विषयसूची
नौकरी को पीर का मजार क्यों कहा गया है?
इसे सुनेंरोकेंनौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर की मज़ार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए। उत्तर:- इसमें नौकरी के ओहदे और उससे जुड़े सन्मान से भी ज्यादा महत्त्व ऊपरी कमाई को दिया गया है। ऐसी नौकरी करने के लिए कहा जा रहा है जहा ज्यादा से ज्यादा रिश्वत मिल सके।
मानो किसकी पत्नी थी?
इसे सुनेंरोकेंसुकिया और उसकी पत्नी मानो कमाने – खाने की इच्छा से गांव देहात छोड़कर शहर आए थे। वे असगर ठेकेदार के भट्टे पर ईट पाथने का काम करते थे।
नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना यह तो पीर की मजार है यह कथन किसका है?
इसे सुनेंरोकेंQuote by Munshi Premchand: “नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर क…”
सूबेसिंह ने जसदेव को क्यों मारा?
इसे सुनेंरोकेंजब सूबे सिंह ने देखा कि मानो नहीं आई है और उसके स्थान पर जसदेव आया है, तो वह बिफर पड़ा। मानो का सारा गुस्सा उसने जसदेव पर निकाल दिया। उसने जसदेव को बहुत बुरी तरह मारा।
सुखिया की पत्नी का क्या नाम था?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर: सुकिया िी पत्नी िा नाम मानो था। 2. भट्टा मातलक का नाम बिाइए? उत्तर: भट्टा माकिि िा नाम मुख्तार कसिंह था।
नौकरी को पीर का मजार कौन मानता था *?
इसे सुनेंरोकेंनौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मज़ार है। 3.
मुंशी वंशीधर में कौन से गुण थे?
इसे सुनेंरोकेंवंशीधर एक ईमानदार, दृढ़-निश्चयी, कर्मण्ठ तथा कर्तव्यपरायण व्यक्ति है। उन्हें अपने कार्य से प्रेम हैं। वे आदर्शों को मानने वाले व्यक्ति हैं। उनके आदर्श इतने उच्च हैं कि उन्हें पैसों का लालच भी हटा नहीं पाता है।
अलोपीदीन क्या थे?
इसे सुनेंरोकेंपंडित अलोपीदीन इलाके के सबसे प्रतिष्ठित जमींदार थे। लाखों रुपयों का व्यापार था। वंशीधर ने जब जाँच किया तब पता चला कि गाड़ियों में नमक के ढेले के बोरे हैं। उन्होंने गाड़ियाँ रोक लीं।
कगार का वृक्ष मुहावरे का अर्थ क्या होगा?
इसे सुनेंरोकेंकोई ऊँचा और ढालुआँ भू भाग। नदी का ऊँचा ढालुआँ किनारा।
मुंशी वंशीधर के पिता ने नौकरी के ओहदे को क्या नाम दिया?
इसे सुनेंरोकेंमुंशी वंशीधर के पिता ने नौकरी में पद को पीर का मजार का नाम दिया था। मुंशी बंशीधर के पिता एक अनुभवी पुरुष थे और जब मुंशी वंशीधर रोजगार की खोज में निकले, तो वह अपने बेटे को समझाने लगे कि नौकरी में पद की ओर ध्यान मत देखना। यह तो पीर का मजार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए।
मुंशी वंशीधर के पिता के अनुसार नौकरी में ओहदा क्या है?
इसे सुनेंरोकेंनौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर की मज़ार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए। उत्तर: इसका अर्थ है कि पद ऊँचा हो यह जरूरी नहीं है, लेकिन जहाँ ऊपरी आय अधिक हो उसे स्वीकार कर लेना।
कगार मतलब क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंKagar Meaning in Hindi – कगार का मतलब हिंदी में 1. ऊँचा किनारा । 2. नदि का कगरा ।
नमक का दारोगा पाठ में आने वाले 5 5 मुहावरें एवं लोकोक्तियों को छाँटकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए?
इसे सुनेंरोकेंपाठ ‘नमक का दारोगा’ में कई मुहावरों व लोकोक्तियों का प्रयोग हु आ है– जैसे- कगारे का वक्षृ , शूल उठना,इज्जत धूल में मिलना, ठिकाना न
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नौकरी को पीर का मजार कौन मानता था?
इसे सुनेंरोकेंनौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मज़ार है। 3.
नमक का दारोगा कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन से दो पहलू उभरकर आते हैं?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर : ‘नमक का दारोगा’ कहानी में पंडित आलोपीदीन के व्यक्तित्व के पक्ष के दो पहलू उभरकर आते हैं। पंडित आलोपीदीन एक व्यापारी हैं। अपने व्यापार को चलाने के लिए वे हर अच्छे-बुरे तरीका का प्रयोग करते हैं। वंशीधर को अपने मार्ग से हटाने के लिए वे सारे हथकंडे प्रयोग में लाते हैं।
पंडित कौन बनता है *?
इसे सुनेंरोकेंमनुष्य का मनुष्य के प्रति अनुराग और स्नेह ही उसमें मनुष्यत्व की भावना जगाता है। वही व्यक्ति पंडित होता है जो प्रेम करना जानता है।
पंडित कौन नहीं होता है?
इसे सुनेंरोकेंजब तक ईश्वर का साक्षात्कार न हो जाए, किसी को पंडित या ज्ञानी नहीं माना जा सकता। अनगिनत लोग जीवन भर ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करते हुए संसार से विदा हो गए परंतु कोई पंडित या ज्ञानी नहीं हो पाया। क्योंकि वे कोरे ज्ञान प्राप्ति के लोभ में ही पड़े रहे। बड़े-बड़े ग्रंथ पढ़कर भी जो प्रेम करना नहीं सीखा, वह अज्ञानी है।
नौकरी को पीर का मजार क्यों कहा गया है?
इसे सुनेंरोकेंनौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर की मज़ार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए। उत्तर:- इसमें नौकरी के ओहदे और उससे जुड़े सन्मान से भी ज्यादा महत्त्व ऊपरी कमाई को दिया गया है। ऐसी नौकरी करने के लिए कहा जा रहा है जहा ज्यादा से ज्यादा रिश्वत मिल सके।
पंडित अलोपीदीन कहाँ के थे?
इसे सुनेंरोकेंअब पुल पर जब मुंशी वंशीधर आते हैं और पूछताछ करते हैं, तो पता चलता है कि नमक की ये गाड़ियाँ पंडित अलोपीदीन की हैं और कानपुर जा रही हैं। मुंशी वंशीधर यह तो जानता ही है कि पंडित अलोपीदीन इस इलाके के सबसे प्रतिष्ठित जमींदार है।
मुंशी वंशीधर के पिता ने नौकरी में ओहदा को क्या नाम दिया?
इसे सुनेंरोकेंमुंशी वंशीधर के पिता ने नौकरी में पद को पीर का मजार का नाम दिया था। मुंशी बंशीधर के पिता एक अनुभवी पुरुष थे और जब मुंशी वंशीधर रोजगार की खोज में निकले, तो वह अपने बेटे को समझाने लगे कि नौकरी में पद की ओर ध्यान मत देखना।
कगार का वृक्ष मुहावरे का अर्थ क्या होगा?
इसे सुनेंरोकेंकोई ऊँचा और ढालुआँ भू भाग। नदी का ऊँचा ढालुआँ किनारा।