ईर्ष्या का अनोखा वरदान क्या है? - eershya ka anokha varadaan kya hai?

Q.170: गद्यांश में से नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

ईर्ष्या का यही अनोखा वरदान है। जिस मनुष्य के हृदय में ईर्ष्या घर बना लेती है, वह उन चीजों से आनन्द नहीं उठाता जो उसके पास मौजूद हैं, बल्कि उन वस्तुओं से दुःख उठाता है जो दूसरों के पास हैं। वह अपनी तुलना दूसरों के साथ करता है और इस तुलना में अपने पक्ष के सभी अभाव उसके हृदय पर दंश मारते रहते हैं। दंश के इस दाह को भोगना कोई अच्छी बात नहीं है।

मगर, ईर्ष्यालु मनुष्य करे भी तो क्या? आदत से लाचार होकर उसे यह वेदना भोगनी पड़ती है।

(i) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।

(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

(iii) लेखक ने ईर्ष्या को अनोखा वरदान क्यों कहा है ?

उत्तर :

(i) सन्दर्भ : उपर्युक्त गद्यांश रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित निबंध 'ईर्ष्या तू न गई मेने मन से' से है |


(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या : ईर्ष्यालु मनुष्य दूसरों की अच्छाइयों तथा उपलब्धियों को देखकर जलते रहते हैं और अपने पास उपलब्ध वस्तुओं का आनन्द नहीं ले पाते हैं, और दुखी जीवन बिताते हैं |

(iii) लेखक ने ईर्ष्या को अनोखा वरदान कहा है क्योंकि : वरदान से लेखक का तात्पर्य अभिशाप से है जिसका सही अर्थ है  ईर्ष्यालु मनुष्य, ईर्ष्या से जलते रहता है और अपने संशाधानो का सुख भी नहीं भोग पाता |

ईर्ष्या का अनोखा वरदान क्या है और क्यों?

ईर्ष्या का अनोखा वरदान यह है कि ईष्र्यालु व्यक्ति उन वस्तुओं से आनन्द नहीं उठाता जो उसके पास हैं, वरन् वह उन वस्तुओं से दु:ख उठाता है, जो दूसरों के पास हैं। ईष्र्यालु व्यक्ति को ईर्ष्या के कारण उन वस्तुओं से आनन्द नहीं मिलता जो उसके पास हैं वरन् वह उन वस्तुओं से दु:ख उठाता है, जो दूसरों के पास हैं।

अपने मन से ईर्ष्या का भाव निकालने के लिए क्या करना चाहिए?

उत्तर– अपनेमनसेईर्ष्या काभावनिकालने केलिएसर्वप्रथम हमेंमानसिकअनुशासन रखनाचाहिए। हमें फालतू बातोंकेबारेमेंसोचनेकीआदतछोड़देनीचाहिए। जिस अभाव केकारणहमेंईर्ष्या होतीहै, वैसेअभावकीपूर्तिकारचनात्मक तरीकाअपनानेकाप्रयासकरनाचाहिए। जब हमारे भीतरकीजिज्ञासा प्रबलहोगीतबस्वत: ईर्ष्या करनेकीप्रवृत्ति घटनेलगेगी।

4 ईर्ष्या का क्या काम है ईर्ष्या से प्रभावित व्यक्ति किसके समान है?

यह मनुष्य की बुराईयों को बहार लाने का काम करतीं है। ईर्ष्या से युक्त मनुष्य हमेशा ही दुखी रहता है , वह अपने सुख को न देखकर दूसरे के सुख को देखकर दुखी रहता है। ईर्ष्या से युक्त व्यक्ति बुराईयों की की तरफ आसानी से आकर्षित होकर बुराइयों में लिप्त हो जाता है। इस प्रकार ईर्ष्या मनुष्य को जानवर के सामान बना देती है।

ईर्ष्यालु व्यक्ति दुखी क्यों होता है?

यह सुरक्षा की भावना की कमी से निकलती है। ईर्ष्या स्नेह के मौजूद न होने के कारण होता हैईर्ष्यालु बच्चा, एक प्यार के साथी के बीच उसकी / उसके रिश्ते में असुरक्षित महसूस करता है, और प्यार और स्नेह को खोने का डर होता है

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