ब्लैंक चेक साइन करके दिया हो किसी ने - blaink chek sain karake diya ho kisee ne

यदि आप यह सुनिश्चित करते हैं कि 4 और अंतिम चेक आपके मित्र के हाथों में नहीं है, लेकिन तीसरे पक्ष की हिरासत में है, तो नीचे दी गई बातों का पालन करें, इससे पहले कि आप अपने बैंक को सूचित करें कि चेक ट्रांजिट में खो गया है और चेक का भुगतान रोक दिया गया है संबंधित बैंक में। इसके अलावा आपने संबंधित थाने से गैर-पता लगाने का प्रमाण पत्र प्राप्त करने की कोशिश की, जहां आप खो गए हैं यदि आप का मतलब नहीं है तो कोई समस्या नहीं है बस आप वकील के माध्यम से मौखिक समाचार पत्र में खो जाने के बारे में विज्ञापन देते हैं। उन सभी चीजों के लिए जो आपने न केवल अपनी बेगुनाही के लिए किया था, बल्कि यह निष्कर्ष निकाला था कि परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के तहत कानूनी आवश्यकता के अनुसार आपके पास तीसरे पक्ष की ओर से कोई ऋण देयता नहीं है। जब तीसरी पार्टी ने उस समय आपको चेक केस दायर करने के लिए कानूनी नोटिस भेजा था, तो आपने उत्तर सूचना भेजी थी कि चेक खो गया है और सभी कही गई बातें बताई गई हैं। तीसरे पक्ष से कानूनी नोटिस प्राप्त करने के बाद, आपको आवश्यक आदेश के लिए सूट दाखिल करने के लिए 3 जी पार्टी को संबंधित सिविल कोर्ट के समक्ष आपकी जांच वापस करने के लिए निर्देश देने की आवश्यकता है और आगे आपको सीआरपीसी की धारा 200 के तहत निजी शिकायत दर्ज करने का विकल्प दिया जाता है कि तीसरी पार्टी ने आपराधिक दुर्व्यवहार किया भारतीय दंड संहिता में कही गई संपत्ति का.

ब्लैंक चेक : सावधानी है जरूरी

| Updated: Apr 4, 2013, 9:00 AM

लोन देते वक्त बैंक ग्राहकों से ब्लैंक (कोरा) चेक लेते हैं। ग्राहक इस कोरे चेक को सिर्फ तकनीकी औपचारिकता मानते हुए इस बारे में ज्यादा गंभीर नहीं रहते।...

लोन देते वक्त बैंक ग्राहकों से ब्लैंक (कोरा) चेक लेते हैं। ग्राहक इस कोरे चेक को सिर्फ तकनीकी औपचारिकता मानते हुए इस बारे में ज्यादा गंभीर नहीं रहते। यही कारण है कि इसके दुरुपयोग के कई मामले सामने आए हैं। आखिर बैंक कोरा चेक क्यों लेते हैं और ग्राहकों को ऐसा चेक देते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, बता रहे हैं जोसफ बर्नाड :
लोन देते समय जांच जरूरी : बेशक बैंक सभी तरह की जांच के बाद ग्राहक को लोन देते हैं। इसमें घर का पता, व्यवसाय और अन्य सभी जानकारियों की जांच शामिल होती है। बैंक इसके प्रूफ के लिए संबंधित दस्तावेज लेते हैं। मगर लोन लेने के बाद ग्राहकों को किस्त यानी ईएमआई देनी होती है। ग्राहक हर बार आकर ईएमआई नहीं चुका सकता। ऐसे में उसके बैंक खाते को लोन के साथ जोड़ दिया जाता है। हर महीने खाते से बैंक को ईएमआई की किस्त मिल जाती है। लोन की किस्त सही तरीके से मिलती रहे, इसकी जांच के लिए ग्राहक से ब्लैंक चेक लिया जाता है।
कोरा चेक लेने का मकसद : बैंक अधिकारियों का कहना है कि तीन अहम कारणों से कर्ज देते समय ग्राहकों से ऐसा चेक लिया जाता है। पहला, इससे हस्ताक्षर का मिलान किया जाता है। हस्ताक्षर के जरिए यह देखा जाता है कि जिसको लोन दिया जा रहा है, वह व्यक्ति वही है, जिसका बैंक में खाता है। जिस बैंक का वह चेक होता है, उसको भेजकर इसकी जांच की जाती है। दूसरा, इससे यह जानकारी मिल जाती है कि ग्राहक का खाता किस बैंक में हैं। तीसरा, चेक में दर्ज आईएफएससी नंबर के जरिए यह पता लग जाता है कि बैंक के किस ब्रांच में उसका खाता है, क्योंकि चेक बैंक के उसी ब्रांच से जारी होता है।
सजग रहे ग्राहक : बैंकिंग सेक्टर एक्सपर्ट अश्विनी राणा के मुताबिक, कोरा चेक देते समय दो बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। पहला यह कि ऐसा चेक देते समय उसमें कैन्सिल्ड (निरस्त) जरूर लिखें। एक बार अगर चेक में कैन्सिल्ड लिख दिया तो उसको कोई नहीं भुना सकता। दूसरा है, चेक को क्रॉस करें। इससे चेक को कोई दूसरा इस्तेमाल नहीं कर पाएगा।
रिजर्व बैंक की मंशा : रिजर्व बैंक निश्चित तौर पर कर्ज देते वक्त कागजी औपचारिकता से ज्यादा से ज्यादा छुटकारा चाहता है। मगर दूसरी तरफ वह यह भी चाहता है कि कर्ज देने और लेने में किसी प्रकार की कोताही न बरती जाए। रिजर्व बैंक के एक अधिकारी का कहना है कि केंद्रीय बैंक इस पक्ष में है कि चेक का कम इस्तेमाल हो क्योंकि चेक द्वारा ही अधिक गड़बड़ी होती है। मगर बैंकों को कर्ज देने से पहले ग्राहकों के घर, व्यवसाय और बैंक अकाउंट के बारे में जानकारी जमा करने का पूरा अधिकार है।

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अविश्वसनीय को नहीं दें ब्लैंक चेक, आरबीआई के नए नियम बचाएंगे चेक से होने वाली धोखाधड़ी से

बैंक चेक से धोखाधड़ी के मामले दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं। हाल ही में रेलकर्मी के लापता होने का मामला भी लेनदारों द्वारा चेक की धोखाधड़ी से जुड़ा होना सामने आया है। शहर में हस्ताक्षर युक्त ब्लैंक चेक लेकर कर्ज दे ब्याज के चंगुल में फांसने वाला गिरोह सक्रिय है। जबकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने हाल ही चेक के नियमों में कुछ बदलाव किए हैं, इनका उद्देश्य चेक से संबंधित धोखाधड़ी को रोकना है। बैंकों को नए नियमों की पालना सुनिश्चित करने को कहा गया है। इन नए नियमों को जानने के बाद काफी हद तक बैंक चेक से होने वाले फ्रॉड से बचा जा सकता है। पेश है रिपोर्ट...

यह जरूर जान लें, चेक के नए नियम जो आपको फ्रॉड से बचाएंगे1. चेक क्लियरिंग पर मिलेगा मोबाइल एसएमएस अलर्ट

डेबिट या क्रेडिट कार्ड से ट्रांजेक्शन होने पर एसएमएस अलर्ट आता है, लेकिन अब नए नियमों के तहत चेक क्लियरिंग के बाद दोनों पक्षों को भी एसएमएस अलर्ट करने को कहा गया है।

किसी चेक पर संदेह होने या ज्यादा रकम के चेक की स्थित में बैंक दोनों पक्षों, चेक देने वाले आैर लेने वाले को कॉल कर पुष्टि करेगा। खाता धारक को बैंक की जिस शाखा में खाता है, उससे भी संपर्क किया जाएगा।

2. यूवी लैंप से चेक की जांच

2 लाख रुपए से अधिक के चेक के लिए बैंकों को यूवी लैंप से चेक को जांचने के आदेश दिए गए हैं। पांच लाख रुपए से अधिक की राशि के चेक के लिए कई स्तरों की जांच की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है।

चेक के द्वारा नए खुले खातों में पैसा जमा किया जाता है आैर निकाला जाता है, तो इन पर भी बैंकों को गहराई से निगरानी करनी है।

3. चेक ट्रांजेक्शन सिस्टम की सख्ती से करें पालना

चेक के मामलों में बैंकों को चेक ट्रांजेक्शन सिस्टम की सख्ती से पालना करने को कहा गया है। इस सिस्टम में चेक देने वाले का जिस शाखा में खाता है, उस शाखा काे चेक की इलेक्ट्रॉनिक इमेज भेजी जाती है। इससे सत्यापन के लिए चेक को ले जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। इससे फ्राड की गुजांइश न के बराबर है। कई बार ऐसा हुआ है कि असल चेक तो खाता धारक के पास ही रह गया, धोखाधड़ी करने वाले ने उसी नंबर का चेक कैश करवा लिया।

4. केवाईसी की अनुपालना

बैंक में नया खाता खुलवाने पर नो योर कस्टमर (केवाईसी) का फार्म अनिवार्य रूप से भरना पड़ता है, इसके अलावा बैंक को ग्राहक द्वारा प्रदत्त सूचना की पुष्टि भी करना जरूरी है।

5. चेक हैंडल करने के लिए

आरबीआई ने बैंकों को यह भी आदेश दिए हैं कि बैंकों को सीटीएस सिस्टम को मामूली मैकेनिक प्रोसेस मात्र नहीं समझकर अहम प्रक्रिया समझने के लिए कहा है।

सिस्टम को हैंडल करने के लिए उच्च गुणवत्ता के उपकरण आैर कर्मियों की नियुक्ति को सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।

एक्सपर्ट पैनलकौनसे नए नियम आपको फ्रॉड से बचाएंगे। भास्कर एक्सपर्ट पैनल-बड़ोदा राजस्थान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के चेयरमेन रमेशचंद गग्गड़ आैर आईडीबीआई के एजीएम नवीन त्यागी।

भास्कर अलर्टरिस्क है- अनजान, अज्ञात आैर अविश्वसनीय को नहीं दें हस्ताक्षरयुक्त खाली चेक अनजान, अज्ञात आैर अविश्वसनीय लोगों को ऋण लेने की एवज में ब्लैंक चेक नहीं दें। इसमें हमेशा चेक देने वाले की रिस्क बनी रहती है। नेगोशिएशन इंस्ट्रूमेंट एक्ट (एनआई एक्ट) के सेक्शन 20 के तहत यदि हस्ताक्षरयुक्त ब्लैंक चेक लेने वाला व्यक्ति उसमें कोई राशि भर ले तो उसे चैलेंज नहीं किया जा सकता। इसलिए रिस्क हमेशा चेक मेकर का ही बना रहता है।

ऐसे कई मामले आ चुके हैं सामनेब्याजखोरों ने अपनी मर्जी से भर ली राशि, चेक बाउंस का दर्ज हुआ मुकदमा करीब छह दिन पहले रेलकर्मी नरेश की कार आनासागर चौपाटी पर मिली थी, जिसमें उसका सुसाइड नोट व मोबाइल मिला था। सुसाइड नोट में ब्याजखोरों की करतूतें उल्लेखित की थी, जांच में सामने आया कि आम का तालाब निवासी नरेश ने अपने रेलकर्मी साथियों से एक से डेढ़ लाख रुपए प्रत्येक से उधार लिए थे। उधारी चुका भी दी थी, लेकिन ब्याजखोरों ने 5 से 10 प्रतिशत ब्याज की दर से राशि उससे वसूली आैर नहीं देने पर उससे हस्ताक्षर युक्त ब्लैंक चेक ले लिए थे। पिछले दिनों ब्याजखोरों ने खाली चेकों में मनमानी राशि दो से पांच लाख रुपए भरकर बैंक में लगा दिया, आैर चेक बाउंस होने पर नरेश को कानूनी मकड़जाल में फंसा दिया। क्रिश्चियन गंज थानाप्रभारी दिनेश कुमावत ने बताया कि झील में तलाशने के बाद कुछ नहीं मिला, नरेश की गुमशुदगी दर्ज कर ली गई है।

ब्लैंक चेक देने से क्या होता है?

यदि चेक संग्रहण में इस अवधि से ज्यादा विलंब होता है तो आपको बैंक की चेक संग्रहण नीति के अनुसार विनिर्दिष्ट दर पर ब्याज दिया जाएगा।

चेक बाउंस होने पर क्या सजा है?

बैंक द्वारा जुर्माना यदि किसी चेक को बाउंस किया जाता है, तो डिफॉल्टर और भुगतानकर्ता दोनों को उनके संबंधित बैंकों द्वारा चार्ज किया जाता है। यदि बाउंस चेक ऋण की चुकौती के खिलाफ है, तो आपको बैंक द्वारा जुर्माना शुल्क के शुल्कों के साथ अतिरिक्त भुगतान शुल्क भी लेना होगा।

अधिकतम राशि का चेक कितना हो सकता है?

निकासी पत्र के माध्यम से, प्रतिदिन निकाली जा सकने वाली राशि की अधिकतम सीमा, अलग अलग बैंकों में अलग अलग है । वर्तमान में, भारतीय स्टेट बैंक में यह सीमा ₹ 25,000/- प्रतिदिन है ।

चेक के पीछे क्या लिखा जाता है?

चेक माननीय तब कहा जाता है, जब बैंक प्राप्त कर्ता को राशि देता हैं। जबकि, यदि बैंक प्राप्त कर्ता को राशि देने से इंकार करता है, तो चेक को खारिज माना जाता है। दूसरे शब्दों में, चेक का खारिज होना एक ऐसी स्थिति है जिसमें बैंक प्राप्त कर्ता को चेक की राशि देने से इंकार कर देता है।

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