गणित के क्षेत्र में रामानुजन का योगदान - ganit ke kshetr mein raamaanujan ka yogadaan

क्यों मनाया जाता राष्ट्रीय गणित दिवस ? पढ़ें-गणित विषय में श्रीनिवास रामानुजन का योगदान

National Mathematics Day 2021 भारत में हर साल 22 दिसंबर को गणित दिवस मनाया जाता है। इस दिन भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का जन्म हुआ था। साल 2012 से भारत में इनके जन्मदिवस को राष्ट्रीय गणित दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

जागरण संवाददाता, धनबाद। राष्ट्रीय गणित दिवस ( (National Mathematics Day)। पूरे देश के साथ ही धनबाद में भी आज 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जा रहा है। यह दिवस भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन ( Srinivasa Ramanujan) के गणित विषय में योगदान को याद करने के लिए मनाते हैं। साल 2012 में 22 दिसंबर को पहली बार राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है। यह शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनोमोहन सिंह की पहल पर हुई।  साल 2012 में तात्कालिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाए जाने कि घोषणा की थी। भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन ने गणित विषय में काफी योगदान दिया है।

श्रीनिवास रामानुजन का परिचय

श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर, 1887 को चेन्नई में एक साधारण परिवार में हुआ था।  श्रीनिवास रामानुजन को गणित विषय काफी पसंद था और इस विषय में ये पूरे अंक लाते थे। कहा जाता है कि अन्य विषयों में ये फेल हो जाते थे लेकिन गणित विषय में पूरे अंक प्राप्त करते थे। ये अपना पूरा ध्यान केवल गणित पर ही देते थे। महज 12 साल की उम्र में उन्होंने त्रिकोणमिति में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था और कई थ्योरम का विकास भी किया था। इन्हीं के जन्म दिन को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

लंदन में जाकर गणित विषय में अपना योगदान दिया

श्रीनिवास रामानुजन को आगे की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप मिली थी। जिसके बाद अपनी आगे की शिक्षा के लिए ये लंदन चले गए थे और वहां जाकर उन्होंने गणित में काफी योगदान दिया। रामानुजन को निरंतर अंशों के लिए जाना जाता है। उन्होंने हाइपरमेट्रिक श्रृंखला, रीमैन श्रृंखला, जेटा फ़ंक्शन और अण्डाकार अभिन्न अंग के कार्यात्मक समीकरणों पर काम किया था।

अल्पआयु में हो गया निधन

श्रीनिवास रामानुजन का निधन महज 33 साल की आयु में हो गया था। ये टीबी रोग से ग्रस्त हो गए थे और 26अप्रैल 1920 को अपने जीवन की अंतिम सांस ली थी। श्रीनिवास रामानुजन के योगदानों को आज भी याद रखा गया है और गणित के क्षेत्र के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक पुरस्कार इनके नाम पर है। जिसका नाम रामानुजम प्राइज फॉर यंग मैथमेटिशियन अवॉर्ड है।

     श्रीनिवास नामानुजन के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

  • महान गण‍ितज्ञ श्रीन‍िवास रामानुजन का जन्‍म 22 दिसंबर 1887 को कोयंबटूर के ईरोड गांव के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनकी मां का नाम कोमलताम्‍मल और पिता का नाम श्रीनिवास अय्यंगर था। उनके जन्‍म के बाद पूरा परिवार कुंबाकोनम जाकर बस गया, जहां पिता श्रीनिवास एक कपड़े की दुकान में काम करने लगे। 
  • रामानुजन के बनाए हुए ढेरों ऐसे थियोरम हैं जो आज भी किसी पहेली से कम नहीं हैं। उनका एक पुराना रजिस्‍टर 1976 में ट्रिनीटी कॉलेज की लाइब्रेरी से मिला था, जिसमें थियोरम और कई फॉर्मूले थे। इस रजिस्‍टर के थियोरम की गुत्‍थी आज तक नहीं सुलझ पाई है। इस रजिस्‍टर को रामानुजन की नोट बुक के नाम से जाना जाता है।
  • रामानुजन को ईश्‍वर में अपार व‍िश्‍वास था. जब उनसे गण‍ित के फॉर्मूले की उत्‍पत्ति के बारे में पूछा जाता था तो वो कहते थे कि ईष्‍ट देवी नामगिरी देवी की कृपा से उन्‍हें यह फॉर्मूला सूझा. वे कहते थे, 'मेरे लिए गण‍ित के उस सूत्र का कोई मतलब नहीं जिससे मुझे आध्‍यात्‍मिक विचार न मिलते हों।
  • रामानुजन की बायोग्राफी 'द मैन हू न्‍यू इंफिनिटी' 1991 में पब्‍लिश हुई थी। इसी नाम से रामानुजन पर एक फिल्‍म भी बन चुकी है। इस फिल्‍म में एक्‍टर देव पटेल ने रामानुजन का किरदार निभाया है।

    रामानुजन आज भी न सिर्फ भारतीय बल्‍कि व‍िदेशी गण‍ितज्ञों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

  • शुरू में रामानुजन सामान्‍य बच्‍चों की तरह ही थे। यहां तक कि तीन साल की उम्र तक उन्‍होंने बोलना भी शुरू नहीं क‍िया था।  स्‍कूल में एडमिशन हुता तो पढ़ाने का घ‍िसा-पिटा अंदाज उन्‍हें बिलकुल भी नहीं भाया। हां, ये और बात है कि 10 साल की उम्र में उन्‍होंने प्राइमरी एग्‍जाम में पूरे जिले में टॉप किया। 15 साल की उम्र में वो 'ए सिनॉपसिस ऑफ एलिमेंट्री रिजल्‍ट्स इन प्‍योर एंड एप्‍लाइट मैथमेटिक्‍स' नाम की बेहद पुरानी किताब को पूरी तरह घोट कर पी गए थे। इस किताब में हजारों थियोरम थे। यह उनकी प्रतिभा का ही फल था कि उन्‍हें उन्‍हें आगे की पढ़ाई के लिए स्‍कॉलरश‍िप भी मिली। 
  • रामानुजन का मन सिर्फ मैथ्‍स में लगता था। उन्‍होंने दूसरे सब्‍जेक्‍ट्स की ओर ध्‍यान ही नहीं दिया। नतीजतन उन्‍हें पहले गवर्मेंट कॉलेज और बाद में यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास की स्‍कॉलरश‍िप गंवानी पड़ी। इन सबके बावजूद मैथ्‍स के प्रति उनका लगाव ज़रा भी कम नहीं हुआ। 1911 में इंडियन मैथमेटिकल सोसाइट के जर्नल में उनका 17 पन्‍नों का एक पेपर पब्‍लिश हुआ जो बर्नूली नंबरों पर आधारित था। 1912 में रामानुजन मद्रास पोर्ट ट्रस्‍ट में क्‍लर्क की नौकरी जरूर करने लगे थे लेकिन तब तक उनकी पहचान एक मेधावी गणितज्ञ के रूप में होने लगी थी।
  • इसी दौरान रामानुजन उस समय के विश्‍व प्रसिद्ध ब्रिटिश गण‍ितज्ञ जीएच हार्डी के काम के बारे में जानने लगे थे। 1913 में रामानुजन ने अपना कुछ काम पत्र के जरिए हार्डी के पास भेजा। शुरुआत में हार्डी ने उनके खतों को मजाक के तौर पर लिया, लेकिन जल्‍द ही उन्‍होंने उनकी प्रतिभा भांप ली। फिर क्‍या था हार्डी ने रामानुजन को पहले मद्रास यूनिवर्सिटी में और फिर कैंब्रिज में स्‍कॉलरशिप दिलाने में मदद की। हार्डी ने रामानुजन को अपने पास कैंब्रिज बुला लिया। हार्डी के सानिध्‍य में रामानुजन ने खुद के 20 रिसर्च पेपर पब्‍लिश किए। 1916 में रामानुजन को कैंब्रिज से बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री मिली और 1918 में वो रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन के सदस्‍य बन गए।
  • भारत गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था और ऐसे समय में किसी भारतीय को रॉयल सोसाइटी की सदस्‍यता मिलना बहुत बड़ी बात थी। रॉयल सोसाइटी के पूरे इतिहास में रामानुजन कम आयु का कोई सदस्य आज तक नहीं हुआ है। रॉयल सोसाइटी की सदस्यता के बाद वे ट्रिनीटी कॉलेज की फेलोशिप पाने वाले पहले भारतीय भी बने। 
  • रामानुजन कड़ी मेहनत कर रहे थे। ब्रिटेन का ठंड और नमी वाला मौसम उन्‍हें सूट नहीं कर रहा था। 1917 में उन्‍हें टीबी भी हो गया। स्‍वास्‍थ्‍य में थोड़े-बहुत सुधार के बाद 1919 में उनकी हालत बहुत ज्‍यादा खराब हो गई और वो भारत लौट आए। 26 अप्रैल 1920 को 32 साल की बेहद कम उम्र में उनका देहांत हो गया। बीमारी की हालत में भी उन्‍होंने मैथ्‍स से अपना नाता नहीं तोड़ा। बेड पर लेटे-लेटे वो थियोरम लिखते रहते थे. पूछने पर कहते थे कि थ‍ियोरम सपने में आए थे। 

Edited By: Mritunjay

गणित में रामानुजन का क्या योगदान है?

श्रीनिवास रामानुजन का परिचय ये अपना पूरा ध्यान केवल गणित पर ही देते थे। महज 12 साल की उम्र में उन्होंने त्रिकोणमिति में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था और कई थ्योरम का विकास भी किया था। इन्हीं के जन्म दिन को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाता है।

कौन से व्यक्ति की मुलाकात और दोस्ती गणितज्ञ एस रामानुजन से हुई?

इसी समय रामानुजन ने अपने संख्या सिद्धांत के कुछ सूत्र प्रोफेसर शेषू अय्यर को दिखाए तो उनका ध्यान लंदन के ही प्रोफेसर हार्डी की तरफ गया। प्रोफेसर हार्डी उस समय के विश्व के प्रसिद्ध गणितज्ञों में से एक थे।

दुनिया का सबसे बड़ा गणितज्ञ कौन है?

रामानुजन को आधुनिक काल के महानतम गणित विचारकों में गिना जाता है. उन्हें गणित में कोई खास प्रशिक्षण नहीं मिला फिर भी उन्होंने विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्रों में अपना गहन योगदान दिया. श्रीनिवाल ने अपने प्रतिभा और लगन से न केवल गणित के क्षेत्र में अद्भुत अविष्कार किए बल्कि भारत को अतुलनीय गौरव भी प्रदान किया.

भारत के सबसे महान गणितज्ञ कौन थे?

आर्यभट भारत में सबसे पहला गणितज्ञ आर्यभट को माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि 5वीं सदी में उन्होंने ही ये सिद्धांत दिया था कि धरती गोल है और सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है और ऐसा करने में उसे 365 दिन का वक्त लगता है. उनके नाम पर ही भारत के पहले उपग्रह का भी नाम रखा गया था.

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