निम्नलिखित में किस समस्त पद में कर्मधारय समास है 1 point रसोईघर यज्ञशाला आजीवन महात्मा - nimnalikhit mein kis samast pad mein karmadhaaray samaas hai 1 point rasoeeghar yagyashaala aajeevan mahaatma

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Question

निम्नलिखित सामासिक पदों का विग्रह करके समास का भेद भी लिखिए -

गलत-सलत

आत्म-विनाश

महामानव

पददलित

िंदू-मुसलिम

यथोचित

सप्तर्षि

सुलोचना

Solution

(1) गलत-सलत - गलत और सलत (द्वंद्व समास)

(2) महामानव - महान है जो मानव (कर्म धारय समास)

(3) हिंदू-मुसलिम- हिंदू और मुसलिम (द्वंद्व समास)

(4) सप्तर्षि- सात ऋषियों का समूह (द्विगु समास)

(5) आत्म-विनाश - आत्मा का विनाश (तत्पुरुष समास)

(6) पददलित - पद से दलित (तत्पुरुष समास)

(7) यथोचित- जो उचित हो (अव्ययीभाव समास)

(8) सुलोचना- सुंदर लोचन है जिसके (कर्मधारय समास)


Solve

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हिंदी व्याकरण में समास एक बहुत ही महत्वपूर्ण किरदार निभाता है। हर भाषा में शब्द-रचना की तीन विधियां हैं-उपसर्गों द्वारा शब्द-निर्माण, प्रत्ययों द्वारा शब्द-निर्माण तथा समास-द्वारा शब्द-निर्माण। आसान भाषा में समझा जाए तो समास संक्षेप करने की एक प्रक्रिया है। इस ब्लॉग में अब हम तीसरी विधि-‘समास द्वारा शब्द-निर्माण’ तथा Samas in hindi के विषय में अध्ययन करेंगे। आइए जानते हैं Samas in Hindi के बारे में विस्तार से इस ब्लॉग के द्वारा।

This Blog Includes:

  1. समास की परिभाषा
  2. समास की विशेषताएं
    1. समास-विग्रह
  3. संधि तथा समास में अंतर
  4. समास के भेद
    1. द्वंद्व समास
    2. अव्ययीभाव समास
    3. कर्मधारय समास
    4. द्विगु समास
    5. बहुव्रीहि समास
    6. तत्पुरुष समास
  5. तत्पुरुष समास की रचना
  6. तत्पुरुष समास के भेद
    1. (i) कर्म तत्पुरुष (चिह्न-‘को’)
    2. (ii) करण तत्पुरुष (चिह्न-‘से’/के द्वारा’)
    3. (iii) संप्रदान तत्पुरुष (चिह्न- के लिए)
    4. (iv) अपादान तत्पुरुष ( चिन्ह-‘से’ अलग होने के अर्थ में)
    5. (v) संबंध तत्पुरुष (चिह्न-‘का, के, की’)
    6. (vi) अधिकरण तत्पुरुष (चिह्न-‘में, ‘पर’)
  7. कारकीय-चिह्न रहित तत्पुरुष समास
  8. विभिन्न समासों में अंतर
    1. 1. कर्मधारय तथा द्विगु समास में अंतर
    2. 2. द्विगु तथा बहुव्रीहि समास में अंतर
  9. MCQs
  10. 50 महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर 
  11. सम्बंधित टॉपिक्स
  12. FAQs

समास की परिभाषा

अलग अर्थ रखने वाले दो शब्दों या पदों (पूर्वपद तथा उत्तरपद) के मेल से बना तीसरा नया शब्द या पद समास या समस्त पद कहलाता है तथा वह प्रक्रिया जिसके द्वारा ‘समस्त पद’ बनता है, समास-प्रक्रिया कही जाती है।

Source – Quora

  • समास-प्रक्रिया में जिन दो शब्दों का मेल होता है, उनके अर्थ परस्पर भिन्न होते हैं तथा इन दोनों के योग से जो एक नया शब्द बनाते हैं; उसका अर्थ इन दोनों से अलग होता है।
  • जैसा ऊपर बताया गया है, समास-रचना दो शब्दों या दो पदों के बीच होती है तथा इसमें पहला पद ‘पूर्वपद तथा दूसरा पद उत्तर पद कहलाता है। ‘पूर्वपद’ तथा ‘उत्तरपद’ के संयोग से जो नया शब्द बनता है,उसे समस्तपद कहते हैं। Samas in Hindi निम्नलिखित उदाहरण इस प्रकार हैं-
पूर्वपद उत्तरपद समस्तपद
देश भक्त देशभक्त
नीला गगन नीलगगन
राष्ट्र नायक राष्ट्रनायक
नर नारी नर-नारी
प्रति अक्ष प्रत्यक्ष
पंच आनन पंचानन
काली मिर्च कालीमिर्च
दही बड़ा दहीवड़ा
अष्ट अध्यायी अष्टाध्यायी

समास की विशेषताएं

Samas in hindi की निम्नलिखित विशेषताएँ नीचे दी गई हैं-

  • समास में दो पदों का योग होता है।
  • दो पद मिलकर एक पद का रूप धारण कर लेते हैं।
  • दो पदों के बीच की विभक्ति का लोप हो जाता है।
  • दो पदों में कभी पहला पद प्रधान और कभी दूसरा पद प्रधान होता है। कभी दोनों पद प्रधान होते हैं।
  • संस्कृत में समास होने पर संधि अवश्य होती है, किंतु हिंदी में ऐसी विधि नहीं है।

जरूर देखें : मुहावरे

समास-विग्रह

समस्त पद के दोनों पदों को अलग-अलग किए जाने की प्रक्रिया समास-विग्रह कही जाती है। पदों को अलग-अलग करते समय दोनों पदों के बीच के विभक्ति/कारकीय-चिह्नों को भी जोड़ दिया जाता है; जैसे- ‘डाकगाड़ी समस्त पद का विग्रह होगा-‘डाक के लिए गाड़ी’ अर्थात दोनों पदों के बीच के कारकीय-चिह्न ‘के लिए’, जिसका लोप कर दिया गया था, उसे पुनः यथास्थान लगा दिया गया है। अन्य उदाहरण देखिए-

समस्तपद विग्रह
यशप्राप्त यश को प्राप्त
अकाल-पीड़ित अकाल से पीड़ित
असफल जो सफल न हो
दोपहर दो पहरों का समाहार
दाल-चावल  दाल और चावल
देशवासी देश का वासी
पीतांबर  पीत (पीला) है जो अंबर (वस्त्र)
दशानन दस हैं आनन जिसके

समास-विग्रह प्रक्रिया के दौरान दोनों पदों को अलग-अलग किया जाता है तथा दोनों के बीच कोई न कोई कारकीय-चिह्न भी लगा दिया जाता है, अत: समास-विग्रह वह प्रक्रिया है, जिसमें किसी समस्तपद के दोनों पदों को अलग-अलग किया जाता तथा समस्त पद बनाने से पहले जिन कारकीय-चिन्हों या अंशों का लोप कर दिया गया था, उन्हें पुन: जोनों पदों के साथ जोड़ दिया जाता है।

जरूर देखें : Avyay

संधि तथा समास में अंतर

संधि का संबंध किसी शब्द की दो ध्वनियों के बीच मेल से होता है। इसमें पहली, दूसरी अथवा दोनों ध्वनियों में परिवर्तन हो जाता है जबकि समास-प्रक्रिया का संबंध दो शब्दों के मेल से नया शब्द बनाने के साथ है। समास-प्रक्रिया में अर्थ की दृष्टि से दो भिन्न शब्द परस्पर मिलते है तथा किसी नए शब्द की रचना करते हैं। इसी तरह ‘संधि’ के अंतर्गत किसी शब्द की दो ध्वनियां परस्पर मिलती है तो समास’ में दो शब्दों का मेल होता है। Samas in Hindi की संपूर्ण जानकारी नीचे दी गई है। तो आइए देखें Samas in Hindi-

जरूर देखें : Paryayvachi Shabd

समास के भेद

Samas in Hindi के निम्नलिखित भेद होते है-

  • द्वन्द्व समास
  • अव्ययीभाव समास
  • तत्पुरुष समास
  • बहुव्रीहि समास 
  • कर्मधारय समास
  • द्विगु समास

द्वंद्व समास

  • द्वंद्व समास में कोई पद गौण नहीं होता बल्कि दोनों ही पद प्रधान होते हैं।
  • समस्तपद बनाते समय दोनों पदों को जोड़ने वाले समुच्चयबोधक अव्ययों-‘और’, ‘तथा’, ‘या’ आदि को हटा दिया जाता है तथा विग्रह करते समय इनको पुनः दोनों पदों के बीच जोड़ दिया जाता है; जैसे- राम-श्याम. इसका विग्रह होगा- राम और श्याम।

अन्य उदाहरण

समस्तपद विग्रह
दाल-चावल दाल और चावल
जल-थल जल और थल
माता-पिता माता और पिता
नदी-नाले नदी और नाले
बाप-दादी बाप और दादा
छोटा-बड़ा छोटा और बड़ा
राधा-कृष्ण राधा और कृष्ण
पूर्व-पश्चिम पूर्व और पश्चिम
आगे-पीछे आगे और पीछे
गुण-दोष गुण और दोष
स्वर्ग-नर्क स्वर्ग और नर्क
अन्न-जल अन्न और जल
खट्टा-मीठा खट्टा और मीठा
रात-दिन रात और दिन
हार-जीत हार और जीत
पाप-पुण्य पाप और पुण्य
राजा-रंक राजा और रंक
जीवन-मरण जीवन और मरण

अव्ययीभाव समास

जिस समास का पहला पद कोई अव्यय (अविकारी शब्द) होता है, उस समास को अव्ययीभाव समास कहते हैं: जैसे- ‘यथासमय’ समस्तपद ‘यथा’ और ‘समय’ के योग से बना है। इसका पूर्वपद ‘यथा’ अव्यय है और इसका विग्रह होगा- ‘समय के अनुसार।

अन्य उदाहरण

समस्तपद अव्यय विग्रह
आजीवन जीवन भर
यथोचित यथा जितना उचित हो
यथाशक्ति यथा शक्ति के अनुसार
भरपूर भर पूरा भरा हुआ
आमरण मरण तक
बेमिसाल बे जिसकी मिसाल न हो
बेमौके बे बिना मौके के
अनुरूप अनु रूप के अनुसार
बेखटके बे बिना खटके के
प्रतिदिन प्रति दिन-दिन/हर दिन
हरघड़ी हर घड़ी-घड़ी
प्रत्येक प्रति एक-एक
बाअदब बा अदब के साथ
प्रत्यक्ष प्रति आँखों के सामने

कर्मधारय समास

कर्मधारय समास के दोनों पदों के बीच दो तरह के संबंध हो सकते हैं-विशेषण-विशेष्य तथा उपमेय-उपमान* । वस्तुतः उपमान भी उपमेय की विशेषता बताने का ही कार्य करता है। विशेषण-विशेष्य संबंध वाले कर्मधारय समास इस प्रकार हैं:

विशेषण विशेष्य समस्तपद विग्रह
नील गाय नीलगाय नीली है जो गाय
महा आत्मा महात्मा महान है जो आत्मा
भला मानस भलामानस भला है जो मानस
महा देव महादेव महान है जो देव
पर नारी परनारी पराई है जो नारी
उत्तम पुरुष पुरुषोत्तम उत्तम है जो पुरुष

अन्य उदाहरण

समस्तपद विग्रह
कालीमिर्च काली है जो मिर्च
कापुरुष का (कायर) है जो पुरुष
सत्धर्म सत् (सच्चा) है जो धर्म
प्रधानमंत्री प्रधान है जो मंत्री
अंधविश्वास अंधा है जो विश्वास
महाराज महान है जो राजा
महर्षि महान है जो ऋषि
अंधकूप अंधा है जो कूप

उपमेय-उपमान संबंध वाले कर्मधारय समास

इस संबंध में पूर्वपद के स्थान पर कभी उपमेय आता है तो कभी उपमान; जैसे

उपमेय + उपमान समस्तपद विग्रह
भुज + दंड भुजदंड दंड के समान भुजा
कर + कमल करकमल कमल के समान कर (हाथ)
उपमान+उपमेय समस्तपद विग्रह
मृग + नयन मृगनयन मृग के समान नयन
कनक + लता कनकलता कनक के समान लता

*उपमेय-उपमान- ‘उसके नेत्र मृग के समान हैं’ इस वाक्य में नेत्रों’ की उपमा ‘मृग’ से दी गई है। यहाँ ‘नेत्र’ उपमेय हैं तथा उपमान। जिस वस्तु व्यक्ति को उपमा दी जाती है, उसे ‘उपमेय’ तथा जिस वस्तु व्यक्ति से दी जाती है, उसे ‘उपमान’ कहते हैं। देखिए कुछ उदाहरण –

समस्तपद उपमान-उपमेय विग्रह
घनश्याम घन+श्याम घन के समान श्याम/घनरूपी श्याम
कमलनयन कमल + नयन कमल के समान नयन/कमलरूपी नयन

अन्य उदाहरण

संसारसागर संसार रूपी सागर
कंचनवर्ण कंचन के समान वर्ण
देहलता देह रूपी लता
चंद्रमुखी चंद्रमा के समान मुखवाली स्त्री
मुखचंद्र मुखरूपी चंद्र
क्रोधाग्नि क्रोध रूपी अग्नि
वचनामृत अमृत के समान वचन
चरणकमल कमल के समान चरण
विद्याधन विद्या रूपी धन
प्राणप्रिय प्राणों के समान प्रिय

द्विगु समास

  • द्विगु समास भी तत्पुरुष समास का ही उपभेद है; अत: इसका भी पूर्वपद गौण तथा उत्तरपद प्रधान होता है। 
  • द्विगु समास’ तथा ‘कर्मधारय समास’ में सबसे बड़ा अंतर यही है कि द्विगु समास का पूर्वपद संख्यावाची विशेषण होता है जबकि कर्मधारय समास का पूर्वपद अन्य कोई भी विशेषण हो सकता है।
  • सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि द्विगु समास का उत्तरपद किसी समूह का बोध कराता है। यदि विग्रह करते समय उत्तरपद के साथ समूह या समाहार शब्द का प्रयोग नहीं किया गया हो तो पूर्वपद संख्यावाची होते हुए भी यह ‘कर्मधारय समास’ कहलाएगा। ‘द्विगु समास’ के उदाहरण इस प्रकार हैं:
समस्तपद विग्रह-1 (कर्मधारय समास) विग्रह-II (द्विगु समास)
पंचतंत्र पाँच हैं तंत्र जो पाँच तंत्रों का समाहार
अष्टसिद्धि आठ सिद्धियां हैं जो आठ सिद्धियों का समाहार
चतुर्भुज चार भुजाएँ हैं जो चार भुजाओं का समाहार
चवन्नी चार आने हैं जो चार आनों का समाहार

अन्य उदाहरण

समस्तपद समास-विग्रह
दुराहा दो राहों का समाहार
सतसई सात सौ दोहों का समाहार
तिरंगा तीन रंगों का समाहार
दशानन दस आननों (मुखों) का समाहार
पंचवटी पाँच वट वृक्षों का समूह
सप्ताह सात दिनों का समूह
पंजाब पाँच आबों का समाहार
अठन्नी आठ आनों का समाहार
नवग्रह नौ ग्रहों का समाहार
नवरत्न नव रत्नों का समाहार
शताब्दी सौ अब्दों (वर्षों) का समाहार
नवरात्र नव (नौ) रातों का समाहार
पंचमुखी पाँच मुखों का समाहार
त्रिफला तीन फलों का समाहार

बहुव्रीहि समास

‘बहुव्रीहि समास’ वह समास है, जिसके दोनों पद गौण होते हैं। वस्तुत: बहुव्रीहि समास में न तो पूर्वपद प्रधान होता है और न ही उत्तरपद। बल्कि इसके दोनों पद परस्पर मिलकर किसी तीसरे बाहरी पद के बारे में कुछ कहते हैं और यह तीसरा पद ही ‘प्रधान हाता है उदाहरण  के लिए, त्रिलोचन शब्द की रचना पर ध्यान दीजिए। यह शब्द ‘त्रि’ तथा ‘लोचन’ दो पदों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है-तीन नेत्र। यदि इस शब्द का यही विग्रह किया जाए तो विशेषण (तीन) तथा विशेष्य। (लोचन) होने के कारण यह कर्मधारय समास का उदाहरण होगा तथा यदि विग्रह ‘तीन लोचनों का समाहार’ किया जाए तो यह द्विगु समास का उदाहरण होगा।

किंतु यदि इसका विग्रह किया जाए -तीन हैं नेत्र जिसके अर्थात महादेव तो यही उदाहरण बहुव्रीहि समास का हो जाएगा; क्योंकि इस विग्रह में ‘त्रि’ तथा ‘लोचन’ दोनों पद मिलकर तीसरे पद ‘महादेव’ की विशेषता बता रहे हैं।

अन्य उदाहरण

समस्तपद विग्रह प्रधान पद
अंशुमाली अंशु (किरणें) हैं मालाएँ जिसकी सूर्य
चारपाई चार हैं पाए जिसके पलंग
तिरंगा तीन रंग हैं जिसके भारतीय राष्ट्रध्वज
विषधर विष को धारण किया है जिसने शिव
षडानन षट् (छह) हैं आनन (मुख) जिसके कार्तिकेय
चक्रधर चक्र धारण किया है जिसने विष्णु
गजानन गज के समान आनन है जिसका गणेश
घनश्याम घन के समान श्याम (काले) हैं जो कृष्ण
मेघनाद मेघ के समान करता है नाद जो रावण-पुत्र इंद्रजीत
विषधर विष को धारण करता है जो सर्प
चतुरानन विष को धारण करता है जो ब्रह्मा
गिरिधर गिरि को धारण किया है जिसने श्री कृष्ण
सुलोचना सुंदर लोचन हैं जिसके विशेष स्त्री

तत्पुरुष समास

  • जिस समस्तपद में ‘पूर्वपद’ गौण तथा उत्तरपद’ प्रधान होता है, वहाँ तत्पुरुष समास होता है।
  • चूंकि तत्पुरुष समास का पूर्वपद विशेषण होता है, अतः गौण होता है तथा उत्तरपद विशेष्य होने के कारण प्रधान होता है।
  • तत्पुरुष समास के विग्रह के समय समस्त कारकों के कारकीय-चिह्न जिनका समास करते समय दिया गया था, पुन: जोड़े जाते हैं; जैसे- रोगमुक्त रोग से मुक्त (‘से’ अपादान कारक का चिह्न), जीवनसाथी जीवन का साथी (‘का’ संबंध कारक का चिह्न) आदि। उदाहरण देखिए-
समस्तपद पूर्वपद (गौण) कारकीय-चिह्न उत्तरपद (प्रधान)
युद्धक्षेत्र युद्ध का क्षेत्र
गुरुदक्षिणा गुरु के लिए दक्षिणा
यशप्राप्त यश को प्राप्त
कुलश्रेष्ठ कुल में श्रेष्ठ

तत्पुरुष समास की रचना

हिंदी में तत्पुरुष समास की रचना तीन तरह से हो सकती है, जैसे-

1. संज्ञा • संज्ञा के मेल से; जैसे-

राजा का पुत्र -=राजपुत्र, उद्योग का पति = उद्योगपति, सिर का दर्द =सिरदर्द आदि।

2. संज्ञा + विशेषण के मेल से; जैसे-

धर्म से भ्रष्ट = धर्मभ्रष्ट, भय से मुक्त=भयमुक्त, दान में वीर =दानवीर आदि।

3. संज्ञा + कृदंत के मेल से; जैसे- 

रेखा से अंकित = रेखांकित, स्व द्वारा रचित = स्वरचित, तुलसी द्वारा कृत = तुलसीकृत आदि। आप देख सकते हैं कि तीनों ही प्रकार से बने तत्पुरुष समासों के पूर्वपद गौण तथा विशेषण का प्रकार्य करने के कारण व्याकरणिक कोटि की दृष्टि से विशेषण हैं। वस्तुतः विशेषण का कार्य विशेष्य के अर्थ क्षेत्र को सीमित करना होता है। इस दृष्टि से ‘दानपात्र’ (संज्ञा + संज्ञा) समस्तपद का पूर्वपद ‘दान’ उत्तरपद ‘पात्र’ के अर्थ को ‘दान’ तक ही सीमित कर रहा है, जिसका अर्थ है-पात्र केवल दान का है, किसी अन्य का नहीं।

इसी तरह ‘आनंदमग्न’ (संज्ञा विशेषण) समस्तपद का पहला पद ‘आनंद’ ‘मग्न’ के अर्थ-क्षेत्र को सीमित कर रहा है जिसका अर्थ है कोई व्यक्ति केवल आनंद में मग्न है किसी अन्य कार्यकलाप में नहीं। इसी तरह ‘तुलसीकृत’ (संज्ञा + कृदंत) समस्तपद का पहला पद ‘तुलसी’ अपने उत्तरपद ‘कृत’ के अर्थ-क्षेत्र को सीमित कर रहा है जिसका अर्थ है कि कोई वस्तु केवल ‘तुलसी’ के द्वारा कृत है, किसी अन्य के द्वारा नहीं।

तत्पुरुष समास के भेद

तत्पुरुष समास के अंतर्गत दो प्रकार के समास आते हैं-

(क) कारकीय-चिह्न युक्त तत्पुरुष समास
(ख) कारकीय-चिह्न रहित तत्पुरुष समास

(क) कारकीय-चिह्न युक्त तत्पुरुष समास-जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है इस वर्ग के तत्पुरुष समासों के दोनों पदों के बीच कोई न कोई कारकीय-चिह्न (कर्ता तथा संबोधन कारक को छोड़कर) अवश्य आता है तथा समस्तपद बनाते समय इनका लोप कर दिया जाता है और विग्रह करते समय उन्हें पुनः जोड़ दिया जाता है; जैसे-कष्टसाध्य = कष्ट से साध्य, बाढ़ पीड़ित=बाढ़ से पीड़ित आदि।

कारकीय-चिह्नों के आधार पर तत्पुरुष समास के निम्नलिखित भेद सामने आते हैं-

(i) कर्म तत्पुरुष (चिह्न-को)
(ii) करण तत्पुरुष (चिह्न-से/के द्वारा)
(iii) संप्रदान तत्पुरुष (चिह्न-के लिए) 
(iv) अपादान तत्पुरुष (चिह्न- से अलग होना)
(v) संबंध तत्पुरुष (चिह्न-का/की/के)
(vi)अधिकरण तत्पुरुष (चिह्न- में/पर)

(i) कर्म तत्पुरुष (चिह्न-‘को’)

समस्तपद   विग्रह
जेबकतरा जेब को कतरनेवाला
यशप्राप्त यश को प्राप्त
सुखप्राप्त सुख को प्राप्त
गगनचुंबी‌ गगन को चूमनेवाला
ग्रामगत ग्राम को गत
विदेशगत      विदेश को गत
स्वर्गगत   स्वर्ग को गत
परलोकगमन परलोक को गमन

(ii) करण तत्पुरुष (चिह्न-‘से’/के द्वारा’)

समस्तपद        विग्रह
  प्रेमाकुल    प्रेम से आकुल
कष्टसाध्य       कष्ट से साध्य
रेखांकित   रेखा से अंकित
प्रेमातुर प्रेम से आतुर
मदमस्त     मद से मस्त
तुलसीकृत तुलसी से/के द्वारा कृत
शोकाकुल  शोक से आकुल
भयग्रस्त  भय से ग्रस्त
गुणयुक्त   गुणों से युक्त
हस्तलिखित   हाथ से लिखित
विरहाकुल   विरह से आकुल
मनचाहा       मन से चाहा
बाढ़पीड़ित  बाढ़ से पीड़ित
स्वरचित स्व से/के द्वारा रचित

(iii) संप्रदान तत्पुरुष (चिह्न- के लिए)

समस्तपद   विग्रह
मार्गव्यय मार्ग के लिए व्यय
रसोईघर रसोई के लिए घर
मालगोदाम  माल के लिए गोदाम
आरामकुरसी  आराम के लिए कुरसी
दानपेटी दान के लिए पेटी
पूजाघर पूजाके लिए घर
दानपात्र दान के लिए पात्र
सत्याग्रह सत्य के लिए आग्रह
देशभक्ति देश के लिए भक्ति
डाकगाड़ी डाक के लिए गाड़ी
प्रयोगशाला प्रयोग के लिए शाला
पाठशाला पाठ के लिए शाला

(iv) अपादान तत्पुरुष ( चिन्ह-‘से’ अलग होने के अर्थ में)

समस्तपद विग्रह
कर्महीन कर्म से हीन
कार्यमुक्त कार्य से मुक्त
विद्याहीन विद्या से हीन
नेत्रहीन नेत्रों से हीन
धनहीन धन से हीन
भुखमरा भूख से मरा
घरनिकाला घर से निकाला
ऋणमुक्त ऋण से मुक्त
धर्मभ्रष्ट धर्म से भ्रष्ट
सेवामुक्त सेवा से मुक्त
रोगमुक्त रोग से मुक्त

(v) संबंध तत्पुरुष (चिह्न-‘का, के, की’)

समस्तपद विग्रह
राजकुमार राजा का कुमार
राजपुत्र राजा का पुत्र
जीवनसाथी जीवन का साथी
घुड़दौड़ घोड़ों की दौड़
राष्ट्रपतिभवन राष्ट्रपति का भवन
सिरदर्द सिर का दर्द
मृत्युदंड मृत्यु का दंड
प्राणनाथ प्राणों का नाथ
मातृभक्ति मातृ की भक्ति
प्रसंगानुसार प्रसंग के अनुसार
गृहस्वामी गृह का स्वामी
कविगोष्ठी कवियों की गोष्ठी
ग्रामपंचायत ग्राम की पंचायत
सेनानायक सेना का नायक
उद्योगपति उद्योग का पति

(vi) अधिकरण तत्पुरुष (चिह्न-‘में, ‘पर’)

समस्तपद विग्रह
जगबीती जग पर बीती
शरणागत शरण में आगत पुरुषों में उत्तम
कलानिपुण कला में निपुण
व्यवहारकुशल व्यवहार में कुशल
देशाटन देश में अटन
गृहप्रवेश गृह में प्रवेश
रेलगाड़ी रेल पर चलनेवाली गाड़ी
रसमग्न रस में मग्न
आपबीती आप (अपने) पर बीती

कारकीय-चिह्न रहित तत्पुरुष समास

इस वर्ग में दो तरह के समास आते हैं –

 (i) जिन समासों का पहला पद कोई ‘निषेधवाची अव्यय’ शब्द होता है तथा विग्रह करते समय (हिंदी में) पूर्वपद के स्थान पर अव्यय जोड़ दिया जाता है; जैसे-‘असभ्य’ समस्तपद का विग्रह होगा-‘न सभ्य। यह समास नञ् तत्पुरुष समास कहलाता है।

(ii)  दूसरे  वे  तत्पुरुष समास हैं जिनके दोनों पदों के बीच विशेषण-विशेष्य का अलावा उपमेय-उपमान का संबंध है तथा विग्रह करते समय उत्तरपद की विशेषता में सहयोग देनेवाले शब्द समूह को जोड़ दिया जाता है। इस वर्ग मे दो समास आते हैं-कर्मधारय तथा द्विगु समास; जैसे-

  • कर्मधारय समास : नीलगाय – नीली है जो गाय
  • कमलनयन – कमल रूपी नयन
  • द्विगु समास : पंचतंत्र – पाँच तंत्रों का समाहार
  • चतुर्भुज – चार भुजाओं का समाहार

आइए, कारकीय-चिह्न रहित तत्पुरुष समास के सभी भेदों को क्रमशः उदाहरण सहित समझते हैं

(i ) नञ् तत्पुरुष समास

 संस्कृत में तत्पुरुष समास का एक भेद ऐसा भी था जिसका पूर्वपद कोई निषेधवाची अव्यय शब्द होता था। ऐसे तत्पुरुष समास को नञ् तत्पुरुष समास कहा जाता था। हिंदी में भी नञ् तत्पुरुष समास के अनेक उदाहरण मिलते हैं; जैसे- ‘अनिद्रा’, ‘असभ्य’, ‘नालायक’, ‘नास्तिक’, ‘अनादर’ आदि। इन शब्दों में क्रमश: ‘अ’, ‘ना’, ‘अन्’  निषेधवाची अव्यय शब्द आरंभ में आ रहे हैं। इस समास का विग्रह करते समय पूर्वपद के स्थान पर अव्यय जोड़ दिया जाता है; जैसे-

  • अनिद्रा = न निद्रा, 
  • नालायक = न लायक (योग्य)
  • असफल = न सफल, 
  • अनादर = न आदर

अन्य उदाहरण

समस्तपद विग्रह
असत्य न सत्य
अयोग्य न योग्य
अनपढ़ न पढ़ा
अनिच्छा न इच्छा
असंभव न संभव
अधर्म न धर्म
अनाथ न नाथ
अनहोनी न होनी
अपठित न पठित
असफल न सफल
अमर न मर (जो न मरे)
अनुदार न उदार

विभिन्न समासों में अंतर

समास के विभिन्न भेदों में अंतर को नीचे विस्तार से समझाया गया है-

1. कर्मधारय तथा द्विगु समास में अंतर

कर्मधारय समास द्विगु समास
(क) कर्मधारय समास का पूर्वपद संख्यावाचक विशेषण के अलावा कोई भी विशेषण होता है।(ख) पूर्वपद प्राय: गुणवाचक विशेषण होता है।(ग) विग्रह करते समय उत्तरपद के साथ ‘समूह’ या ‘समाहार’ शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता। (क) द्विगु समास का पूर्वपद संख्यावाचक विशेषण होता है।(ख) पूर्वपद संख्यावाचक ही होता है।(ग) विग्रह करते समय उत्तरपद के बाद ‘समूह या ‘समाहार’ शब्द का प्रयोग अनिवार्य रूप से किया जाता है।

उदाहरण

समस्तपद विग्रह-I (कर्मधारय) विग्रह-II (द्विगु)
त्रिलोचन तीन नेत्र तीन नेत्रों का समाहार
चतुर्भुज चार भुजाएँ चार भुजाओं का समाहार
चौराहा चार राहें चार राहों का समाहार

2. द्विगु तथा बहुव्रीहि समास में अंतर

द्विगु समास बहुव्रीहि समास
(क) द्विगु समास में समस्तपद का पहला पद गौण होता है तथा उत्तरपद प्रधान।(ख) दुविगु समास का पहला पद संख्यावाची विशेषण होता है।(ग) विग्रह करते समय उत्तरपद के साथ ‘समूह’ या समाहार’ शब्द जोड़े जाते हैं। (क)बहुव्रीहि समास में समस्तपद के दोनों पद गौण होते हैं तथा तीसरा बाहरी पद प्रधान।(ख) बहुव्रीहि समास में समस्तपद के दोनों पद मिलकर तीसरे पद की ओर संकेत करते हैं। (ग) विग्रह करते समय ‘समूह’/समाहार’ शब्द नहीं जोड़े जाते।

उदाहरण

समस्तपद विग्रह-1 (द्विगु) विग्रह-II (बहुव्रीहि)
तिरंगा तीन रंगों का समाहार तीन रंग हैं जिसके अर्थात भारतीय राष्ट्रध्वज
दशानन दस मुखों का समाहार दस मुख हैं जिसके अर्थात रावण

MCQs

प्रश्न 1. समास का शाब्दिक अर्थ क्या होता है
A) संक्षेप
B) विस्तार
C) विग्रह
D) विच्छेद

उत्तर (A)

प्रश्न 2. इन में से कौन सा अव्ययीभाव पद है
A) गृहागत
B) आचारकुशल
C) प्रतिदिन
D) कुमारी

उत्तर (C)
ट्रिक: पहला पद (प्रति) है।

प्रश्न 3. निम्न में कौन सा कर्मधारय समास है
A) चक्रपाणी
B) चतुर्युगम
C) श्वेतांबर
D) माता – पिता

उत्तर (C)
ट्रिक: श्वेतांबर – श्वेत है जो अंबर

प्रश्न 4. गजानन में कौन सा समास हैप्रश्न
A) द्वंद्व
B) बहुव्रीहि
C) तत्पुरुष
D) कर्मधारय

उत्तर (B)
ट्रिक: गज जैसा आनन वाला (गणेश)

प्रश्न 5. देवासुर में कौन सा समास है?
A) बहुव्रीहि
B) कर्मधारय
C) तत्पुरुष
D) द्वंद्व

उत्तर (D)
ट्रिक: देव और असुर एक दूसरे के विलोम शब्द है।

प्रश्न 6. वनगमन में कौन सा समास है?
A) बहुव्रीहि
B) द्विगु
C) तत्पुरुष
D) कर्मधारय

उत्तर (C)
ट्रिक: वनगमन – वन को गमन

प्रश्न 7. पंचतंत्र में कौन सा समास है?
A) कर्मधारय
B) बहुव्रीहि
C) द्विगु
D) द्वंद्व

उत्तर (C)
ट्रिक: पंचतंत्र – पाँच तंत्रों का समूह

प्रश्न 8. देशभक्ति कौन सा समास है?
A) द्विगु
B) तत्पुरुष
C) द्वंद्व
D) बहुव्रीहि

उत्तर (B)
ट्रिक: देशभक्ति – देश के लिए भक्ति

प्रश्न 9. कौन सा बहुव्रीहि समास का उदाहरण है
A) निशिदिन
B) त्रिभुवन
C) नीलकंठ
D) पुरुषसिंह

उत्तर (C)
ट्रिक: नीला है कंठ जिसका (शिव)

प्रश्न 10. त्रिलोचन में कौन सा समास है?
A) अव्ययीभाव
B) कर्मधारय
C) बहुव्रीहि
D) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (C)
ट्रिक: तीन आँखों वाला (शिव)

प्रश्न 11. चौराहा में कौन सा समास है?
A) बहुव्रीहि
B) तत्पुरुष
C) अव्ययीभाव
D) द्विगु

उत्तर (D)
ट्रिक: चौराहा – चार राहों का समूह

प्रश्न 12. दशमुख में कौन सा समास है
A) कर्मधारय
B) बहुव्रीहि
C) तत्पुरुष
D) द्विगु

उत्तर (B)
ट्रिक: दस हैं मुख जिसके (रावण)

प्रश्न 13. महादेव में कौन सा समास है?
A) तत्पुरुष
B) अव्ययीभाव
C) कर्मधारय
D) द्वंद्व

उत्तर (C)
ट्रिक: महादेव – महान है जो देव

प्रश्न 14. विशेषण और विशेष्य के योग से कौन सा समास बनता है
A) द्विगु
B) द्वंद्व
C) कर्मधारय
D) तत्पुरुष

उत्तर (C)
ट्रिक: पहला पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य होता है

प्रश्न 15. किस शब्द में द्विगु समास है
A) आजीवन
B) भूदान
C) सप्ताह
D) पुरुषसिंह

उत्तर (C)
ट्रिक: सप्ताह – सात दिनों का समाहार

प्रश्न 16. किसमें सही सामासिक पद है
A) पुरुषधन्वी
B) दिवारात्रि
C) त्रिलोकी
D) मंत्रीपरिषद

उत्तर (B)

प्रश्न 17. द्विगु समास का उदाहरण है?
A) अन्वय
B) दिन-रात
C) चतुरानन
D) पंचतत्व

उत्तर (D)
ट्रिक: पंचतत्व – पाँच तत्व

प्रश्न 18. इनमें से द्वंद्व समास का उदाहरण है
A) पीताम्बर
B) नेत्रहीन
C) चौराहा
D) रुपया-पैसा

उत्तर (D)
ट्रिक: रुपया और पैसा

प्रश्न 19. अव्ययीभाव समास का एक उदाहरण यथाशक्ति का सही विग्रह क्या होगा?
A) जैसी शक्ति
B) जितनी शक्ति
C) शक्ति के अनुसार
D) यथा जो शक्ति

उत्तर (C)
ट्रिक: पहला पद (यथा) है।

प्रश्न 20. पाप-पुण्य में कौन सा समास है?
A) कर्मधारय
B) द्वंद्व
C) तत्पुरुष
D) बहुव्रीहि

उत्तर (B)
ट्रिक: पाप और पुण्य

समास पर अधिकतर पूछे जानें वाले प्रश्न उत्तर नीचे दिए गए हैं:

1. परमाणु शब्द में कौनसा समास होता है?

उत्तर-कर्मधारय समास

2.वातावरण का विग्रह और समास होगा?

उत्तर-वात का आवरण- तत्पुरूष

3. ‘मनोज’ शब्द में कौनसा समास है?

उत्तर- बहुव्रीहि समास

4. काली मिर्च शब्द में कौन सा समास है? 

उत्तर- कर्मधारय

5. ‘हिमतनया’ शब्द में कौन-सा समास है?

उत्तर- बहुव्रीहि समास

6. ‘क्रीडाक्षेत्र’ शब्द का सही विग्रह क्या है? 

उत्तर- क्रीड़ा के लिए क्षेत्र

7. ‘पर्णकुटी’ शब्द का समास है? 

उत्तर- तत्पुरुष

8. ‘मृत्युंजय’ शब्द में प्रयुक्त समास है? 

उत्तर- बहुव्रीहि

9. देशप्रेम में समास है? 

उत्तर- तत्पुरुष

10. आस-पास शब्द में कौन सा समास है?

उत्तर- द्वंद्व

11. राजसभा शब्द में कौनसा समास है?

उत्तर- तत्पुरुष

12. नवरत्न में कौन सा समास है? 

उत्तर- द्विगु

13. देवालय में कौनसा समास है?

उत्तर- तत्पुरुष

14. अनायास में कौन-सा समास है? 

उत्तर- अव्ययीभाव

15. जिस समास में दोनों पद प्रधान हों, वह कहलाता है?

उत्तर- द्वन्द्व समास

16. चन्द्रशेखर में कौनसा समास है?

उत्तर- बहुव्रीहि

17. नेत्रहीन किस समास का उदाहरण है? 

उत्तर- तत्पुरुष

18. खरा-खोटा शब्द में कौनसा समास है?

उत्तर- द्वन्द्व

19. सपरिवार में कौन-सा समास है? 

उत्तर- बहुव्रीहि

20. शरणागत शब्द में कौनसा समास है?

उत्तर- तत्पुरुष

21. घनश्याम में कौन सा समास है?

उत्तर- बहुव्रीहि

22. नरोत्तम में कौन सा समास है?

उत्तर- सo तत्पुरुष(अधिकरण तत्पुरुष)    

23. चिड़ीमार में कौन सा समास है?

उत्तर- द्वितीया तत्पुरुष  

24. मृत्युंजय में कौन सा समास है?

उत्तर- बहुव्रीहि

25. सप्तसिंधु में कौन सा समास है?

उत्तर- द्विगु

26. अनुरुप में कौन सा समास है?

उत्तर- अव्ययीभाव

27. यज्ञशाला में कौन सा समास है?

उत्तर- तत्पुरुष

28. पापमुक्त में कौन सा समास है?

उत्तर- तत्पुरुष

29. प्रतिकूल में कौन सा समास है?

उत्तर- अव्ययीभाव

30. प्रधानमंत्री में कौन सा समास है?

उत्तर- बहुव्रीहि

31. ‘तिरंगा’ में कौन-सा समास है?

उत्तर- द्विगु

32.  ‘देव जो महान है’ यह किस समास का उदाहरण है?

उत्तर- कर्मधारय

33.  ‘चौराहा’ शब्द में कौन-सा समास है?

उत्तर- द्विगु

34. “राजपुत्र” में कौन-सा समास है?

उत्तर- तत्पुरुष

35. ‘योगदान’ में कौन-सा समास है? 

उत्तर- तत्पुरुष

36. अगोचर में कौन-सा समास है?

उत्तर- तत्पुरुष

37. ‘दशानन’ में कौन-सा समास है?

उत्तर- बहुव्रीहि

38. चक्रपाणि में कौन सा समास है?

उत्तर- बहुव्रीहि

39.साग-पात में कौन सा समास है?

उत्तर- कर्मधारय

40. शताब्दी शब्द में कौन सा समास होता है?

उत्तर- द्विगु

41. अव्ययीभाव समास का उदाहरण है?

उत्तर- भरपेट

42.bस्वर्णघट का समास-विग्रह है?

उत्तर- स्वर्ण का घट

43. शाखामृग शब्द में समास है?

उत्तर- बहुव्रीहि

44. रेलगाड़ी शब्द का सही समास-विग्रह है?

उत्तर- रेल पर चलने वाली गाड़ी

45. पर्णकुटी शब्द में समास है?

उत्तर- तत्पुरुष

46. चतुर्भुज में कौन-सा समास है?

उत्तर- बहुव्रीहि

47. मतदाता शब्द में समास है?

उत्तर- तत्पुरुष

48. नरेश शब्द का समास विग्रह होगा?

उत्तर- नरों का ईश

49. विद्यार्थी में कौन-सा समास है?

उत्तर- तत्पुरुष

50. तत्पुरुष समास में प्रधान पद माना जाता है?

उत्तर- उत्तरपद

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  • विशेषण
  • क्रिया
  • पद परिचय

FAQs

समास कितने प्रकार के होते हैं?

अव्ययीभाव समास
तत्पुरुष समास
कर्मधारय समास
द्विगु समास
द्वंद्व समास
बहुव्रीहि समास

महाकवि कौन सा समास है?

कर्मधारय समास

समास के कितने पद होते हैं?

समास में दो पद होते हैं।

एक-एक शब्द में कौन सा समास है?

अव्ययीभाव समास

महाकाव्य समस्त पद में कौन सा समास है?

कर्मधारय समास

दोपहर में कौन सा समास होगा?

द्विगु समास


नीलकमल में कौन सा समास है?

कर्मधारय समास

देशांतर में कौन सा समास है?

तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास कितने प्रकार के होते हैं?

कर्म तत्पुरुष समास, करण तत्पुरुष समास, सम्प्रदान तत्पुरुष समास, अपादान तत्पुरुष समास, सम्बन्ध तत्पुरुष समास, अधिकरण तत्पुरुष समास आदि।

उम्मीद है कि आपको इस ब्लॉग से Samas in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। यदि आप भी विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं, तो आज ही हमारे Leverage Eduएक्सपर्ट के साथ 30 मिनट का फ्री सेशन 1800 57 2000 पर कॉल करके बुक करें।

कौन सा समस्त पद कर्मधारय समास का उदाहरण है?

अब हम नवयुवक का उदाहरण देखते है कि नव है जो युवक एवं नीलकमल अर्थात नीला है जो कमल इसमें पूर्व पद उत्तर पद की विशेषता बताने का काम कर रहा है। अतः दोनों पदों में विशेषण विशेष्य होने का सम्बन्ध है। अतः यह उदाहरण कर्मधारय समास के अंतर्गत आयेंगे।

कर्मधारय समास का कौन सा पद प्रधान होता है?

कर्मधारय समास की परिभाषा वह समास जिसका पहला पद विशेषण एवं दूसरा पद विशेष्य होता है अथवा पूर्वपद एवं उत्तरपद में उपमान – उपमेय का सम्बन्ध माना जाता है कर्मधारय समास कहलाता है। इस समास का उत्तरपद प्रधान होता है एवं विगृह करते समय दोनों पदों के बीच में 'के सामान', 'है जो', 'रुपी' में से किसी एक शब्द का प्रयोग होता है

यज्ञशाला समस्त पद के समास का इनमें से कौन सा होगा?

Answer: यज्ञशाला का समास-विग्रह ' यज्ञ के लिये शाला' है। यहाँ पर सम्प्रदान (चतुर्थी) तत्पुरुष समास है।

कर्मधारय समास को कैसे पहचाने?

Karmadharaya Samas Ki Paribhasha – जिस समास में प्रथम पद विशेषण या उपमान होता है तथा द्वितीय पद विशेष्य या उपमेय होता है, अर्थात विशेषण–विशेष्य तथा उपमान-उपमेय का सम्बन्ध रहता है उसे कर्मधारय समास कहते हैं.

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