किस व्यंजक में तीन अचर और दो चर हैं? - kis vyanjak mein teen achar aur do char hain?

हेल्पर का आज का क्वेश्चन है आपका बहू पर सेवर शंकरा की एक बीजिए व्यंजक जिसमें चरखी घाटों के अनेक पदों उन्हें क्या कहते हैं ठीक है बीच में मिलना है किस में क्या कहते हैं ठीक है भाई को स्टार्ट करते एक बंजी भंजक जिसमें चार के बहुत सारे घातक ठीक है हमारी तरह मारा माना चाहे हमारा क्या एक से माना 41 से ठीक है यहां पर अभी पूरा भर ले लेंगे फिर क्या भाई एक सीधा तेल होगा फिर भी एहतियात एंड माइनस का एक होगा सीएसई हाथ एंड माइनस कर दो होगा आपका डी एक्स माइनस 3 होगा इसी प्रकार से घाटे हमारी घटती जाएंगी वह का अंत में हमें अचर पद मिलेगा जो क्या हुआ हमारा आचार्य परिवार के साथ जो यहां पर हो जाएगा ठीक है अब भी हाथ है क्या हुआ हमारे कई पर का मतलब है नो 87 प्रकाश में कुछ भी हो सकता एबीसी हमारे क्या गुण हैं आपके हाथों के अब यह क्या होते हमें किमान चेंज होते रहते हैं में कहा है कि अगर हमारी पूर्ण संख्या होगी

भाई क्या पूर्ण संख्या है तो यह क्या कहलाएंगे हमारी बहू पर क्या लाएंगे ठीक है इसमें क्या राखी 11 बीजिए व्यंजक जिसमें चार के घाटों को आने के बाद है जिसमें लिए एक पर एक पति कहते हैं दोपहर 3:00 परिपथ के बहुत सारे पद हेतु पद यात्रियों का मारा भगवत

व्यंजक में कितने चर होते हैं?

जैसा कि आप जानते हैं व्यंजकों का निर्माण चरों एवं अचरों की सहायता से होता है। व्यंजक को चर एवं अचरों 2 तथा 5 से बनाया गया है। व्यंजक को चरों तथा एवं अचरों 4 तथा 7 से बनाया गया है।

1 निम्नलिखित व्यंजकों में कौन कौन एक चर में बहुपद हैं और कौन कौन नहीं हैं कारण के?

(degree of the polynomial) कहा जाता है । अतः बहुपद 3x2 - 4x + x + 9 की घात 7 और बहुपद 5y° – 4y2 - 6 की घात 6 है। एक शून्येतर अचर बहुपद की घात शून्य होती है।

व्यंजक में चर क्या है?

1 स्कूल गणित में चर और अचर x वतंत्र चर है और उस समुच्चय के किसी भी मान के लिए मौजूद हो सकता है जिसके लिए व्यंजक परिभाषित किया गया है। इस उदाहरण में इसका अर्थ है कि वह कोई भी पूर्णांक हो सकता है। y को आश्रित चर के रूप में वर्णित किया जाता है। वह आश्रित होता है क्योंकि उसका मान x के मान पर निर्भर करता है

व्यंजक 4x 2 3xy में पद 4x2 के गुणनखंड क्या हैं?

समान पद समान-चरों से बनते हैं तथा इन चरों की घातें भी समान होती हैं। परंतु समान पदों के गुणांक समान होना आवश्यक नहीं है। अनेक स्थितियों में, हमें बीजीय व्यंजकों को गुणा करने की आवश्यकता पड़ती है, जैसे कि आयत, त्रिभुज आदि के क्षेत्रफल ज्ञात करने में । दो बीजीय व्यंजकों का गुणनफल पुनः एक बीजीय व्यंजक होता है।

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