हार्ट की कौन कौन सी जांच होती है - haart kee kaun kaun see jaanch hotee hai

पहले लगता था कि भारतीय अपनी जींस के कारण दिल की बीमारियों का ज्यादा शिकार होते हैं. अब एक नई खोज से ये बात भी सामने आई है कि हमारी खराब लाइफस्टाइल भी हमें दिल का मरीज बना रही है और विदेशियों के मुकाबले भारतीयों में इसका खतरा 5-6 गुना ज्यादा है.

इस खोज से सिर्फ एक ब्लड टेस्ट के जरिए ये पता लग सकता है कि आपकी आर्टरी में रुकावट होनी शुरू हो गई है और आने वाले समय में आपको हार्ट अटैक का खतरा हो सकता है. गंगाराम अस्पताल में हुई एक स्टडी में ये तमाम बातें सामने आई हैं जिसे आईसीएमआर ने फंड किया है.

नई खोज से शरीर में दो ऐसी चीजों का पता चला है जिसके ज्यादा मात्रा में होने का मतलब है कोरोनरी आर्टरी में जबरदस्त रुकावट और हार्ट अटैक का पूरा खतरा.

शरीर में दो बायोमार्कर सीसटेटिन सी और स्माल डेंस का पता चला है जिसकी ज्यादा मात्रा का सीधा संबंध कोरोनरी आर्टरी में रुकावट से है. गंगाराम अस्पताल के डॉ. रजनीश के अनुसार ये खोज युवाओं में बढ़ती कोरोनरी आर्टरी में रुकावट की बीमारी को जल्द से जल्द पहचानने में मदद करेगी. इन दो बायोमार्कर से पता चलेगा कि यदि शरीर में ये बढ़ रहे हैं तो सावधान होने की जरूरत है, जल्दी बचाव और इलाज की जरूरत है.

आंकड़ें बताते हैं कि विदेशियों के मुकाबले भारतीयों में कोरोनरी आर्टरी की बीमारी 5 से 6 गुना ज्यादा है और पहले जहां 45 से 55 साल में कोरोनरी में रुकावट देखी जाती थी अब ये उम्र घटकर 25 से 35 साल रह गई है. महानगरों के युवाओं में ये तीन गुना ज्यादा है.

तीन साल की स्टडी में 22 से 45 साल के लोगों का चयन किया गया. 204 लोगों की कोरोनरी में 50 फीसदी तक रुकावट थी जबकि 161 लोग बिल्कुल स्वस्थ थे. कोरोनरी आर्टरी में रुकावट से जूझ रहे लोगों में दो बायोमार्कर्स बड़ी मात्रा में थे जबकि स्वस्थ लोगों में उनकी मात्रा काफी कम या ना के बराबर थी.

डॉक्टरों को इन बायोमार्कर्स की पहचान से काफी उम्मीद जगी है. उनके मुताबिक कम उम्र में यदि शरीर में ये पहचान लिए जाएं तो कोलेस्ट्रोल की मात्रा कंट्रोल की जा सकती है. लाइफस्टाइल में सुधार हो सकता है, और कम उम्र में हार्ट अटैक के खतरे को कम किया जा सकता है. अहम बात ये है कि बड़े ही आसान टेस्ट से इन मार्कर्स का पता किया जा सकता है. ये खोज वास्तव में बढ़ते हार्ट के मरीजों की संख्या को कम करने के लिए एक अहम भूमिका निभा सकती है. जरूरत बस सही समय पर इसका इस्तेमाल करने की है.

डीएनए हिंदी: हार्ट डिजीज से अब कम उम्र में भी लोगों की मौत होने लगी है. खराब होती लाइफस्टाइल और एक्सरसाइज न करने की आदत हाई कोलेस्ट्रॉैल और बीपी जैसी परेशानियों का कारण बन​ती है और ये दोनों ही बीमारियां हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट का कारण बनती हैं. कई बार हार्ट अटैक के संकेत शरीर को 24 घंटे पहले से मिलने लगते हैं, लेकिन इसे सामान्य समझने की भूल ही भारी पडती है.

यदि आपके सीने में दर्द महसूस हो रहा या आप दिल से संबंधित परेशानियों से जूझ रहे तो आपको अपने दिल का हाल जानने के लिए 6 तरह के टेस्ट तुंरत कराने चाहिए. अगर आपकी उम्र 40 प्लस है तो भी आपको इन 6 टेस्ट को समय—समय पर कराते रहना चाहिए ता​कि आपको अपने दिल का हाल पता चल सके.

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हार्ट की हेल्थ का इन टेस्ट से चलेगा पता

1. Blood Test से मिलेगा अंदर का हाल 
हार्ट के अंदर का हाल जानने के लिए आपको कुछ खास ब्लड टेस्ट कराने चाहिए. ब्लड टेस्ट से मांसपेशियों के क्षतिग्रस्त होने से लेकर कोलेस्ट्रॉल और शुगर आदि सबका पता चल सकेगा. ब्लड टेस्ट से शरीर में सोडियम, कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, विटामिन और मिनरल्स आदि की अधिकता या कमी को आसानी से जाना जा सकता है. कोलेस्ट्राल, विटामिन डी, बी के साथ ही शुगर की जांच जरूर करानी चाहिए.

2. इको टेस्ट

हार्ट के हेल्थ का पता इको टेस्ट भी किया जा सकता है. इको टेस्ट को इकोकार्डियोग्राम भी कहा जाता है. इको एक तरह का अल्ट्रासाउंड होता है जिससे धड़कने और हार्ट के पंप करने को मापा जाता है.इको टेस्ट से ध्वनि तरंगों से हार्ट के अंदर की तस्वीरों को देखा जा सकता है. ये हार्ट में होने वाली छोटे सी दिक्कत को भी बता देता है.

3. कार्डियक सीटी स्कैन
कार्डियक सीटी स्कैन हार्ट और चेस्ट के चारों तरफ की स्थितियों के बारे में बताता है. एक्स-रे ट्यूब हार्ट के आसपास के तस्वीरों को लेती है और इसे देखकर हार्ट ​के बारे में बहुत कुछ पता चलता है.

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4. चेस्ट एक्स-रे
सांस लेने से संबंधित कोई दिक्कत होने पर चेस्ट एक्स-रे करवाना चाहिए. चेस्ट एक्स-रे करवाने से चेस्ट, हृदय की तस्वीरों को देखा जाता है और सांस की तकलीफ की असली वजह का पता चल पाता है. चेस्ट एक्स-रे को कम रेडिएशन के साथ किया जाता है.

5. ईसीजी
ईसीजी हृदय की जांच करने के लिए एक सबसे आसान टेस्ट है. इस टेस्ट के दौरान व्यक्ति को कोई परेशानी या दिक्कत महसूस नहीं होती है. ईसीजी के जरिए हृदय के इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को रिकॉर्ड किया जा सकता है. इसमें पता चलता है कि हृदय सही से कार्य कर रहा है या नहीं.

6. हॉल्टर मॉनिटरिंग
हॉल्टर मॉनिटरिंग टेस्ट करने से हृदय के चलने की गति का पता लगाया जा सकता है. यह टेस्ट अकसर तब किया जाता है, जब ईसीजी के बाद कोई तकलीफ नजर नहीं आती है. इस टेस्ट को पोर्टेबल ईसीजी डिवाइस की मदद से किया जाता है. इस टेस्ट में व्यक्ति को 24 से 72 घंटे तक इस डिवाइस को पहनकर रखना होता है.

सीने में दर्द या सांस लेने में अगर आपको दिक्कत है तो आपको इन टेस्ट को जरूर करना चाहिए.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।) 

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हार्ट के लिए कौन सा टेस्ट करना चाहिए?

इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम.
छाती का एक्स – रे.
इकोकार्डियोग्राम.
कोरोनरी एंजियोग्राफी.

ECG से क्या पता चलता है?

इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम(Electrocardiogram/ECG) आपके हार्ट की लय(rhythm) तथा विद्युतीय क्रियाओं को जांचने का एक सामान्य टेस्ट है। त्वचा से जुड़े संवेदकों(Sensors) का प्रयोग आपके हृदय के हर बार धड़कने से उत्पन्न विद्युतीय संकेतों का पता लगाने के लिए किया जाता है।

हार्ट ब्लॉकेज के लिए क्या टेस्ट करना चाहिए?

हार्ट के ब्लॉकेज को जाँचने के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (electro cardiogram) यानि ईसीजी टेस्ट किया जाता है।

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