गया श्राद्ध करने के बाद क्या करना चाहिए? - gaya shraaddh karane ke baad kya karana chaahie?

श्राद्ध से केवल अपनी तथा अपने पितरों की ही संतृप्ति नहीं होती, अपितु जो व्यक्ति) इस प्रकार विधिपूर्वक अपने धन के अनुरूप श्राद्ध करता है, वह ब्रह्मासे लेकर घासतक समस्त प्राणियोंको संतृप्त कर देता है l

यो$नेन विधिना श्राद्धं कुर्याद् वै शान्तमानसःl 

व्यपेतकल्मषो नित्यं याति नावर्तते पुनःll 

(हेमाद्रि में कूर्मपुराण का वचन)

जो शांत मन होकर विधिपूर्वक श्राद्ध करता है वह संपूर्ण पापों से मुक्त होकर जन्म-मृत्यु के बंधन से छूट जाता हैl 

कुछ लोगों में यह भ्रमात्मक प्रचार है कि गयाश्राद्ध के बाद वार्षिक श्राद्ध आदि करने की आवश्यकता नहीं है परन्तु यह विचार पूर्णतः गलत है। गयाश्राद्ध तो नित्य श्राद्ध है, इसे एक बार से अधिक भी गया जाकर किया जा सकता है। गया श्राद्ध करने के बाद भी घर में नित्य तर्पण, वार्षिक क्षयाह श्राद्ध तथा पितृ पक्ष के श्राद्ध आदि सभी श्राद्ध करना चाहिए, छोड़ने की आवश्यकता नहीं है। पितृदोष होने पर तो यह अनिवार्य नित्यकर्म तथा नैमित्तिक कर्म है।

श्राद्ध पक्ष में ये उपाय करें, पितृ देवों का मिलेगा आशीर्वाद

सबसे पहले भूलकर भी किसी का अपमान ना करें (वैसे करना भी नहीं चाहिए), ब्रहमचर्य का पालन करें, इर्ष्या-क्रोध-बुरे विचार मन में नहीं आने चाहिए।

पितृ देवो के आशीर्वाद के लिए सबसे अच्छा श्री गीता जी का पाठ होता है। किसी योग्य ब्राहमण-पंडित से करवाया जाए। पाठ ये कह कर रखवाया जाता है, कि हमारे पितृ देव जहां कहीं भी हो और जिस भी योनि में हो, उन्हें वहां पर शांति प्रदान हो और उनका आशीर्वाद हमारे परिवार को मिले। गीता पाठ का जो भी पुण्य फल है, वो हमारे पितृ देवो को मिले, फिर अमावस्या को इस पाठ का समापन होता है। हवन के साथ ब्राहमण देव जी को यथा शक्ति कपडे दिए जाते हैं। जो पितृ देवो के नाम से होते हैं। यथा शक्ति भोजन और दक्षिणा के साथ उनको विदाई दी जाती है। यह पाठ 3 दिन या 5 दिन या फिर 7 दिन में होता है।

यदि कोई गरीब है तो भी कोई बात नहीं। विष्णु पुराण के अनुसार दरिद्र व्यक्ति केवल मोटा अन्न, जंगली साग-पात-फल और न्यूनतम दक्षिणा, वह भी ना हो तो सात या आठ तिल अंजलि में जल के साथ लेकर ब्राह्मण को देना चाहिए या किसी गाय को दिन भर घास खिला देनी चाहिए अन्यथा हाथ उठाकर दिक्पालों और सूर्य से याचना करनी चाहिए कि हे! प्रभु मैंने हाथ वायु में फैला दिये हैं, मेरे पितर मेरी भक्ति से संतुष्ट हों।

पीपल की गंध, अक्षत, तिल व फूल चढ़ाकर पूजा करें, दूध या दूध मिला जल चढ़ाकर पीपल के नीचे एक गोघृत यानी गाय के घी का दीप जलाएं। दूध से बनी खीर का भोग लगाएं.. चंदन की माला से यह मंत्र की 5 माला कर विष्णु आरती करें – मंत्र {” ॐ ऐं पितृदोष शमनं हीं ॐ स्वधा”} आरती कर पीपल पूजा का जल घर में लाकर छिड़कें व प्रसाद घर-परिवार के सदस्यों को खिलाएं।

दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने दिवंगत पूर्वजों का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर उन्हें सम्मानित करना चाहिए।

अमावस्या के दिन अपने पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें और “ऊँ पितृभ्य: नम:” मंत्र का यथा संभव जाप करें, उसके बाद पितृ सूक्त का पाठ करना शुभ फल प्रदान करता है।

यथा संभव गौ ग्रास, कअवे, पक्षियों और कुत्ते को भोजन देना बहुत शुभ रहता है। किसी गरीब को भोजन तो बहुत ही शुभ है।

श्राद्ध के दिनों में माँस आदि का मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए. शराब तथा अंडे का भी त्याग करना चाहिए। सभी तामसिक वस्तुओं को सेवन छोड़ देना चाहिए और पराये अन्न से परहेज करना चाहिए।

ब्राह्मणों को गोदान, कुंए खुदवाना, पीपल तथा बरगद के पेड़ लगवाना, विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमदभागवत गीता का पाठ करना, पितरों के नाम पर अस्पताल, मंदिर, विद्यालय, धर्मशाला, आदि बनवाने से भी लाभ मिलता है।

पितृ देवो के नाम से भोजन बनाये और 5 भाग कर लें प्रत्येक भाग में जौ और तिल मिलाएं। प्रथम भाग गाय को खिलाएं, दूसरा भाग कौए को दें, तीसरा भाग बिल्ली को दें, चौथा भाग कुत्ते को खिलाएं, पांचवां हिस्सा सुनसान स्थान में रखकर आएं। लौटते समय पीछे मुड़कर नहीं देखें। घर वापस आने के बाद ब्रह्मणों को भोजन कराएं। भोजन में इस बात का ध्यान रखें कि जो वस्तुएं आपके पितरों को जीवित अवस्था में पसंद थीं उन वस्तुओं को अवश्य परोसें। अगर ब्रह्मण भोजन करवाने में आप असमर्थ हैं तो पितृपक्ष के 15 दिनों तक गाय को घास खिलाएं और पानी पिलाएं।

यह खास उपाय सोमवती अमावस्या को होता है, जो एक ही बार काफी है, फिर भी अगर 5 सोमवती अमावस्या किया जाए तो बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। ये उपाय संकल्प के साथ किया जाता है। सोमवती अमावस्या को (जिस अमावस्या को सोमवार हो) पास ही स्थित किसी पीपल के पेड़ के पास जाएं और उस पेड़ को एक जनेऊ दीजिये और एक जनेऊ भगवान विष्णु के नाम का उसी पीपल को दीजिये। पीपल के पेड़ और भगवान विष्णु की प्रार्थना कीजिये, फिर उस पीपल के पेड़ की एक सौ आठ परिक्रमा दीजिये। हर परिक्रमा के बाद एक मिठाई (जो भी आपके स्वच्छ रूप से हो, यदि नहीं भी हो तो बताशे ही अर्पित कर दें) पीपल को अर्पित कीजिये। परिक्रमा करते वक्त – “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करते जाइये। परिक्रमा पूरी करने के बाद फ़िर से पीपल के पेड़ और भगवान विष्णु की प्रार्थना कीजिये। उनसे जाने-अनजाने में हुए अपराधों के लिए क्षमा मांग लीजिए।

पितृ देवों के आशीर्वाद हेतु पिंड दान होता है। किसी योग्य पंडित जी से करवाए बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त होते है। वैसे गया सबसे उपयुक्त स्थान है।

Pitru Paksha 2022: पितृपक्ष यानि श्राद्ध का पक्ष चल रहा है. श्राद्धपक्ष 10 सितंबर 2022 से शुरू हो गया है और यह 25 सितंबर तक चलेगा. हमारे परिजन अपनी देह का त्याग कर इस दुनिया से विदा हो जाते हैं, उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृपक्ष के इन दिनों में श्राद्ध-तर्पण कर्म किये जायेंगे. लेकिन इस दौरान पितर की श्राद्ध तिथि के दिन शास्त्रों में कुछ नियमों का पालन करना भी जरूरी माना गया है. पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध कौन कर सकता है. जिससे श्राद्ध का उद्देश्य पूरा हो सके. किसके निमित्त कौन कर सकता है.

Pitru Paksha: गयाजी में किस बेटे को श्राद्ध करने का हैं अधिकार

हिन्दू धर्म के मरणोपरांत संस्कारों को पूरा करने के लिए पुत्र का प्रमुख स्थान माना गया है. शास्त्रों में लिखा है कि नरक से मुक्ति पुत्र द्वारा ही मिलती है. इसलिए पुत्र को ही श्राद्ध, पिंडदान का अधिकारी माना गया है. पितृपक्ष में पितर को नरक से रक्षा करने वाले पुत्र की कामना हर मनुष्य करता है. इसलिए यहां जानते हैं कि शास्त्रों के अनुसार पुत्र न होने पर कौन-कौन श्राद्ध का अधिकारी हो सकता है. आइए जानते है गयाजी में कौ

गया में पिंडदान करने के बाद घर में क्या करना चाहिए?

शास्त्रानुसार गया में श्राद्ध करने के उपरांत भी अपने पितरों के निमित्त तर्पण व ब्राह्मण भोजन बंद नहीं करना चाहिए, केवल उनके निमित्त 'धूप' छोड़ना बंद करना चाहिएगया श्राद्ध के उपरांत ब्रह्मकपाली में श्राद्ध किया जाना चाहिए

गया करने के बाद क्या करना चाहिए?

श्राद्ध पक्ष में पितरों के किए तर्पण, पूजन करने से पितृ दोष खत्म हो जाता है। यह भी भ्रामक प्रचार किया जाता है कि कि गया में पूर्वजों का श्राद्ध करने के बाद कोई श्राद्ध करने की आवश्यकता नहीं रहती है।

गया जाने से पहले घर में क्या करना चाहिए?

भोजन व पिण्ड दान-- पितरों के निमित्त ब्राह्मणों को भोजन दिया जाता है..
श्राद्धकर्म में गाय का घी, दूध या दही काम में लेना चाहिए। ... .
श्राद्ध में चांदी के बर्तनों का उपयोग व दान पुण्यदायक तो है ही राक्षसों का नाश करने वाला भी माना गया है।.

गया जी कब जाना चाहिए?

गया जी कब जाना चाहिए? पुराणों के अनुसार पितरों के लिए खास आश्विन माह के कृष्ण पक्ष या पितृपक्ष में मोक्षधाम गयाजी आकर पिंडदान एवं तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और माता-पिता समेत सात पीढ़ियों का उद्धार होता है। पितृ पक्ष पर गया जी में अपने पितरों का पिंड दान करते लोग।

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