क्या गूलर और अंजीर एक ही चीज है? - kya goolar aur anjeer ek hee cheej hai?

विषयसूची

  • 1 क्या अंजीर और गूलर एक ही चीज है?
  • 2 जंजीर कैसे खाया जाता है?
  • 3 खाने से क्या क्या होता है?
  • 4 अंजीर कितने रुपए किलो मिलता है?
  • 5 अंजीर के पौधे कहाँ मिलेंगे?
  • 6 अंजीर कितने रुपए किलो है 2022?
  • 7 अंजीर का पौधा कितने साल में फल देता है?
  • 8 अंजीर के पौधे की रेट क्या है?

क्या अंजीर और गूलर एक ही चीज है?

इसे सुनेंरोकेंगूलर अंजीर प्रजाति का पेड़ है जो पूरे भारत में पाया जाता है. गूलर भारत में पाया जाने वाला एक आम पेड़ है जिसका बोटैनिकल नाम फिकस रासेमोसा है. ये फिग यानी अंजीर प्रजाति का पेड़ है जिसे अंगरेज़ी में कलस्टर फ़िग भी कहते हैं.

जंजीर कैसे खाया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंभीगे हुए अंजीर खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है. इसके लिए आप रात को 1 से 2 अंजीर को ½ कप पानी में भिगोकर कर रख सकते हैं. इसका सेवन आप सुबह खाली पेट करें. इसके साथ आप बादाम और अखरोट जैसे ड्राई फ्रूट भी भीगो कर रख सकते हैं.

अंजीर क्या होता है और कहां मिलता है?

इसे सुनेंरोकेंअंजीर मध्यसागरीय क्षेत्र और दक्षिण पश्चिम एशियाई मूल की एक पर्णपाती झाड़ी या एक छोटे पेड़ है जो पाकिस्तान से यूनान तक पाया जाता है। इसकी लंबाई ३-१० फुट तक हो सकती है। अंजीर विश्व के सबसे पुराने फलों मे से एक है। यह फल रसीला और गूदेदार होता है।

बच्चों को अंजीर कैसे खिलाएं?

इसे सुनेंरोकें​बच्‍चे कब खा सकते हैं अंजीर 6 महीने के होने के बाद बच्‍चे को पके हुए अंजीर की प्‍यूरी बनाकर खिलाई जा सकती है। जब बच्‍चे को अंजीर का स्‍वाद पसंद आने लगे और वो इसे पचाने लगे, तब आप बाकी के फूड्स के साथ जैसे कि दलिये में इसे डालकर खिला सकती हैं।

खाने से क्या क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंसमय पर खाना खाने से दिल की सेहत को बनाए रखने में मदद मिलती है और ये दिल से जुड़ी बीमारियों को भी दूर रखता है. समय पर भोजन करने से शरीर को भोजन का बेहतर इस्तेमाल करने में मदद मिलती है. ये आसानी से पचाया जा सकता है और मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने में मदद करता है जिससे भोजन एनर्जी में बदल जाता है और कैलोरी बर्न करता है.

अंजीर कितने रुपए किलो मिलता है?

इसे सुनेंरोकेंअच्छी अंजीर की कीमत करीब 800 रुपये से 1500 रुपये प्रति किलो तक मिलती है लेकिन लेकिन कुछ लोगो को ये और भी सस्ते में मिल जाती है जो अंजीर के सही जानकार होते है।

छोटे बचो के अंजीर फायदेमंद है क्या?

इसे सुनेंरोकेंहाँ, बच्चों को अंजीर दिया जा सकता है। यह बहुत सारे पोषक तत्व प्रदान करने के साथ अच्छी मात्रा में फाइबर भी प्रदान करते हैं, जो आपके बच्चे को अच्छी तरह से विकास करने में मदद करता है। अंजीर एक एंटीमाइक्रोबियल एजेंट भी है, जो बच्चे की इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करने में मदद करता है।

अंजीर के पौधे कैसे तैयार करें?

इसे सुनेंरोकेंखेत तैयार करना: अंजीर का पौधा लगाने के लिए कन्नी (trowel) की सहायता से या फिर अपने हाथ से एक गड्ढा खोदें। गड्ढे की चौड़ाई तथा गहराई का ध्यान रखें जिससे कि इसकी जड़ें सही तरह से इसमें विकसित हो सकें। पेड़ के तने के आधार को जमीन में दबाये रखने के लिए गड्ढे की गहराई 1-2 इंच (2.5-5.1 सेमी) उचित हो सकती है।

अंजीर के पौधे कहाँ मिलेंगे?

इसे सुनेंरोकेंभारत में कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में इसकी खेती होती है. अंजीर के पौधे लगभग दो साल बाद पैदावार देना शुरू कर देते हैं. इसके चार-पांच साल पुराने एक पौधे से 15 किलो के आसपास फल प्राप्त होते हैं, जिनकी मात्रा पौधों के विकसित होने के साथ-साथ बढ़ती जाती है.

अंजीर कितने रुपए किलो है 2022?

गूलर के पेड़ का दूसरा नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंगूलर को कुडुम्बर, उदुम्बर और हुमुर भी कहते हैं, वेबसाइटें बता रही हैं कि देश के कई हिस्सों में टोने-टोटके में गूलर का इस्तेमाल किया जाता है. गूलर की जड़ की ताबीज़ पहनने से अपार धन की प्राप्ति होने का दावा भी कई जगह दिखाई देता है. गूलर के पेड़ की छत्तीसगढ़ में ख़ास इज्ज़त है, वहाँ इसे आम बोलचाल में डूमर कहा जाता है.

अंजीर के फल को कैसे सुखाया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंआप अंजीर को धूप में, ओवन में या डिहाइड्रेटर में सुखा सकते हैं। पूरी तरह से पके अंजीर को धो लें। सबसे अच्छा संकेत है कि एक अंजीर पूरी तरह से पका हुआ है जब वह जमीन पर गिर जाता है। गंदगी और अन्य मलबे को हटाने के लिए अंजीर को ठंडे पानी से धोएं, फिर उन्हें एक डिशक्लॉथ या पेपर टॉवल से थपथपाकर सुखाएं।

अंजीर का पौधा कितने साल में फल देता है?

इसे सुनेंरोकेंअंजीर की इस किस्म के पौधे लगभग दो साल बाद पैदावार देना शुरू कर देते हैं. इसके पौधों की लम्बाई सामान्य पाई जाती है. इसके 4 से 5 साल पुराने एक पौधे से 15 किलो के आसपास फल प्राप्त होते हैं.

अंजीर के पौधे की रेट क्या है?

इसे सुनेंरोकेंखेती करने वाले किसान बताते हैं कि एक बीघे में 30 से 40 हजार रुपए की फसल प्राप्त हो जाती है. इसमें देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती और एक बार पौधे लगा देने के बाद 25 से 30 साल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. इसीलिए अंजीर की खेती में मुनाफा अधिक प्राप्त होता है. बाजार में इसका रेट 200 रुपए से लेकर 500 रुपए प्रति किलो तक है.

अंजीर
Ficus carica

संरक्षण स्थिति

वैज्ञानिक वर्गीकरण
अंजीर के पत्ते और फल


संकटमुक्त जाति (IUCN 3.1)

जगत: पादप

अंजीर (अंग्रेजी नाम फ़िग , वानस्पतिक नाम: "फ़िकस कैरिका", प्रजाति फ़िकस, जाति कैरिका, कुल मोरेसी) एक वृक्ष का फल है जो पक जाने पर गिर जाता है। पके फल को लोग खाते हैं। सुखाया फल बिकता है। सूखे फल को टुकड़े-टुकड़े करके या पीसकर दूध और चीनी के साथ खाते हैं। यह बहुत ही लाभकारी फल है। इसका जैम (फलों के टुकड़ों का मुरब्बा) भी बनाया जाता है। सूखे फल में चीनी की मात्रा लगभग ६२ प्रतिशत तथा ताजे पके फल में २२ प्रतिशत होती है। इसमें कैल्सियम तथा विटामिन 'ए' और 'बी' काफी मात्रा में पाए जाते हैं। इसके खाने से बध्दकोष्ठता (कब्जियत) दूर होती है।

अंजीर मध्यसागरीय क्षेत्र और दक्षिण पश्चिम एशियाई मूल की एक पर्णपाती झाड़ी या एक छोटे पेड़ है जो पाकिस्तान से यूनान तक पाया जाता है। इसकी लंबाई ३-१० फुट तक हो सकती है। अंजीर विश्व के सबसे पुराने फलों मे से एक है। यह फल रसीला और गूदेदार होता है। इसका रंग हल्का पीला, गहरा सुनहरा या गहरा बैंगनी हो सकता है। अंजीर अपने सौंदर्य एवं स्वाद के लिए प्रसिद्ध अंजीर एक स्वादिष्ट, स्वास्थ्यवर्धक और बहुउपयोगी फल है। यह विश्व के ऐसे पुराने फलों में से एक है, जिसकी जानकारी प्राचीन समय में भी मिस्त्र के फैरोह लोगों को थी। आजकल इसकी पैदावार ईरान, मध्य एशिया और अब भूमध्यसागरीय देशों में भी होने लगी है। प्राचीन यूनान में यह फल व्यापारिक दृष्टि से इतना महत्त्वपूर्ण था और इसके निर्यात पर पाबंदी थी। आज विश्व का सबसे पुराना अंजीर का पेड़ सिसली के एक बगीचे में है।[1]

अंजीर का वृक्ष छोटा तथा पर्णपाती (पतझड़ी) प्रकृति का होता है। तुर्किस्तान तथा उत्तरी भारत के बीच का भूखंड इसका उत्पत्ति स्थान माना जाता है। भूमध्यसागरीय तट वाले देश तथा वहाँ की जलवायु में यह अच्छा फलता-फूलता है। निस्संदेह यह आदिकाल के वृक्षों में से एक है और प्राचीन समय के लोग भी इसे खूब पसंद करते थे। ग्रीसवासियों ने इसे कैरिया (एशिया माइनर का एक प्रदेश) से प्राप्त किया; इसलिए इसकी जाति का नाम कैरिका पड़ा। रोमवासी इस वृक्ष को भविष्य की समृद्धि का चिह्न मानकर इसका आदर करते थे। स्पेन, अल्जीरिया, इटली, तुर्की, पुर्तगाल तथा ग्रीस में इसकी खेती व्यावसायिक स्तर पर की जाती है।

नाशपाती के आकार के इस छोटे से फल की अपनी कोई विशेष तेज़ सुगंध नहीं पर यह रसीला और गूदेदार होता है। रंग में यह हल्का पीला, गहरा सुनहरा या गहरा बैंगनी हो सकता है। छिलके के रंग का स्वाद पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता पर इसका स्वाद इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कहाँ उगाया गया है और यह कितना पका है। इसे पूरा का पूरा छिलका बीज और गूदे सहित खाया जा सकता है। घरेलू उपचार में ऐसा माना जाता है कि स्थाई रूप से रहने वाली कब्ज़ अंजीर खाने से दूर हो जाती है। जुकाम, फेफड़े के रोगों में पाँच अंजीर पानी में उबाल कर छानकर यह पानी सुबह-शाम पीना चाहिए[2]। दमा जिसमे कफ (बलगम) निकलता हो उसमें अंजीर खाना लाभकारी है इससे कफ बाहर आ जाता है। कच्चे अंजीरों को कमरे के तापमान पर रख कर पकाया जा सकता है लेकिन उसमें स्वाभाविक स्वाद नहीं आता। घरेलू उपचारों में अंजीर का विभिन्न प्रकार से प्रयोग किया जाता है।

पौष्टिक तत्त्व[संपादित करें]

अंजीर कैलशियम, रेशों व विटामिन ए, बी, सी से युक्त होता है। एक अंजीर में लगभग ३० कैलरी होती हैं। एक सूखे अंजीर में कैलरी ४९, प्रोटीन ०.५७९ ग्राम, कार्ब १२.४२ ग्राम, फाइबर २.३२ ग्राम, कुल फैट ०.२२२ ग्राम, सैचुरेटेड फैट ०.०४४५ ग्राम, पॉलीअनसैचुरेटेड फैट ०.१०६, मोनोसैचुरेटेड फैट ०.०४९ ग्राम, सोडियम २ मिग्रा और विटामिन ए, बी, सी युक्त होता है।[3] इसमें ८३ प्रतिशत चीनी होने के कारण यह विश्व का सबसे मीठा फल है। डायबिटीज के रोगियों को दूसरे फलों की तुलना में अंजीर का सेवन खासतौर से लाभकारी होता है। अंजीर पोटैशियम का अच्छा स्रोत है, जो रक्तचाप और रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है। अंजीर में स्थित रेशे वजन को संतुलित रखते हुए मोटापे को कम रखते हैं साथ ही स्तन कैंसर और मेनोपॉज की तकलीफ़ों को दूर करने में मददगार पाए गए हैं। सूखे अंजीर में फेनोल, ओमेगा-३, ओमेगा-६ होता है। यह फैटी एसिड कोरोनरी हार्ट डिजीज के खतरे को कम करने में मदद करता है। अंजीर में कैल्शियम बहुत होता है, जो हड्डियों को मजबूत करने में सहायक होता है। अंजीर में पोटैशियम ज्यादा होता है और सोडियम कम होता है इसलिए यह उच्चरक्तचाप की समस्या से भी बचाता है। अंजीर के सेवन करने से मधुमेह, सर्दी-जुकाम, दमा और अपच जैसी तमाम व्याधियों में भी लाभ देखा गया है।[4]

प्रकार[संपादित करें]

अंजीर कई प्रकार का होता है, परंतु मुख्य प्रकार चार हैं:

(१) कैप्री फिग, जो सबसे प्राचीन है और जिससे अन्य अंजीरों की उत्पत्ति हुई है,

(२) स्माइर्ना,

(३) सफेद सैनपेद्रू और

(४) साधारण अंजीर।

भारत में मार्सेलीज़, ब्लैक इस्चिया, पूना, बँगलोर तथा ब्राउन टर्की नाम की किस्में प्रसिद्ध हैं।

खेती[संपादित करें]

अंजीर की खेती भिन्न-भिन्न जलवायु वाले स्थानों में की जाती है, परंतु भूमध्यसागरीय जलवायु इसके लिए अत्यंत उपयुक्त है। फल के विकास तथा परिपक्वता के समय वायुमंडल का शुष्क रहना अत्यंत आवश्यक है। पर्णपाती वृक्ष होने के कारण पाले का प्रभाव इस पर कम पड़ता है। यों तो सभी प्रकार की मिट्टी में इसका वृक्ष उपजाया जा सकता है, परंतु दोमट अथवा मटियार दोमट, जिसमें उत्तम जल निकास (ड्रेनेज) हो, इसके लिए सबसे श्रेष्ठ मिट्टी है। इसमें प्राय खाद नहीं दी जाती; तो भी अच्छी फसल के लिए प्रति वर्ष प्रति वृक्ष २०-३० सेर सड़े हुए गोबर की खाद या कंपोस्ट जनवरी-फरवरी में देना लाभदायक है। इसे अधिक सिंचाई की भी आवश्यकता नहीं पड़ती। ग्रीष्म ऋतु में फल की पूर्ण वृद्धि के लिए एक या दो सिंचाई कर देना अत्यंत लाभप्रद है।

अंजीर के नए पौधे मुख्यत कृत्तों (कटिंग) द्वारा प्राप्त होते हैं। एक वर्ष की अवस्था की डाल का इस कार्य के लिए प्रयोग किया जाता है। कृत्त जनवरी में लगाए जाते हैं और एक वर्ष बाद इस प्रकार तैयार हुए पौधों को स्थायी स्थान पर पंद्रह-पंद्रह फुट की दूरी पर रोपते हैं। प्रति वर्ष सुषुप्ति काल में इसकी कटाई-छँटाई करनी चाहिए क्योंकि अच्छे फल पर्याप्त मात्रा में नई डालियों पर ही आते हैं। फल अप्रैल से जून तक प्राप्त होते हैं। लगाने के तीन वर्ष बाद वृक्ष फल देने लगता है और एक स्वस्थ, प्रौढ़ वृक्ष से लगभग ४०० फल मिलते हैं। पत्तियों के निचले भाग में एक प्रकार का रोग लगता है जिसे मंडूर (रस्ट) कहते हैं, परंतु यह रोग विशेष हानिकारक नहीं है।

चित्रदीर्घा[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "अनोखे अंजीर". अभिव्यक्ति. मूल (एचटीएम) से 29 सितंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १२ नवंबर २००९.
  2. "अंजीर खाने के फायदे". Deshbandhu. 2020-12-19.
  3. "अंजीर खाएं, एनीमिया भगाएं". जागरण सखी. मूल से 21 नवंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १२ नवंबर २००९.
  4. "अंजीर". आरोग्य निधि. मूल से 1 जून 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १२ नवंबर २००९.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • अंजीर की खेती की संपूर्ण जानकारी Archived 2013-07-11 at the Wayback Machine
  • अंजीर है कई रोगों की दवा (पत्रिका)
  • अंजीर खाने के फायदे क्या है

क्या गूलर को ही अंजीर बोलते हैं?

गूलर और अंजीर दोनों अलग अलग फल है। नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। ये दो फल अलग हैं इसके अलावा, दो फलों के तने भी अलग हैं

गूलर का दूसरा नाम क्या है?

गूलर (Ficus racemosa) फिकस कुल (Ficus) का एक विशाल वृक्ष है। इसे संस्कृत में उडुम्बर, बांग्ला में डुमुर, मराठी में उदुम्बर, गुजराती में उम्बरा, अरबी में जमीझ, फारसी में अंजीरे आदमसकी शाखाओं में से फल उत्पन्न होते हैं। फल गोल-गोल अंजीर की तरह होते हैं और इसमें से सफेद-सफेद दूध निकलता है।

अंजीर का दूसरा नाम क्या है?

अंजीर गूलर प्रजाति का एक स्वादिष्ट फल है, जिसे अंग्रेजी में फिग के नाम से जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम “फीकस कारिका” है। अंजीर के पेड़ कम पोषक तत्वों वाली मिट्टी में भी उगाए जा सकते हैं और सूखा प्रवण क्षेत्र में भी आसानी से पनप सकते हैं।

गूलर को हिंदी में क्या बोलते हैं?

गूलर के हिंदी अर्थ उदंबर। उक्त वृक्ष का फल। पद-गूलर का फूल = (क) दुर्लभ वस्तु।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग