प्रत्यय (हिन्दी व्याकरण) ‘प्रत्यय’ दो शब्दों से बना है– प्रति + अय। ‘प्रति’ का अर्थ है ‘साथ में, पर बाद में; जबकि ‘अय’ का अर्थ ‘चलने वाला’ है। अत: ‘प्रत्यय’ का अर्थ हुआ, ‘शब्दों के साथ, पर बाद में चलने वाला या लगने वाला, अत: इसका प्रयोग शब्द के अन्त में किया जाता है। प्रत्यय किसी भी सार्थक मूल शब्द के पश्चात् जोड़े जाने वाले वे अविकारी शब्दांश हैं, जो शब्द के अन्त में जुड़कर उसके अर्थ में या भाव में परिवर्तन कर देते हैं अर्थात् शब्द में नवीन विशेषता उत्पन्न कर देते हैं या अर्थ बदल देते हैं।
Pratyay (Suffix) प्रत्यय की परिभाषा भेद और Examples
शब्दों के अंत में जुड़कर शब्दों के अर्थ में विशेषता लाने वाले शब्दांश, ‘प्रत्यय’ कहलाते हैं। प्रमुख प्रत्यय नीचे दिए जा रहे हैं :
इसे सुनेंरोकेंफुर्तीला किसे कहते है | फुर्तीला को अंग्रेजी में क्या कहा जाता है फुर्तीला in english meaning. It means the meaning of word फुर्तीला in english language is called alive , you can use the word alive in place of फुर्तीला in english grammer writing practice or in any paragraph writing .
फुर्तीला का विलोम शब्द क्या है?
इसे सुनेंरोकेंआलसी का वाक्य में प्रयोग ( Aalsi ka vakya me prayog ) तीसरा उदाहरण – आलसी लोगो कभी जीवन में आगे नहीं बढ़ सकते हैं. फुर्तीला का विलोम शब्द काफी आसान हैं और इसका अर्थ भी काफी आसान हैं.
रामायण में कौन सा प्रत्यय है?
पढ़ना: साईं बाबा की पूजा कैसे करनी चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंअतः ‘रामायण’ में ‘आयन’ प्रत्यय और ‘राम’ मूल शब्द है।
बचत में कौन सा प्रत्यय है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer:बचत = त शब्द प्रत्यय होता है।
रामायण में कौन सा समास है?
रामायण में कोनसा समास है?
समस्त पदसमास विग्रहसमास का प्रकाररामायणराम का अयन ( आश्रय )-वाल्मीकि रचित काव्यबहुव्रीहि समासमोरनी में कौन सा प्रत्यय है?
स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय उदाहरण :
आइनपंडिताइन, ठकुराइनइनमालिन, कुम्हारिन, जोगिननीमोरनी, शेरनी, नन्दनीआनीसेठानी, देवरानी, जेठानीसिलाई में कौन सा प्रत्यय है?
संज्ञा बनाने वाले प्रमुख प्रत्यय
आईचढ़ाई, पढ़ाई, लिखाई, धुलाई, पिटाई, सिलाई।आवटमिलावट, लिखावट, दिखावट, सजावट।आनउड़ान, मिलान, लगान, उफान, उठान।आवछिपाव, बहाव, खिंचाव, लगाव।ईमजदूरी, तैराकी, नथनी, कथनी, तेज़ी, झिड़की।रामकथा में कौन सा समास है *?
इसे सुनेंरोकेंRamcharit mein kaun sa Samas hota hai? Tatpurush Samas – Ramcharit shabd mein Tatpurush Samas hai.
महाभारत में कौन सा समास है?
इसे सुनेंरोकेंदिया गया शब्द महाभारत कर्मधारय समास का उदाहरण है। इस समास की पहचान करने के लिए दो पदों के मध्य “के समान”, “है जो” आदि का प्रयोग किया जाता है।
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दौड़ना का मूल शब्द क्या है?
इसे सुनेंरोकेंदौड़ना शब्द में प्रत्यय और मूल शब्द अतः ‘दौड़ना’ में ‘ना’ प्रत्यय और ‘दौड़’ मूल शब्द है।
Suffixes Meaning in Hindi – Pratyay definition, Types of Suffixes, Suffixes examples – प्रत्यय की परिभाषा, प्रत्यय के भेद और उदाहरण
Suffixes in Hindi, Pratyay (प्रत्यय): इस लेख में हम प्रत्यय की परिभाषा और भेदों को उदहारण सहित जानेंगे।
- प्रत्यय की परिभाषा
- प्रत्यय के भेद
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प्रत्यय की परिभाषा – Definition
जो शब्दांश, शब्दों के अंत में जुड़कर अर्थ में परिवर्तन लाये, प्रत्यय कहलाते है।
दूसरे अर्थ में – शब्द निर्माण के लिए शब्दों के अंत में जो शब्दांश जोड़े जाते हैं, वे प्रत्यय कहलाते हैं।
प्रत्यय दो शब्दों से मिलकर बना होता है – प्रति + अय। प्रति का अर्थ होता है ‘साथ में, पर बाद में’ और अय का अर्थ होता है ‘चलने वाला’। अत: प्रत्यय का अर्थ होता है, साथ में पर बाद में चलने वाला। प्रत्यय उपसर्गों की तरह अविकारी शब्दांश है, जो शब्दों के बाद जोड़े जाते है।
प्रत्यय का अपना अर्थ नहीं होता और न ही इनका कोई स्वतंत्र अस्तित्व होता है। प्रत्यय अविकारी शब्दांश होते हैं जो शब्दों के बाद में जोड़े जाते है।
जैसे –
समाज + इक = सामाजिक
सुगन्ध + इत = सुगन्धित
भूलना + अक्कड़ = भुलक्कड़
मीठा + आस = मिठास
भला + आई = भलाई
उपरोक्त शब्दों में इक, इत, अक्कड़, आस और आई शब्दांश प्रत्यय हैं।
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प्रत्यय के भेद – Suffix differences
सबसे पहले सभी प्रत्ययों को संक्षिप्त रूप में जानेंगे –
संस्कृत प्रत्यय
‘इक’प्रत्यय
‘इक’प्रत्यय लगने पर शब्द के प्रारंभिक स्वर में इस प्रकार परिवर्तन होते है –
अ = आ
इ, ई, ए = ऐ
उ, ऊ, ओ = औ
ऋ = आर्
जैसे –
मनस् + इक = मानसिक
व्यवहार + इक = व्यावहारिक
समूह + इक = सामूहिक
नीति + इक = नैतिक
भूगोल + इक = भौगोलिक
‘एय’ प्रत्यय
शब्द के अन्तिम वर्ण के स्वर को हटाकर उसमें ‘एय’प्रत्यय जोड़ दिया जाता है | तथा ‘इक’प्रत्यय की तरह शब्द के प्रथम स्वर में परिवर्तन कर देता है |
जैसे –
अग्नि + एय = आग्नेय
गंगा + एय = गांगेय (भीष्म)
राधा + एय = राधेय (कर्ण)
‘ईय’ प्रत्यय
भारत + ईय = भारतीय
मानव + ईय = मानवीय
विदेशी प्रत्यय
‘गर’ प्रत्यय
जादू + गर = जादूगर
बाज़ी + गर = बाज़ीगर
‘इश’ प्रत्यय
फ़रमा + इश = फ़रमाइश
पैदा + इश = पैदाइश
‘दान’ प्रत्यय
रोशन + दान = रोशनदान
इत्र + दान = इत्रदान
(स्थान) ‘गाह’ प्रत्यय
बंदर + गाह = बंदरगाह
दर + गाह = दरगाह
‘गीर’ प्रत्यय
राह + गीर = राहगीर
उठाई + गीर = उठाईगीर
हिंदी प्रत्यय
संज्ञा की रचना करने वाले कृत प्रत्यय –
‘न’ प्रत्यय
बेल + न = बेलन
चंद + न = चंदन
‘आ’ प्रत्यय
मेल + आ = मेला
झूल + आ = झूला
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विशेषण की रचना करने वाले कृत प्रत्यय
‘आलु’ प्रत्यय
दया + आलु = दयालु
श्रद्धा + आलु = श्रद्धालु
‘ऊ’ प्रत्यय
चाल + ऊ = चालू
डाक + ऊ = डाकू
अब हम हिंदी के प्रत्यय भेदों को विस्तारपूर्वक जानेंगे –
(1) कृत प्रत्यय
(2) तद्धित प्रत्यय
कृत प्रत्यय
वे प्रत्यय जो क्रिया या धातु के अंत में लगकर एक नए शब्द बनाते हैं, उन्हें कृत प्रत्यय कहा जाता है।
दूसरे शब्दो में – वे प्रत्यय जो क्रिया के मूल रूप यानी धातु में जोड़े जाते है, कृत् प्रत्यय कहलाते है।
जैसे –
लिख् + अक =लेखक।
यहाँ अक कृत् प्रत्यय है तथा लेखक कृदंत शब्द है।
कृत प्रत्यय से मिलकर जो प्रत्यय बनते है, उन्हें कृदंत प्रत्यय कहते हैं। ये प्रत्यय क्रिया और धातु को नया अर्थ देते हैं। कृत प्रत्यय के योग से संज्ञा और विशेषण भी बनाए जाते हैं। हिंदी में क्रिया के नाम के अंत का ‘ना’ (कृत् प्रत्यय) हटा देने पर जो अंश बच जाता है, वही धातु है।
जैसे –
कहना की कह्, चलना की चल् धातु में ही प्रत्यय लगते है।
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कृत् प्रत्यय के भेद
1. कर्तृवाचक कृत् प्रत्यय
2. कर्मवाचक कृत् प्रत्यय
3. करणवाचक कृत् प्रत्यय
4. भाववाचक कृत् प्रत्यय
5. क्रियाद्योतक कृत् प्रत्यय
कर्तृवाचक कृत् प्रत्यय
कर्ता का बोध कराने वाले प्रत्यय कर्तृवाचक कृत् प्रत्यय कहलाते है।
दूसरे शब्दों में – जिस शब्द से किसी के कार्य को करने वाले का पता चले, उसे कर्तृवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं।
जैसे –
अक = लेखक, नायक, गायक, पाठक
अक्कड = भुलक्कड, घुमक्कड़, पियक्कड़
आक = तैराक, लडाक
आलू = झगड़ालू
आकू = लड़ाकू, कृपालु, दयालु
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कर्मवाचक कृत् प्रत्यय
कर्म का बोध कराने वाले प्रत्यय कर्मवाचक कृत् प्रत्यय कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में – जिस प्रत्यय से बनने वाले शब्दों से किसी कर्म का पता चले उसे, कर्मवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं।
जैसे –
औना = बिछौना, खिलौना
ना = सूँघना, पढना, खाना
नी = सुँघनी, छलनी
गा = गाना।
करणवाचक कृत् प्रत्यय
करण यानी साधन का बोध कराने वाले प्रत्यय करणवाचक कृत् प्रत्यय कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में – जिस प्रत्यय की वजह से बने शब्द से क्रिया के करण का बोध होता है, उसे करणवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं।
जैसे –
आ = भटका, भूला, झूला
ऊ = झाड़ू
ई = रेती, फांसी, भारी, धुलाई
न = बेलन, झाडन, बंधन
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भाववाचक कृत् प्रत्यय
क्रिया के व्यापार या भाव का बोध कराने वाले प्रत्यय भाववाचक कृत् प्रत्यय कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में – भाववाचक कृत प्रत्यय वे होते हैं, जो क्रिया से भाववाचक संज्ञा का निर्माण करते हैं।
जैसे –
अन = लेखन, पठन, गमन, मनन, मिलन
ति = गति, रति, मति
अ = जय, लेख, विचार, मार, लूट, तोल
आवा = भुलावा, छलावा, दिखावा, बुलावा, चढावा
क्रियाद्योतक कृत् प्रत्यय
जिन कृत् प्रत्ययों के योग से क्रियामूलक विशेषण, रखनेवाली क्रिया का निर्माण होता है, उन्हें क्रियाद्योतक कृत् प्रत्यय कहते हैं।
दूसरे शब्दों में – जिस प्रत्यय के कारण बने शब्दों से क्रिया के होने का भाव पता चले, उसे क्रिया वाचक कृत प्रत्यय कहते हैं।
जैसे –
ता = डूबता, बहता, चलता
या = खोया, बोया
आ = सुखा, भूला, बैठा
ना = दौड़ना, सोना
कर = जाकर, देखकर
तद्धित प्रत्यय
संज्ञा सर्वनाम और विशेषण के अन्त में लगने वाले प्रत्यय को ‘तद्धित’ कहा जाता है और उनके मेल से बने शब्द को ‘तद्धितान्त’।
दूसरे शब्दों में – धातुओं को छोड़कर अन्य शब्दों में लगनेवाले प्रत्ययों को तद्धित कहते हैं।
जब संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण के अंत में प्रत्यय लगते हैं, उन शब्दों को तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
जैसे –
मानव + ता = मानवता
अच्छा + आई = अच्छाई
अपना + पन = अपनापन
एक + ता = एकता
ड़का + पन = लडकपन
मम + ता = ममता
अपना + पन = अपनत्व
कृत-प्रत्यय क्रिया या धातु के अन्त में लगता है, जबकि तद्धित प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण के अन्त में। तद्धित और कृत-प्रत्यय में यही अन्तर है। उपसर्ग की तरह तद्धित-प्रत्यय भी तीन स्रोतों- संस्कृत, हिंदी और उर्दू से आकर हिन्दी शब्दों की रचना में सहायक हुए है।