संसद भवन भी इसी मंदिर की प्रतिकृति है. इस मंदिर को लोग तांत्रिकों की यूनिवर्सिटी के नाम से जानते हैं. 

तेली का मंदिर पहले विष्णु का मंदिर था जो बाद में भगवान शिव का मंदिर बन गया. यह ग्वालियर के किले के परिसर का सबसे पुराना स्मारक है. इसका निर्माण 8वीं या 11वीं शताब्दी में हुआ था. 

मुरैना का बटेश्वर मंदिर आठवीं शताब्दी की कारीगरी का उत्कृष्ट नमूना है. मुरैना की जगह पर एक साथ सैकड़ों शिव मंदिर हैं. आठवीं से दसवीं शताब्दी के बीच गुर्जारा-प्रतिहारा वंशों द्वारा करीब एक ही जगह पर दो सौ मंदिरों का निर्माण किया गया था. माना जाता है कि भगवान शिव और विष्णु को समर्पित ये मंदिर खजुराहो से भी तीन सौ वर्ष पूर्व बने थे. 

सहस्त्रबाहु मंदिर ग्वालियर

ग्वालियर किले के पूर्व में स्थित सास-बहू मंदिर को सहस्त्रबाहु मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर के बनने के पीछे की कहानी साल  1092 ईस्वी में शुरू हुई थी. कहा जाता है कि इस मंदिर को देखना स्वर्ग के देवी-देवताओं का प्रत्यक्ष दर्शन करने जैसा ही है. 'सहस्त्रबाहु मंदिर' मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में ग्वालियर किले की पूर्वी दिशा में स्थित है.

यहां पर मौजूद शिवलिंग दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग है

मध्‍य प्रदेश में कई ऐसी ऐतिहासिक धरोहर मौजूद हैं जिनकी ख्‍याति विश्‍व विख्‍यात है. इन्‍हीं में से राजधानी भोपाल से 32 किलो मीटर दूर स्तिथ भोजेश्वर मंदिर एक है. हा जाता है कि यहां पर मौजूद शिवलिंग दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग है. भोजपुर और इस शिव मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज (1010 ई–1055 ई) ने करवाया था. लोग इस मंदिर को अधूरा मंदिर के नाम से भी जानते हैं.  

नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक

मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में अमरकंटक स्थित है. इसे नदियों के शहर के नाम से भी जाना जाता है. भारत की प्रमुख सात नदियों में से एक नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक प्रदेश के शहडोल जिले की पुष्पराजगढ़ तहसील में है. अमरकंटक भारत के पवित्र स्थलों में गिना जाता है.  

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