Nagar palika वसीयत के आधार पर नामांतरण - nagar palik vaseeyat ke aadhaar par naamaantaran

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शहर के बीच आजाद चौक में बेशकीमती तीन मंजिला इमारत पर व्यापारियों द्वारा कब्जा करने के मामले में राजस्व और नगर पालिका दोनों 20 दिन बाद भी तह तक नहीं पहुंच सके। हालांकि प्रशासन की जांच में यह तो साफ हो चुका है कि बिल्डिंग पूरी तरह सरकारी है। नपा अभी भी जांच के लिए एक सप्ताह का समय बता रही है।

भास्कर ने पड़ताल की तो फर्जीवाड़ा सामने आ गया। नपा ने सादे कागज पर बगैर अंगूठे और हस्ताक्षर के पेश की गई वसीयत के आधार पर ही शासकीय बिल्डिंग में संचालित दुकान का दूसरे व्यापारी को मालिकाना अधिकार दे दिया। वसीयत लिखने वाला उक्त दुकान का मालिक है या नहीं, इसका प्रमाण लेना भी उचित नहीं समझा। यदि प्रशासन द्वारा मामले की बारीकी से जांच कराई जाए तो शहर के कई रसूखदारों के नाम भी फर्जीवाड़े में उजागर होंगे। नामांतरण करने वाले तत्कालीन अधिकारियों से लेकर फर्जी दस्तावेज पेश करने वाले व्यापारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।

सरकारी बिल्डिंग ऐसे बनी निजी
प्रशासन... जांच हो गई है, बिल्डिंग पूरी तरह सरकारी, नपा से जानकारी मांगी गई है

ये है वसीयत में... बिल्डिंग के मकान और दुकान सहित 3 अलग-अलग विवरण
भास्कर के हाथ सादे कागज पर लिखा वसीयतनामा लगा है, जो 28 जून 1976 का है। इसमें इंदरबाई विधवा लक्ष्मीचंद निवासी भंसाली मोहल्ला शाजापुर के नाम से 65 वर्ष की उम्र में वसीयत लिखने का जिक्र किया गया है। उन्होंने अपने स्वामित्व एवं आधिपत्य की संपत्ति के विवरण में मकान सहित दुकान के तीन अलग-अलग विवरण दिए हैं। जिसमें उक्त बिल्डिंग का जिक्र करते हुए उन्होंने संपत्ति को विवरण दिया है उसमें मकान नं. 33 हुसैनी चौक बाजार शाजापुर जो कि दुकानों के रूप में स्थित है। जिसमें एक दुकान हरिनारायण पिता बाबूलाल तथा दूसरी दुकान में भवानी शंकर पिता गोविंदराम किराएदार हैं तथा तीसरी दुकान में जगदीश किराएदार हैं।

नपा... 20 दिन बाद भी पता नहीं कर पाई जवाब में कहा- एक सप्ताह और लगेगा

तीनों दुकानों की चतुर्थ सीमा में उन्होंने पूर्व में लाइब्रेरी का चढ़ाव, पश्चिम में रामलाल कन्हैयालाल की दुकान, उत्तर में आम रास्ता और दक्षिण में सौभाग्यमल की दुकान दर्शाई गई है। वसीयत के मुताबिक इंदरबाई के नाम से तैयार इस वसीयत में उन्होंने अपनी मृत्यु के बाद अपने मकान व दुकान के वारिस के रूप में रवींद्र कुमार पिता ज्ञानचंद्र जैन, विजयकुमार और ताराबाई को वसीयत करने का जिक्र किया है। बाकायदा इसमें गवाह के रूप में सुभाष चंद्र जैन और समीरमल जैन का नाम लिखा है। खास बात यह है कि सादे कागज पर टाइप की गई इस वसीयत में सुंदरबाई के न तो हस्ताक्षर है और न अंगूठे आदि का निशान।

4 साल बाद नामांतरण के लिए शुरू हुई फाइल

वसीयत के बाद उक्त दुकानों को नामांतरण करने के लिए 26 नवंबर 1980 को रवींद्र कुमार पिता ज्ञानचंद्र जैन निवासी भंसाली मोहल्ला के नाम से नपा में आवेदन किया गया। कागजी खानापूर्ति के बाद नपा के अधिकारियों ने 1982 में उक्त दुकान का रवींद्र कुमार पिता ज्ञानचंद्र जैन के नाम से नामांतरण भी कर दी। इसके लिए 50 पैसे शुल्क भी नपा ने जमा कराया है।

और भास्कर... पड़ताल में 28 जून 1976 का वसीयतनामा हाथ लगा, इसी के आधार पर बिल्डिंग निजी बन गई

वसीयत के आधार पर नामांतरण हो ही नहीं सकता, हुआ है तो गलत

उक्त बिल्डिंग का रिकॉर्ड निकलवाना शुरू कर दिया है। एक सप्ताह में पूरा रिकॉर्ड सामने आ जाएगा और प्रशासनिक अधिकारियों को पहुंचा दिया जाएगा। आगे की कार्रवाई भी प्रशासनिक स्तर से ही होगी। वैसे नियमानुसार किसी भी प्लॉट, मकान या दुकान आदि जो भी संपत्ति हो उसका नामांतरण वसीयत के आधार पर हो ही नहीं सकता। यदि ऐसा हुआ है तो गलत है। - भूपेंद्र दीक्षित, सीएमओ नगर पालिका शाजापुर

बिल्डिंग पूरी शासकीय है, 1950 से अब तक रिकॉर्ड निकालेंगे

राजस्व अधिकारियों से उक्त बिल्डिंग की जो जांच हुई है। उसमें उक्त बिल्डिंग पूरी तरह से शासकीय निकली है। जिसमें पहले सेंट्रल एक्साइज, कृषि मंडी और बाद में वाचनालय संचालित हुआ। नीचे हिस्से की दुकान व्यापारियों के नाम से कैसे कर दी गई। इसकी जानकारी नगर पालिका से मांगी गई है। बिल्डिंग का 1950 से लेकर अब तक का पूरा रिकॉर्ड निकाला जाएगा। यदि कागजों मे हेराफेरी कर शासकीय बिल्डिंग को अपने नाम से किया गया हैं तो संबंधितों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी होगी। - उमराव सिंह मरावी, एसडीएम शाजापुर

वसीयत के आधार पर नामांतरण के पहले सभी उत्तराधिकारियों की आपत्ति सुनना आवश्यक।

दिनेशराय द्विवेदी | 08/04/2015 | Legal Remedies, Property, Revenue, कानूनी उपाय, राजस्व, संपत्ति | 3 Comments

समस्या-

राम कैलाश ने गोण्डा, माधोपुर, उत्तरप्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मेरे पिताजी 4 भाई थे, सब से बड़े भाई लाऔलाद थे जिस के कारण उन की मृत्यु के बाद जायदाद मेरी बड़ी माँ के नाम उत्तराधिकार से नामान्तरण होने से आ गई। 2009 में बड़ी माँ ने मेरी माँ के नाम बैनामा कर दिया और उस का नामान्तरण भी हो गया। अब चकबन्दी चल रही है। अभी मेरे चाचा कहते हैं कि मेरे बड़े भाई ने उन की जायदाद मुझे 1999 में वसीयत कर दी थी। यह वसीयत कोरे कागज पर है जिस का पंजीयन धारा 40 के अन्तर्गत 2007 में दूसरी तहसील से कराया है। मेरी माताजी की भी मृत्यु हो गयी है नामान्तरण हमारे नाम होना चाहिए लेकिन पर्चा पंच में चकबन्दी लेखपाल ने पैसा ले कर उन का वसीयतनामा दिखा दिया है। मैं क्या कर सकता हूँ?

समाधान-

राजस्व रिकार्ड में वर्तमान में संपत्ति आप की माँ के नाम है। वैसी स्थिति में वसीयत के आधार पर रिकार्ड में कोई भी बदलाव करने के पहले वसीयत पर सभी वारिसान की सहमति आवश्यक है। फिर पहले जो नामान्तरण हो चुके हैं उन्हें निरस्त कराना पड़ेगा जो कि केवल अपील पर ही संभव हैं। यदि अन्य वारिस आपत्ति करते हैं तो वसीयत के अनुसार कोई नामान्तरण किया जाना संभव नहीं है।

दि वसीयत के आधार पर कोई नामान्तरण होता है तो उस की अपील की जा सकती है। उस अपील में यह आधार लिया जाना चाहिए कि जब आप के चाचा के पास वसीयत थी तो उस वसीयत के आधार पर तुरन्त नामान्तरण क्यों नहीं कराया गया। उसे पहले दूसरी तहसील में जा कर पंजीकृत क्यों कराया गया। जब कि धारा 40 में वसीयत तो वहीं पंजीकृत होनी चाहिए जहाँ भूमि स्थित है। इस तरह यह संदेह उत्पन्न होता है कि वसीयत फर्जी तो नहीं बनाई गई है। आप को अपनी सारी आपत्तियाँ लिख कर चकबन्दी लेखपाल को देनी चाहिए और उस की प्रति तहसीलदार और कलेक्टर को देनी चाहिए।

More from my site

  • वसीयत के आधार पर मकान का हिस्सा कैसे अपने नाम कराएँ?
  • नामान्तरण निरस्ती को दीवानी न्यायालय में चुनौती दें।
  • जिस जन्म-मृत्यु पंजीयक कार्यालय के क्षेत्राधिकार में मृत्यु हुई है वही मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर सकता है।
  • वसीयत को नामान्तरण में आपत्ति होने पर प्रोबेट करा लेना उचित है।
  • वसीयत पर आपत्ति होने पर राजस्व अधिकारी नामान्तरण नहीं कर सकता।
  • गलत नामान्तरण के आदेश के विरुद्ध तुरन्त अपील प्रस्तुत करें …

Tags:Mutation, Will, नामान्तरण, वसीयत

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About The Author

DineshRai Dwivedi

वसीयत पर हस्ताक्षर कैसे होते हैं?

वसीयत पर हस्ताक्षर करने की तारीख और स्थान के साथ-साथ अपने गवाहों के पूरे पते तथा नाम लिखें। हालांकि गवाहों को आपकी वसीयत पढ़ने की आवश्यकता नहीं है। आप और आपके गवाह का वसीयत के प्रत्येक पृष्ठ पर हस्ताक्षर होना चाहिए। अगर आप वसीयत में कोई सुधार करना चाहते हैं, तो आपको तथा आपके गवाहों को उस पर फिर से हस्ताक्षर करना होगा।

वसीयत में कैसे लिखा जाता है?

वसीयत कैसे लिखें.
अपनी वसीयत का प्रारुप तैयार करें/लिखें पिछले कदमों को पूरा करते हुए अपनी वसीयत की योजना बना लेने के बाद आप अपनी वसीयत को सरल, सुनिश्चित तथा स्पष्ट भाषा में लिख सकते हैं। ... .
वसीयत पर हस्ताक्षर करें और इस पर साक्षी (साक्षियों) के हस्ताक्षर करवाएं ... .
वसीयत का पंजीकरण ... .
वसीयत दस्तावेज को सुरक्षित रखना.

वसीयत खारिज कैसे करें?

वसीयत को इन परिस्थितियों में चैलेंज किया जा सकता है। उचित निष्पादन का अभाव: एक वसीयत लिखित रूप में होनी चाहिए, दो गवाहों की उपस्थिति में वसीयतकर्ता द्वारा हस्ताक्षरित, और गवाहों द्वारा प्रमाणित होने के लिए वैध माना जाना चाहिए। यदि प्रक्रिया का सख्ती से पालन नहीं किया जाता है तो वसीयत को अदालत में चुनौती दी जा सकती है।

नामांतरण कैसे चेक करे MP?

अपना नामांतरण चेक करने के लिए सबसे पहले आपको नामांतरण चेक करने की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। आधिकारिक वेबसाइट पर जाने के लिए सबसे पहले आपको अपने फोन में या फिर लैपटॉप में क्रोम ब्राउजर को ओपन कर लेना है। क्रोम ब्राउजर को ओपन करने के बाद rcms.mp.gov.in वेबसाइट को सर्च करेंगे।

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