कोयला किस से बनता है ?
कोमल ने पूछा , " मैम , मैंने कल एक समारोह में हलवाई की भट्ठी में कोयले जलते देखे । ये किस चीज से बनते हैं ? " मैम ने जानकारी दी , " कोयला , जो आप आजकल देखते हैं , करोड़ों वर्ष पूर्व पेड़ - पौधे थे । कोयला उन प्राचीन पेड़ों तथा पौधों के अवशेषों से बना है जो गर्म - नम जलवायुयों में दलदली जंगलों में उगे थे ।
सूखने के बाद ये पेड़ दलदली पानी में गिर गए । वे गले - सड़े नहीं क्योंकि दलदली पानी ने उन्हें सड़ने नहीं दिया । बैक्टीरिया ने कुछ लकड़ी को गैसों में बदल दिया जो उड़ गई। " पीछे रह गया एक काले रंग का मिश्रण । यह काला मिश्रण अधिकतर कार्बन था । धीरे - धीरे इस पर गारे मिट्टी की मोटी परत जमती गई जिसने इसे दबा कर इसमें से सारा द्रव्य निचोड़ दिया । पीछे रह - गया एक पदार्थ जो बाद में कठोर होकर कोयला बन गया ।"
क्या कोयले से हीरा बनता है ?
दोस्तों आप में से बहुत लोगों को ऐसा लगता होगा कि हीरा कोयले से बनता है क्योंकि ऐसी पुरानी कहावत है कि कोयले से ही हीरा बनता है लेकिन इसके पीछे सच कुछ और ही है । कोयला और हीरा दोनों ही कार्बन से ही बनते हैं लेकिन इनका केमिकल कंपाउंड एक दूसरे से बिल्कुल अलग होता है ।
कोयला हीरा बनाता है यह एकदम गलत बात है । यह बहुत लोग को पता नहीं होगा अगर हम कोयले की बात करें तो कोयले में कार्बन के अलावा बहुत सारे ऐसे अलग-अलग एलिमेंट्स होते हैं जैसे हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, सल्फर और ग्रेफाइट लेकिन जो हीरा होता है उसमें 99.5% कार्बन रहता है और वह भी एक दम शुद्ध कार्बन । इसके वजह से हीरा एकदम कठोर बनता है ।
कोयले की बातें करें तो कोयला धरती से दो से पांच किलोमीटर की गहराई तक मिल जाते हैं और धरती से 90 किलोमीटर से ज्यादा जाने पर हमें हीरा मिलता है क्योंकि हीरा को बनाने के लिए सख्त टेंपरेचर के साथ-साथ कई वर्षों के भारी दबाव की जरूरत पड़ती है ।
कोयला और हीरे का केमिकल स्ट्रक्चर अलग अलग होने के कारण कोयले से हीरा नहीं बनाया जा सकता ।
हीरा क्या होता है ?
हीरा विश्व में सबसे कीमती तथा टिकाऊ पदार्थ है । यह अब तक का जाना गया सबसे कठोर पदार्थ है । इसे किसी भी अन्य वस्तु से काटा नहीं जा सकता । इसे केवल एक - दूसरे हीरे से ही काटा जा सकता है ।
धातु की बनी आरी को हीरे काटने के लिए प्रयोग किया जाता है । इस पर हीरे का पाऊडर चढ़ाया गया होता है । हीरा कार्बन का सबसे शुद्ध क्रिस्टलाइन रूप है । यह खानों से प्राप्त किया जाता है । 900 डिग्री सैंटीग्रेड के तापमान पर यह धीरे - धीरे जलना प्रारंभ हो जाता है तथा वातावरणीय ऑक्सीजन के साथ मिल कर कार्बन डाईआक्साइड बन जाता है ।
1000 डिग्री सैंटीग्रेड पर यह ग्रेफाइट में परिवर्तित हो जाता है । अधिक तापमानों पर इसकी ग्रेफाइट में बदलने की गति तेज होती है । यह ताप का बहुत अच्छा चालक होता है लेकिन विद्युत का यह कुचालक होता है । इसकी थर्मल कंडक्टीविटी तांबे के मुकाबले पांच गुणा अधिक होती है ।
हीरों का रंग कई तरह का हो सकता है या तो रंगविहीन होते हैं या फिर हरे , भूरे , सफेद , पीले , गुलाबी या फिर कई बार काले रंग के पाए जाते हैं । 1955 तक हीरों को केवल खानों से प्राप्त किया जाता था परन्तु बाद में इसे बनाने के कुछ सिंथैटिक तरीके भी विकसित हो गए ।
खान से प्राप्त किए गए हीरे को प्राकृतिक हीरा कहा जाता है जबकि सिंथेटिक तरीके से बनाए गए हीरे को कृत्रिम हीरा कहा जाता है । अफ्रीका प्राकृतिक हीरों का सबसे बड़ा स्रोत है । लगभग 80 प्रतिशत हीरे इसी द्वीप से आते हैं ।
मार्कीट में बिकने आने से पूर्व उन्हें विभिन्न आकृतियों में तराशा जाता तथा पालिश किया जाता है । हीरे की चमक सैंकड़ों वर्षों के बाद भी ज्यों की त्यों बनी रहती है ।
सिंथेटिक हीरे विश्व में पहली बार 1955 में अमरीका की जनरल इलैक्ट्रिक कम्पनी द्वारा बनाए गए थे । सिंथेटिक प्रक्रिया में हीरे ग्रेफाइट से तैयार किए जाते हैं। अधिक तापमान वाली भट्ठियों में ग्रेफाइट को लगभग 3000 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान पर अत्यधिक दबाव में गर्म किया जाता है ।
ऐसा करने से ग्रेफाइट हीरे में बदल जाता है । सिंथेटिक हीरा कई मामलों में प्राकृतिक हीरे जैसा ही होता है । इन्हें आमतौर पर आभूषणों तथा उद्योगों में इस्तेमाल किया जाता है । औद्योगिक या घटिया हीरों को ड्रिलिंग तथा ग्राइंडिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है । हीरों के भार को कैरेट में मापा जाता है । एक कैरेट लगभग 200 मिलीग्राम के बराबर होता है ।
क्या हम हीरे बना सकते हैं ?
रागिनी ने पूछा , " मैम हीरे कैसे बनते हैं ? " मैम ने उत्तर दिया , “ प्राकृतिक हीरे धरती में गहराई पर पाए जाते हैं । इनके बनने की प्रक्रिया लगभग 10 करोड़ वर्ष पूर्व शुरू हो गई थी । यह वह समय था जब हमारी पृथ्वी ठंडी होनी शुरू हुई थी ।
पृथ्वी के भीतर पिघले हुए गर्म पत्थरों का एक विशाल पिंड था । इन गर्म तरल पत्थरों पर इतना दबाव था और वहां इतनी अधिक गर्मी थी कि कार्बन रवेंदार (क्रिस्टलाईज्ड ) बन गया । यह अब तक का जाना गया सबसे कठोर पदार्थ है ।
रागिनी ने पूछा , " मैम क्या हम खुद हीरे तैयार कर सकते हैं ? " मैम ने बताया , " लोगों ने सिंथैटिक हीरे बनाने का प्रयास किया और सचमुच 1954 में पह सिथैटिक हीरे तैयार कर लिए गए । एक विशेष तरह की प्रैस बनाई गई ।
कार्बन को 2800 डिग्री "
सेंटीग्रेड के तापमान पर प्रति सेंटीमीटर 56,245 किलो के दबाव पर रखा गया । ऐसे पहले हीरों का रंग पीला था और इनमें से सबसे बड़ा 1.5 मिलीमीटर लम्बाई से जरा - सा बड़ा था । " ' किसी दिन संभवत कोई बिल्कुल शुद्ध हीरे बना ले ।
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