चिड़िया की बच्ची कहानी का कोई और शीर्षक देना हो तो आप क्या देना चाहेंगे? - chidiya kee bachchee kahaanee ka koee aur sheershak dena ho to aap kya dena chaahenge?

Students can prepare for their exams by studying NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 9 चिड़िया की बच्ची was designed by our team of subject expert teachers.

प्रश्न अभ्यास

कहानी से

प्रश्न 1.
किन बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास को जीवन संपन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है कि वह सुखी नहीं था?
उत्तर:
माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था क्योंकि –

  • माधवदास के पास खूब सारा सोना-चाँदी था।
  • उसका संगमरमर का बना बड़ा-सा महल था, जिसके सामने सुंदर-सा बगीचा था।
  • महल में अनेक दास-दासियाँ थीं।
  • वह चिड़िया के लिए सोने का पिंजरा तथा सोने की कटोरी बनवा सकता था। माधवदास सुखी नहीं था, क्योंकि

(अ) वह ख्याल ही ख्याल में संध्या को स्वप्न की भाँति गुज़ार देता था।
(ब) चिड़िया के आने से उसका मन बहुत खुश हो गया था।
(स) उसका महल सूना था। वहाँ कोई चहचहाता नहीं था।

प्रश्न 2.
माधवदास क्यों बार-बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है? क्या माधवदास नि:स्वार्थ मन से ऐसा कह रहा था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चिड़िया को प्रलोभन देकर वह उसे रोकना चाहता था, इसलिए वह बार-बार यह कह रहा था कि यह बगीचा तुम्हारा ही है। नहीं, माधवदास निःस्वार्थ भाव से ऐसा नहीं कह रहा था। वह तो चिड़िया को प्रलोभन देकर कैद करना चाहता था। सफल न होने पर उसने चिड़िया को बातों में उलझाकर नौकर द्वारा पकड़वाना चाहा था।

प्रश्न 3.
माधवदास के बार-बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सख-सविधाओं को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी। दूसरी तरफ़ माधवदास की नज़र चिड़िया के मनोभावों के अंतर क्या-क्या थे? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
माधवदास को अपने संगमरमर के महल, बागबगीचों, दास-दासियों तथा अपने ढेर सारे सोने-चाँदी पर घमंड था। उसकी दृष्टि में उसका महल, बाग-बगीचा ही सब कुछ है। वह अपने सोने-चाँदी के बल पर किसी को भी आकर्षित कर सकता है या किसी को भी उसका गुलाम बन सकता है। चिड़िया के मन में सोने-चाँदी, महल एवं बाग के लिए कोई लोभ न था। वह तो अपनी माँ, भाई, सूरज, धूप, घास, पानी और फूलों से प्यार करती है। माँ की गोद में ही उसका सबसे बड़ा सुख है। उसे अपनी स्वतंत्रता तथा अपनी माँ प्रिय है।

प्रश्न 4.
कहानी के अंत में नन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर तुम्हें कैसा लगा? चालीस-पचास या इससे कुछ अधिक शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
नौकर के पंजे से नन्ही चिड़िया के भाग निकलने की बात पढ़कर माधवदास के कपटी स्वभाव के बारे में पता चलता है। एक ओर तो चिड़िया को प्यारी-प्यारी बातों में उलझाए रखता है, पर मन में उस चिड़िया को किसी भी तरह से पकड़ने के लिए दृढ़संकल्प है। इससे ‘मुँह में राम बगल में छुरी’ वाली कहावत चरितार्थ होती है। इससे भी अधिक बुरा यह लगा कि मनुष्य स्वयं तो स्वतंत्र रहना चाहता है पर अपनी खुशी के लिए दूसरों को बंधक बनाना चाहता है।

प्रश्न 5.
‘माँ मेरी बाट देखती होगी’-नन्ही चिड़िया बार-बार इसी बात को कहती है। आप अपने अनुभव के आधार पर बताइए कि हमारी जिंदगी में माँ का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
हमारी जिंदगी में माँ का अत्यंत महत्त्व है। माँ ही है जो अपनी जान से भी ज्यादा अपनी संतान को प्यार करती है। वह हर तरह के कष्ट सहकर भी अपनी संतान को हर तरह से सुखी रखने का प्रयास करती है। पुत्र को ज़रा-सी चोट लगने की बात सुनकर माँ की जान निकल जाती है। माँ ही बच्चे को मनुष्य बनने का पहला पाठ भी सिखाती है।

प्रश्न 6.
इस कहानी का कोई और शीर्षक देना हो तो आप क्या देना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर:
इस कहानी का अन्य शीर्षक-‘सबको प्यारी माँ’, क्योंकि दुनिया में माँ के प्यार जैसा नि:स्वार्थ प्यार किसी का नहीं होता है। इसके अलावा जो सुख माँ की गोद में मिल सकता है वह अन्यत्र दुर्लभ है।

कहानी से आगे

प्रश्न 1.
इस कहानी में आपने देखा कि वह चिड़िया अपने घर से दूर आकर भी फिर अपने घोंसले तक वापस पहुँच जाती है। मधुमक्खियों, चींटियों, ग्रह-नक्षत्रों तथा प्रकृति की अन्य विभिन्न चीजों में हमें एक अनुशासनबद्धता देखने को मिलती है। इस तरह के स्वाभाविक अनुशासन का रूप आपको कहाँ-कहाँ देखने को मिलता है? उदाहरण देकर बताइए।
उत्तर:
स्वाभाविक अनुशासन का रूप हमें अन्य स्थानों पर भी देखने को मिलता है,
जैसे –

  • सूरज, चाँद, तारों का अपने समय पर निकलना तथा छिपना।
  • पौधे की उम्र होते ही उस पर फूल तथा फल आ जाना।
  • सर्दी, गर्मी, बरसात, शिशिर, हेमंत, वसंत आदि ऋतुओं का अपने समय पर आना-जाना।
  • पके फलों का महकना तथा अपने-आप मनुष्य के लिए ज़मीन पर गिर जाना।
  • पक्षियों का झुंड बनाकर उड़ना तथा गंतव्य तक जाना।
  • सूर्य-ग्रहण तथा चंद्र-ग्रहण होना।

प्रश्न 2.
सोचकर लिखिए कि यदि सारी सुविधाएँ देकर एक कमरे में आपको सारे दिन बंद रहने को कहा जाए तो क्या आप स्वीकार करेंगे? आपको अधिक प्रिय क्या होगा-‘स्वाधीनता’ या ‘प्रलोभनोंवाली पराधीनता’ ? ऐसा क्यों कहा जाता है कि पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख नहीं मिल पाता। नीचे दिए गए कारणों को पढ़ें और विचार करें –
(क) क्योंकि किसी को पराधीन बनाने की इच्छा रखनेवाला व्यक्ति स्वयं दुखी होता है, वह किसी को सुखी नहीं कर सकता।
(ख) क्योंकि पराधीन व्यक्ति सुख के सपने देखना ही नहीं चाहता।
(ग) क्योंकि पराधीन व्यक्ति को सुख के सपने देखने का भी अवसर नहीं मिलता।
उत्तर:
सारी सुविधाएँ मिलने पर भी यदि मुझे एक कमरे में सारे दिन बंद रहने को कहा जाए तो मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकूँगा। मैं वहाँ से हर संभव निकलने का प्रयास करूंगा। मुझे भी अपनी स्वतंत्रता प्रिय है। मुझे स्वाधीन रहना ही प्रिय लगेगा। कहा जाता है कि पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख नहीं मिल पाता क्योंकि पराधीन व्यक्ति को सुख के सपने देखने का भी अवसर नहीं मिलता है।

अनुमान और कल्पना

आपने गौर किया होगा कि मनुष्य, पशु, पक्षी-इन तीनों में ही माँएँ अपने बच्चों का पूरा-पूरा ध्यान रखती हैं। प्रकृति की इस अद्भुत देन का अवलोकन कर अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
प्रकृति की यह अद्भुत देन है कि मनुष्य, पशु, पक्षी-इन तीनों में ही माँएँ खुद तो अनेकानेक कष्टों को सहती हैं पर अपनी संतान पर आँच भी नहीं आने देती हैं। पक्षियों तथा अंडे देने वाले जानवरों में माएँ कई दिन तक अपने अंडों को ऊष्णता प्रदान करती हैं तथा जब उनके नवजात शिशु अंडों से बाहर आते हैं तो उनके खाने-पीने के इंतजाम के साथ उनके सक्षम होने तक उनकी रक्षा भी करती हैं। उन बच्चों को समाज में साथ-साथ रहने का गुण भी माँ ही सिखाती है। कंगारू-माँ तो अपने शिशु को पेट में बनी थैली में साथ लेकर चलती है। माँ यदि बच्चों का पूरा ध्यान न रखे तो संतान का अस्तित्व ही ख़तरे में पड़ सकता है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
पाठ में पर शब्द के तीन प्रकार के प्रयोग हुए हैं
(क) गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आन बैठी।
(ख) कभी पर हिलाती थी।
(ग) पर बच्ची काँप-काँपकर माँ की छाती से और चिपक गई।
तीनों पर के प्रयोग तीन उद्देश्यों से हुए हैं। इन वाक्यों का आधार लेकर आप भी ‘पर’ का प्रयोग कर ऐसे तीन वाक्य बनाइए जिनमें अलग-अलग उद्देश्यों के लिए पर के प्रयोग हुए हों।
उत्तर:
विभिन्न उद्देश्यों में पर के प्रयोगपर – मेज पर पुस्तकें रखी हैं।
पर – उसने बहुत कोशिश की पर अपने उद्देश्य में सफल न हो सका।
पर – सर्दी से बचने के लिए पक्षी ने अपने पर फुला लिए।
पर – पर हित की बात किए बिना मानव सुखी नहीं हो सकता है।

प्रश्न 2.
पाठ में तैंने, छनभर, खुश करियो-तीन वाक्यांश ऐसे हैं जो खड़ीबोली हिंदी के वर्तमान रूप में तूने, क्षणभर, खुश करना लिखे-बोले जाते हैं लेकिन हिंदी के निकट की बोलियों में कहीं-कहीं इनके प्रयोग होते हैं। इस तरह के कुछ अन्य शब्दों की खोज कीजिए।
उत्तर:
हिंदी के निकट की बोलियों में प्रयोग होने वाले शब्द-मैनूँ, पंज, भयो, खायो, चले जाइयो, पाइयाँ, कित आदि।

चिड़िया की बच्ची कहानी को आपको कोई और शीर्षक देना हो तो क्या देना चाहेंगे और क्यों *?

Answer: इस कहानी का शीर्षक 'जीवन का सच्चा सुख' अधिक युक्तिपूर्ण प्रतीत होता है क्योंकि यहाँ जीवन के सुख को लेकर दो विचारों की टकराहट है। एक तरफ जहाँ धनी सेठ के लिए धन-दौलत, सुख सुविधाएँ ही जीवन की खुशी तथा वास्तविकता है। वहीं दूसरी ओर नन्ही चिड़िया के लिए माँ अमूल्य रत्न से भी अधिक मूल्यवान है।

चिड़िया की बच्ची की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

'चिड़िया की बच्ची' कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है? Solution : . चिड़िया की बच्ची. कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी किसी भी पक्षी को पिंजरे में बन्द नहीं करना चाहिए।

अगर आपको इस कहानी का शीर्षक रखना हो तो आप क्या रखेंगे?

पढ़ना सीखने के लिए सबसे अच्छी सामग्री शिक्षक ही बन सकते हैं।

चिड़िया की बच्ची पाठ का उद्देश्य क्या है?

जीवन के अकेलेपन को दूर करने के लिए एक दिन अपने बगीचे में बैठा था कि एक सुंदर चिड़िया आई उसके सौंदर्य व स्वच्छंदता से थिरकने पर वह मुग्ध हो गया। वह चिड़िया को अपने पास रखकर अपने जीवन का सूनापन दूर करना चाहता था, क्योंकि उसे ऐसा लगा कि चिड़िया यदि उसके पास रहेगी तो उसकी कोठी व बगीचे में उसकी चहचहाहट से चहल-पहल बनी रहेगी।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग