विषयसूची
- 1 छुआछूत से क्या तात्पर्य है?
- 2 छुआछूत की धारा कौन सी है?
- 3 अस्पृश्यता यह छुआछूत को एक अपराध क्यों माना गया है?
- 4 अनुसूचित जाति मुक्त का मतलब क्या है?
- 5 छुआछूत की प्रथा क्या है?
छुआछूत से क्या तात्पर्य है?
इसे सुनेंरोकेंछुआछूत का अर्थ : छुआछूत का अर्थ होता है – जो स्पर्श करने योग्य न हो। जब किसी व्यक्ति के समूह या समुदाय को अस्पर्शनीय माना जाता है और उसके हाथ की छुई हुई वस्तु को कोई नहीं खाता उसे छुआछूत कहते हैं। उन लोगों के साथ कोई भी मिलजुल कर नहीं रहता और न ही उनके साथ कोई खाना खाता है।
अस्पृश्यता उन्मूलन का क्या उद्देश्य है?
इसे सुनेंरोकें[[शिक्षा] का उद्देश्य है-समाज में प्रचलित रूढियों, धर्मांधता, संकीर्णता की भावना को दूर करना, जिससे अस्पृश्यता स्वयं ही दूर होगी। जब मानव के दृष्टिकोण में परिवर्तन होकर उसमें विश्वबंधुत्व की भावना का विकास होगा तो उच्च एवं निम्न वर्गों के मध्य का अंतर स्वयं ही समाप्त हो जाएगा।
अस्पृश्यता उन्मूलन क्या है?
इसे सुनेंरोकेंसिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम- संसद ने अस्पृश्यता के उन्मूलन के लिये अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 पारित किया तथा 1976में इसका संशोधन कर इसका नाम ‘सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम’ कर दिया गया। अनुसूचित जाति एवं जनजाति(उत्पीड़न निवारण) अधिनियम,1989 के तहत प्रथम बार ‘उत्पीड़न’ शब्द की व्यापक व्याख्या की गई है।
छुआछूत की धारा कौन सी है?
इसे सुनेंरोकेंवीडियो: संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत जातिवाद के आधार पर होने वाली छुआछूत या अस्पृश्यता के भेदभाव को गैर-संविधानिक माना गया है. वहीं, अनुच्छेद 18 के तहत सभी प्रकार की उपाधि देने की व्यवस्था को ख़त्म कर दिया गया.
छुआछूत किसे कहते हैं छुआछूत के प्रति गांधीजी ने क्या किया?
इसे सुनेंरोकेंमहात्मा गांधी छुआछूत के सख्त ख़िलाफ़ थे. वो चाहते थे कि ऐसा समाज बने जिसमें सभी लोगों को बराबरी का दर्जा हासिल हो क्योंकि सभी को एक ही ईश्वर ने बनाया है. उनमें भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए. दक्षिण भारत के दौरे में जब गांधी मायावरम पहुंचे तब उनका एक नए शब्द से सामना हुआ और वो शब्द था ‘पंचम’.
छुआछूत कब से शुरू हुआ?
इसे सुनेंरोकेंगोपाल ने कहा कि भारत में सबसे पहले छुआछूत का केस इस्लाम आने के बाद ही सामने आया था. राजा दहीर (सिंध के आखिरी हिंदू राजा) की पत्नियां जौहर करने जा रही थीं. इस दौरान मलेच्छा शब्द का इस्तेमाल किया गया.
अस्पृश्यता यह छुआछूत को एक अपराध क्यों माना गया है?
इसे सुनेंरोकेंअस्पृश्यता या छुआछूत को समाज में अपराध इसलिए माना गया है क्योंकि अस्पृश्यता या छुआछूत समाज में भेदभाव और असमानता पैदा करती है। एक लोकतांत्रिक और आधुनिक समाज में सभी नागरिक समान होते हैं, विशेषकर लोकतांत्रिक देश में समानता का सिद्धांत मूल सिद्धांत होता है।
अस्पृश्यता क्या है और किसे अछूत कहा जाता है?
इसे सुनेंरोकेंअस्पृश्यता का अर्थ है किसी वय्क्ति या समूह के सभी लोगों के शरीर को सीधे छूने से बचना या रोकना। ये मान्यता है कि अस्पृश्य या अछूत लोगों से छूने, यहाँ तक कि उनकी परछाई भी पड़ने से उच्च जाति के लोग ‘अशुद्ध’ हो जाते है और अपनी शुद्धता वापस पाने के लिये उन्हें पवित्र गंगा-जल में स्नान करना पड़ता है।
छुआछूत का अंत कब किया गया?
इसे सुनेंरोकेंयह कानून 8 मई 1955 को बनकर तैयार हुआ। इस कानून के अंतर्गत कुछ ऐसे कार्यों को अपराध घोषित किया गया जो छुआछूत से संबंधित है। इस प्रथक विशेष कानून को बनाए जाने का उद्देश्य छुआछूत का अंत करना तथा छुआछूत को प्रसारित करने वाले व्यक्तियों को दंडित करना था। इस अधिनियम का विस्तार संपूर्ण भारत पर है।
अनुसूचित जाति मुक्त का मतलब क्या है?
इसे सुनेंरोकेंअनुसूचित जाति का (मतलब) ही ये है तो हमें भी ये जान लेना चाहिए की अनुसूचित का मतलब उस दौर में (अश्पृष्य, बहिष्कृत् हिन्दू से बाहर) मतलब (जो हिन्दू नहीं थी वे जातिया) है। (हिन्दू से स्वतंत्र वर्ण व्यवस्था से बाहर अ-घोषित वर्ण अतिशूद्र) (अनुसूचित जाति ) हमारी संवैधानिक पहचान है।
गांधीजी ने दलितों को क्या नाम दिया था?
इसे सुनेंरोकेंउसी दौर में दलित समुदाय के लोगों को ‘अस्पृश्य या अछूत’ कहकर संबोधित करने को महात्मा गांधी ने गलत बताते हुए उन्हें ‘हरिजन’ यानी ‘भगवान के बच्चे’ की संज्ञा दी.
अस्पृश्यता का उन्मूलन क्या है?
छुआछूत की प्रथा क्या है?
इसे सुनेंरोकेंछुआछूत वह प्रथा है जिसमें कुछ समूहों के लोगों को उनकी जाति और संस्कृति के आधार पर विभेदित और अलग-थलग कर दिया जाता है और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। यह प्रथा हमारे समाज में लंबे समय से चली आ रही है और जाति व्यवस्था का प्रमुख परिणाम है।
सामाजिक विषमताओं से क्या समझते हैं सामाजिक विषमताओं को दूर करने के प्रमुख उपाय का वर्णन कीजिए?
सामाजिक विषमता से आप क्या समझते हैं।…
- पूँजी एवं आय का पुनर्वितरण विषमता एवं विच्छेदन दूर करने के लिए जहां भूमि एवं पूँजी का पुनर्वितरण आवश्यक है, वहीं आय का पुनर्वितरण भी जरूरी हैं।
- आधुनिकीकरण आधुनिकीकरण की दिशा में तेजी से आगे बने से विषमता को दूर किया जा सकता है।
इसे सुनेंरोकें’अस्पृश्यता’ के उन्मूलन के जरिए किसी व्यक्ति को प्राप्त हुए किसी अधिकार के रूप में की गई है। इस अधिनियम के अन्तर्गत अपराधों को अशमनीय बनाया गया था और ऐसे प्रत्येक अपराध में 272 Page 2 संक्षिप्त विचारण निर्धारित किए गए हैं, सिवाय उस अपराध के, जो कम से कम तीन महीने से अधिक की अवधि की कैद द्वारा दंडनीय है।