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Published in Journal
Year: Feb, 2019
Volume: 16 / Issue: 2
Pages: 398 - 402 (5)
Publisher: Ignited Minds Journals
Source:
E-ISSN: 2230-7540
DOI:
Published URL: //ignited.in/I/a/89064
Published On: Feb, 2019
Article Details
आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी की आलोचनात्मक द्रष्टि | Original Article
रामचंद्र शुक्ल की आलोचनात्मक कृति कौन सी है?
मौलिक कृतियाँ
आलोचनात्मक ग्रंथ : सूर, तुलसी, जायसी पर की गई आलोचनाएं, काव्य में रहस्यवाद, काव्य में अभिव्यंजनावाद, रसमीमांसा आदि शुक्ल जी की आलोचनात्मक रचनाएं हैं।
रसवादी आलोचना क्या है?
नगेन्द्र स्वच्छन्दतावादी एवं सौष्ठावादी समीक्षक पध्दति के आलोचक हैं। इन्होंने हिन्दी आलोचना के व्यावहारिक एवं सैध्दान्तिक दोनों दृष्टियों से व्याख्या किए हैं। डाॅ. नगेन्द्र रहे ने अपनी प्रथम कृति 'सुमित्रानन्दन पन्त्र (१९३७) के प्रकाशन के साथ किया था।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल की सैद्धांतिक आलोचना का मूल आधार क्या है?
कवि - विशेष के सामान्य गुण-दोष प्रकट करने के साथ ही उसके काव्य की मूल प्रवृत्तियों की छानबीन करके उसमें निहित देश-काल- सापेक्ष और शाश्वत तत्वों का उद्घाटन करने तथा व्यापक मानवीय मूल्यों की दृष्टि से उसका महत्त्व प्रतिपादन करने की नयी परिपाटी का विकास आगे चल कर आचार्य शुक्ल की आलोचनाओं द्वारा हुआ ।
हिन्दी के प्रथम आलोचक कौन है?
श्रद्धाराम फिल्लौरी की भाग्यवती और लाला श्रीनिवास दास की परीक्षा गुरू को भी हिन्दी के प्रथम उपन्यस होने का श्रेय दिया जाता है।