कुंभ राशि के जातकों के लिए सत्ताधारी ग्रहों में शनि और यूरेनस है। कुंभ राशि के लोग अक्सर एक सामाजिक कार्यों के लिए अपने जीवन को लगाने के साथ प्रगतिशील भी होते हैं और हमेशा सच बोलना पसंद करते हैं। कुंभ राशि के जातकों के लिए भाग्यशाली रत्न है नीलम। नीलम रत्न संबंधों, विशेषताओं और व्यवसाय को बहुत तरीकों से प्रभावित करने के साथ यह रत्न व्यक्ति के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों गणों को प्रभावित भी करता है। साथ ही इसके पहनने से भाग्य उद होने लगता है।
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कुंभ राशि के पुरुषों के लिए नीलम के अलावा अन्य रत्न गार्नेट और जैस्पर भी लाभकारी होते हैं, जो रहस्यवादी तरीके से कुंभ राशि के पुरुषों को प्रभावित करते रहते हैं। लेकिन नीलम रत्न कुंभ राशि के पुरुषों को यूरेनस के सत्तारूढ़ ग्रह से प्रभावी ढंग से ऊर्जा लेने में मदद करता है। जब एक बार कुंभ राशि के पुरुष नीलम रत्न को पहनते हैं तो यूरेनस ग्रह उनका दोस्त बन जाता है और उनके जीवन में आपने वाली समस्त बाधाओं को खत्म करने लगता है। नीलम रत्न कुंभ राशि वाले पुरुष के शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक प्रकृति को बदलने के लिए जाना जाता है।
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ऐसे पहने इस रत्न को
नीलन रत्न को
सोने की अंगूठी में ही पहना जाता है, जिससे शीघ्र लाभ मिलने लगता है-
मंत्र- ऊँ शं शनैश्चराय नम:।
इस मंत्र का जप पहले 1100 बार लाल चंदन या मोती की माला से जप करके अंगूठी को सिद्ध करके पहने।
इस मंत्र का 51 बार उच्चारण करते हुए पहने- मंत्र- ऊँ ब्रम ब्रिम ब्रह्माह बुद्धया नम:।
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रुद्राक्ष को हिन्दू शास्त्रों में बहुत ज्यादा पवित्र माना जाता है। रूद्र और अक्ष इन दो शब्दों से मिलकर रुद्राक्ष शब्द बना है। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि शिव के आंसुओं से ही रुद्राक्ष के पेड़ की उत्पत्ति हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि अगर रुद्राक्ष राशि के अनुसार के हिसाब से धारण किया जाए तो यह हमारे जीवन में बहुत परिवर्तन लाता है।
हिंदू शास्त्र में रुद्राक्ष को बहुत महत्वपूर्ण और पवित्र माना गया है। इसे स्वयं भगवान शिव के अश्रुओं के रूप में पूजा जाता है। रुद्र और अक्ष जैसे दो शब्दों से मिलकर बना रुद्राक्ष शब्द बहुत शक्तिशाली होता है। मान्यता है कि शिव के अश्रुओं से ही रुद्राक्ष के वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी।
राशि रुद्राक्ष
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार प्रत्येक राशि का एक स्वामी ग्रह है और उस ग्रह से एक रुद्राक्ष संबंधित है। अगर कोई व्यक्ति अपनी राशि अनुसार रुद्राक्ष धारण करता है तो उसे इसके दोगुने फल प्राप्त होते हैं।
लग्न के अनुसार रुद्राक्ष
आज हम आपको लग्न राशि के अनुसार रुद्राक्ष धारण करने के बारे में बता रहे हैं। अगर आप अपनी लग्न राशि के आधार पर रुद्राक्ष को धारण करेंगें तो आपके जीवन के सारे कष्ट और विपत्तियां दूर हो जाएंगीं।
मेष राशि का रुद्राक्ष
मेष राशि का स्वामी मंगल होता है और मंगल साहस और वीरता का कारक है। साथ ही मंगल के प्रभाव में जातक अडियल और गुस्सैल भी बन जाता है। मेष राशि के जातकों को तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ होगा।
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वृषभ राशि का रुद्राक्ष
अपने लक्ष्य को पाने के लिए वृषभ राशि के लोग बहुत मेहनत करते हैं। वृषभ राशि का स्वामी शुक्र देव हैं और ये भौतिक सुख और ऐश्वर्य प्रदान करते हैं। इस राशि के लोगों को 6 मुखी और दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ होता है।
मिथुन राशि का रुद्राक्ष
मिथुन राशि का स्वामी बुध है और बुध को बुद्धि का कारक माना जाता है। मिथुन राशि के लोग परिवर्तन और गतिशील स्वभाव के होते हैं। मिथुन राशि के जातकों को सफलता और धन की प्राप्ति के लिए 4 मुखी और 11 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
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कर्क राशि का रुद्राक्ष
कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा होता है जोकि मन का कारक है। चंद्रमा मन को स्थिरता प्रदान करता है। ये लोग अपने कार्यों को पूरी निपुणता से करते हैं और इसीलिए इन्हें उसमें सफलता भी मिलती है। कर्क राशि के लोगों को 4 मुखी और गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करने से लाभ होगा।
सिंह राशि का रुद्राक्ष
सिंह राशि का स्वामी सूर्य देव हैं। सूर्य को सफलता का कारक माना जाता है और जिस पर सूर्य देव की कृपा पड़ गई उसे जीवन में कभी भी असफलता का सामना नहीं करना पड़ता है। सिंह राशि के जातकों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
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कन्या राशि का रुद्राक्ष
कन्या राशि का स्वामी भी बुध ग्रह है। बुध के शुभ प्रभाव में जातक बुद्धिमान बनता है और उसके द्वारा लिए गए सभी निर्णय सही साबित होते हैं। कन्या राशि के जातकों को गौरीशंकर रुद्राक्ष धारण करने से सबसे ज्यादा लाभ होता है।
तुला राशि का रुद्राक्ष
तुला राशि के लोग हर निर्णय से पूर्व बहुत सोच-विचार करते हैं। इस राशि का स्वामी शुक्र है जोकि जीवन में भौतिक सुख प्रदान करते हैं। तुला राशि के जातकों को सात मुखी रुद्राक्ष और गणेश रुद्राक्ष पहनने से सर्वसुख की प्राप्ति होगी।
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वृश्चिक राशि का रुद्राक्ष
वृश्चिक राशि के लोग बहुत बुद्धिमान होते हैं। इस राशि का स्वामी मंगल ग्रह है जोकि बहुत आक्रामक माना जाता है लेकिन इस राशि के लोगों के स्वभाव में आक्रामकता कम ही देखने को मिलती है। वृश्चिक राशि के लोगों को 8 मुखी और 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
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धनु राशि का रुद्राक्ष
धनु राशि का स्वामी बृहस्पति है। इस राशि के लोग साहसी और उग्र स्वभाव के होते हैं। जीवन की विपत्तियों को टालने के लिए धनु राशि के जातकों को 9 मुखी और 1 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए।
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मकर राशि का रुद्राक्ष
मकर राशि का स्वामी शनि देव हैं और कहते हैं कि जिस पर शनि देव की कृपा हो जाए उसके वारे न्यारे हो जाते हैं अर्थात् उसके सारे बिगड़े काम बन जाते हैं। मकर राशि के जातकों को अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए 13 और 10 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए।
कुंभ राशि का रुद्राक्ष
कुंभ राशि पर भी शनि देव की कृपा बरसती है। कुंभ राशि के लोग बहुत ऊंचे और बड़े सपने देखते हैं लेकिन ये उन सपनों को पूरा करने का दम भी रखते हैं। इस राशि के जातकों के लिए 7 मुखी रुद्राक्ष बहुत फायदेमंद रहता है।
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मीन राशि का रुद्राक्ष
मीन राशि का स्वामी बृहस्पति है। इस राशि के जातकों का स्वास्थ्य अकसर खराब रहता है। मीन राशि के जातकों को 5 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए।
किस धागे में पहनें रुद्राक्ष
वैसे तो आप रुद्राक्ष को किसी भी रंग के धागे में पहन सकते हैं लेकिन इसे लाल रंग के रेशमी धागे में पहनना सबसे अधिक शुभ माना जाता है।
रुद्राक्ष पहनने के नियम
- कलाई, गले या ह्रदय पर रुद्राक्ष को धारण किया जा सकता है।
- सबसे बेहतर रुद्राक्ष को गले में पहनना चाहिए। कलाई में 12, गले में 36 और ह्रदय पर 108 दानों का रुद्राक्ष पहनना चाहिए।
- लाल धागे में एक दाना रुद्राक्ष का ह्रदय तक पहन सकते हैं।
- सावन, शिवरात्रि और सोमवार के दिन रुद्राक्ष पहनना सबसे उत्तम रहता है। रुद्राक्ष पहनने से पहले उसे शिव जी को समर्पित करना चाहिए।
- रुद्राक्ष की माला से मंत्र जाप करना सर्वश्रेष्ठ फलदायक रहता है।
- रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को सात्विक जीवन का पालन करना चाहिए। आचरण शुद्ध ना रखने पर धारण कर्ता को इसका पूर्ण लाभ नहीं मिल पाता है।
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