किसानों का विद्रोह करने का प्रमुख कारण क्या था? - kisaanon ka vidroh karane ka pramukh kaaran kya tha?

बंगाल में नील के एक कारखाने का दृष्य (१८६७)

उत्तर चौबीस परगना जिले के मङ्गलगञ्ज की नीलकुठि (नील का कारखाना)

नील विद्रोह किसानों द्वारा किया गया एक आन्दोलन था जो बंगाल के किसानों द्वारा सन् 1859 में किया गया था। किन्तु इस विद्रोह की जड़ें आधी शताब्दी पुरानी थीं, अर्थात् नील कृषि अधिनियम (indigo plantation act) का पारित होना। इस विद्रोह के आरम्भ में नदिया जिले के किसानों ने 1859 के फरवरी-मार्च में नील का एक भी बीज बोने से मना कर दिया। यह आन्दोलन पूरी तरह से अहिंसक था तथा इसमें भारत के हिन्दू और मुसलमान दोनो ने बराबर का हिस्सा लिया। सन् 1860 तक बंगाल में नील की खेती लगभग ठप पड़ गई। सन् 1860 में इसके लिए एक आयोग गठित किया गया।

बीसवीं शताब्दी में[संपादित करें]

बिहार के बेतिया और मोतिहारी में 1905-08 तक उग्र विद्रोह हुआ। ब्लूम्सफिल्ड नामक अंग्रेज की हत्या कर दी गई जो कारखाने का प्रबन्धक था। अन्ततः 1917-18 में गांधीजी के नेतृत्व में चम्पारन सत्याग्रह हुआ जिसके फलस्वरूप 'तिनकठिया' नामक जबरन नील की खेती कराने की प्रथा समाप्त हुई। 'तिनकठिया' के अन्तर्गत किसानों को 3/20 (बीस कट्ठा में तीन कट्ठा) भूभाग पर नील की खेती करनी पड़ती थी जो जमींदारों द्वारा जबरदस्ती थोपी गई थी।

'नील विद्रोह (चंपारन विद्रोह)— सर्वप्रथम यह विद्रोह बंगाल 1859—61 में शुरू हुआ था, पूर्व में भी इस विद्रोह को भारतीयों द्वारा कुचल दिया गया था। जब गांधी जी ने चंपारन विद्रोह किया तो पाया कि वहां के किसानों को ब्रिटिश सरकार जबरन 15 प्रतिशत भूभाग पर नील की खेती करने के लिए बाघ्य कर रही थी, तथा 20 में से 3 कट्टे किसानों द्वारा यूरोपीयन निलहों को देना होता था जिसे आज हम तिनकठिया प्रथा के रूप में भी जानते हैं। भारतीय किसान, जिसकी दशा पहले से ही बहुत खराब थी, एैसी विषम परिस्थितियों में ब्रिटिश सरकार की यह हुकुमत उनके लिए परेशानी का सबब बन गयी। जब 1917 में गांधी जी एैसी विषम परिस्थितियों से अवगत हुए तो उन्होने बिहार जाने का फैसला कर दिया। गांधी जी मजरूल हक, नरहरि पारीख, राजेन्द्र प्रसाद एवं जे॰ बी॰ कृपलानी के साथ बिहार गये और ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ अपना पहला सत्याग्रह प्रदर्शन कर दिया। ब्रिटिश सरकार ने उनके खिलाफ उन्हे वहां से निकालने का फरमान जारी किया किन्तु गांधी जी और उनके सहयोगी वहीं जुटे रहे और अन्तत: ब्रिटिश हुकुमत ने अपना आदेश वापिस लिया और गांधी जी द्वारा निर्मित समिति से बात करने के लिए सहमत हो गयी। फलत: गांधी जी ने बिहार (चंपारन) के किसानों की दयनीय परिस्थितियों से इस प्रकार शासन को अवगत करवाया की वह मजबूरन इस प्रकार के कृत्य को रोकने के लिए मजबूर हो गये।

सन्दर्भ[संपादित करें]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • चंपारण विद्रोह
  • नीलदर्पण

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • नील का धब्बा

कृषि नीति को बदलने के लिये किये गये आन्दोलन कृषक आन्दोलन (Peasant movement) कहलाते हैं।

कृषक आन्दोलन का इतिहास बहुत पुराना है और विश्व के सभी भागों में अलग-अलग समय पर किसानों ने कृषि नीति में परिवर्तन करने के लिये आन्दोलन किये हैं ताकि उनकी दशा सुधर सके। मोजुदा दौर में भारत में कृषक आंदोलन तेज गति से बढ़ रहे है इसका मुख्य कारण कृषक की आर्थिक हालत दिन प्रति दिन कमजोर हो रही है और वो कर्ज के मकड़ जाल में फंस रहा क्यों की मौजूद दौर में कृषि में लागत बढ़ रही है आमदनी घट रही है जिस कारण से किसानो में आत्म हत्या की घटनाए बढ़ रही है। दूसरी तरफ लोग कृषि निति बदलवाने के लिए संघर्ष कर रहे है। बर्ष 2017 में देश में छोटे बड़े सैकड़ो आंदोलन देश में हुए है सरकार को कृषि के सम्बन्ध में बोलने पर मजबूर किया है जिस में महारास्ट्र का जून 17 मेंगाँव बन्द हो चाहे नासिक से मुम्बई तक का मार्च हो राजस्थान में पानी व् बिजली के सवालो पर आंदोलन हरियाणा में 2015 में नरमें की फसल के खराबे पर मुअब्जे की मांग का आंदोलन हो तमिलनाडु के किसानो का महीनो तक संसद मार्ग पर धरना आदि मुख्यत रहे है ।२०२० से २०२१ तक तीन फार्म बिल्ज़ के ख़िलाफ़ आंदोलन चल रही है। [1]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • भारतीय किसान
  • चम्पारण सत्याग्रह
  • खेड़ा सत्याग्रह
  • नील विद्रोह
  • बेगूँ किसान आंदोलन (राजस्थान)
  • भारतीय किसान संघ
  • अखिल भारतीय किसान सभा

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • भारत के कृषक आन्दोलन (१८५७ - १९४७)

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "राकेश टिकैत कौन हैं? जिनके आँसू देख ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर उमड़ी भीड़". BBC News हिंदी. अभिगमन तिथि 2021-01-30.

किसानों के विद्रोह का मुख्य कारण क्या था?

1875 के मई और जून में महाराष्ट्र में पुणे, सतारा जिलों में किसानों ने कृषि संकट को बढ़ाने के खिलाफ विद्रोह किया। विद्रोह का एकमात्र उद्देश्य साहूकारों के कब्जे में बंधों, फरमानों और अन्य दस्तावेजों को प्राप्त करना और उन्हें नष्ट करना था

किसान आंदोलन का प्रमुख उद्देश्य क्या था?

आंदोलन का उद्देश्य: इन आंदोलनों का उद्देश्य लगभग पूरी तरह से आर्थिक स्वरूप पर केंद्रित था। चंपारण, खेड़ा और बाद में बारदोली आंदोलन से शुरू होकर उपनिवेशवाद के खिलाफ व्यापक संघर्ष में किसानों की भारी उपस्थिति दर्ज की गई।

किसान आंदोलन की शुरुआत कैसे हुई?

एका आंदोलन : यह आंदोलन उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ। होमरूल लीग के कार्यकताओं के प्रयास तथा मदन मोहन मालवीय के मार्गदर्शन के परिणामस्वरूप फरवरी 1918 में उत्तर प्रदेश में 'किसान सभा' का गठन किया गया। 1919 के अं‍तिम दिनों में किसानों का संगठित विद्रोह खुलकर सामने आया। इस संगठन को जवाहरलाल नेहरू ने अपने सहयोग प्रदान किया।

भारतीय किसानों का पहला सफल विद्रोह कौन सा था?

अप्रैल, 1917 में नील कृषकों द्वारा बिहार के चम्पारण जिले में गांधी जी के नेतृत्व में चलाया गया किसान संघर्ष देश का राजनीतिक दृष्टि से पहला संगठित आंदोलन था

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