कताई कला में कौन सी प्रक्रिया की जाती है - kataee kala mein kaun see prakriya kee jaatee hai

Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 10 Social Science Chapter 2 भारत की साँस्कृतिक विरासत : परंपराएँ हस्तकला और ललितकलाएँ Textbook Exercise Important Questions and Answers.

भारत की साँस्कृतिक विरासत : परंपराएँ हस्तकला और ललितकलाएँ Class 10 GSEB Solutions Social Science Chapter 2

GSEB Class 10 Social Science भारत की साँस्कृतिक विरासत : परंपराएँ हस्तकला और ललितकलाएँ Textbook Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए:

प्रश्न 1.
प्राचीन भारत की विरासत की मिट्टी काम कला समझाइए ।
उत्तर:
मानव और मिट्टी के बीच अधिक प्राचीन संबंध रहा है ।

  • व्यक्ति के जन्म से मृत्यु तक की यात्रा मिट्टी के साथ जुड़ी है ।
  • धातु की खोज नहीं हुई थी, तब मानव अधिकतर मिट्टी की बनी सामग्री का उपयोग करता था ।
  • मिट्टी के खिलौने, घड़े, कुल्हड़, हॉडी, मिट्टी के चूले तथा अनाज संग्रह की कोठियाँ आदि बनाए जाते थे ।
  • इस समय घरों की दीवारें भी मिट्टी और गोबर से लेपन करके सुरक्षित रखी जाती थी ।
  • पानी, दूध, दही, छाछ और घी जैसे द्रव भी मिट्टी के बर्तनों में संग्रह किये जाते थे ।
  • रसोई के बर्तन भी मिट्टी के होते थे ।
  • लोथल, मोहें-जो-दडो तथा हड़प्पा संस्कृति के समय के मिट्टी की लाल रंग की प्याली, बरनी, तस्तरी आदि बर्तन मिले हैं ।
  • कुंभार का चक्र मिट्टी काम का भारत का सबसे प्राचीन और प्रथम यंत्र है ।
  • कच्ची-पक्की मिट्टी से पके (टेराकोटा) बर्तनों तथा वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए भारत प्राचीन काल से प्रसिद्ध है ।
  • दक्षिण भारत में नागार्जुन कोंडा और गुजरात के लांघणज (मेहसाणा जिला) में प्राप्त हाथ से बने मिट्टी के बर्तनों के पुराने अवशेष मिले है ।

प्रश्न 2.
‘चर्मकाम भारत की बहुत पुरानी कारीगरी है ।’ स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
प्राचीन भारत में मृत्यु प्राप्त जानवरों के चमड़े के विविध उपयोग होता था ।
प्राणियों की मृत्यु के बाद परंपरागत रूप से चमड़ा की प्रक्रिया चलती थी ।

  • कृषि के लिए कुए से पानी निकालने के लिए मस्क तथा कोस और पखालों में चमड़े का उपयोग होता था ।
  • ढोल, नगाड़ा, तबला जैसे संगीत के साधनों के उपरांत लुहार की ढ़ोकनी, विविध प्रकार के जूते, प्राणियों को बाँधने के पट्टे बनते थे ।
  • युद्धों में उपयोग में आनेवाली ढ़ाल में भी चमड़े का उपयोग होता था ।
  • भारत का चर्म उद्योग में महत्त्वपूर्ण स्थान रखनेवाली चमड़े की भरत-गूंथनवाली मोजडियाँ, जूरे, चमड़े के पॉकेट, पट्टे तथा घोड़े और ऊँट जैसे प्राणियों की पीठ पर रखनेवाले साज, पलाण, लगाम तथा चाबुक की डोरी में चमड़े का उपयोग होता था ।

प्रश्न 3.
संगीत रत्नाकर का परिचय दीजिए ।
उत्तर:
संगीतशास्त्र के विशेषज्ञ पंडित सारंगदेव ने इस ग्रन्थ की रचना की थी ।

  • दोलताबाद (देवगिरि) के निवासी होने के उपरांत उत्तर भारत और दक्षिण भारत के संगीत से परिचित थे ।
  • पंडित विष्णुनारायण भातखंड ने ‘संगीत रत्नाकर’ को भारतीय संगीत की सबसे प्रमाणिक ग्रंथ माना है ।
  • संगीत के अंगों को समझने के लिए यह ग्रन्थ बेजोड़ माना जाता है ।

प्रश्न 4.
‘कथकली’ नृत्य की जानकारी दीजिए ।
उत्तर:
कथकली केरल राज्य का प्रसिद्ध नृत्य है ।

  • कथकली पौराणिक महाकाव्यों, महाभारत के प्रसंगों और संस्कृत मलयालम मिश्रित नाटकों पर से कथकली कहलाता है ।
  • कथकली की वेशभूषा, घेरदार, सुंदर कपड़ोंवाली होती है और उनके पात्रों को पहचानने के लिए उनके चेहरे पर विशिष्ट मुखाकृति को समझना पड़ता है ।
  • इस नृत्य में नट कलात्मक मुकुट धारण करके प्रस्तुती के समय एक ही तेल के दिए के, उससे ही प्रकाशित रंगमंच पर पड़दे के पीछे आकर अपनी संगीतमय पहचान देकर तीनों लोगों के पात्रों के चेहरे के हावभाव और हस्तमुद्रा से सजीव करते है ।
  • केरलियन कवि श्री बल्लथोल, कलामंडलम्, कृष्णप्रसाद आदि ने इस शैली को देश-विदेशों में पहचान दी है ।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर मुद्दासर दीजिए:

प्रश्न 1.
नृत्यकला के क्षेत्र में भारत द्वारा की गयी प्रगति बताइए ।
उत्तर:
नृत्य शब्द की व्युत्पत्ति मूल संस्कृत शब्द नृत से हुई है ।

  • नृत्य ताल और लय के साथ सौंदर्य की अनुभूति कराता है ।
  • नृत्य कला के आदि देव भगवान शिव नटराज माने जाते है ।
  • ऐसा माना जाता है कि नटराज पृथ्वीवासियों को नृत्यकला सिखाने के लिए स्वर्ग से पृथ्वी पर इस कला को सर्वप्रथम लाये थे ।
  • भारतीय नृत्य के दो प्रकार है: (1) लोक नृत्य (2) शास्त्रीय नृत्य
  • भारतीय शास्त्रीय नृत्य के मुख्य प्रकार (1) भरतनाट्यम् (तमिलनाडु), (2) कुचीपुड़ी – आंध्रप्रदेश (3) कथकली – केरल (4) कथक नृत्य – उत्तर भारत (5) मणिपुरी – मणिपुर और (6) ओड़िसी – उड़ीसा का है ।

प्रश्न 2.
गुजरात के गरबा और गरबी की जानकारी दीजिए ।
उत्तर:
गरबा शब्द ‘गर्भ-दीप से आया है । घड़े को रंग कर उस पर द्वीप रखकर, उसे सिर पर रखकर गोलाकार नृत्य करना गरबा है ।

  • समग्र गुजरात राज्य में गरबा नवरात्रि-आसो सुद 1 से आसो सुद नवमी दरम्यान खेला जाता है ।
  • आद्यपा शक्ति माँ जगदंबा की पूजा और आराधना इस पवित्र पर्व गवरी गुजबी, माताजी के गरबे गाते है ।
  • सामान्य रूप से चौक या मैदान के बीच माताजी की मांडवी होती है और उसके घूमते गोलाकार बड़े भाग में तालियों के ताल और ढ़ोल के धबकारों के साथ गरबे होते है ।
  • सामान्य रूप से गरबा में गानेवाले, गरबा करनेवाले और ढ़ोल के ताल गीत, स्वर और ताल प्राप्त करके दो ताली, तीन ताली और चिपटी के साथ, हाथ के हिलोरों के साथ गरबा गाया जाता है ।
  • गुजरात में गरबा के उपरांत गायी जानेवाली गरबियों का संबंध कृष्ण भक्ति के साथ है ।
  • गुजराती कवि दयाराम ने गोपी के भाव से श्रीकृष्ण प्रेम की रंगभरी गरबियों की रचना कर गुजराती महिलाओं के कण्ठों गुंजती कर दी ।

प्रश्न 3.
भारत के और गुजरात के हीरा-मोती काम और मीनाकारी काम की जानकारी दीजिए ।
उत्तर:
भारत में समुद्री किनारा लम्बा होने से प्राचीनकाल से ही हीरा-मोती का व्यापार होता है ।

  • भारत के कारीगरों द्वारा बने हीरे-मोती के आभूषणों की प्राचीन काल से ही खूब माँग रही है ।
  • विश्व विख्यात कोहिनूर और ग्रेट मुघल हीरा भी भारत में मिले थे ।
  • भारत के लोग आभूषणों के शौकीन होने से आभूषणों के अलावा श्रीमंत वर्ग, राजा-महाराजा और अमीर विविध हीरामोती के आभूषणों का उपयोग करते थे ।
  • आभूषणों में हीरा-मोती, माणेक, पन्ना, पुखराज, नीलम आदि रत्नों का उपयोग होता था ।
  • गुजरात में मोती काम का विशेष उपयोग होता था ।
  • मोती के कलात्मक तोरण, मालाएँ, कलश, धरूँ, खिड़कियाँ, चौकी, विवाह के नारियल, ईढाणी, पंखे, बैल के सुशोभन के मोडिया, सींग के झालर बनाए जाते थे ।
  • विश्वभर में सोना-चाँदी, मीनाकारी, कला-कारीगरों में भारत अग्रिम स्थान पर है ।
  • मीनाकारी में लाल, हरा और आसमानी रंग के पत्थरों का उपयोग होता था ।
  • ऐसी मीनाकारी के कौशल्यवाले कारीगर जयपुर, लखनऊ, दिल्ली, वाराणसी और हैदराबाद में विशेष पाये जाते है ।

प्रश्न 4.
गुजरात में आदिवासियों के नृत्यों की जानकारी दीजिए ।
उत्तर:
गुजरात में आदिवासियों में होली और दूसरे त्यौहारों, विवाह, देवी-देवताओं को खुश करने के लिए और मेलों में नृत्य किया जाता है ।

  • अधिकांश विवाह के नृत्य गोल-गोल घूमते, ढोल और परंपरागत मंजीरा, थापी, तूर, पावरी, तंबूरा आदि स्थानिय बोले में गायन के साथ उपयोग होते है ।
  • ऐसे नृत्यों में ‘चालो’ के रूप में प्रसिद्ध नृत्य में मोर, गिलहरी, चिड़िया जैसे पक्षियों की नकल की जाती है ।
  • डाँग में ‘माली की चाली’ तथा ‘ठाकर्या चालो’ नृत्य पाये जाते है ।
  • जबकि भील और कोली जातियों में श्रमहारी टिप्पणी नृत्य में मोटी लकड़ी के नीचे लकड़ी के टुकड़ों पर जमीन पर मारकर ताल द्वारा समूह नृत्य किये जाते है ।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए:

प्रश्न 1.
‘संगीत रत्नाकर’ और ‘संगीत पारिजात’ ग्रन्थों की रचना करनेवाले पंडितों के नाम लिखिए ।
उत्तर:

  1. संगीत रत्नाकर की रचना पंडित सारंगदेव ने की थी ।
  2. संगीत पारिजात की रचना पंडित अहोबल की थी ।

प्रश्न 2.
कताई कला में कौन-सी प्रक्रिया की जाती है ?
उत्तर:
कपास की पूणी से तार खेंचने के साथ उसे मोड़ देकर एक-दूसरे की पकड़ में जोड़कर लम्बे धागे तैयार करने की कला को कताई कला कहते हैं ।
महात्मा गाँधी ने बुनाई कला को गृह उद्योग में महत्त्व देकर स्वतंत्रता आंदोलन में स्वदेशी और स्वावलंबन के साथ जोड़ा था ।

प्रश्न 3.
लोथल के कारीगर धातु से क्या-क्या बनाना जानते थे ?
उत्तर:
लोथल के कारीगर धातुओं से दाँतरा, आरी, सूई, शारडिया, मोड़दार करवत जैसे ताँबे और कांसे के औजार बनाना जानते थे ।

  • इन औजारों के उपरांत बर्तन, मूर्तियाँ, पात्र बनाए जाते थे ।
  • युद्ध के लिए धातु के शस्त्र बनाते थे । गेहने बनाते थे ।
  • ताँबा, पीतल, काँसा जैसी धातुओं का उपयोग बर्तन और मूर्तियाँ तथा लोहे का उपयोग हथियार बनाने में करते थे ।

प्रश्न 4.
हड़प्पा के लोग मिट्टी के बर्तनों पर कौन-कौन सी भात बनाते थे ?
उत्तर:
हड़प्पा के लोग मिट्टी के बर्तनों पर फूल के पौधों और भौमितिक रेखांकन की भात चढ़ाते थे । मध्यप्रदेश के हाथी, गेंडा, हिरण इत्यादि के चित्र उल्लेखनीय है ।

प्रश्न 5.
भवाई की संक्षिप्त में जानकारी दीजिए ।
उत्तर:
विद्वानों ने भवाई को भावप्रधान नाटक कहा है ।

  • भवाई नाटक असाइत ठाकर द्वारा शुरू की गयी गुजरात की लगभग 700 वर्ष पुरानी विशिष्ट कला है ।
  • कम खर्च में लोकशिक्षण के साथ मनोरंजन की इस कला को सोलंकी युग में प्रोत्साहन मिला था ।
  • अधिकांश पर्दे बिना होनेवाले नाटकों, हलकी शैली और मुंगल वाद्य संगीत प्रधान नाटकों और वेश भवाई की विशेषता रही है ।
  • भवाई की विषयवस्तु में सामाजिक कुरीतियों का प्रतिकार भी है ।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए:

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सी कृति कालिदास की है ?
(A) ऊरूभंग
(B) कर्णभार
(C) मेघदूतम्
(D) दूतवाक्यम्
उत्तर:
(C) मेघदूतम्

प्रश्न 2.
वैजयंतीमाला और हेमामालिनी किस नृत्यशैली के साथ संलग्न है ?
(A) मणिपुरी नृत्यशैली
(B) कुचीपुड़ी नृत्यशैली
(C) कथकली नृत्यशैली
(D) भरतनाट्यम् नृत्यशैली
उत्तर:
(D) भरतनाट्यम् नृत्यशैली

प्रश्न 3.
भारत का कौन-सा वेद संगीतकला से जुड़ा माना जाता है ?
(A) ऋग्वेद
(B) सामवेद
(C) यजुर्वेद
(D) अथर्ववेद
उत्तर:
(B) सामवेद

प्रश्न 4.
भारत में संगीत के क्षेत्र में ‘तुती-ए-हिन्द’ के रूप में कौन प्रसिद्ध है ?
(A) तानसेन
(B) तुलसीदास
(C) कबीर
(D) अमीर खुशरों
उत्तर:
(D) अमीर खुशरों

प्रश्न 5.
‘चालो’ नृत्य अर्थात् कौन-सा नृत्य ?
(A) आदिवासी नृत्य
(B) भरवाड़ों का नृत्य
(C) कोलियों का नृत्य
(D) पढ़ारों का नृत्य
उत्तर:
(A) आदिवासी नृत्य

प्रश्न 6.
धमाल नृत्य करनेवाले सीदी मूलत: कहाँ के निवासी है ?
(A) राजस्थान
(B) अंदमान
(C) अफ्रिका
(D) थाइलैण्ड
उत्तर:
(C) अफ्रिका

प्रश्न 7.
विश्व योग दिवस किस तारीख को मनाया जाता है ?
(A) 21 जून
(B) 1 मई
(C) 21 अप्रैल
(D) 5 सितम्बर
उत्तर:
(A) 21 जून

कताई की प्रक्रिया क्या है?

कताई (Spinning) वस्त्र उद्योग का आरम्भिक और बहुत बड़ा प्रक्रम है। कपास आदि प्राकृतिक रेशों या अन्य कृत्रिम रेशों को ऐंठकर सूत बनाने की क्रिया को 'कताई करना' कहते हैं। पहले यह कार्य हाथ से किया जाता था किन्तु आजकल अधिकांश कताई स्वचालित मशीनों से की जाती है।

कताई के लिए क्या प्रयोग किया जाता है?

Solution : तकली और चरखा।

कताई के लिए कौन कौन सी सरल युक्तियों का प्रयोग किया जाता है?

रेशम, ऊन और जूट कुछ प्राकृतिक तंतु हैं, जबकि नायलॉन और पॉलिएस्टर कुछ संश्लिष्ट तंतुओं के उदाहरण हैं। रुई और जूट जैसे तंतु पादपों से प्राप्त किए जाते हैं। तंतुओं से तागा बनाने की प्रक्रिया को कताई कहते है। तागों की बुनाई दो प्रकार से की जाती है जिनसे वस्त्र बनता है।

कताई प्रक्रिया में उपयोगी मशीन कौन सी थी?

स्पिनिंग जेनी का आविष्कार 1764 में हुआ था।

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