आखिरी शेर में गुलमोहर की चर्चा हुई है। क्या उसका आशय एक खास तरह के फूलदार वृक्ष से है या उसमें कोई सांकेतिक अर्थ निहित है? समझाकर लिखें।
Question
आखिरी शेर में गुलमोहर की चर्चा हुई है। क्या उसका आशय एक खास तरह के फूलदार वृक्ष से है या उसमें कोई सांकेतिक अर्थ निहित है? समझाकर लिखें।
Solution
आखिरी शेर में गुलमोहर की चर्चा अवश्य हुई है। यह एक खास तरह के फूलदार वृक्ष होते हैं। मगर शायर ने इसका सांकेतिक अर्थ लिया है। इस वृक्ष को सौंदर्य तथा शांति का प्रतीक माना जाता है। यह मनुष्य को आज़ादी का अनुभव करवाता है। अतः आज़ादी इसका सांकेतिक अर्थ है।
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गुलमोहर के सांकेतिक अर्थ से शायर ने क्या सन्देश दिया है?
यह एक खास तरह के फूलदार वृक्ष होते हैं। मगर शायर ने इसका सांकेतिक अर्थ लिया है। इस वृक्ष को सौंदर्य तथा शांति का प्रतीक माना जाता है। यह मनुष्य को आज़ादी का अनुभव करवाता है।
गुलमोहर में क्या विद्यमान हैं?
संस्कृत में इसका नाम 'राज-आभरण' है, जिसका अर्थ राजसी आभूषणों से सजा हुआ वृक्ष है। गुलमोहर के फूलों से श्रीकृष्ण भगवान की प्रतिमा के मुकुट का श्रृंगार किया जाता है। इसलिए संस्कृत में इस वृक्ष को 'कृष्ण चूड' भी कहते हैं।
गुलमोहर किसका प्रतीक है?
गुलमोहर शांति और सुंदरता का प्रतीक है। इसके नीचे व्यक्ति को आजादी का अहसास होता है।
जिएँ तो अपने बगीचे में गुलमोहर के लिए इस पंक्ति में गुलमोहर में क्या अर्थ निहित है?
जिएँ तो अपने बगीचे में गुलमोहर के तले, मरें तो गैर की गलियों में गुलमोहर के लिए। गज़ल के साथ 1. आखिरी शेर में गुलमोहर की चर्चा हुई है। क्या उसका आशय एक खास तरह के फूलदार वृक्ष से है या उसमें कोई सांकेतिक अर्थ निहित है?