हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ आवाज उठाई - heera aur motee ne shoshan ke khilaaph aavaaj uthaee

Question

हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ़ आवाज़ उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही। हीरा-मोती की इस प्रतिक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें।

Solution

हीरा और मोती पर बहुत अत्याचार किए गए, उनका शोषण किया गया। परन्तु हीरा और मोती ने इसे चुपचाप सहने के बजाए इसके विरुद्ध आवाज़ उठाई, भले ही इसके लिए उन्हें प्रताड़ना सहनी पड़ी तथा बहुत कष्टों का सामना भी करना पड़ा।

अपने मालिक पर अगाध स्नेह होने के बावजूद उन्हें गया अपने साथ ले गया। यह उन्हें मंजूर नहीं था। परन्तु फिर भी अपने मालिक के लिए वे गया के साथ जाने को तैयार हो जाते हैं। गया का व्यवहार उनके प्रति कुछ ठीक नहीं था। वो उन्हें दिन-दिन भर भूखा रखता तथा सख्ती से पूरा काम करवाता था। पशुओं के प्रति मनुष्य का यह व्यवहार अनुचित है। सहनशक्ति भी एक हद तक जवाब दे जाती है। हीरा और मोती के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उनके असंतोष ने भी विद्रोह का रुप ले लिया। ऐसा होना स्वाभाविक है।


हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ़ आवाज़ उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही। हीरा-मोती की इस प्रतिक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें।

हीरा और मोती शोषण के विरुद्ध हैं वे हर शोषण के विरुद्ध आवाज़ उठाते रहे। हालाँकि इसके लिए उन्हें प्रताड़ना सहनी पड़ी तथा बहुत कष्टो का सामना भी करना पड़ा। उन्होंने झूरी के साले गया का विरोध किया तो सूखी रोटियाँ और डंडे खाए फिर काँजीहौस में अन्याय का विरोध किया और बंधन में पड़े। मेरे विचार से उन्होंने शोषण का विरोध करके ठीक किया क्योंकि शोषित होकर जीने का क्या लाभ। शोषित को भय और यातना के सिवा कुछ प्राप्त नहीं होता। सहन शक्ति भी हद तक जवाब दे जाती है।

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रचना के आधार पर वाक्य के भेद बताइए तथा उपवाक्य छाँटकर उसके भी भेद लिखिए -
दीवार का गिरना था कि अधमरे-से-पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे।

यहाँ संयुक्त वाक्य है तथा संज्ञा उपवाक्य है।

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प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति रूढ़ अर्थ 'मूर्ख' का प्रयोग न कर किसी नए अर्थ की ओर संकेत किया है?

इस कहानी में लेखक ने गधे की सरलता और सहनशीलता की ओर हमारा ध्यान खींचा है। गधे को स्वभाव के कारण मूर्खता का पर्याय समझा जाता है। आमतौर पर हम गधे के लिए मूर्ख शब्द का प्रयोग करते हैं परन्तु उसके स्वभाव में सरलता और सहनशीलता भी देखने को मिलती है। गधा ही एक एक मात्र ऐसा प्राणी है जो सब अत्याचार चुपचाप सेहन कर लेता है। फिर भी कभी उसके चेहरे पर अन्याय के प्रति असंतोष नज़र नही आता। प्रेमचंद ने स्वयं कहा है - सदगुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा। कदाचित सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं है। कहानी में भी उन्हों ने सीधेपन की दुर्दशा दिखलाई है, मूर्खता की नहीं।

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रचना के आधार पर वाक्य के भेद बताइए तथा उपवाक्य छाँटकर उसके भी भेद लिखिए -
सहसा एक दढ़ियल आदमी, जिसकी आँखे लाल थी और मुद्रा अत्यन्त कठोर, आया।

यहाँ मिश्र वाक्य है, विशेषण उपवाक्य है।

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कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभरकर आए हैं?

इस कहानी के माध्यम से निम्नलिखित नीति विषयक मूल्य उभरकर सामने आए हैं :
1 विपत्ति के समय हमेशा मित्र की सहायता करनी चाहिए।
2. सच्चे मित्र मुसीबत के समय एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ता है ।
3. आजादी के लिए हमेशा सजग एवं संघर्षशील रहना चाहिए।
4. समाज के सुखी-संपन्न लोगों को भी आज़ादी की लड़ाई में योगदान देना चाहिए।
5. अपने समुदाय के लिए अपने हितो का त्याग करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
6. आज़ादी बहुत बड़ा मूल्य है। इसे पाने के लिए मनुष्य को बड़े-से-बड़ा कष्ट उठाने को तैयार रहना चाहिए।

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छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया?

छोटी बच्ची का बैलों के प्रति प्रेम उमड़ने के निम्नलिखित कारण हैं -
1. छोटी बच्ची की माँ मर चुकी थी। वह माँ के बिछुड़ने का दर्द जानती थी। उसे लगा कि वे भी उसी की तरह अभागे हैं और अपने मालिक से दूर हैं।
2. छोटी बच्ची को उसकी सौतेली माँ सताती थी, यहाँ हीरा-मोती पर अत्याचार कर रहा था ।

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Abhishek Mishra

हीरा और मोती शोषण के विरुद्ध हैं। वे हर शोषण के विरुद्ध आवाज़ उठाते रहे हैं। उन्होंने झूरी के साले गयी का विरोध किया तो सूखी रोटियाँ खाई तथा डंडे खाए। फिर कॉजीहौस में अन्याय का विरोध किया तो बंधन में पड़े। उन्हें भूखे रहना पड़ा। प्रतिक्रिया-मेरा विचार है कि हीरा और मोती का यह कदम बिल्कुल ठीक था। यदि वे कोई प्रतिक्रिया न करते तो उनका खूब शोषण होता। उन्हें गिड़गिड़ाकर, मन मारकर अपने मालिक की गुलामी करनी पड़ती। वे अपने दर्द को व्यक्त भी न कर पाते। परंतु अपना विद्रोह प्रकट करके उन्होंने मालिक को सावधान कर दिया कि उनका अधिक शोषण नहीं किया जा सकता। मार खाने के बदले उन्होंने मालिक के मन में भय तो उत्पन्न कर ही दिया।

कैसे कहा जा सकता है कि हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ आवाज उठाई?

हीरा और मोती पर बहुत अत्याचार किए गए, उनका शोषण किया गया। परन्तु हीरा और मोती ने इसे चुपचाप सहने के बजाए इसके विरुद्ध आवाज़ उठाई, भले ही इसके लिए उन्हें प्रताड़ना सहनी पड़ी तथा बहुत कष्टों का सामना भी करना पड़ा। अपने मालिक पर अगाध स्नेह होने के बावजूद उन्हें गया अपने साथ ले गया। यह उन्हें मंजूर नहीं था।

हीरा और मोती गया का विरोध क्यों कर रहे थे?

उत्तर : ( ग ) वह हीरा - मोती के व्यवहार से बहुत दुखी था । उत्तर : हीरा और मोती हमेशा ही शोषण का विरोध करते रहते थे । भले ही इसके लिए उन्हें सजा भुगतनी पड़ी हो । उन्होंने गया का विरोध किया जिसके लिए उन्हें सूखी रोटियाँ तथा डंडे खाने पड़े।

हीरा और मोती को कहाँ बंद कर दिया गया था?

मटर खाते समय मोती के पकड़े जाने पर हीरा भी वापस आ गया और दोनों ही कांजीहौस में बंदी बनाए गए। कांजीहौस की दीवार गिराते समय हीरा को मोटी रस्सियों में बाँध दिया गया

हीरा और मोती ने मिलकर युद्ध किया और साँड को पराजित कर दिया इससे क्या संदेश मिलता है?

दोनों ने सांड का डट के मुकाबला किया और उसे झाख्मी कर क्र भागने पर मजबूर कर दिया. इससे यह सन्देश मिलता है की एकता में बल होता है. अगर हम एक के रहें तो हमसे ताकतवर शत्रु भि हमारा कुछ बिगड़ नहीं सकता.

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