क्या जूता पहन कर तिरंगा फहराया जा सकता है? - kya joota pahan kar tiranga phaharaaya ja sakata hai?

Tricity Today | मदरसे में तिरंगे का अपमान, जूते पहनकर फहराया झंडा

स्वतंत्रता दिवस पर शनिवार को गौतमबुद्ध नगर के जेवर कस्बे के एक मदरसे में तिरंगे का अपमान किया गया। इस तरह का मैसेज व्हाट्सएप पर कुछ फोटो के साथ वायरल किया जा रहा है। ट्राइसिटी टुडे ने इस मामले में छानबीन शुरू की। यह बात सही है कि शनिवार को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जेवर कस्बे में एक मदरसा परिसर में  झंडा फहराया गया। इस दौरान मदरसे के शिक्षक और प्रबंधक मौजूद रहे, लेकिन वहां ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। जिससे माना जा सके कि तिरंगे का अपमान किया गया है। फोटो देखकर भी यह पूरी तरह साफ हो जाती है।

आल इंडिया जमीअतुल कुरैश यूथ के जिलाध्यक्ष व मौहल्ला कम्बुआन जेवर निवासी मौहम्मद सुलेमान ने 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उलेमाओं व मुस्लिम समाज के लोगों की मौजूदगी मे मौहल्ला टंकीवाला स्थित मदरसा इस्लामिया अरेबिया हिफजुल इस्लाम में तिरंगा फहराया। तिरंगा फहराने के दौरान उलेमा भी जूते पहनकर साथ खड़े थे। मौहम्मद सुलेमान मदरसे के प्रबधंक भी हैँ। व्हाट्सएप पर लिखा जा रहा है कि उन्होंने जूते पहने हुए तिरंगा फहराकर देश के झंडे का अपमान किया है।

ध्वजारोहण करने के बाद मौहम्मद सुलेमान ने खुद अपने उलेमाओं के साथ सोशल साइट पर फोटो शेयर किए थे। इन फोटो को कुछ लोगों ने और संगठनों ने गलत परिपेक्ष जोड़ते हुए सोशल मीडिया पर वायरल किया है। अब हम आपको झंडा संहिता और राष्ट्रीय प्रतीक संहिता से जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में अवगत कराते हैं। झंडा संहिता में कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि जूते पहन कर ध्वजारोहण नहीं किया जा सकता है। यहां बताना जरूरी होगा कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस समेत तमाम दूसरे अवसरों पर तिरंगा फहराया जाता है तो पैरामिलिट्री फोर्स, भारतीय सेना, पुलिस और तमाम दूसरे स्थानों पर झंडा फहराते हुए जूते नहीं निकाले जाते हैं।

इस मसले को लेकर हमने उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व महानिदेशक विक्रम सिंह से भी बात की। विक्रम सिंह ने कहा, "यह केवल भ्रम फैलाने वाला मैसेज है। राष्ट्रीय प्रतीक संहिता में यह कहीं उल्लिखित नहीं कि तिरंगा फहराने के लिए जूते निकालना आवश्यक है। 15 अगस्त और 26 जनवरी समेत तमाम अवसरों पर परेड के दौरान पुलिस, पैरामिलिट्री फोर्स और सेना जूते पहनकर शामिल होती है।  नियम के मुताबिक हमें झंडे को पूरा सम्मान देना चाहिए। झंडे का ओरियंटेशन सही होना चाहिए। ऊंचाई पर होना चाहिए। केसरिया रंग ऊपर और हरा रंग नीचे होना चाहिए। यह राष्ट्र के प्रति सम्मान व्यक्त करने की प्रक्रिया है। इसके लिए जूते उतारना आवश्यक नहीं है। 

पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने आगे कहा, "जो लोग इस तरह का संदेश फैला रहे हैं, वह भ्रम की स्थिति पैदा करना चाहते हैं। मैं तो मदरसे के शिक्षकों और प्रबंधक को बधाई देना चाहता हूं। उन्होंने यह शानदार काम किया है। यह राष्ट्रीय एकता के लिए बेहद जरूरी है। उन्हें अपने मदरसे में झंडा फहराने का पूरा अधिकार है।

मदरसे में झंडा फहराने के वक्त लिए गए फोटो देखकर साफ है कि किसी भी तरह से नियम कायदों को तोडा नहीं गया है। झंडे का ओरियंटेशन बिल्कुल सही है। झंडा इमारत के ऊपर लगाया गया है।  इस मामले में गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने भी जांच पड़ताल कर ली है। पुलिस की ओर से भी कहा गया है मदरसे में झंडा फहराते वक्त किसी भी तरह का अपमान नहीं किया गया है। जूते पहनकर झंडा फहराना गैरकानूनी नहीं है। इस तरह की अफवाह फ़ैलाने वालों पर सख्ती की जाएगी।

क्या जूता पहन का झंडा फहराया जा सकता है?

भारतीय झंडा हाथ से काते गए, हाथ से बुने गए ऊनी/ सूती/ सिल्क या खादी के कपड़े से बना होना चाहिए। झंडे की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 ही होना चाहिए। ध्वजारोहण करते समय झंडे को आधा झुकाकर नहीं फहराना चाहिए। बिना आदेश तिरंगे को आधा नहीं फहराया जा सकता

राष्ट्रीय ध्वज फहराने के कौन कौन से नियम हैं?

केसरियां रंग हमेशा ऊपर, सफेद रंग बीच में और हरा रंग हमेशा सबसे नीचे की पट्टी में होनी चाहिए. झंड़ा कटा फटा नहीं होना चाहिए. तभी आप इसे फहरा सकते हैं. 2- पहले केवल हाथ से बने कपास, पालिएस्टर, ऊन, खादी इत्यादि से बने झंडे को बनाने की अनुमति थे.

भारतीय ध्वज का अपमान के लिए क्या सजा है?

साल 2002 से पहले राष्ट्रीय ध्वज को आम लोग सिर्फ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ही फहरा सकते थे लेकिन साल 2002 में इंडियन फ्लैग कोड में बदलाव किया गया जिसके तहत कोई भी नागरिक किसी भी दिन झंडे को फहरा सकता है। झंडा अगर फट जाए या फिर मैला हो जाए तो उसे एकांत में मर्यादित तरीके से नष्ट करना चाहिए।

तिरंगा का नया नियम क्या है?

इस अभियान के केंद्र ने लोगों से भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए अपने घरों में तिरंगा फहराने या लगाने की गुजारिश की है। भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार, तिरंगा की गरिमा और सम्मान का अनादर किए बिना सभी अवसरों पर सभी स्थानों पर तिरंगा फहराया जा सकता है।

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