दूर-दृष्टि दोष से पीड़ित नेत्र में परिवर्तन |
दृष्टिमिति,
नेत्रविज्ञान |
निकटवर्ती वस्तुएँ धुंधला दिखाना, दूरस्थ वस्तुएँ स्पष्ट दिखना। |
जरण, वंशानुगत |
नेत्र परीक्षण |
चश्मा, संस्पर्श लेंस, शल्यचिकित्सा, IOL implantation |
दूर-दृष्टि दोष या दूर-दर्शिता दृष्टि की अपवर्तन दोष है जिसमें दूर की वस्तुएँ स्पष्ट दिखती हैं परन्तु निकट रखी वस्तुएं सुस्पष्ट नहीं दिखाई दिती। नेत्रों में यह दोष उत्पन्न होने का कारण चक्षु लेंस के अपर्याप्त समंजन के कारण प्रकाश की समान्तर किरणपुंज आँख द्वारा अपवर्तन के बाद दृष्टि पटल पर न बनाकर उसके पीछे प्रतिबिम्ब बना देना है। ऐसे दोषयुक्त व्यक्ति को, उसके निकट-बिंदु 25 cm से दूर हटने के कारण, आराम से पठन सामग्री को पढ़ने के लिए 25 cm से दूरी पर रखना पड़ता है।
यह दोष अधिकांशतः वृद्ध होने या अधिक आयु (जैसे चालीस के ऊपर) के लोगों को होता है। काम आयु के लोगों में यह बहुत कम पाया जाता है।
आँखों के चक्षु लेंस के फोकस दूरी के अधिक हो जाने या नेत्र लेंस के छोटे हो जाने के कारण यह दोष उत्पन्न होता है। पूरी कोशिश करने पर भी आँखें इस फोकस दूरी को कम नहीं कर पातीं। इस दोष का संशोधन आँखों के आगे उत्तल लेंस युक्त चश्मे के प्रयोग से किया जाता है।
दूर-दृष्टि दोष का निवारण[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- निकटदृष्टि दोष
- मानव नेत्र
- दृष्टिपटल या रेटिना