औपचारिक और अनौपचारिक ऋण किसे कहते हैं? औपचारिक ऋण को अंग्रेजी में Formal Loan या Formal Sector Loan भी कहते है। ठीक इसी प्रकार से अनौपचारिक ऋण को Informal Loan या Informal Sector Loan के नाम से जाना जाता है।
अनौपचारिक ऋण
अनौपचारिक ऋण: अनौपचारिक क्षेत्र ऋण एक प्रकार का ऋण है जो साहूकारों, सहकर्मियों आदि से लिया जा सकता है।
औपचारिक ऋण
औपचारिक ऋण: औपचारिक क्षेत्र के ऋण एक प्रकार के ऋण होते हैं जो या तो बैंकों या सहकारी समितियों से लिए जाते हैं।
औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र के ऋणों के बीच मुख्य अंतर निम्न है जो सभी को जानना जरुरी है।
औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र के ऋणों के बीच महत्वपूर्ण अंतर
औपचारिक ऋण | अनौपचारिक ऋण |
औपचारिक ऋण की देखरेख या व्यवस्था भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) करता है। | अनौपचारिक ऋण की गतिविधियों की निगरानी करने वाला कोई संगठन नहीं है। |
आरबीआई जांचता है कि वे कितना उधार दे रहे हैं और किस ब्याज पर। | वे अपनी पसंद की ब्याज दर पर पैसा उधार दे सकते हैं। |
पैसा वापस पाने के लिए इस क्षेत्र के कुछ नियम और सीमाएं हैं। | उनका पैसा वापस पाने के लिए अनुचित साधनों का उपयोग करने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता। |
वे ऋण पर अनौपचारिक उधारदाताओं की तुलना में उचित ब्याज लेते हैं। | वे औपचारिक उधारदाताओं की तुलना में बहुत अधिक ब्याज लेते हैं। |
मुख्य उद्देश्य जनकल्याण है। | मुख्य उद्देश्य अपना लाभ कमाना है। |
इसमें बैंक और सहकारी समितियां शामिल हैं। | इसमें व्यापारी, साहूकार, नियोक्ता, मित्र आदि शामिल हैं। |
ऋण के प्रकार की बात की जय को भारत में बैंको द्वारा दिए जाने वाले सभी ऋण के नाम उनके कार्य के आधार पर नामकरण किया गया है, जैसे बिज़नेस के लिए बिज़नेस लोन, गोल्ड के बदले दिया जाने वाला लोन को गोल्ड लोन, शादी के लिए लिया जाने वाले लोन को शादी ऋण, शिक्षा के लिए लिया जाने वाले लोन को एजुकेशन लोन और व्यक्तिगत जरुरत की पूर्ति के लिए लिए जाने वाला ऋण को पर्सनल लोन इत्यादि।
फॉर्मल और इनफॉर्मल लोन को सरकारी और निजी लोन के रूप में समझ सकते है। जैसे सरकारी लोन बैंकों से लिए जाते है और उन पर RBI का नियंत्रण होता है जो कायदे कानून के अनुसार ब्याज की दर पर ही ऋण दिया जा सकता है।
इनफॉर्मल ऋण को गैर सरकारी या निजी या साहूकार ऋण के नाम से भी जान सकते है, क्युकि इन पर सरकारी नियमों का कोई बंधन नहीं होता है और ये अपनी मर्जी के अनुसार ब्याज दर वसूलते है।
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FAQ
Q. औपचारिक ऋण क्या है?
Answer – बैंकों या सहकारी संगठनों से औपचारिक प्रक्रियाओं को पूरा करके लिये गये ऋण को औपचारिक ऋण कहते हैं।
Q. अनौपचारिक ऋण क्या है?
Answer – साहूकार, मालिक, व्यापारी या किसी व्यक्ति से उधार लिए गए ऋण को अनौपचारिक ऋण कहते है।
निष्कर्ष
इस लेख में aupcharik aur anopcharik rin kise kahte hai और aupcharik aur anopcharik rin kya hai के बारे में बताया गया है। आशा करता हूँ की सभी साथियों को औपचारिक और अनौपचारिक ऋण के बारे में जानकारी अच्छी लगी होगी।
Solution : साख के प्रमुख स्रोत हैं-औपचारिक एवं अनौपचारिक स्रोत ।। <br> (i) बैंकों तथा सरकारी समितियों द्वारा दिये गये ऋण को औपचारिक ऋण तथा साहूकार, व्यापारी, मालिक, रिश्तेदार, मित्र आदि द्वारा दिये गये ऋण को अनौपारिक ऋण के नमा से जाना जाता है। <br> (ii) औपचारिक ऋणदाता कर्जदार से समर्थक ऋणाधार की माँग करते हैं जबकि अनौपचारकि ऋण में किसी प्रकार के समर्थक ऋणाधार की आवश्यकता नहीं पड़ती। <br> (iii) औपचारिक ऋणदाता एक निश्चित तथा निम्न ब्याज दर पर ऋण देते हैं जबकि अनौपचारिक ऋणदाता मनमानी तथा उच्च ब्याज दर पर ऋण देते हैं। <br> (iv) औपचारिक ऋण देने वाली संस्थाओं का नियंत्रण एवं अधीक्षण रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता है जबकि अनौपाचारिक क्षेत्र में ऋणदाताओं की गतिविधियों की देखरेख करने वाली कोई संस्था नहीं है। <br> (v) औपचारिक ऋण आकार में बड़ा होता है जबकि अनौपचारिक ऋण छोटा।
विषयसूची
ऋण की औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों के बीच क्या अंतर है?
इसे सुनेंरोकें(iii) औपचारिक ऋणदाता एक निश्चित तथा निम्न ब्याज दर पर ऋण देते हैं जबकि अनौपचारिक ऋणदाता मनमानी तथा उच्च ब्याज दर पर ऋण देते हैं। (iv) औपचारिक ऋण देने वाली संस्थाओं का नियंत्रण एवं अधीक्षण रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता है जबकि अनौपाचारिक क्षेत्र में ऋणदाताओं की गतिविधियों की देखरेख करने वाली कोई संस्था नहीं है।
अधिकांश ग्रामीण परिवार अभी भी ऋण के औपचारिक स्रोतों पर निर्भर क्यों है समझाइए?
इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: (i) अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भरता को कम करने के लिए क्योंकि इनमे में उच्च ब्याज दर होती है और कर्ज़दार को ज्यादा लाभ नहीं मिलता है। (ii) सस्ता और सामर्थ्य के अनुकूल कर्ज़ देश के विकास के लिए अति आवश्यक है।
हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोत का विस्तार करने की आवश्यकता क्यों है?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर : हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की ज़रूरत इसलिए है क्योंकि भारत में ग्रामीण परिवार की जरूरतों को केवल 50% औपचारिक ऋण स्रोतों द्वारा पूरा किया जाता है। बाकी के परिवारों की जरूरत अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती है।
ऋण के औपचारिक स्रोत में कौन शामिल है?
इसे सुनेंरोकेंउदाहरण: साहूकार, व्यापारी, श्रमिक(कर्मचारी), रिश्तेदार और दोस्त आदि।
ऋण और साख में क्या अंतर है?
इसे सुनेंरोकेंसाख शब्द का अर्थ है, वस्तुओं के हस्तांतरण के कारण उत्पन्न भुगतान प्राप्त करने का अधिकार या भुगतान करने के दायित्व का निपटारा मांग पर या एक निश्चित समय के बाद करने की एक Specific method है। जब एक Bank लोगों को ऋण देता है तो वह एक ऋणदाता बन जाता है और वह व्यक्ति जो Bank से ऋण लेता है, ऋणी (Debtor) कहलाता है।
औपचारिक स्रोत क्या है?
इसे सुनेंरोकेंसाख की औपचारिक स्रोत से से तात्पर्य उन संस्थानों से है, जो बेहद कम दर पर ऋण उपलब्ध कराते है। ये संस्थान बैंक, सहकारी समितियां तथा अन्य आधिकारिक वित्तीय संस्थान आदि होते हैं।
समर्थक ऋणाधार क्या है?
इसे सुनेंरोकेंसमर्थक ऋणाधार : यह ऐसी सम्पति है, जिसका मालिक कर्जदार है (जैसे, कि भूमि, इमारत, गाड़ी, पशु, बैंकों में पूंजी) और इसका इस्तेमाल वह उधारदाता को गारंटी देने के रूप में करता है, जब तक कि ऋण का भुगतान नहीं हो जाता।
साख क्या क्या अर्थ है?