कबीर के अनुसार ईश्वर प्राप्ति का आधार क्या है? - kabeer ke anusaar eeshvar praapti ka aadhaar kya hai?

कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है?

कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है। उनके अनुसार ईश्वर न मंदिर में है, न मस्जिद में; न काबा में हैं, न कैलाश आदि तीर्थ यात्रा में; वह न कर्म करने में मिलता है, न योग साधना से, न वैरागी बनने से। ये सब उपरी दिखावे हैं, ढोंग हैं। इनमें मन लगाना व्यर्थ है। कबीर ने आडम्बर युक्त भक्ति करके ईश्वर प्राप्ति की इच्छा करना इन सभी प्रचलित मान्यताओं का खंडन किया है।

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'मानसरोवर' से कवि का क्या आशय है?

मानसरोवर से कवि का अभिप्राय हृदय रूपी तालाब से है, जो हमारे मन में स्थित है।

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इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है?

कबीर के अनुसार सच्चा संत वही कहलाता है जो साम्प्रदायिक भेदभाव, सांसारिक मोह माया से दूर, सभी स्तिथियों में समभाव (सुख दुःख, लाभ-हानि, ऊँच-नीच, अच्छा-बुरा) तथा निष्पक्ष भाव से ईश्वर की आराधना करता है।

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तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्त्व दिया है?

तीसरे दोहे में कवि ने अनुभव से प्राप्त ज्ञान को महत्त्व दिया है। वह ज्ञान जो सहजता से सुलभ हो हमें उसी ज्ञान की साधना करनी चाहिए। 

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अंतिम दो दोहों के माध्यम से से कबीर ने किस तरह की संकीर्णता की ओर संकेत किया है?

अंतिम दो दोहों में दो तरह की संकीर्णता की ओर संकेत किया है -
1. अपने-अपने मत को श्रेष्ठ मानने की संकीर्णता और दूसरे के धर्म की निंदा करने की संकीर्णता।
2. ऊँचे कुल के गर्व में जीने की संकीर्णता। मनुष्य केवल ऊँचे कुल में जन्म लेने से बड़ा नहीं होता वह बड़ा बनता है तो अपने अच्छे कर्मों से।

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कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है?

कवि के अनुसार सच्चे प्रेम की कसौटी भक्त की ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति से है। क्योंकि सच्चा प्रेमी ईश्वर के अलावा किसी से कोई मोह नहीं रखता है। उससे मिलने पर मन की सारी मलिनता नष्ट हो जाती है। पाप धुल जाते हैं और सदभावनाएँ जाग्रत हो जाती है।

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Question

कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है?

Solution

कबीर ने समाज द्वारा ईश्वर-प्राप्ति के लिए किए गए प्रयत्नों का खंडन किया है। वे इस प्रकार हैं -

(1) कबीरदास जी के अनुसार ईश्वर की प्राप्ति मंदिर या मस्जिद में जाकर नहीं होती।

(2) ईश्वर प्राप्ति के लिए कठिन साधना की आवश्यकता नहीं है।

(3) कबीर ने मूर्ति-पूजा जैसे बाह्य-आडम्बर का खंडन किया है। कबीर ईश्वर को निराकार ब्रह्म मानते थे।

(4) कबीर ने ईश्वर की प्राप्ति के लिए योग-वैराग (सन्यास) जीवन का विरोध किया है।


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कबीर जी के अनुसार ईश्वर की प्राप्ति कैसे हो सकता है?

उत्तर:- कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए प्रचलित विश्वास जैसे मंदिर, मस्जिद में जाकर पूजा अर्चना करना या नमाज पढ़ना अथवा योग, वैराग्य जैसी क्रियाएँ, पवित्र तीर्थ स्थलों की यात्रा करना,आडम्बर युक्त भक्ति करके ईश्वर प्राप्ति की इच्छा करना इन सभी प्रचलित मान्यताओं का खंडन किया है

कबीर के अनुसार परमात्मा है?

उत्तरः- कबीर परमात्मा के अद्वैत स्वरूप में आस्था रखते थे और वह स्वरूप निर्गुण निराकार ईश्वर का है। प्रश्न 2. कबीर ने किन लोगों को नरक का अधिकारी माना है? उत्तरः- कबीर ने उन लोगों को नरक का अधिकारी माना है जो लोग परमात्मा को एक नहीं, दो मानते हैं।

ईश्वर प्राप्ति का प्रमुख आधार क्या है?

ईश्वर प्राप्ति के केवल तीन मार्ग कर्म, ज्ञान और भक्ति या उपासना ही हैं।

कबीर के अनुसार भगवान?

कबीर के अनुसार भगवान का वास शरीर में ही था । किंतु भगवान क' वास शरीर में नहीं होता है । वह युग में किसी एक शरीर के माध्यम से अवतरित होता है.।.
वेद में उसे "जगतप्रसवकर्ता" अर्थात संसार को पैदा करनेवाला कहा गया है। ... .

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