भारत की मुख्य भूमि 8°4′ से लेकर 37°6′ उत्तर अक्षांश के बीच है.
भारत का देशांतरीय विस्तार 68°7′ पूर्व देशांतर से 97°25′ पूर्व देशांतर के मध्य है.
कर्करेखा (23°30′ उत्तरी अक्षांश) भारत को उत्तर-दक्षिण दो भागों में बांटती है.
भारत के अक्षांशीय और देशान्तरीय विस्तार का अंतर लगभग 30° है.
भारत का पूर्व-पश्चिम विस्तार 2,933 किलोमीटर तथा उत्तर-दक्षिण विस्तार 3,214 किलोमीटर है.
22° उत्तर अक्षांश के दक्षिण भारत का पूर्व-पश्चिम विस्तार घटता गया है.
भारत के दक्षिणतम बिंदु कन्याकुमारी के निकट बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिन्द महासागर का संगम है.
मुख्य भूमि की तटीय लम्बाई 6,100 किलोमीटर तथा द्वीपों को मिलाकर तट की कुल लम्बाई 7,516.6 किलोमीटर है.
भारत की स्थल सीमा की कुल लम्बाई 15,200 किलोमीटर है.
भारत का कुल क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किलोमीटर है.
क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का विश्व में साँतवा स्थान है.
भारत के पास विश्व के कुल क्षेत्रफल का 2.4% भाग है.
पठारी प्रदेश प्रायद्वीपीय भारत कहलाता है.
अरुणाचल प्रदेश तथा गुजरात के बीच सूर्योदय में 2 घंटे का अंतर होता है.
स्वेज नहर के बनने के बाद भारत और यूरोप के बीच लगभग 7,000 किमी. दूरी कम हो गई.
भारत की सीमा 7 पड़ोसी देशों पकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, चीन, भूटान, मयन्मार और बांग्लादेश को छूती है.
लक्षद्वीप अरब सागर में तथा अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह बंगाल की खाड़ी में स्थित है.
श्रीलंका मन्नार की खाड़ी और पाक जलसन्धि से भारत से अलग होता है.
भारत और पाकिस्तान के बीच रेडक्लिफ और भारत और चीन के बीच मैकमोहन रेखा स्थित हैं.
भारत का पूर्व-पश्चिम सर्वाधिक विस्तार 22° उत्तरी अक्षांश पर मिलता है.
देश के दक्षिणी भाग की आकृति लगभग त्रिभुजाकार है.
भारत के अक्षांशीय और देशान्तरीय विस्तार का प्रभाव समय, तापमान, मौसम आदि पर पड़ता है.
केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में विषुवतरेखा के निकट होने के चलते हमेशा तापमान अधिक रहता है.
विषुवतीय रेखा से दूर और अधिक ऊँचाई पर स्थिति होने के कारण जम्मू-कश्मीर का तामपाम बहुत कम होता है.
देश का उत्तरी भाग शीतोष्ण क्षेत्र में पड़ता है.
अक्षांशीय दूरी बढ़ने से दिन-रात की अवधि में अंतर आता है.
केरल और तमिलनाडु में सबसे छोटे और सबसे बड़े दिन में 45 मिनिट का अंतर होता है जबकि लेह में यह 5 घंटे का होता है.
82°.30′ पूर्व देशांतर रेखा को भारत की मानक यमोत्तर माना जाता है.
भारत तथा अन्य पड़ोसी देशों ने मिलकर 8 दिसम्बर 1985 को दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) का निर्माण किया है.
भारत पूर्ण रूप से विषुवतरेखा से उत्तर में स्थित है.
भारत और श्रीलंका के बीच स्थित द्वीपीय श्रृंखला को एडम ब्रिज कहा जाता है.
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भारत की मुख्य भूमि उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक और पूर्व में अरुणाचल प्रदेश से पश्चिम में गुजरात तक फैली है| इसका अक्षांशीय विस्तार 8°4′ उत्तर से 37°6′ उत्तर तक तथा देशांतरीय विस्तार 97°25′ पूर्व से 68°7′ पूर्व तक है| हम इस पोस्ट में भारत की भौगोलिक अवस्थिति एवं भारत का अक्षांश और देशांतर विस्तार से संबंधित चीजों के बारे में बता रहे है|
हम भारत के है और भारत हमारे दिल में बसता है. ऐसे में भारत से जुड़ी चीजे दिमाग से नहीं बल्कि दिल से पढ़ी जानी चाहिए|
इसमें आकड़े रटने की उबाऊपन और बोरियत की कोई जगह नहीं है और नहीं जगह है समझ न आने जैसे किसी बहाने की|
जब आप खुद को भारत के एक अभिन्न अंग के रूप में समझेंगें तो भारत के बारे में पढना सचमुच बहुत आसान हो जाएगा| तो फिर आइये भारत के अक्षांशीय और देशांतरीय विस्तार एवं भौगोलिक अवस्थिति को समझते है.
यह भी पढ़ें: अक्षांश एवं देशांतर रेखा के साथ अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा व मानक समय निर्धारण की समझ
भारत की भौगोलिक अवस्थिति – Geographical location of india in hindi.
भारत का क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किलोमीटर है| यह विश्व के कुल स्थलीय धरातल का 2.4 % है|
भारत विश्व का सातवां सबसे बड़ा देश है| पहले से छठें नंबर पर क्रमशः रूस, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना, ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया है|
भारत की मुख्य भूमि उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक है| यह पूर्व में अरुणाचल प्रदेश से पश्चिम में गुजरात तक फैली है|
भारत का तटीय सीमा आगे समुद्र की ओर 12 समुद्री मील ( लगभग 21.9 km) तक फैला है|
भारत की स्थलीय सीमा 15200 किलोमीटर लंबी है| मुख्य भूमि व द्वीपों सहित तटीय सीमा की लंबाई 7516 किलोमीटर है|
इसकी स्थलीय सीमा चीन, बांग्लादेश,पाकिस्तान, अफगानिस्तान,भूटान,नेपाल और म्यांमार (सात देश) से मिलती है|
भारत की जलीय सीमा सात देशों पाकिस्तान,श्रीलंका,मालदीव, बांग्लादेश, म्यांमार, थायलैंड और इंडोनेशिया से मिलती है|
भारत की जलीय व स्थलीय सीमा से लगे देश बांग्लादेश, म्यांमार और पाकिस्तान है.
भारत एशिया महाद्वीप के दक्षिणी मध्य भाग में स्थित है. इसके पूर्व में बंगाल की खाड़ी एवं पश्चिम में अरब सागर और दक्षिण में हिन्द महासागर है. तीन ओर से समुद्र से घिरे होने के कारण भारत को व्यापक तौर पर व्यापारिक-वाणिज्यिक-आर्थिक लाभ के आलावा रणनीतिक बढ़त प्राप्त है. वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में हिन्द महासागर की महत्व काफी बढ़ गया है और यहाँ मजबूत स्थिति में होने के कारण भारत का ख़ासा महत्व है.
इसके अलावा उत्तर में विशाल हिमालय पर्वत समूह सदा से रक्षक की भांति खड़ा होने के साथ ही भारत को विशिष्ट जलवायविक दशा प्रदान करता है. यहाँ से निकलने वाली सदावाहिनी नदियाँ भारत में जल की उपलब्धता सुनिश्चित कराती है. हिमालय इस क्षेत्र को एक अद्वितीय पहचान प्रदान करता है| अपनी विशिष्ट भौगोलिक अवस्थिति के कारण भारत विश्व राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है|
यह भी पढ़ें: हिमालय की उत्पत्ति कैसे हुई
भारत की भौतिक आकृतियां
सम्पूर्ण भारत को भौतिक आकृतियों की दृष्टि से पांच भागो में बांटा जा सकता है.
- हिमालय पर्वतमाला
- उत्तरी मैदान
- प्रायद्वीपीय पठार
- तटीय मैदान
- द्वीप समूह
इन भौतिक आकृतियों का निर्माण तुरंत की घटना नहीं है, यह करोड़ो वर्षों का परिणाम है| हिमालयभारत के उत्तरी छोर पर स्थित है| इसकी उत्पत्ति भारतीय प्लेट के यूरेशियन प्लेट से टकराने के फलस्वरूप हुई है|
भारतीय प्लेट के स्थलीय भाग के रूप में त्रिकोण आकृति वाला प्रायद्वीपीय पठार है| इन दोनों के मध्य उत्तर का विशाल मैदान है| प्रायद्वीपीय पठार के तटीय सीमा पर तटीय मैदान है| इसके अलावा लक्षद्वीप तथा अंडमान निकोबार द्वीप समूह भी भारत की विशिष्ट भौतिक आकृतियां है|
इन भौतिक आकृतियों की विशिष्ट विशेषताएं ही भारत के जलवायु, मिटटी के साथ ही जनसंख्या घनत्व आदि तत्वों का निर्धारण करते है. इसीलिए इनकी उत्पत्ति, विशेषता एवं संरचना आदि को समझना भारत को समझने के लिहाज से जरुरी होगा| इसके लिए आपको भारत के भौतिक भूगोल लेख को पढना श्रेयस्कर हो सकता है|
भारत का अक्षांशीय और देशांतरीय विस्तार – Latitudinal and longitudinal expansion of India
भारत की दक्षिणी सीमा 8°4′ उत्तर की अक्षांश रेखा से और उत्तरी सीमा 37°6′ उत्तर की अक्षांश रेखा द्वारा निर्धारित होती है| इसकी पूर्वी सीमा 97°25′ पूर्व की देशांतर रेखा से और पश्चिमी सीमा 68°7′ पूर्व की देशांतर से निर्धारित होती है|
भारत का अक्षांशीय और देशांतरीय विस्तार की गणना करने पर यह लगभग 30° प्राप्त होता है. लेकिन उत्तर से दक्षिण तक की
दूरी की अपेक्षा पूर्व से पश्चिम तक की दूरी कम होता है| जहाँ उत्तरी सीमा से दक्षिणी सीमा तक इसकी वास्तविक दूरी 3214 किलोमीटर प्राप्त होती है वही पूर्व से पश्चिम तक इसकी दूरी 2933 किलोमीटर है|
अक्षांस तथा देशांतर दोनों में 30-30 डिग्री के अंतर के बाबजूद वास्तविक दूरी में अंतर होने का कारण यह है की ध्रुवों की ओर जाते समय दो अक्षांशीय रेखाओं के बीच की दुरी घटती जाती है|
अक्षांशीय विस्तार का प्रभाव, भारत का अक्षांश और देशांतर विस्तार का महत्व
भारत का अक्षांशीय विस्तार का अंतर लगभग 30 डिग्री है और यह 8°4′ उत्तरी अक्षांश रेखा से और 37°6 उत्तरी अक्षांश रेखा तक विस्तारित है. कर्क रेखा (23°30′) भारत को दो बराबर भागों में विभाजित करती है. इससे स्पष्ट है की भारत का दक्षिणी हिस्सा उष्णकटिबंध में और उत्तरी हिस्सा उपोष्ण कटिबंध में स्थित है.
यही स्थिति भारत की भू आकृति, जलवायु , मिटटी के प्रकार, प्राकृतिक वनस्पति सहित विविधता के लिए उत्तरदायी है.
भारत के देशांतरीय विस्तार का अंतर लगभग 30 डिग्री है और यह 97°25′ पूर्व देशांतर रेखा से 68°7′ पूर्व देशांतर तक फैला है. देशांतर रेखाओं के बीच यह 30 अंश का अंतर हमारे देश के सबसे पूर्वी व सबसे पश्चिमी भागों के समय में लगभग 2 घंटे का अंतर पैदा करता है.
यानी की उत्तर पूर्वी राज्यों में राजस्थान के जैसलमेर की तुलना में सूर्य दो घंटे पहले उदय होता है लेकिन एक मानक देशांतर तय किये जाने के कारण देश के सभी भागों में घड़ियाँ एक जैसा ही समय दिखाती है. हम यह भी कह सकते है की पुरे भारत में घड़ी को एक मानक समय के अनुसार सेट किया जाता है जिससे पुरे देश में एक समान समय बताती है.
मानक समय के निर्धारण के लिए आमतौर पर मध्य मार्ग से गुजरने वाली देशांतर रेखा को मानक देशांतर मान लिया जाता है और पूरे देश के लिए इसी आधार पर मानक समय लागू कर दी जाती है. यही कारण है की 82°30′ पूर्व देशांतर को भारत का मानक याम्योत्तर माना जाता है. भारतीय मानक समय अन्तराष्ट्रीय तिथि रेखा से (ग्रीन विच रेखा) से 5 घंटे 30 मिनट आगे है.
विभिन्न देशों में अधिक देशांतरीय विस्तार के कारण एक से अधिक मानक याम्योत्तर चुना जाता है| जैसे रूस में 11 और संयुक्त राज्य अमेरिका में 6 टाइम जोन है| हालाँकि चीन में पांच भौगोलिक क्षेत्र होने के बाबजूद एक मात्र मानक समय का पालन किया जाता है जो एक अपवाद है|
मानक याम्योत्तर और अन्तराष्ट्रीय तिथि रेखा काल्पनिक रेखाएं है जिनका निर्धारण आपसी समझौते के तहत किया गया है| इसके द्वारा विश्व को 24 टाइम zone में बांटा गया और समय की दृष्टि से 1° की दूरी पर 4 मिनट का अंतर और 15° की दूरी पर 60 मिनट यानी एक घंटे का अंतर का निर्धारण किया गया|
स्पष्ट है कि का भारत का अक्षांशीय विस्तार 8°4′ उत्तर से 37°6′ उत्तर तक तथा देशांतरीय विस्तार 97°25′ पूर्व से 68°7′ पूर्व तक है| भारत का अक्षांश और देशांतर विस्तार भारत की भू आकृति, जलवायु , मिटटी के प्रकार, प्राकृतिक वनस्पति सहित विविधता के लिए उत्तरदायी है|
आशा है कि इस लेख ने आपको भारत का अक्षांशीय और देशांतरीय विस्तार (Latitudinal and longitudinal expansion of India) एवं भौगोलिक अवस्थिति (Geographical location) को समझने में सहायता की|
यदि आप भारत का अक्षांश और देशांतर विस्तार एवं भौगोलिक अवस्थिति के बारे में कुछ और जानना चाहते है तो कमेंट करें| आप हमें कमेंट के जरिये यह भी बता सकते है कि यह लेख आपको कैसी लगी|
मौसम एवं जलवायु को कौन से कारक निर्धारित एवं प्रभावित करते है?
मौसम एवं जलवायु वायुमंडल की दशा को बताता है, या फिर यों कहे कि वायुमंडलीय दशाओं का अध्ययन मौसम एवं जलवायु के संदर्भ में किया जाता है| सामान्यतः मौसम एवं जलवायु को एक ही संदर्भ में लिया जाता है लेकिन जलवायु भूगोल में दोनों में मूलभूत अंतर है| इन्हें खगोलीय, क्षोभमंडलीय और स्थलाकृतिक कारक निर्धारित एवं प्रभावित करते है|