में और मैं में अंतर worksheet - mein aur main mein antar workshaiait

इसे सुनेंरोकेंमे के उपर कोई अनुस्वार नहीं है तो इसका कोई मतलब नहीं होता है। इसे यूँ ही प्रयोग नहीं किया जा सकता है। मेरा, मेरी, मेरे जैसे शब्दों को लिखने के लिए मे का प्रयोग होता है। मे के साथ जब तक दूसरा शब्द नहीं जोड़ा जाता तब तक इसका कोई मतलब नहीं होता है।

इसलिए और इसीलिए में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंअर्थ में कोई अंतर नहीं है।

आप और तुम में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंतुम और आप में क्या अंतर है? उम्र में जो हमसे छोटे हैं उनके लिए तुम शब्द से संबोधित करते हैं और जो उम्र में हमसे बड़े हैं उनके लिए आप शब्द से संबोधित करते हैं उन्हें रिस्पेक्ट देने के लिए.

तथा और में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकें’और’ पूरी तरह शुद्ध हिंदी का शब्द नहीं है, ना ही यह संस्कृत में प्रयुक्त होता है। ‘एवं’ ‘तथा’ दोनों संस्कृत के तत्सम शब्द है, जो संस्कृत से सीधे हिंदी में आए हैं। ‘व’ शब्द एक देशज शब्द है। ‘और’ अंग्रेजी के एंड (and) के अतिरिक्त अधिक के रूप में भी प्रयोग होता है।

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है का प्रयोग वाक्य में कब किया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंहै’ का किसी बात में तब उपयोग होता है, जब कर्ता एकवचन हो या क्रिया एकवचन हो। ‘हैं का प्रयोग किसी वाक्य में तब होता है, जब कर्ता है या क्रिया बहुवचन हो।

प्रारंभ और आरंभ में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. आरम्भ का अर्थ है शुरुआत से कार्य को करना और प्रारंभ का अर्थ है एक और बार शुरुआत करना।

अंतरिम और अंतिम में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकें’अंतरिम’ और ‘अंतिम’ शब्दों में क्या अंतर है? – अंतिम के बाद कुछ और नहीं हो सकता है। जबकि अंतरिम या अनंनतिम के बाद अंतिम होता है। जब किसी विषय पर अंतिम निर्णय होने में देरी की संभावना होती है तो उस समय अंतरिम निर्णय लिया जाता है।

वाक्य के अंत में क्या लगाते हैं?

इसे सुनेंरोकेंवाक्य के अंत में पूर्ण विराम लगाते हैं; जैसे- वह गीत गाता है।

कहा कहाँ का अर्थ है?

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इसे सुनेंरोकेंकहाँ ^१ क्रि॰ वि॰ [वैदिक सं॰ कुह: या कुत्र, या कुत्थ] स्थान संबंध मे एक प्रश्नवाचक शब्द । किस जगह? किस स्थान पर? जैसे,—तुम कहाँ गए थे?

नई और नयी में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकें’नई ‘ गलत शब्द है , सही शब्द ‘ नयी ‘ है , क्योंकि मूल शब्द ‘ नया ‘ है जिससे ‘ नयी ‘ शब्द बनता है। जिन शब्दों के अन्त में ‘ई’ आता है वे संज्ञाएँ होती हैं ,जैसे – मिठाई, मलाई, सिंचाई, ढिठाई, बुनाई, सिलाई, कढ़ाई, निराई, गुणाई, लगाई-बुझाई आदि । नई और नयी—-दोनों एक ही शब्द हैं, दोनों का मतलब भी एक है।

क्या कोई और नहीं के बीच अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंकड़ाई से बोलते हुए उन्हें अलग-अलग उपयोगों के साथ दो शब्दों के रूप में देखा जाना चाहिए। हालांकि कोई भी मुख्य रूप से एक निर्धारक के रूप में उपयोग नहीं किया जाता है, यह एक विस्मयादिबोधक, क्रिया विशेषण के साथ-साथ संज्ञा के रूप में भी उपयोग किया जाता है। दूसरी ओर, नहीं का प्राथमिक उपयोग क्रिया विशेषण है।

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पसंद और प्रेम में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंसबसे पहले जवाब दिया गया: पसंद करना और प्यार करना उनके बीच क्या अंतर है? प्रेम की शूरवात पसंद करने से ही होती है लेकिन हर पसंद प्रेम में परिणित हो जाए ऐसा आवश्यक नहीं । पसंद करने के पीछे एक कारण होता है एक वजह होती है और इस जगत में कुछ भी ऐसा नहीं जो बदले न ।

प्रेम और मोह में क्या अंतर होता है?

इसे सुनेंरोकेंप्रेम ऊपर उठाता है पर मोह नीचे गिराता है। अर्थात प्रेम में इंसान महान हो जाता है और मोह में पड़ कर गिर जाता है। प्रेम अटूट है कभी भंग नहीं होता, जबकि मोह भंग हो जाता है। मोह में पाने की इच्छा होती है, प्रेम में केवल समर्पण का भाव होता है।

अक्सर देखने में आता है कि जब हिन्दी लिखते हैं तब कुछ शब्दों को लेकर confuse हो जाते हैं कि वहाँ उस स्थान पर किस शब्द का प्रयोग किया जाए | कुछ ऐसे शब्द होते हैं जो देखने में एक जैसे होते है परन्तु उनका अर्थ भिन्न होता है | इसी संधर्भ में सबसे पहले हम "मैं" और "में" का अन्तर समझेंगे |




  1. मैं खाना खाता हूँ |
  2. वह बस में जाता है |


पहले वाक्य में 'मैं' कर्ता (subject) है, अर्थ कर्ता से है अर्थार्त मेरे द्वारा खाना खाने का कार्य किया जा रहा है | जबकि दुसरे वाक्य में 'में' शब्द का प्रयोग किया गया है क्योंकि यहाँ उसके द्वारा बस के माध्यम से जाया जा रहा है | अर्थात यहाँ 'में' से तात्पर्य अंदर (inside) से है |



अब हम एक अन्य उद्धरण द्वारा इसे समझने का प्रयास करेंगे ----


मैं कक्षा में बैठा हूँ |


उप्पर दिए गए वाक्य में 'मैं' कर्ता के रूप  में प्रयुक्त हुआ है जबकि में से तात्पर्य कक्षा के अंदर (Inside the class) से है |

लिंग उन शब्दों का रूप होता है जिनसे स्त्री और पुरुष में अंतर किया जा सके। यानी अगर स्त्री और पुरुष का बोध कराते हो, उन्हें लिंग कहा जाता है। आपको बता दें कि लिंग संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है “निशान” या “चिन्ह”।

जैसे–

  • हाथी – हथनी
  • माली – मालिन
  • कवि – कवियत्री
  • राजा – रानी
  • सम्राट – सम्राज्ञी
  • घोड़ा – घोड़ी
  • लेखक – लेखिका
  • लड़का – लड़की
  • पंडित – पंडिताइन

लिंग बदलो क्विज

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FAQ

लिंग कितने प्रकार के होते है?

लिंग दो प्रकार के होते है- स्त्रीलिंग, पुलिंग

प्रधानाचार्य का स्त्रीलिंग क्या होता है?

प्रधानाचार्य का स्त्रीलिंग प्रधानाचार्या होता है।

लिंग किसे कहते हैं?

लिंग उन शब्दों का रूप होता है जिनसे स्त्री और पुरुष में अंतर किया जा सके। यानी वह शब्द जो स्त्री और पुरुष का बोध कराते हो, उन्हें लिंग कहा जाता है। आपको बता दें कि लिंग संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है “निशान” या “चिन्ह”।

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मैं और मैं में क्या अंतर है?

किसे कब प्रयोग करें? में हिन्दी भाषा का व्यंजन वर्ण कहलाता है। मे और में दोनों के बीच में क्या अंतर है,इसे हम इस प्रकार देखते है। मे और में दोनों में पहला अंतर तो यह है कि मे के उपर कोई अनुस्वार (बिन्दु) नहीं है और में के उपर अनुस्वार है, जिसके कारण दोनों वर्णों का मतलब ही अलग हो जाता है।

मैं का प्रयोग कब होता है?

मैं शब्द का प्रयोग स्वयं के लिए किआ जाता है जब कि में शब्द का प्रयोग के अंदर के लिए किया जाता है। 'मैं' का अर्थ होता है 'स्वयं' अर्थात जब हम खुद को इंगित करते है तब मैं का प्रयोग करते है। 'में' का प्रयोग हम हर वाक्य में प्रयोग करते है, जैसे- इस में -उस में, किस में ।

है और है में क्या अंतर है?

है एकवचन (singular) के लिए प्रयोग होता है और हैं बहुवचन (plural) के लिए प्रयोग होता है। है में ै की मात्रा के पास कोई बिंदु (अनुस्वार) नहीं होता है जबकि हैं में ै की मात्रा के पास एक बिंदु (अनुस्वार) होता है।

मैं क्या अंतर होता है?

मैं और हम दोनों ही उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम के अन्तर्गत आते हैं। इनमें केवल इतना अंतर है कि मैं का प्रयोग एकवचन के लिए और हम का प्रयोग बहुवचन के लिए होता है। जैसे-१. मैं पुस्तक पढ़ता हूं।

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