किडनी की बिमारियों में एक महत्वपूर्ण बीमारी है किडनी में सूजन। यह वह क्षति होती है जो अगर थोड़ी ज्यादा हो जाए तो स्थिति जीवन के लिए खतरनाक हो सकती है। किडनी हमारे शरीर के विषाक्त और बेकार पदार्थों को छानकर पेशाब के माध्यम से बाहर निकालने के साथ-साथ शरीर में पानी और तरल पदार्थों का संतुलन बनाए रखती है। दुनिया में इस समय अनगिनत लोग हैं जो किडनी की समस्याओं से लड़ रहें हैं। वास्तव में किडनी है ही शरीर का महत्वपूर्ण अंग जिसमें थोड़ी सी भी क्षति होने से सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है।
किडनी में सूजन की जब हम बात करते हैं तो उसके मुख्य तौर पर इसके दो कारण हो सकते हैं- हाइड्रोनेफ्रोसिस (hydronephrosis) जिसका वर्णन हम अपने पिछले लेख में कर चुके हैं। व दूसरा ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस (Glomerulonephritis), किडनी की सूजन के इस कारण के बारे में जानिए इस लेख में-
किडनी से संबंधित बहुत सी बीमारियाँ हैं जो हमारे रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित करती हैं। इन्हीं बीमारियों में से एक है किडनी की सूजन, जिसे विज्ञान की भाषा में ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस (Glomerulonephritis) या nephritis या GN भी कहते हैं।
क्या होती है किडनी में सूजन या ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस (Glomerulonephritis)
किडनी में रक्त को साफ करने और बेकार पदार्थों को पेशाब के माध्यम से बाहर निकालने का काम ग्लोमेरूली नामक इकाई करती है। ग्लोमेरूली छोटी-छोटी रक्त वाहिकाओं से बना एक गुच्छानुमा संरचना होती है जो पदार्थों तो छानने और जरूरत से ज्यादा पानी को और इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बनाने का काम करती है।
किडनी में सूजन यानि ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस में हमारी किडनी की इसी महत्वपूर्ण संरचना ग्लोमेरूली में सूजन (Inflammation of glomeruli) आ जाती है। इससे किडनी की कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसका असर हमारे स्वास्थ्य पर दिखना शुरु हो जाता है। ग्लोमेरूली के क्षतिग्रस्त होते ही किडनी काम करना बंद कर देती है, जिसके परिणामस्वरूप किडनी की विफलता हो सकती है।
किडनी की सूजन (ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस) एक गंभीर बीमारी है जो समय पर इलाज न हो पाने के कारण जीवन के लिए खतरा बन जाती है। ग्लोमेरूलोनेफ्राटिस अल्पकालीन और दीर्घकालीन दोनों ही तरह की हो सकती है। इसके अलावा यह किसी अन्य बीमारी की आड़ में भी पैदा हो जाती है जैसे- ल्यूपस या मधुमेह (lupus or diabetes)।
क्या होते हैं किडनी में सूजन या ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस (GN) के कारण
अल्पकालीन और दीर्घकालीन किडनी की सूजन (ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस) होने के कारण लगभग समान होते हैं। इनमें कई तरह के कारण हो सकते हैं जैसे वंशानुगत या फिर अज्ञात। इनके अलावा किडनी की सूजन (ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस) के मुख्य कारण हैं-
- पॉलीआर्थराइटिस नोडोसा (polyarteritis nodosa)जैसी एक बीमारी जिसमें कोशिकाएं (cells) धमनियों पर हमला करती हैं।
- गले की खराश जो स्ट्रेप्टोकोकी (streptococci) बैक्टीरिया के कारण हाती है 2 या 3 हफ्तों में GN बन सकती है।
- इनके अलावा कुछ Goodpasture syndrome जैसे ऑटोइम्यून रोग जिनके इलाज के दौरान शरीर में बनने वाले एंटीबॉडी मुख्य तौर पर किडनी और फेफड़ों को नुकसान पहुँचा कर किडनी में सूजन का कारण बन सकते हैं।
- ल्यूपस (Lupus), आईजीए नेफ्रोपैथी (IGA nephropathy) , जैसे कारक GN का महत्वपूर्ण कारण हैं।
- अमाइलॉइडोसिस (amyloidosis) जैसी समस्या जिसमे असामान्य प्रोटीन मरीज के अंगों में जाकर उनके ऊतकों को नुकसान पहुँचाता है।
- ग्रैनुलोमैटोसिस (granulomatosis) जैसी बीमारी जिसके कारण रक्त वाहिकाओं में सूजन आ जाती है।
- इतिहास में कैंसर जैसी बीमारी हुई हो।
क्या होते हैं किडनी में सूजन ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस (GN) के लक्षण
अल्पकालीन और दीर्घकालीन किडनी की सूजन (ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस) के लक्षण सामान्य तौर पर अलग-अलग होते हैं। अल्पकालीन किडनी की सूजन के सामान्य लक्षण हैं-
- चेहरे पर सूजन दिखाई देना
- पहले की अपेक्षा पेशाब में कमी आ जाना
- युरिन में रक्त आना या पेशाब का रंग बदलकर कोला जैसा हो जाना
- फेफड़ों में पानी भर जाने से खांसी आना
- उच्च रक्त-चाप (high blood pressure)
- किडनी की विफलता (kidney failure)
दीर्घकालीन किडनी की सूजन (ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस) के लक्षण धीमी गति से पनपते हैं, जिसके कारण इन्हें सामने आने में बहुत समय लग जाता है। जब अल्पकालीन किडनी की सूजन का पता न लग पाए या उसका इलाज न कराया जाए तो वह दीर्घकालीन किडनी की सूजन बन जाती है।। दीर्घकालीन ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस के सामान्य लक्षण हैं-
- मूत्र में ज्यादा प्रोटीन और खून का आना जो मूत्र परीक्षण की जाँच में आता है।
- उच्च रक्त-चाप (high blood pressure)
- पैरों और चेहरे पर सूजन आना
- रात के समय सामान्य से ज्यादा पेशाब आना
किडनी में सूजन (ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस) के इलाज
प्रत्येक मरीज दूसरे से अलग होता है ऐसा में जाहिर है कि उसकी बीमारी, गंभीरता और स्वास्थ्य स्थिति दूसरे मरीज से अलग होती है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर विशेषज्ञ मरीज का इलाज सुनिश्चित करता है। मरीज के लिए जरूरी है कि किसी और मरीज के इलाज को खुद की समस्या से न जोड़े और विशेषज्ञ से अपना इलाज कराए।
किडनी की सूजन (ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस) का इलाज आपके मामले के प्रकार, कारण और गंभीरता पर निर्भर करता है। निम्नलिखित बातें किडनी की सूजन में दिये जाने वाले इलाज की रूपरेखा मात्र हैं।
इलाज साथ ही आपका इलाज इन स्थितियों पर निर्भर करता है-आपकी किडनी की सूजन (ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस) अल्पकालीन और दीर्घकालीन हो।
- कोई अंतर्निहित बीमारी या अन्य कारण
- रोग की गंभीरता
ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस के इलाज में सबसे पहले रक्तचाप को नियंत्रित करना होता है, क्योंकि यह इस बीमारी का अंतर्निहित कारण है। हालांकि इसे उस समय नियंत्रित करना बहुत मुश्किल हो जाता है जब मरीज की किडनी काम न कर रही हों। ऐसे मामले में विशेषज्ञ मरीज को कैप्टोप्रिल, लिसिनोप्रिल (जेस्ट्रिल), पेरिंडोप्रिल (ऐसोन) जैसी दवाएँ दे सकता है।
अगर मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होते हुए बीमारी से नहीं लड़ पा रही है या फिर प्रतिरक्षा प्रणाली उल्टा आपकी किडनी पर प्रहार कर रही है तो विशेषज्ञ मरीज को कॉर्टिकोस्टेरॉइड जैसी दवाओं के साथ प्रतिरक्षा को दबानेवाली दवाएँ (immunosuppressive) लेने की सलाह भी दे सकता है। ये दवाएँ प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को कम करती है।
इलाज के साथ-साथ आपको आहार संबंधी सलाह भी दी जा सकती है। अगर मरीज को दीर्धकालीन किडनी की सूजन (ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस) है तो विशेषज्ञ मरीज को आहार में प्रोटीन, नमक और पोटेशियम की मात्रा को कम करने की सलाह दे सकता है। साथ ही तरल पदार्थ लेने और कैल्शियम की मात्रा में बढ़ोत्तरी करने को कहा जा सकता है।
अगर मरीज का ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस बढ़कर किडनी की विफलता का संकेत दे रही है तो ऐसा हो सकता है कि विशेषज्ञ मरीज को डालिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की सलाह दे। इसके अलावा डायलिसिस को ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस में इलाज के दौरान भी इस्तेमाल किया जा सकता है।