म्यूचुअल फंड में क्या रिस्क है? - myoochual phand mein kya risk hai?

Reduce Mutual Fund Investment Risk: फंड मैनेजर के अलावा निवेशक के तौर पर भी आप म्यूचुअल फंड में निवेश पर रिस्क को कम करने के लिए कुछ तरीके अपना सकते हैं.

Reduce Mutual Fund Investment Risk: बाजार में उतार-चढ़ाव के चलते कुछ निवेशक सीधे इक्विटी की बजाय म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं. हालांकि इसमें भी निवेश से कई सिस्टमैटिक और अनसिस्टमैटिक रिस्क जुड़ा हुआ है. ये न सिर्फ घरेलू बल्कि वैश्विक कारणों के चलते हो सकते हैं. इनके चलते आपके निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर फंड मैनेजर सभी रिस्क को कम करने के लिए अपने ज्ञान और अनुभव करते हैं. हालांकि आप भी एक निवेशक के तौर पर कुछ तरीके अपना सकते हैं जिससे आप म्यूचुअल फंड में निवेश पर रिस्क को कम कर सकते हैं. बाजार में म्यूचुअल फंड की कई योजनाएं उपलब्ध हैं जिसमें से अपने लिए बेहतर का चयन करने के लिए नीचे दिए गए सुझाव के हिसाब से अपनी रणनीति अपना सकते हैं.

फंड के फंडामेंटल को जरूर चेक करें

किसी भी म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने से पहले इसका फंडामेंटल चेक कर लें. फंड के पोर्टफोलियो में देख लें कि यह कितना मजबूत है और इसका पैसा सभी सेक्टर्स की टॉप कंपनियों में लगा है या नहीं. कमजोर फंडामेंटल वाले फंड में निवेश से लांग टर्म में आपकी निवेश पर घाटा उठाना पड़ सकता है.

Stocks in WarTime: रूस-यूक्रेन की लड़ाई में भी जमे रहे ये शेयर, तो इन स्टॉक्स में बिकवाली का दबाव

Risk-O-Meter से अपने रिस्क की मैचिंग

सेबी के आदेश के मुताबिक एएमसी (एसेट मैनेजमेंट कंपनी) को अपने सभी फंड के लिए रिस्क-ओ-मोटर भी दिखाना होगा. इसमें फंड से जुड़े सभी रिस्क का स्तर के बारे में जानकारी देनी होती है. इससे पहले रिस्क-ओ-मीटर में किसी खास कैटेगरी से जुड़े रिस्क को दिखाया जाता था लेकिन अब स्थिति बदल गई है. किसी फंड में निवेश से पहले इस मीटर से चेक कर लें कि किस फंड से जुड़ा रिस्क आपके रिस्क लेने की क्षमता से मैच कर रही है. रिस्क का लेवल लिक्विडिटी रिस्क, क्रेडिट रिस्क, इंटेरेस्ट रेट रिस्क, मार्केट कैप और वोलैटिलिटी समेत कई आधार पर तय की जाती है.

लांग टर्म रिटर्न चेक करें

अगर फंड के रिटर्न के जरिए अपने लिए फंड का चयन कर रहे हैं तो लांग टर्म रिटर्न देखें. कुछ निवेशक शॉर्ट टर्म रिटर्न के हिसाब से अपने निवेश का फैसला लेते हैं लेकिन अगर लांग टर्म यानी 8-10 वर्ष के ट्रैक रिकॉर्ड को देखा जाए तो इससे बुल और बियर यानी खरीदारी व बिकवाली दोनों परिस्थितियों में फंड के प्रदर्शन को समझने में मदद मिलेगी. ऐसे फंड का चयन करें जिसने कम से कम 2-3 साल का अवधि में लगातार बेहतर प्रदर्शन किया हो.

लार्ज कैप्स में करें निवेश

मिड और स्माल कैप्स में अधिक रिटर्न मिलने की संभावना रहती है लेकिन इसमें रिस्क भी अधिक रहता है. ऐसे में लार्ज कैप्स से जुड़े फंड में निवेश करना बेहतर है क्योंकि यह बाजार की गिरावट के दौरान भी बेहतर प्रदर्शन करता है. लार्ज कैप्स का पैसा ऐसी कंपनियों में लगाया जाता है जो अपने सेग्मेंट में डॉमिनेंट होते हैं. अगर बाजार की गिरावट के दौरान इनमें गिरावट होती है तो कुछ समय बाद ही इनमें उछाल होती है.

Stock Market Tips: निवेश से पहले इन ‘Ratio’ के बारे में जानना जरूरी, सही शेयर चुनने में मिलेगी मदद

सभी एनएफओ में निवेश करने से बचें

पूंजी जुटाने के लिए एएमसी न्यू फंड ऑफर (NFO) लाती हैं. अधिकतर निवेशक अधिक रिटर्न को लेकर एनएफओ में निवेश के लिए आकर्षित होते हैं. हालांकि सभी एनएफओ में निवेश करने की प्रवृत्ति से बचा जाना चाहिए. ये नए ऑफर होते हैं तो इनके बारे में अधिक जानकारी सार्वजनिक नहीं होती है जिसके चलते सावधानीपूर्वक ही इसमें निवेश को लेकर फैसला लेना चाहिए. निवेश से पहले देखें कि इसमें नया क्या है और लागत कितनी है.
(Article: Rahul Jain, President & Head, Personal Wealth, Edelweiss Wealth Management)

(डिस्क्लेमर: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. ऐसे में पैसे लगाने से पहले अपने निवेश सलाहकार से संपर्क कर लें.)

  • Hindi News
  • Business
  • Money knowledge
  • Mutual Fund ; There Are 4 Types Of Mutual Funds, You Can Start Investing With 500 Rupees

म्यूचुअल फंड कंपनियां निवेशकों से पैसे जुटाती हैं। इस पैसे को वे शेयरों में निवेश करती हैं

  • अच्‍छे रिटर्न के लिए म्‍युचुअल फंड में निवेश करना सही विकल्प हो सकता है
  • म्‍युचुअल फंड अपनी इक्विटी स्‍कीम में जुटाए पैसों का निवेश शेयर बाजार में करते हैं

अच्‍छे रिटर्न के लिए म्‍युचुअल फंड में निवेश करना सही विकल्प हो सकता है। लेकिन अभी भी काफी लोगों को यह नहीं पता है कि म्‍युचुअल फंड स्कीम क्या हैं? और इनमें निवेश कैसे किया जाता है? म्यूचुअल फंड कंपनियां निवेशकों से पैसे जुटाती हैं। इस पैसे को वे शेयरों में निवेश करती हैं। इसके बदले म्‍युचुअल फंड निवेशकों से चार्ज भी लेती हैं। जो लोग शेयर बाजार में निवेश के बारे में बहुत नहीं जानते, उनके लिए म्यूचुअल फंड निवेश का अच्छा विकल्प है। हम आपको म्यूचुअल फंड के बारे में बता रहे हैं।

इक्विटी म्यूचुअल फंड
ये स्कीम निवेशकों की रकम को सीधे शेयरों में निवेश करती है। छोटी अवधि में ये स्कीम जोखिम भरी हो सकती हैं, लेकिन लंबी अवधि में इसे आपको बेहतरीन रिटर्न देने वाला माना जाता है। इस तरह की स्कीम में निवेश से आपका रिटर्न इस बात पर निर्भर करता है कि शेयर का प्रदर्शन कैसा है। जिन निवेशकों का वित्तीय लक्ष्य 10 साल बाद पूरा होना है, वे इस तरह की म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश कर सकते हैं।

डेट म्यूचुअल फंड
ये म्यूचुअल फंड स्कीम डेट सिक्योरिटीज में निवेश करती हैं. छोटी अवधि के वित्तीय लक्ष्य पूरे करने के लिए निवेशक इनमें निवेश कर सकते हैं। 5 साल से कम अवधि के लिए इनमें निवेश करना ठीक है। ये म्यूचुअल फंड स्कीम शेयरों की तुलना में कम जोखिम वाली होती हैं और बैंक के फिक्स्ड डिपाजिट की तुलना में बेहतर रिटर्न देती हैं।

हाइब्रिड म्यूचुअल फंड स्कीम
ये म्यूचुअल फंड स्कीम इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करती हैं। इन स्कीम को चुनते वक्त भी निवेशकों को अपने जोखिम उठाने की क्षमता का ध्यान रखना जरूरी है। हाइब्रिड म्यूचुअल फंड स्कीम को छह कैटेगरी में बांटा गया है।

सॉल्यूशन ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड स्कीम
सॉल्यूशन ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड स्कीम किसी खास लक्ष्य या समाधान के हिसाब से बनी होती हैं। इनमें रिटायरमेंट स्कीम या बच्चे की शिक्षा जैसे लक्ष्य हो सकते हैं। इन स्कीम में आपको कम से कम 5 साल के लिए निवेश करना जरूरी होता है। इसमें निवेश करके आप अच्छा रिटर्न पा सकते हैं।

म्‍युचुअल फंड में तीन तरह से निवेश किया जा सकता है। इसमें पूरी तरह से ऑनलाइन से लेकर फार्म भरकर निवेश किया जा सकता है। म्‍युचुअल फंड में लगाया गया पैसा शेयर बाजार में लगाया जाता है। इसलिए कई लोगों को लगता है कि इसके लिए डीमैट अकाउंट जरूरी है, हालांकि ऐसा नहीं है। म्‍युचुअल फंड में निवेश बिना DEMAT अकाउंट के भी निवेश किया जा सकता है।

पहला तरीका
यह तरीका काफी आम है। इसमें किसी एजेंट के माध्‍यम से निवेश करना होता है। अगर एजेंट को खोजने में दिक्‍कत हो तो जिस कंपनी में निवेश करना चाहते हैं उस कंपनी की वेबसाइट से टोल फ्री नम्‍बर लेकर बात कर सकते हैं। कंपनी आपके इलाके में जो एजेंट हैं उससे संपर्क करा देगी। फिर इस एजेंट की मदद से आप निवेश कर सकते हैं।

दूसरा तरीका
ब्रोकर या किसी म्‍युचुअल फंड बेचने वाली वेबसाइट के माध्‍यम से भी निवेश किया जा सकता है। कई लोग शेयर बाजार में निवेश करते हैं वह अपने ब्रोकर अकाउंट के माध्‍यम से भी म्‍युचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा देश में एक दर्जन से ज्‍यादा वेबसाइट हैं जो म्‍युचुअल फंड बेचती हैं। लोग इन वेबसाइट पर अपना रजिस्‍ट्रेशन कराने के बाद म्‍युचुअल फंड खरीद सकते हैं। अगर जरूरत हो तो यह वेबसाइट अपने एजेंट भी निवेशक के पास मदद के लिए भेजती है।

तीसरा तरीका
डायरेक्‍ट प्‍लान में निवेश। सेबी के आदेश के बाद सभी म्‍युचुअल फंड कंपनियां अपनी सभी स्‍कीम्‍स में डायरेक्‍ट प्‍लान का ऑप्‍शन देती हैं। इनमें निवेश पूरी तरह से ऑनलाइन होता है। आप म्‍युचुअल फंड कंपनी की वेबसाइट पर जाकर सीधे स्‍कीम चुनते हैं और कुछ स्‍टेप में निवेश की प्रक्रिया पूरी करते हैं। यहां पर पेमेंट भी ऑनलाइन करना होता है।

चौथा तरीका 
अब पेटीएम मनी ऐप (PayTm Money App) की मदद से आप किसी भी म्‍युचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। पेटीएम मनी ऐप की मदद से आप निवेश करने के साथ-साथ अपने पोर्टफलियो को भी आसानी से चेक कर सकते हैं। इसके लिए आपको अलग से कोई कमीशन या फीस नहीं देनी होगी। 

शेयर बाजार से जुड़े रिस्क
म्‍युचुअल फंड अपनी इक्विटी स्‍कीम में जुटाए पैसों का निवेश शेयर बाजार में करते हैं। स्‍टॉक मार्केट के बारे में कुछ भी भविष्‍यवाणी करना कठिन होता है। इसी कारण इक्विटी म्‍युचुअल फंड में निवेश रिस्‍की माना जाता है। हालांकि जानकारों का कहना है कि थोड़ा-थोड़ा पैसा लम्‍बे समय तक लगाया जाए तो अच्‍छा रिटर्न पाया जा सकता है।

सवाल: क्या आप किसी म्यूचुअल फंड में अपना सारा पैसा खो सकते हैं?
जवाब: बाज़ार से जुड़े होने के कारण, म्यूचुअल फंड में जोखिम बना रहता है, इसलिए निवेश की गई मूल राशि का नुकसान हो सकता है। हालांकि, म्यूचुअल फण्ड के प्रदर्शन को देखते हुए कहा जा सकता है कि  आपके सभी पैसे खोने की संभावना कम है।

सवाल: किसी म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू करने के लिए आपको कितना धन चाहिए?
जवाब: आपके द्वारा निवेश किए जाने वाले फंड के आधार पर न्यूनतम निवेश राशि भिन्न हो सकती है। हालाँकि, आप न्यूनतम 500 रु. निवेश कर सकते हैं।

सवाल: क्या मैं म्यूचुअल फंड कभी भी बेच सकता हूं?
जवाब: अधिकांश म्यूचुअल फंड ओपन एंडेड होते हैं, मतलब आप उन्हें कभी भी बेच सकते हैं। आमतौर पर क्लोज एंड स्कीम की 3-4 वर्ष की लॉक-इन अवधि होती है। एक दूसरे तरीके की स्कीम है जिसमें, म्यूचुअल फन कुछ समय के लिए लॉक-इन हो जाते हैं, लेकिन इसके बाद ओपन एंडेड हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, टैक्स सेविंग या ELSS की लॉक-इन अवधि 3 साल है। इस अवधि के बाद, आप ये फंड किसी भी समय बेच सकते हैं।

सवाल: क्या म्यूचुअल फंड में निवेश करना टैक्स-फ्री है?
जवाब: नहीं, म्यूचुअल फंड शोर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) नियम के अधीन हैं। अलग-अलग म्यूचुअल फंड जैसें, इक्विटी और डेट पर कई तरह का टैक्स लगता है। म्यूचुअल फंड लाभांश के मामले में डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) लागू हो जाता है और फंड के अनुसार स्रोत पर टैक्स कटौती की जाती है।

खबरें और भी हैं...

  • पर्सनल फाइनेंस: म्यूचुअल फंड स्कीम्स ने लॉकडाउन में भी दिया 25 फीसदी का रिटर्न, लार्ज-कैप फंड में हुआ सबसे ज्यादा फायदा

  • पर्सनल फाइनेंस: बेहतर रिटर्न के साथ टैक्स सेविंग के लिए PPF, NPS, FD और ELSS में कर सकते हैं निवेश

क्या म्यूचुअल फंड में पैसा डूब सकता है?

क्या म्यूचुअल फंड्स में भी पैसा डूबने की संभावना होती है? म्युचुअल फंड में पैसा डूबने की संभावना लगभग नहीं के बराबर होती है क्योंकि यह पैसा किसी एक कंपनी में नहीं बल्कि कई कंपनियों में लगता है।

म्यूचुअल फंड में कितना रिस्क होता है?

म्यूचुअल फंड का चयन करने में जोखिम की बड़ी भूमिका होती है। अधिक जोखिम लेने वाले निवेशकों को इक्विटी फंड में निवेश करना चाहिए। ऐसे निवेशक जो मध्यम जोखिम उठाना चाहते हैं, तो वे हाइब्रिड फंड में निवेश कर सकते हैं। वहीं, ऐसे निवेशक जो कम से कम जोखिम उठाना चाहते हैं, वे डेट फंड में निवेश कर सकते हैं।

सबसे बेस्ट म्यूच्यूअल फण्ड कौन सा है in Hindi?

1. एचडीएफसी (HDFC) स्मॉल कैप फंड स्मॉल कैप फंड को सबसे जोखिम भरे फंड में से एक के रूप में जाना जाता है।

सिप में रिस्क क्या है?

इसका मतलब यह है कि एसआईपी में आपका निवेश कम हो सकता है और बाजार के व्यवहार के आधार पर आप जितना निवेश करते हैं, उससे कम मूल्य के साथ समाप्त हो सकते हैं। हालांकि एसआईपी में जोखिम होल्डिंग अवधि से संबंधित होता है और आमतौर पर होल्डिंग अवधि जितनी लंबी होती है, जोखिम उतना ही कम होता है।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग