विषयसूची
- 1 लेखक के अनुसार लोग फोटो खिंचवाने के लिए क्या क्या करते हैं?
- 2 लेखक के अनुसार लोग फोटो खिंचवाने के लिए क्या क्या करते हैं प्रेमचंद के फटे जूते पाठ के आधार पर लिखिए?
- 3 लेखक के अनुसार यदि प्रेमचंद फोटो का महत्व समझते तो फोटो खिंचवाने के लिए क्या करते हैं?
- 4 प्रेमचंद ने अपने फटे जूते को ढकने का प्रयास क्यों नहीीं ककया होगा?
- 5 तुम पर्दे का महत्व ही नहीं जानते हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं लेखक इस पंक्ति के माध्यम से क्या कहना चाहता है?
- 6 हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं इस स्थिति में पर्दा क्या है?
- 7 लेखक ने बाबू को क्या समझाया?
- 8 प्रेमचंद के फटे जूते पाठ में लेखक के अनुसार लोग फोटो खिंचवाने के लिए क्या नहीं करते हैं *?
- 9 कैसे कहूं कि दुनिया से सच्चाई और ईमानदारी लुप्त हो गई है लेखक ने यह बात क्यों कही?
- 10 लेखक ने टिकट बाबू को कितने रुपए दिए?
लेखक के अनुसार लोग फोटो खिंचवाने के लिए क्या क्या करते हैं?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए।
लेखक के अनुसार लोग फोटो खिंचवाने के लिए क्या क्या करते हैं प्रेमचंद के फटे जूते पाठ के आधार पर लिखिए?
इसे सुनेंरोकेंफोटो खिंचाने के लिए तो बीवी तक माँग ली जाती है, तुमसे जूते ही माँगते नहीं बने! तुम फोटो का महत्व नहीं जानते। लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए! गंदे-से-गंदे आदमी की फोटो भी खुशबू देती है।
टीलों का अर्थ क्या है प्रेमचंद ने टीलों के साथ क्या कि या?
इसे सुनेंरोकेंपाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग ‘मार्ग की बाधा’ का प्रतीक है। इस पाठ में टीला शब्द सामाजिक कुरीतियों,अन्याय तथा भेदभाव को दर्शाता है क्योंकि यह मानव के सामजिक विकास में बाधाएँ उत्पन्न करता हैं। तुम परदे का महत्व नहीं जानते, हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं।
आज के जीवन में पर्दे का क्या महत्व है प्रेमचंद के फटे जूते पाठ के आधार पर लिखिए?
इसे सुनेंरोकेंपरन्तु आज की परिस्थिति में इज़्जत को समाज के समृद्ध एवं प्रतिष्ठित लोगों के सामने झुकना पड़ता है। (ख) यहाँ परदे का सम्बन्ध इज़्जत से है। जहाँ कुछ लोग इज़्ज़त को अपना सर्वस्व मानते हैं तथा उस पर अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार रहते हैं, वहीं दूसरी ओर समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके लिए इज़्ज़त महत्वहीन है।
लेखक के अनुसार यदि प्रेमचंद फोटो का महत्व समझते तो फोटो खिंचवाने के लिए क्या करते हैं?
इसे सुनेंरोकें(क) लेखक के अनुसार प्रेमचंद फोटो के महत्व को नहीं जानते क्योंकि उन्होंने अपनी पत्नी के साथ जो फोटो खिंचवाई थी, उसमें उनके जूते फटे हुए थे। (ख) लोग फोटो खिंचाने के लिए सुंदर बनते हैं। इसके लिए वे माँगी हुई पोशाक तक पहनने में नहीं हिचकिचाते| कई तो इत्र लगाकर फोटो खिंचाते हैं ताकि उनकी फोटो में भी खुशबू आ जाए।
प्रेमचंद ने अपने फटे जूते को ढकने का प्रयास क्यों नहीीं ककया होगा?
इसे सुनेंरोकेंप्रेमचंद ने अपने फटे जूते को ढंकने का प्रयास क्यों नहीं किया होगा? प्रेमचंद दिखावा एवं आडंबर से दूर रहने वाले व्यक्ति थे। उन्हें सादगीपूर्ण जीवन पसंद था। वे जैसा वास्तव में थे, वैसा ही दिखना चाहते थे, इसलिए प्रेमचंद ने अपने फटे जूते को छिपाने का प्रयास नहीं किया गया।
लेखि ने प्रेमचोंि िे जूते िे फटने िा क्या िारण सोचा है?
इसे सुनेंरोकेंप्रेमचंद के फटे जूते पाठ के लेखक द्वारा उनके जूते फटने का क्या कारण बताया गया है ➲ ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ पाठ के लेखक द्वारा जूते फटने का कारण समाज का पाखंड और समाज विडंबना को बताया जिसके कारण प्रेमचंद जैसे महान लेखक को अभावग्रस्त जीवन व्यतीत करना पड़ा और वह अपने लिये ढंग के जूते तक नही खरीद पाये।
प्रेमचंद के व्यक्तित्व की कौन कौन सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं?
1. हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्द चित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं?
- प्रेमचंद बहुत ही सीधा-सादा जीवन जीते थे वे गांधी जी की तरह सादा जीवन जीते थे।
- प्रेमचंद के विचार बहुत ही उच्च थे वे सामाजिक बुराइयों से दूर रहे।
- प्रेमचंद एक स्वाभिमानी व्यक्ति थे।
तुम पर्दे का महत्व ही नहीं जानते हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं लेखक इस पंक्ति के माध्यम से क्या कहना चाहता है?
इसे सुनेंरोकेंquestion. ‘तुम पर्दे का महत्व ही नहीं जानते, हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं, इन पंक्तियों में निहित व्यंग्य इस प्रकार है कि पर्दे के संबंध में लोगों का अलग-अलग महत्व है। कुछ लोग परदे को इज्जत मान-मर्यादा से जोड़ते हैं और इज्जत मान-मर्यादा को अपना सर्वस्व मानते हैं।
हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं इस स्थिति में पर्दा क्या है?
इसे सुनेंरोकेंतुम परदे का महत्व नहीं जानते, हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं। उत्तर:- प्रेमचंद ने कभी पर्दे को अर्थात लुकाव-छिपाव को महत्व नहीं दिया। उन्होंने वास्तविकता को कभी ढँकने का प्रयत्न नहीं किया है। लोग अपनी बुराइयों को कभी छिपाने का प्रयास नहीं किया।
लेखक पर शायरी प्रेमचंद को क्या सलाह दे रहे थे?
इसे सुनेंरोकेंAnswer. सामाजिक कुरीतियों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने वाले– प्रेमचंद ने समाज में फैली हुई कुरीतियों के प्रति लोगों को सावधान किया। वे एक स्वस्थ समाज चाहते थे तथा स्वयं भी बुराइयों से कोसों दूर रहने वाले थे। अपनी स्थिति से संतुष्ट– प्रेमचंद का जीवन हमेशा अभावों में बीता।
इसे सुनेंरोकेंसमझते होते, तो किसी से फोटो खिंचाने के लिए जूते माँग लेते। लोग तो माँगे के कोट से वर-दिखाई करते हैं। और माँगे की मोटर से बारात निकालते हैं। फोटो खिंचाने के लिए तो बीवी तक माँग ली जाती है, तुमसे जूते ही माँगते नहीं बने!
लेखिका परदादी के किन गुणों से प्रभावित थी और क्यों?
इसे सुनेंरोकें’मेरे संग की औरते’ पाठ में लेखिका ‘मृदुला गर्ग’ परदादी प्रगतिशील विचारों से प्रभावित थी। उस दौर में जब पुरुष सत्ता प्रधान इस समाज में हमेशा पुत्र की कामना की जाती है। तब लेखिका की परदादी ने अपनी पतोहू (पोते की पत्नी) के लिये पुत्री की कामना की। उनकी इस बात ने महिला को पुरुष के समान महत्व देने की पहल की शुरुआत की।
लेखक ने बाबू को क्या समझाया?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: लेखक ने अपने जीवन की दो घटनाओं में रेलवे के टिकट बाबू अब बस कंडक्टर की अच्छाई और ईमानदारी की बात बताई है। आप भी अपने किसी परिचित के साथ हुई किसी घटना के बारे में बताइए जिसमें किसी ने बिना किसी स्वार्थ के भलाई ईमानदारी और अच्छाई के कार्य किए हो।
प्रेमचंद के फटे जूते पाठ में लेखक के अनुसार लोग फोटो खिंचवाने के लिए क्या नहीं करते हैं *?
इसे सुनेंरोकेंफोटो ञखचाने के लिए बीवी तक माँग ली जाती है, तुमसे जूते ही माँगते नहीं बने! तुम फोटो का महत्त्व नहीं जानते। लोग तो इत्र चुपड़ कर फोटो खीचते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए! गंदे से गंदे आदमी की फोटो भी खुशबू देती है।
मेरे संग की औरतें पाठ में आपको सबसे अच्छा व्यक्तित्व किसका लगा और क्यों?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: लेखिका व उनकी बहन एकांत प्रिय स्वभाव की थीं। लेखिका व उनकी बहन के व्यक्तित्व का सबसे खूबसूरत पहलू था – वे दोनों ही जिद्दी स्वभाव की थीं परन्तु इस जिद्द से वे हमेशा सही कार्य को ही अंजाम दिया करती थे।
लेखिका की माँ का सबसे अच्छा गुण कौन सा है?
लेखिका की माँ खादी की साड़ी पहनने वाली आजीवन गाँधी जी के सिद्धांतों का पालन करती रहीं।
कैसे कहूं कि दुनिया से सच्चाई और ईमानदारी लुप्त हो गई है लेखक ने यह बात क्यों कही?
इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: कैसे कहूँ कि दुनिया से सच्चाई और ईमानदारी लुप्त हो गई है, वैसे अनेक अवांछित घटनाएँ भी हुई है, परन्तु यह एक घटना ठगी और वंचना की अनेक घटनाओं से अधिक शक्तिशाली है। लेखक को विश्वास है कि अभी भी दुनिया में सच्चाई और ईमानदारी बची हुई है ।
लेखक ने टिकट बाबू को कितने रुपए दिए?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: बाबू को 350 रुपये वापस करने थे लेकिन उसने कहा कि दो नोट पांच सौ और एक सौ का था।