नई दिल्लीः गांवों में पशुओं का दूध कच्चा ही पीने का चलन है और लोग इसे फायदेमंद माना जाता है, वहीं पिछले कुछ समय से बकरी के कच्चे दूध को डेंगू की कारगर दवा बताकर प्रचारित किया जा रहा है और शहरों में भी लोग इसका सेवन कर रहे हैं, लेकिन इन सबके विपरीत विशेषज्ञ कहते हैं कि बिना उबाले किसी भी पशु के दूध का सेवन करना नुकसानदेह है और इससे ब्रूसेलोसिस जैसी बीमारी भी हो सकती है जिसका ट्रीटमेंट नहीं होने पर ये जानलेवा साबित हो सकती है.
एक मामला आया है सामने- हाल ही में मेदांता-मेडिसिटी गुड़गांव में इस तरह का मामला सामने आया जहां आये एक बुजुर्ग रोगी को पिछले करीब दो महीने से सांस लेने में दिक्कत और बार-बार बुखार की समस्या थी. ब्लड कल्चर की जांच में ब्रूसेलोसिस का पता चला जो पशुओं से होने वाला बैक्टीरियल इंफेक्शन है. डॉक्टरों ने जब कारणों की पड़ताल की तो पता चला कि वह नियमित बकरी का कच्चा दूध पीते थे और आम तौर पर पशुओं में पाये जाने वाला घातक बैक्टीरिया उनके शरीर में आ गया.
क्या कहते हैं डॉक्टर- मेदांता की इंटरनल मेडिसिन की निदेशक डॉ. सुशीला कटारिया ने बताया कि गांवों में आज भी कच्चा दूध पीने का चलन है और लोग इसे इम्यून सिस्टम स्ट्रांग करने वाला मानकर इसका नियमित सेवन करते हैं. इस समय डेंगू के रोगियों को भी दवा के रूप में बकरी का कच्चा दूध पीने की सलाह दी जाती है. लेकिन इन सब मामलों में बकरी के कच्चे दूध से होने वाले लाभों की डॉक्टसर्स ने पुष्टि नहीं की है.
जानलेवा हो सकता है ब्रूसेला बैक्टीरिया- जानवरों का कच्चा दूध बहुत घातक है जिसके माध्यम से मानव शरीर में ब्रूसेला बैक्टीरिया आ जाता है और सही समय पर इसकी पहचान और इसका उपचार नहीं होने पर यह जानलेवा भी हो सकता है.
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ब्रूसेलोसिस के लक्षण- ब्रूसेलोसिस के आम लक्षणों में लंबे समय तक बुखार होता है जो कई महीनों तक भी रह सकता है. इनके अलावा अन्य लक्षणों में कमजोरी, सिर में दर्द और जोड़ों, मांसपेशियों और कमर का दर्द शामिल है. लेकिन कई मामलों में बुखार को सामान्य मान लिया जाता है और जांच में रोग का पता नहीं चल पाता.
पशुओं में क्यों पाया जाता है ये बैक्टीरिया- सही हाइजीन आदि का ख्याल नहीं रखने पर पशु इस तरह के बैक्टीरिया के इंफेक्शन के शिकार हो जाते हैं और ऐसा नहीं है कि बार-बार दूध पीने से ही इंफेक्शन होने की आशंका रहती है, बल्कि मनुष्य को एक बार भी दूध बिना उबाले पीने पर इंफेक्शन का जोखिम होता है.
पनीर और आइसक्रीम भी उबले दूध की खाएं- पनीर और आइसक्रीम जैसे उत्पाद भी दूध को उबलने तक गर्म करके नहीं बनाये जाते तो ब्रूसेलोसिस का खतरा होता है. कच्चे दूध से बनी आइसक्रीम का सेवन करने वाले एक व्यक्ति को ब्रूसेलोसिस का इंफेक्शन होने का मामला सामने आ चुका है.
ब्रूसेलोसिस का हो सकता है इलाज- डॉ. कटारिया ने कहा कि बीमारी का पता चलने पर इसका इलाज हो सकता है और छह सप्ताह तक दवाइयां लेनी होती हैं. सामान्य ब्लड रिपोर्ट में इसका पता चलने की संभावना कम होती है. विशेष रूप से जांच करानी होती है.
कुछ अध्ययनों में भी उबले दूध की तुलना में कच्चे दूध का सेवन नुकसानदायक बताया गया है. ऐसे में डा. सलाह देते हैं कि दूध का इस्तेमाल उबालकर ही करना चाहिए.
नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.
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कच्चा दूध कैसा होता है?
बिना पाश्चुरीकृत दूध ही कच्चा दूध कहलाता है। जानवर से प्राप्त दूध को बच्चे को पिलाने से पहले निश्चित तापमान तक उबालने की आवश्यकता होती है। ऐसा कहा जाता है कि स्टेरलाइजेशन की प्रक्रिया प्रतिरक्षा कारकों जैसे प्रमुख तत्वों को समाप्त कर देती है। जैसे- विटामिन, मिनरल और प्रोटीन। हालांकि, दूध को उबालकर पिया जाए यही बेहतर होता है।
कच्चे दूध के पोषक तत्व तत्व
दूध में मौजूद पोषक तत्व इन बातों पर निर्भर करते हैं, जैसे - नस्ल, प्रजाति, दूध निकालने का चरण इत्यादि।
गाय के दूध में पोषक तत्व-
- कैलोरी - 67 ग्राम
- पानी - 87.5%
- प्रोटीन - 3.2 ग्राम
- कार्बोहाइड्रेट - 4.4 ग्राम
- चीनी - 5.1 ग्राम
- वसा - 4. ग्राम
- ओमेगा 3 फैटी एसिड्स - 0.08g
- ओमेगा 6 - 0.12g
बच्चे को कच्चा दूध पिलाने के क्या फायदे हैं?
डॉक्टर्स के अनुसार, कच्चा दूध बहुत सारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए सहायक हो सकता है, क्योंकि इसमें बहुत से पोषक तत्व मौजूद होते हैं। हालांकि, पूरी दुनिया में अनेकों शोध करने के बावजूद इस बात की पुष्टि पूर्ण रूप से नहीं हुई है कि कच्चा दूध सेहत के लिए अच्छा है।
बच्चों को कच्चा दूध देने के जोखिम क्या हैं?
बच्चों को कच्चा दूध पिलाने के कुछ फायदे जरूर हैं लेकिन इसके जोखिम भी हैं, जैसे- कच्चे दूध में लिस्टेरिया, साल्मोनेला और ई.कोली जैसे बैक्टीरिया होते हैं, जो कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चे के स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकते हैं।
कच्चे दूध का सेवन गंभीर खाद्य जनित बीमारी उत्पन्न कर सकता है जो कई बार गंभीर स्वास्थ्य स्थिति का कारण बन सकता है। गाय के दूध से एलर्जी कम बच्चों में ही पाई जाती है।
इससे होममेड फार्मूला बना सकते हैं?
कच्चे दूध से फार्मूला बच्चों के लिए तब बनाया जाता ,है जब मां का दूध उनके लिए पर्याप्त मात्रा में नहीं उत्पन्न हो पाता। पोषक तत्वों से भरपूर फार्मूला को बनाने के लिए कच्चे दूध के साथ अन्य सामग्री, जैसे- लेक्टोस, घर पर बना हुआ मट्ठा, स्वास्थ्यवर्धक तेल और जिलेटिन की आवश्यकता होती है।
अगर आप गाय के दूध के बदले कोई और दूध से फॉर्मूला तैयार करना चाहते हैं तो बकरी का दूध दूसरा विकल्प हो सकता है। लेकिन क्या बकरी का दूध बच्चे के लिए सुरक्षित होता है? इसमें भरपूर मात्रा में वसा होता है लेकिन फोलेट की मात्रा कम होती है, साथ ही विटामिन B12, विटामिन डी और आयरन जैसे आवश्यक तत्व भी इसमें कम पाए जाते हैं जो बच्चे के विकास में मददगार होते हैं।
लेकिन बात की जाए अगर फार्मूला बनाने की, तो बेहतर है कि बकरी के दूध का इस्तेमाल ना करें, क्योंकि यह बच्चे के स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है।
कच्चे दूध के अन्य उपयोग
कच्चा दूध त्वचा के लिए बहुत ही अच्छा होता है और यह किसी भी प्रकार की एलर्जी को दूर करता है।
जिन लोगों को लेक्टोज इनटोलरेंस की समस्या है, उनके लिए भी कच्चा दूध बेहतर विकल्प होता है।
कच्चा दूध रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। कच्चे दूध में विटामिन, मिनरल, प्रोटीन जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो शरीर के विकास में मददगार होते हैं, और पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाते हैं।
बच्चे को कच्चा दूध पिलाना हर पेरेंट्स के लिए बहुत ही बड़ा चिंता का विषय है, लेकिन बेहतर है कि बच्चे को पका हुआ दूध या पाश्चराइज्ड मिल्क पिलाएं ताकि बच्चे की सेहत को कोई भी नुकसान ना पहुंचे।
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