अंग्रेजों ने भारत में 200 साल तक राज किया था, यह तो सभी जानते हैं, किन्तु आपको यह बता दें, कि अंग्रेजों ने जब भारत को आजाद किया, तब उन्होंने भारत को 2 भागों में विभाजित कर दिया था. एक पाकिस्तान एवं दूसरा हिंदुस्तान. आजादी के बाद भी भारत और पाकिस्तान के बीच कई युद्ध हुए. किन्तु हिन्दू और मुसलमानों के बीच की लड़ाई के अलावा पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच में भी लड़ाई शुरू हो गई. दरअसल पूर्वी पाकिस्तान में रहने वाले बंगाली पश्चिमी पाकिस्तान से अलग होना चाहते थे. इसके कई कारण थे. और इसी की वजह से पाकिस्तान के दोनों भागों के बीच भी युद्ध छिड़ गया, और पाकिस्तान पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के रूप में 2 हिस्सों में बंट गया. इस दौरान पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश के रूप में उभरा. पाकिस्तान से बांग्लादेश किस तरह अलग हुआ एवं इसमें भारत की क्या भूमिका थी. और साथ ही युद्ध से क्या – क्या प्रभाव पड़े, यह सभी जानकारी आप हमारे इस लेख में देख सकते हैं. Show पाकिस्तान – बांग्लादेश युद्ध के कारण (Pakistan – Bangladesh War Reason or Issue) आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान अलग – अलग हो गए थे. पाकिस्तान में मुस्लिम लोगों ने शरण ली, जबकि भारत में अधिकतर हिन्दू लोगों ने शरण ली. पाकिस्तान में रहने वाले मुस्लिम भारत के पूर्वी और पश्चिमी दोनों हिस्सों में फैले हुए थे. इसलिए इसे पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था. दोनों ही जगह पर इस्लाम धर्म के लोग एक जुट होकर रहते थे. पश्चिमी पाकिस्तान में 97 % मुस्लिम और पूर्वी पाकिस्तानी में 85 % बंगाली थे. और यहाँ बाकि के लोग मुसलमान थे. फिर बंगाली और मुस्लिमों के बीच विरोध शुरू हुआ, इस विरोध के कई महत्वपूर्ण कारण थे, जिसके चलते पूर्वी पाकिस्तान पश्चिमी पाकिस्तान से अलग हो गया. इसके प्रमुख कारण इस प्रकार है –
इस तरह से पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच युद्ध की शुरुआत हो गई. युद्ध में भारत की भूमिका एवं बांग्लादेश का भारत ने समर्थन क्यों किया ? (India Role in This War and Why India Support Bangladesh ?) (Indo-Pakistani War of 1971 Summary) पूर्वी पाकिस्तान ने पश्चिमी पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध तो छेड़ दिया था, किन्तु पूर्वी पाकिस्तान द्वारा बनाई गई ‘मुक्तिवाहिनी’ सेना उतनी मजबूत नहीं थी, कि वह पाकिस्तानी सेना का सामना कर पाए. ऐसे में उन्होंने भारत से मदद की गुहार लगाई. भारत की तत्कालिक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी यह निष्कर्ष निकाला, कि लाखों शरणार्थियों को भारत में शरण देने से अच्छा पाकिस्तान के साथ युद्ध कर उसे हराकर पूर्वी पाकिस्तान को आजाद करा दिया जाये. इसके परिमाणस्वरुप भारत सरकार ने ‘मुक्तिवाहिनी’ सेना का समर्थन करने का फैसला किया. इससे मुक्तिवाहिनी सेना मजबूत हो गई और पाकिस्तानी सेना को हराने में कमयाब होने लगी. इससे सन 1971 के 3 दिसम्बर को एक बड़े पैमाने पर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया. पाकिस्तान वायु सेना ने 3 दिसंबर 1971 को भारतीय वायुसेना के ठिकानों पर एक प्री – एम्पटिव स्ट्राइक शुरू की. इस हमले के दौरान पाकिस्तानी सेना का उद्देश्य भारतीय वायु सेना के विमानों को बेअसर करना था. किन्तु इससे भारत भी शांत नहीं बैठा, उसने इसे भारत – पाकिस्तान युद्ध की अधिकारिक तौर पर शुरुआत के रूप में लिया. और यहीं पाकिस्तान का गृहयुद्ध भारत – पाकिस्तान युद्ध के रूप में परिविर्तित हो गया. पूर्वी पाकिस्तान की मुक्तिवाहिनी सेना में भारत की 3 कॉर्प्स शामिल हो गई, और उनके साथ युद्ध में लड़ी. भारत द्वारा किये गये युद्ध में प्रदर्शन से पाकिस्तान हिल गया था. वह भारत का सामना प्रभावी ढंग से करने में असमर्थ होने लगा था. फिर धीरे – धीरे पाकिस्तानी सेना युद्ध में बहुत कमजोर हो गई, जिसके चलते 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया. इस तरह से यह युद्ध समाप्त हो गया. पाकिस्तान – बांग्लादेश युद्ध का परिणाम (Result of The Pakistan – Bangladesh War) पाकिस्तानी सेना द्वारा किया गया आत्मसमर्पण द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बहुत बड़ा आत्मसमर्पण था. इसमें पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच हुआ यह युद्ध बाद में भारत – पाकिस्तान युद्ध के रूप में परिवर्तित हो गया था. किन्तु उस दौरान भारत और पूर्वी पाकिस्तान की जीत होने के बावजूद भी पूर्वी पाकिस्तान को अलग देश (बांग्लादेश) के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं हुई थी. इसके लिए बांग्लादेश ने संयुक्त राष्ट्र में शामिल होने के लिए मांग की. किन्तु वोट के आधार पर चीन, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका एवं ऐसे कई देश पाकिस्तान के समर्थन में थे. और फिर सन 1972 में पाकिस्तान और भारत के बीच शिमला संधि करने का फैसला लिया गया. इस संधि के अनुसार यदि भारत पाकिस्तानी युद्ध कैदियों को रिहा कर दे, तो इसके बदलें में बांग्लादेश की स्वतंत्रता की मान्यता दे दी जाएगी, और भारत ने इस संधि को स्वीकार कर लिया. दरअसल उस दौरान भारत में करीब 90,000 युद्ध कैदी यानी पीओके थे, जिन पर भारत द्वारा जेनेवा समझौते सन 1925 के तहत सख्त व्यवहार किया जाता था. फिर सन 1972 में भारत ने शिमला संधि पर हस्ताक्षर कर दिए. और इस तरह से इसका परिणाम यह निकला कि –
पाकिस्तान – बांग्लादेश युद्ध का प्रभाव (Effect of The Pakistan – Bangladesh War) इस युद्ध के समाप्त होने के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश पर निम्न प्रभाव पड़ा – बंगलादेश :-
पाकिस्तान :-
इस तरह से पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनों ही देशों में इसका अच्छा एवं बुरा दोनों ही तरह का प्रभाव पड़ा. युद्ध का भारत में प्रभाव (Pakistan Bangladesh War Effect in India) सन 1971 के इस भारत और पाकिस्तान युद्ध से न सिर्फ बांग्लादेश आजाद हुआ एवं पाकिस्तान पर प्रभाव पड़ा, बल्कि इससे भारत पर भी काफी प्रभाव पड़ा, जोकि इस प्रकार है –
अतः यहीं कारण था, कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच युद्ध हुआ और बांग्लादेश को आजादी मिली. साथ ही बांग्लादेश को आजाद होने में भारत ने अहम भूमिका निभाई. बांग्लादेश को आजादी कब मिली थी?16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश आजाद हुआ था। बांग्लादेश की मुक्ति के लिए युद्ध 1971 भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ा गया था। इसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश के जनवादी गणराज्य की स्वतंत्रता हुई। 25 मार्च 1971 की रात को पश्चिमी पाकिस्तान द्वारा पूर्वी पाकिस्तान के लोगों के खिलाफ ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू करने के बाद युद्ध शुरू हुआ।
बांग्लादेश किसका गुलाम था?बांग्लादेश का स्वतंत्रता संग्राम १९७१ में हुआ था, इसे 'मुक्ति संग्राम' भी कहते हैं। यह युद्ध वर्ष १९७१ में २५ मार्च से १६ दिसम्बर तक चला था। इस रक्तरंजित युद्ध के माध्यम सेे बांलादेश ने पाकिस्तान से स्वाधीनता प्राप्त की। 16 दिसम्बर सन् 1971 को बांग्लादेश बना था।
पाकिस्तान और बांग्लादेश कब अलग हुए थे?पहले पाकिस्तान और 1971 में बांग्लादेश के रूप में भारत से अलग हो गए. भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पाकिस्तान पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में बंट गया था लेकिन बांग्लादेश लिबरेशन वॉर के रूप में भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 का युद्ध हुआ था.
कब से कब तक बांग्लादेश पाकिस्तान का अंग था?बांग्लादेश (पूर्वी-पाकिस्तान) 1947 से 1971 तक पाकिस्तान का हिस्सा था।
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