लोहे से कितने प्रकार के होते हैं? - lohe se kitane prakaar ke hote hain?

अध्याय : 1. धातु एवं अधातु

लोहे की किस्म/प्रकार है

1. ढलवा लोहा तथा कच्चा लोहा : वात्याभट्टी में बना लोहा ढलवा लोहा कहलाता है। इसमें तुलनात्मक रूप से कार्बन की प्रतिशतता उच्च होती है जिसके कारण यह कठोर तथा भंगुर होता हैं। इसमें अशुद्धियों के रूप में फॉस्फोरस, सिलिकन तथा मैग्नीज आदि भी होती हैे। ढलवा लोहा पिघलकर स्टील के टूकड़ों के साथ मिश्रित हो जाता है तत्पश्चात् साँचों में ठण्डा कर कच्चा लोहा प्राप्त करते हैं। कच्चा लोहा अशुद्ध लोहा होता है तथा कठोर भंगुर होता हैं।
2. पिटवा लोहा : यह लगभग लोहे का शुद्ध रूप होता है। इसमें केवल 0.12% से 0.25% तक कार्बन पायी जाती है। यह कच्चे लोहे की अपेक्षा उच्च ताप (1773 K) पर पिघलती है। पिटवा लोहे को कच्चे/ढलवे लोहे को फेरिक ऑक्साइड़ (Fe2O3) के साथ पिघलाकर प्राप्त किया जाता है। अशुद्धियाँ जैसे- कार्बन, फॉस्फोरस, सिलिकन तथा मैग्नीज, Fe2O3 द्वारा ऑक्सीकृत होती है।
Fe2O3 + 3C → 2Fe + 3CO
पिटवाँ लोहा मुलायम, धूसर तथा कठोर हाता है। ये अघातवर्द्धनीय तथा तन्य होता हैं। अत: इसे चद्दरों में फैलाया तथा तारों में खींचा जा सकता है। इसका उपयोग चेन (सांखलों), तार, काँटे तथा विध्युत चुम्बकीय क्रोड़ बनाने में किया जाता है।
3. स्टील (इस्पात) : यह लोहा व कार्बन की मिश्रधातु होती हैं। इसमें कार्बन की मात्रा लगभग 0.15 से 1.7% तक होती है। स्टील के विभिन्न प्रकार निम्न है-
(a) मृदु (इस्पात) : इसमें 0.3% से कम कार्बन होता है। इसे मृदु लोहा/मुलायम लोहा भी कहते हैं। मृदु इस्पात का उपयोग चद्दरों तथा तारों को बनाने में किया जाता है।
(b) कठोर इस्पात : इसमें कार्बन की प्रतिशतता उच्च (0.7-1.7%) होती है। इसका उपयोग पुर्जे तथा उपकरण बनाने में किया जाता है।
(c) मिश्रित इस्पात : मिश्रित इस्पात को निकेल, कोबाल्ट, क्रोमियम, टंगस्टन, मॉलिब्डेनम, मैग्नीज तथा सिलिकन की अल्प मात्राओं को मिलाकर बनाया जाता है। मिश्रित इस्पात का उपयोग अत्यधिक कठोर मशीन, हेलमेट, कवच प्लेट, काटने के सामान, स्प्रिंग आदि को बनाने में किया जाता हैं।
(d) मध्य इस्पात: इसमें 0.3-0.7% कार्बन होती हैं। यह कठोर होता है तथा रेल, पुलों के निर्माण में प्रयुक्त होती है।

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विश्व में अन्य किसी धातु का इतना अधिक व्यापक रुप में प्रयोग नहीं किया जाता है, जितना कि लोहे का। लोहा किसी भी देश के आर्थिक विकास का मुख्य आधार है। यह धातु सस्ती होने के साथ-साथ बहुउपयोगी है। यही कारण है कि वर्तमान में अन्य कोई धातु इससे प्रतिस्पर्धा करने में सफल नहीं हो सकी है। भूगर्भ से यह धातु अशुद्ध रूप में निकाली जाती हैं। लोहा कार्बन की विभिन्न मात्राओं से संयोग कर भिन्न-भिन्न प्रकार के इस्पात तथा हल्के लोहे का निर्माण करता है।

लोहा के प्रकार

1. मेग्नेटाइट  (Magnetite)- यह काले अथवा गहरे भूरे रंग का होता है, जिसमें शुद्ध लौह धातु का अंश 52-62 प्रतिशत तक होता है। इस अयस्क में चुम्बकीय गुण होता है। भारत में इस अयस्क के संचित भण्डार लगभग 600 करोड़ मी. टन है।यह सबसे उत्तम कोटि का अयस्क हैं।

2. हैमेटाइड (Hametite)- यह अयस्क लाल रंग का होता है, जो लोहे के आक्सीकृत (लौह आक्साइड) होने से बनता है। जिसके भारत में संचित भण्डार लगभग 1,140 करोड़ मी. टन हैं।। इसमें लोहांश 60 से 70 प्रतिशत पायी जाती हैं। 

3. लिमोनाइट (Limonite)- इसका रंग पीला या भूरा होता हैं। इसमें लोहांश की मात्रा 40 से 60 प्रतिशत तक पाया जाता हैं 

4. सिडेराइट (Siderite)- इसका रंग राख जैसे होता हैं। इसमें लोहांश 48 प्रतिशत पाया जाता हैं।

भारत में लोहा के उत्पादन क्षेत्र

भारत का प्रमुख लौह उत्पादक क्षेत्र झारखण्ड राज्य के सिंहभूम जिले से होता हुआ ओडिशा में क्योंझर, बोनाई, मयूरभंज क्षेत्रों तक फैला है। इस क्षेत्र में उच्च कोटि का हेमेटाइट लोहा पाया जाता है, जिसमें धातु का अंश 60 से 65 प्रतिशत तक पाया जाता है। लोहा के उत्पादन में उड़ीसा, कर्नाटक, छŸाीसगढ़, गोआ, झारखण्ड, आंध्रप्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान महत्वपूर्ण है।

(1) ओडिशा - लोहा उत्पादन की दृष्टि से यह देश का प्रथम राज्य है। इस राज्य का अधिकांश लोहा उच्चकोटि का है जिसमें लौहांश का प्रतिशत 50 से 70 के मध्ये है। इस राज्य में सुन्दरगढ़, मयूरभंज तथा क्योंझर लोहा के प्रमुख उत्पादक जिले हैं। सुन्दरगढ़ जिले में बरसना, कूड़ाझार-पहाड़, कोटू तथा मालनगोलो, मयूरभंज जिले में गुरमहिसानी, सुलेपत तथा बादाम पहाड़ एवं क्योंझर जिले में बाँसपानी, ठकुरानी, टोड़ा कोड़ेकोला, किरुबक तथा फिलैरा लोहा उत्पादक क्षेत्र हैं।

इसके आलवा कोरापुट जिले में अमरकोट तथा कटक जिले में तमका पहाड़ी व दैतारी क्षेत्रों में भी लोहा का उत्पादन होता है।

(2) कर्नाटक -  कर्नाटक में देश के सबसे अधिक 38 प्रतिशत लोहा के संचित भण्डार हैं। इस राज्य का अधिकांश लोहा बेल्लारी तथा चिकमंगलूर जिलों में प्राप्त किया जाता है। यहाँ से उत्तम किस्म का हैमेटाइट अयस्क प्राप्त किया जाता है। हास्पेट क्षेत्र में लोहा के लगभग 125 करोड़ मी. टन संचित भण्डार हैं। चित्रदुर्ग, शिमोगा, तुमकुर तथा धारवाड़ लौह अयस्क उत्पादन के अन्य क्षेत्र हैं। लोहा उत्पादन की दृष्टि से कर्नाटक का देश में द्वितीय स्थान है।

(3) छतीसगढ़ - छतीसगढ़ भारत का तीसरा सबसे अधिक लोहा उत्पादित करता है। यहाँ देश के लगभग 10 प्रतिशत लोहा के प्रमाणित संचित भण्डार हैं। यहाँ उत्पादित किये जाने वाला अधिकांश लोहा हैमेटाइट किस्म का है, जिसमें 67 प्रतिशत तक लोहांश मिलता है।

(4) गोआ - गोआ में लिमोनाइट तथा सीडेराइट के भण्डार हैं। गोआ में पिरनाअदोल, पाल-ओलड़ा, कुड़नेमपिसरूलेम तथा कुदनेय-सुरला नामक स्थानों पर लोहा की प्रमुख खदानें हैं। इस राज्य में लोहा की 315 खदानें हैं। यहाँ का अधिकांश लोहा मार्मुगाओ बन्दरगाह द्वारा निर्यात कर दिया जाता है।

(5) झारखण्ड - देश के कुल उत्पादन का लगभग 10 प्रतिशत झारखण्ड राज्य से मिलता है। यहाँ उत्पादित किया जाने वाला अधिकांश लोहा हैमेटाइट एवं मैग्नेटाइट किस्म का है।  यहाँ का लोहा टाटा नगर, दुर्गापुर, राउरकेला तथा भिलाई इस्पात कारखानों को भेजा जाता है। इसी राज्य में बोकारो नामक कारखाना एशिया का सर्वाधिक बड़ा कारखाना स्थापित किया गया है। लोहा के नवीन भण्डार पलामू जिले में कोयल नदी के पश्चिम में स्थित सेमरा सलतुआ क्षेत्र में कोल वासरी में पाये गये हैं।

(6) आंध्रप्रदेश - यहाँ देश के 6.5 प्रतिशत लौह भंडार है। कृष्णा, कुर्नुल, कुडुप्पा, अनंतपुर, खम्भाम व नेल्लोर प्रमुख उत्पादक जिले हैं। यहाँ 50 से 65 प्रतिशत शुद्ध धातु का अयस्क पाया जाता है।

(7) महाराष्ट्र - यहाँ प्रतिवर्ष देश का लगभग 2 प्रतिशत लोहा उत्पादित किया जाता है। इस राज्य में पूर्वी एवं दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्रों में लोहा के भण्डार निहित हैं। पूर्वी भाग में चाँदा जिला तथा दक्षिण-पश्चिमी भाग में रत्नागिरी जिला लोहा के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं। इस राज्य में उत्पादित लौह अयस्क घटिया किस्म का होता है।

(8) मध्य प्रदेश - यह देश का प्रमुख लौह उत्पादक राज्य है। यहाँ पाया जाने वाला अधिकांश लोहा उत्तम श्रेणी का है। जिसमें 65 से 67 प्रतिशत लोहांश मिलता है। प्रदेश के मण्डला, बालाघाट, जबलपुर कटनी आदि जिलों में लोहे के भण्डार पाये जाते हैं। यहाँ लगभग 75 लाख टन लोहा संचित है।

(9) बिहार - यह राज्य देश का 3 प्रतिशत लोहा उत्पादित करता है। यहाँ उत्पादित किये जाने वाला अधिकांश लोहा हैमेटाइट एवं मैग्नेटाइट किस्म का है। भागलपुर तथा संथाल परगना लोहा उत्पादन के प्रमुख जिले हैं।

(10) लोहा उत्पादन के अन्य राज्य - तमिलनाडु राज्य में सेलम, मदुराई, त्रिचुरापल्ली तथा दक्षिणी अरकाट जिले, हरियाणा में मेहन्द्रगढ़ जिला, उत्तराखण्ड में गढ़वाल जिला, हिमाचल प्रदेश में मण्डी तथा काँगड़ा जिला तथा केरल राज्य में कोजिकोड जिला लोहा उत्पादन के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं।

लोहे के 4 प्रकार कौन कौन से हैं?

लोहे के प्रकार.
मेग्नेटाइट- यह सबसे उत्तम कोटि का अयस्क हैं। इसमें धातु अंश 70 प्रतिशतपायी जाती हैं। ... .
हैमेटाइड- यह लाल,कत्थर्इ, रंग का होता हैं। इसमें लोह ... .
लिमोनाइट- इसका रंग पीला या भूरा होता हैं। इसमें लोहांश की मात्रा 40 से60 प्रतिशत तक पाया जाताहैं.
सिडेराइट- इसका रंग राख जैसे होता हैं।.

लोहा कितने प्रकार का होता है उनके नाम?

अयस्क से पिग आयरन में आयरन के तीन मूल रूप होते हैं:.
कच्चा लोहा (कपोला भट्टी से निर्मित).
गढ़ा लोहा (भट्ठी से निर्मित).
स्टील (बेसेमर कनवर्टर से निर्मित).

सबसे अच्छा लोहा कौन सा है?

Solution : पिटवाँ लोहा, लोहे का शुद्धतम् रूप है। इसमे कार्बन की मात्रा (0.12 से 0.25%) सबसे कम होती है।

शुद्ध लोहा कौन सा है?

पिटवां लोहा, लोहे का सबसे शुद्ध अयस्क है जिसमें कार्बन की मात्रा स्टील से भी कम होती है। इसमें कार्बन की मात्रा लगभग 0.04 - 0.08% होती है।

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