बांझपन का मुख्य कारण क्या है? - baanjhapan ka mukhy kaaran kya hai?

महिलाओं के जीवन में मां बनना सबसे बड़ा सुख माना जाता है लेकिन आजकल की आधुनिक जीवनशैली और अन्‍य कारणों की वजह से अब महिलाओं में बांझपन यानि इनफर्टिलिटी की समस्‍या बढ़ रही है। अगर आप भी बांझपन का शिकार हैं या इससे बचना चाहती हैं तो आइए जानते हैं इसके कारण, लक्षण और इलाज के बारे में।

बांझपन वह स्थिति है जिसमें महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। अगर कोई महिला प्रयास करने के बाद भी 12 महीने से अधिक समय तक गर्भधारण नहीं कर पाती है तो इसका मतलब है कि वो महिला बांझपन का शिकार है। गौरतलब है कि गर्भधारण न हो पाने का कारण पुरुष बांझपन भी हो सकता है।

कुछ महिलाएं शादी के बाद कभी कंसीव नहीं कर पाती हैं तो कुछ स्त्रियों को एक शिशु को जन्‍म देने के बाद दूसरी बार गर्भधारण करने में मुश्किलें आती हैं। इस तरह बांझपन दो प्रकार का होता है।

विश्‍व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के मुताबिक भारत में बांझपन से ग्रस्‍त महिलाओं की संख्‍या 9% से 16.8% के बीच है। भारतीय राज्यों में बांझपन की स्थिति हर राज्य में भिन्न है जैसे उत्तर प्रदेश में 3.7 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में 5 प्रतिशत और कश्मीर में 15 प्रतिशत महिलाएं बांझपन से ग्रस्‍त हैं।

(और पढ़ें - पुरुषों में बांझपन)

महिला बांझपन क्या होता है ?

महिला बांझपन क्या होता है – आज के परिवेश में महिला बांझपन एक विकट समस्या बनी हुई हैं। लगभग 27.5 मिलियन जोड़े बांझपन के कारण गर्भ धारण करने में असमर्थ हैं । जिसमें 30% कारण महिला बांझपन हैं । 30% कारण पुरुष बांझपन , 20% की वजह महिला एंव पुरूष दोनो और अन्य 20% का का पता नहीं । लेकिन अगर सही  वजह का पता चल जाये तो महिला बांझपन का निवारण सम्भव है और महिला गर्भधारण कर सकती है ।

जब एक औरत किसी कारणवश या किसी कमी के कारण  गर्भधारण करने में असमर्थ होती है और प्राकृतिक रूप से मां बनने में असमर्थ होती है तो इसे महिला बांझपन कहते हैं ।  यह कहा जाता है कि एक नए जीवन की शुरुआत औरत के गर्भधारण करने से होती है। पर अगर वह  किन्ही कारणों से महिला बांझपन से  ग्रस्त  है तो इसका इलाज संभव है। दवाइयों एंव इलाज के  माध्यम से उसकी फर्टिलिटी को बढ़ाया जा सकता है कुछ केस में  सर्जरी भी की जाती है ।  अगर किसी महिला में बांझपन के लक्षण दिखाई देते हैं तो  उनकी फर्टिलिटी की प्रक्रिया को बढ़ाकर एवं कभी-कभी सर्जरी के द्वारा इस समस्या  को निदान  किया जाता है।

महिला  बांझपन के लक्षण- महिला बांझपन का मुख्य लक्षण गर्भधारण ना कर पाना है और और भी कई लक्षण जैसे अनियमित मासिक धर्म , मासिक धर्म का बहुत जल्दी या बहुत दिनों पर आना या मासिक धर्म का ना आना होता है। यह सारे लक्षण महिला बांझपन की ओर इशारा करते हैं।

महिला बांझपन के मुख्य कारण- महिला बांझपन क्या होता है

अंडाशय विकार(ओव्यूलेशन डिसऑर्डर) – इस कारण अंडाशय से अंडे में ठीक से विकसित नहीं हो पाते । लगभग 15% महिलाएं इसी समस्या से जूझ रही है।

एंडोमोट्रिओसिस- बढ़ी एंडोमोट्रिओसिस  परत के कारण प्रजनन अंगों में असर पड़ता है, पिरियड में कई प्रकार की मुश्किल आती है  जैसे ज्यादा रक्त स्राव एंव पेट में ज्यादा दर्द एंव  फर्टिलिटी  में परेशानी आती है ।

फेलोपियन टयूब ब्लाकेज- फेनिपयल टयूब का कार्य अंडे और शंक्राणु को मिलाना एंव भुण्र  को   गर्भाशय तक पहुँचाना है । मगर जब इसमें  ब्लाकेज होता है तब यह अपना कार्य ठीक से नहीं कर पाती और महिलाएँ गर्भ धारण करने में असमर्थ होती है ।

अंतःस्रावी विकार(एंडोक्रोनी डिसऑर्डर)- ये भी एक प्रमुख हार्मोनल डिसऑर्डर है जिसमें कई प्रकार की बिमारीयाँ जैसे थाइरॉइड,  मधुमेह,  बांझपन जैसी समस्या उत्पन्न होती है ।

उम्र- ऐसा माना जाता है कि 20 वर्ष से 35 वर्ष तक गर्भाधारण आसानी से किया जा सकता है । कुछ मामलों में यह अंडाशय के अंडे की गुणवत्ता पर निर्भर होता है।

कुछ अन्य समस्याएं जैसे – महिला बांझपन क्या होता है

गर्भाशय  में  फाइब्राँऐड- गर्भाशय में  फाइब्राँएड भी महिला बांझपन  का मुख्य कारण हो सकता है ।

तनाव- कुछ नए रिसर्च से यह पता चला है कि ज्यादा तनाव भी बांझपन का कारण होता है  जो  महिलाएं जो ज्यादा तनाव लेती है उन्हें हार्मोनल समस्या  ज्यादा होती है ।

जीवनशैली- जीवन शैली का भी प्रभाव महिला बांझपन में पड़ता है । अत्यधिक मोटापा एंव कमजोरी हार्मोन असंतुलन करते है जो बांझपन का कारण होता है  ।

महिला बांझपन क्या होता है | महिला बांझपन  के उपचार-

महिला बांझपन का उपचार संभव है समस्या को जानकर  उसका उचित उपचार एंव निवारण   किया जाता है। जैसे कभी-कभी  तनाव,उम्र, आधुनिक जीवन शैली इत्यादि इसका कारण होते हैं तो महिलाओं को बताया जाता है कि वह किस तरह का जीवन शैली अपनाएं  और शराब  ध्रूमपान इत्यादि का सेवन ना करें एवं उन्हें योग करने की सलाह दी जाती है ताकि वह उनको स्वस्थ रहें । महिलाओं को अच्छा खाने की भी सलाह दी जाती है । इसके उपचार के लिए महिलाओं और पुरुषों  दोनों के रक्त जांच का जांच किया जाता  है एंव अल्ट्रासाउंड कराए जाते हैं ताकि समस्या की जानकारी ठीक तरह से पाई जा सके । समस्या का पता चलते ही उसका  इलाज  किया  जाता हैं।कुछ लोग इसमें पूरी तरह सफल हो जाते हैं एवं महिलाएँ प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में सक्षम हो जाती हैं ।  अंडाशय में सिस्ट ,गर्भाशय में सूजन इत्यादी जैसी समस्या होने पर लेप्रोस्कोपी सर्जरी कराई जाती है ताकि समस्या का निवारण किया जा सके । सर्जरी के बाद  महिलाएं गर्भ धारण आसानी से कर पाती  है। इसके बाद भी अगर महिलाएँ  गर्भधारण नहीं कर पाती है तो आई.यू.आई की सलाह दी जाती है।

आई.यू.आई- इस तकनीकी में पुरुष के शुक्राणु को  ओव्यूलेसन के समय महिला साथी के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है जिससे शुक्राणु को अंडे के साथ फ़र्टिलाइज़ होने की संभावना बढ़ जाती है।

आईयूआई के 3 से 6 साइकिल की सलाह दी जाती है। इस प्रक्रिया से गर्भधारण की सम्भावना बढ़ जाती है । यदी इसके बाद भी  महिला गर्भधारण नहीं कर पाती  तो आईवीएफ की सलाह दी जाती है।

आई वी एफ- यह बहुत ही एडवांस तकनीकी है इससे बहुत ज्यादा अच्छे परिणाम आते हैं। यह एक प्रजनन उपचार है । इसके द्रारा बहुत से निःसंतान दम्पति को माँ – बाप बनने का सुख मिला है।

इस प्रक्रिया में महिलाओं के अंडाशय  से इंजेक्शन के जरिए अंडे निकालकर पुरुष के  शुक्राणु  के साथ लैब में फर्टिलाइज किया जाता है और तैयार भूर्ण  महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। इसका परिणाम आईयूआई की तुलना बेहतर है। इसकी सफलता का  प्रतिशत  ज्यादा है। यह एक सफल प्रक्रिया है । आईबीएफ में गर्भावस्था सामान्य प्रेगनेंसी की तरह ही होती है इसमें भ्रूण लैब में तैयार किया जाता है इसका कोई नुकसान ( साइड इफेक्ट ) नहीं होता इसमें शिशु का विकास मां की कोख में होता है यह बहुत ही सुरक्षित तकनीकी है।

अगर गुणवत्ता की बात की जाए तो कुछ महिलाएं ऐसी होती हैं जिनके अंडों की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है या उनके अंडो मे कोई वंशानुगत समस्या होती है। उनके लिए डोनर आईवीएफ की सलाह दी जाती है।

डोनर आईवीएफ ये एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक ऐसी महिला को ढूंढा जाता है जो अपने अंडे को डोनेट कर दे ।  डोनट करने वाली महिला की  कि सर्वप्रथम  अच्छे से जांच की जाती है कि वह पूरी तरह स्वस्थ है या नहीं फिर उसके अंडाशय  से अंडे निकालकर महिला के पति के शुक्राणु के साथ लैब में फर्टिलाइज कर महिला के शरीर में ट्रांसफर किया जाता है और महिला गर्भ धारण कर लेती है  इस प्रक्रिया को डोनर आईवीएफ प्रक्रिया कहते हैं।

इन प्रक्रियाओं से महिला बांझपन जैसी जटिल समस्या से  छुटकारा पाया जा सकता है महिला  गर्भधारण करने में सक्षम हो जाती है। ये सारे  अत्यधिक सुरक्षित  उपचार है ।

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बांझपन होने का क्या कारण है?

एक्सपर्ट्स के अनुसार, महिलाओं में बांझपन के कई कारण हो सकते हैं, जैसे ओव्यूलेशन डिसऑर्डर, फैलोपियन ट्यूब में क्षति, एंडोमेट्रियोसिस, यूटेरस या सर्विक्स से जुड़ी समस्याएं आदि. एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर लक्षणों का पता लगाकर इसका समय पर इलाज कर किया जाए तो बांझपन को ठीक किया जा सकता है.

बांझपन के लिए कौन सा विटामिन?

विटामिन-डी - प्रैग्नेंसी और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के लिए विटामिन डी बहुत ही आवश्यक है। वास्तव में विटामिन डी की कमी से बांझपन और गर्भपात का कारण हो सकता है।

बांझपन कितने प्रकार का होता है?

बांझपन क्या है — प्रकार और कारण (Infertility in Hindi).
प्राथमिक बांझपन (Primary Infertility).
माध्यमिक बांझपन (Secondary Infertility).
एक्स्प्लेंड इनफर्टिलिटी (Explained Infertility).
अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी (Unexplained Infertility).

बांझपन का इलाज क्या होता है?

प्रजनन विशेषज्ञ डॉक्टर, इनफर्टिलिटी का इलाज, उपरोक्त परीक्षणों के आधार पर तय करता हैइलाज में प्रजनन दवाओं के साथ उत्तेजक ओव्यूलेशन,अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (IUI), अथवा प्रजनन क्षमता को बहाल करने के लिए सर्जरी आदि शामिल हो सकते हैं और इसका निर्धारण पूरी तरह से महिला की स्थिति पर निर्भर करता है

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