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जब पहली बार हिचकी आती है तो अक्सर लोगों के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है. दूसरी बार हिचकी आने पर लोग इसे मजाक में लेते हैं लेकिन जब ये लगातार आने लगती है तो परेशानी का सबब बन जाती है. पर क्या आप जानते हैं कि आखिर हिचकी आती क्यों है और ये किस बात का संकेत देती है. आइए जानते हैं इसके बारे में.
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हिचकी आपके शरीर के सबसे निचले हिस्से डायाफ्राम से आनी शुरू होती है. ये फेफड़ों और पेट के बीच गुंबद के आकार की मांसपेशियां होती हैं. आमतौर पर, जब आप सांस लेते हैं तो डायाफ्राम इसे नीचे की तरफ खींचता है. सांस छोड़ने पर ये वापस आराम की स्थिति में आ जाता है.
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डायाफ्राम एक तय तरीके से अपना काम करता है लेकिन जब इसे कोई दिक्कत महसूस होती है तो इसमें ऐंठन होने लगती है. इसकी वजह से हवा गले में अचानक रुक जाती है जिससे आवाज निकलने में दिक्कत होती है. वोकल कॉर्ड में अचानक आई इस रुकावट से 'हिच' जैसी आवाज बाहर निकलती है.
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हिचकी क्यों आती है- हिचकी आने की कई वजहें हो सकती हैं, इसमें कुछ शारीरिक होती हैं तो कुछ मानसिक. ऐसा इसलिए होता है कि तंत्रिका में आई दिक्कत दिमाग और डायाफ्राम से जुड़ी है. बहुत ज्यादा और जल्दी खाने की वजह से भी हिचकी आती है. ज्यादा नर्वस या उत्साहित होने, कार्बोनेटेड ड्रिंक या बहुत अधिक शराब पीने से भी हिचकी आती है. तनाव, तापमान में अचानक बदलाव
या फिर कैंडी-च्युइंग गम चबाते समय मुंह में हवा भर जाने की वजह से भी हिचकी आती है.
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लंबे समय तक रहने वाली हिचकी- आमतौर पर हिचकी बस थोड़े समय के लिए आती है और अपने आप ठीक हो जाती है लेकिन कभी-कभी ये ज्यादा देर तक भी आ सकती है. ऐसा डायाफ्राम से जुड़ी नसों को पहुंचे नुकसान की वजह से होता है. कान की दिक्कत से लेकर गले में खराश आने जैसी चीजें डायाफ्राम की नसों को प्रभावित करती हैं.
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लंबे समय तक रहने वाली हिचकी नर्वस सिस्टम के डिसऑर्डर से भी जुड़ी हो सकती है. जैसे कि एन्सेफलाइटिस, मैनिंजाइटिस, मेटाबॉलिक डिसऑर्डर, डायबिटीज या फिर किडनी फेलियर. स्टेरॉयड या ट्रैंक्विलाइजर जैसी कुछ दवाओं की वजह से भी हिचकी लंबे समय तक रह जाती है.
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हिचकी को कैसे रोकें- हिचकी को रोकने के कई घरेलू नुस्खे बताए जाते हैं लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि सांस को थोड़ी देर तक रोक कर रखने से हिचकी से आराम मिल सकता है. इसके अलावा, पेपर बैग में सांस लेने से भी हिचकी रुक जाती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ये दोनों तकनीकें फेफड़ों में कार्बन डाइऑक्साइड बनाती हैं, जिससे डायाफ्राम को आराम
मिलता है.
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कब करें डॉक्टर से संपर्क- अगर आपको 2 दिनों से अधिक समय से हिचकी आ रही हो, या फिर हिचकी की वजह से आपको खाने, सांस लेने या फिर सोने में दिक्कत हो रही हो, हिचकी की वजह से आपकी परेशानी बहुत बढ़ गई तो आपको डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए. इसके अलावा अगर आपको किसी भी तरह का पेट दर्द, बुखार, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी या खांसी के साथ खून आता हो तो इसके
बारे में भी तुरंत अपने डॉक्टर को बताएं.
बार-बार हिचकी आने से हैं परेशान; तो जानें- क्यों होती है समस्या, वैज्ञानिकों ने बताए ये कारण
अमेरिकन अकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियन के डॉ. जॉन कुलेन ने कहा कि हिचकी सबको आती है लेकिन फिर भी इसकी बारे में लोगों को स्पष्ट जानकारी नहीं है।
वाशिंगटन, द न्यूयॉर्क टाइम्स। अक्सर खाना खाते या जोर से हंसने के दौरान हमें हिचकी आ ही जाती है। हिचकी आना बहुत आम बात है। इसको लेकर कई तरह की बातें सुनने को मिलती है। कुछ कहते हैं कि किसी के याद करने पर हिचकी आती है तो कुछ मानते हैं कि किसी का कुछ चुराकर खाने से हिचकी आती है। क्या वाकई में यही कारण हैं या ये सिर्फ लोगों के बीच फैली भ्रांति है? वैज्ञानिकों की माने तो यह सिर्फ भ्रांति ही है। हिचकी का संबंध किसी के याद करने से नहीं, बल्कि सांस से जुड़ा है।
अमेरिकन अकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियन के डॉ. जॉन कुलेन ने कहा, ' हिचकी सबको आती है लेकिन फिर भी इसकी बारे में लोगों को स्पष्ट जानकारी नहीं है। दरअसल, जिन चीजों को खतरा नहीं माना जाता है, उनपर ज्यादा अध्ययन भी नहीं होता है।'
आखिर क्यों आती है हिचकी ?
पेट व फेफड़े के बीच स्थित डायाफ्राम और पसलियों की मांसपेशी में संकुचन हिचकी आने की प्रमुख वजह है। डायाफ्राम के सिकुड़न से फेफड़ा तेजी से हवा खींचने लगता है, इसी के चलते व्यक्ति को हिचकी आती है। इसके अलावा हिचकी आने का एक कारण पेट से भी जुड़ा है। खाना खाने या गैस के चलते पेट बहुत ज्यादा भरा हो तो उससे भी हिचकी आती है। वैज्ञानिकों की माने तो पाचन या श्वास नली में अत्यधिक हलचल व गड़बड़ी से व्यक्ति को हिचकी आ सकती है। गर्म या तीखा
खाना खाने, जल्दी-जल्दी खाने से भी हिचकी आती है। बहुत जोर से हंसने के चलते भी डायाफ्राम में संकुचन हो जाता है, जिससे हिचकी आ सकती है।
एक मिनट में चार से 60 बार तक आ सकती है हिचकी
आमतौर पर बच्चों को हिचकी ज्यादा आती है। उम्र बढ़ने के साथ हिचकी का आना कम जरूर होता है, लेकिन बंद नहीं होता है। जिस तरह लोगों के छींकने का
तरीका अलग होता है, उसी प्रकार सबको हिचकी भी अलग-अलग तरीके से आती है। एक मिनट में व्यक्ति को चार से 60 बार तक हिचकी आ सकती है। आयोवा के रहने वाले चार्ल्स ऑसबोर्न को लगातार 68 वर्ष तक हिचकी आई थी। इसके लिए उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है।
बीमारी का भी हो सकता है संकेत
सामान्यत : हिचकी कुछ मिनट या घंटे में ही खत्म हो जाती है। हालांकि, हिचकी यदि कई दिन या हफ्ते तक जारी रहे तो यह गंभीर समस्या हो सकती है। अमेरिका में हर साल हिचकी से होने वाली परेशानी के
कारण चार हजार लोग अस्पताल में भर्ती होते हैं। तनाव, बेचैनी आदि के कारण भी हिचकी आ सकती है। इसके अलावा निमोनिया, मस्तिष्क व पेट के ट्यूमर, पार्किसन, डायबिटीज और किडनी की बीमारियों के कारण भी हिचकी आ सकती है।
मां के गर्भ से शुरू हो जाती है हिचकी
व्यक्ति को मां के गर्भ से हिचकी आना शुरू हो जाता है। डॉ. कुलेन ने कहा,
'कई बार अल्ट्रासाउंड के दौरान 17 या 18 हफ्ते के भ्रूण को हिचकी आते देखा जा सकता है। आमतौर में भ्रूण में फेफड़े के विकसित होने की वजह से हिचकी आना शुरू हो जाती है।
हिचकी रोकने में कारगर है घरेलू नुस्खे
पेट के डॉक्टर स्कॉट गबार्ड कहते हैं कि हिचकी का कारण पता हो तो उसका इलाज भी आसान हो जाता। इसके अलावा घरेलू नुस्खे जैसे चीनी या पानी आदि से भी हिचकी रोकी जा सकती है। अगर हिचकी कई घंटों तक नहीं रुके तो डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
Edited By: Dhyanendra Singh