प्राचीन काल में लोगों का संचार कैसे होता था? - praacheen kaal mein logon ka sanchaar kaise hota tha?

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प्राचीन काल में सूचना का आदान प्रदान किस विधि से होता था

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संदेश देने के मतलब विचारों को साझा करना, सूचनाओं का आदान-प्रदान हमारे जीवन की आवश्यकता बन गया है।

प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल में निम्नलिखित माध्यमों का उपयोग सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए किया जाता रहा है-

1- देवदूतों के माध्यम से

लगभग सभी धर्मों में देवदूत का वर्णन किया गया है जो कि धरती पर आकर परलोक की सूचना यहाँ के लोगों तक पहुंचाते थे।

प्राचीन काल से आज तक प्रचलित संदेश वहन के साधनों की सचित्र सूची तैयार करो।

कबूतर: प्राचीन काल में संदेश पहुँचाने की सुविधाएँ नहीं थी। तब कबूतर ही संदेशवाहक का काम करते थे। संदेश एक चिट्ठी में लिखकर उसे एक नली में रखते और वह नली कबूतर के पैरों में बाँध दी जाती थी। इसके अतिरिक्त कबूतर को आवश्यक निर्देश भी दिए जाते थे। प्रशिक्षित होने के कारण वह रास्ता नहीं भटकता था। युद्ध के दौरान कबूतरों द्वारा ही महत्त्वपूर्ण संदेश हर जगह पहुँचाए जाते थे।
डाक सेवा: भारतीय डाक प्रणाली का इतिहास काफी रोमांचक और पुराना है। पहली डाक व्यवस्था का श्रेय अलाउद्दीन खिलजी को जाता है। उस समय घुड़सवारों द्वारा संदेश लाने ले जाने की व्यवस्था की गई थी। बदलते माहौल के अनुसार इसमें भी परिवर्तन हुआ और भारत में पहला पोस्ट ऑफिस ३१ मार्च, १७७४ को मुंबई में खुला था। धीरे-धीरे भारत के कई राज्यों में डाक सेवाएँ शुरू हो गइर्। इसमें डाकिए चिट्ठियाँ पहुँचाने का कार्य करने लगे। यह सेवा वर्तमान युग में भी जारी है। भारतीय डाक प्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए अनेक उपाय किए गए हैं। अनेक डाकघरों में बहुउद्देशीय काउंटर मशीनें लगाई गई हैं, जिनके माध्यम से मनीऑर्डर, रजिस्ट्री, स्पीड पोस्ट आदि की सुविधा उपलब्ध हो गई है।
टेलीफोन: टेलीफोन के आने से संदेश भेजना बहुत ही सरल हो गया। इसमें एक-दूसरे से मौखिक रूप से बात करने की सुविधा बनाई गई, जिससे यह संदेश वहन का सबसे सशक्त माध्यम बन गया। टेलीफोन के जरिए दूसरे राज्यों या देशों में रहने वाले लोगों से भी आसानी से संपर्क स्थापित होने लगा।
कंप्यूटर: विज्ञान की प्रगति ने कंप्यूटर का आविष्कार किया, जिससे हम कंप्यूटर के माध्यम से अपने संदेश को ई-मेल द्वारा कहीं पर भी तुरंत भेज सकते हैं। सात समुंदर पार बैठे व्यक्ति से वीडियो चैट द्वारा प्रत्यक्ष रूप से देखते हुए बातें भी कर सकते हैं, परंतु कंप्यूटर संदेशवहन का सबसे महँगा साधन था।
मोबाइल: मोबाइल के आविष्कार ने दुनिया में धूम मचा दी और आज वर्तमान युग में मोबाइल संदेशवहन का सबसे सस्ता साधन बन गया है। मोबाइल में संदेशवहन की सारी सुविधाएँ हैं, जिसके माध्यम से व्यक्ति घर बैठे ही किसी से भी वीडियो कॉल के जरिए आसानी से प्रत्यक्ष रूप से बात कर सकता है। इसमें ऑडियो कॉल की दरें भी बहुत सस्ती हैं। संदेश भेजने के साथ-साथ यह मनोरंजन एवं जानकारी प्राप्त करने का भी साधन बन गया है।

Concept: लेखन कौशल

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आधुनिक युग में संचार के साधन अथवा संचार के आधुनिक साधन पर निबंध | Essay on Means of Communication in the Modern Era in Hindi!

संचार मानव की प्रगति के लिए अति महत्वपूर्ण है । यह विश्व के एक देश में बैठे लोगों को दूसरे देशों से जोड़ता है । आज मानव सभ्यता प्रगति की ओर अग्रसर है । इसका प्रमुख श्रेय संचार के आधुनिक साधनों को जाता है ।

संचार के क्षेत्र में मनुष्य की उपलब्धियों ने विश्व की दूरियों को समेटकर बहुत छोटा कर दिया है । प्राचीन काल में एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश भेजने के लिए ‘दूत’ भेजे जाते थे जो प्राय: आवागमन के लिए घोड़ों आदि का प्रयोग करते थे । पक्षियों द्‌वारा संदेश भेजने के भी अनेक उदाहरण मिलते हैं । उस काल में एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश भेजने में महीनों लग जाते थे परंतु आज स्थिति पूर्णत: बदल चुकी है ।

तार की खोज के साथ ही संचार के क्षेत्र में क्रांति का प्रारंभ हो गया । इसके द्‌वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक ‘इलेक्ट्रॉनिक’ यंत्रों की सहायता से तार के माध्यम से संकेत प्रेषित किए जाने लगे । इसके पश्चात् ‘दूरभाष’ के आविष्कार ने तो संचार जगत में हलचल ही मचा दी ।

इसके द्‌वारा व्यक्ति घर बैठे सैकड़ों मील दूर अपने सगे-संबंधियों व परिजनों से बात कर सकता है । इसके साथ ही संचार को और अधिक सुचारू एवं सक्षम बनाने हेतु अनुसंधान प्रारंभ कर दिए गए ।

वर्तमान में संचार के क्षेत्र में वैज्ञानिकों ने अद्‌भुत सफलताएँ अर्जित की हैं । कंप्यूटर के आविष्कार के बाद इस क्षेत्र में प्रतिदिन नए आयाम स्थापित हो रहे हैं । संचार जगत में ‘ई-मेल’ की लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही है । ई-मेल के उपयोग या इससे होने वाले लाभ बहुआयामी हैं ।

‘ई-मेल’ के माध्यम से विश्व के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से हम संपर्क स्थापित कर सकते हैं । सबसे महत्वपर्ण बात यह है कि इसमें होने वाला खर्च बहुत कम है । दूरभाष द्‌वारा स्थानीय बातचीत में उपभोक्ता को जो खर्च देना पड़ता है उतने ही खर्च में ई-मेल द्‌वारा विदेशों में बैठे व्यक्ति को संदेश भेजे जा सकते हैं ।

इलेक्ट्रॉनिक मेल द्‌वारा लोग द्‌विपक्षीय वार्ता भी कर सकते हैं । ‘ई-मेल’ के माध्यम से एक संदेश को हजारों लोगों को एक साथ भेजा जा सकता है । इस प्रकार हम देखते हैं कि ‘ई-मेल’ ने विश्व संचार के क्षेत्र को कितना विस्तृत कर दिया है ।

संचार के क्षेत्र में ‘विडियो कांफ्रेंसिंग’ भी वैज्ञानिकों की एक अद्‌भुत देन है । इसके माध्यम से दो या दो से अधिक व्यक्ति एक दूसरे से मीलों दूर रहकर भी आपस में बातचीत कर सकते हैं तथा साथ ही परदे पर एक दूसरे को देख भी सकते है ।

इसके अतिरिक्त ‘फैक्स’ मशीन के द्‌वारा कागज पर लिखे संदेशों को दूरभाष लाइनों की सहायता से दूर बैठे व्यक्ति को केवल कुछ ही सैकेंडों में भेजा जा सकता है । ई-मेल को फैक्स का ही उत्तम रूप माना जा सकता है ।

इस प्रकार हम देखते हैं कि मनुष्य ने संचार के क्षेत्र में असीम सफलताएँ अर्जित की हैं । आज इन्हीं सफलताओं व उपलब्धियों के कारण विश्व के सभी देशों का आपसी संपर्क बढ़ा है ।

भारत में बैठे हुए भी दुनिया के दूसरे कोने जैसे अमरीका में होने वाली घटनाओं से हम तुरंत अवगत हो जाते हैं । संचार के क्षेत्र में मानव की उपलब्धियों के कारण ही आज संपूर्ण विश्व की दूरियाँ सिमटकर अत्यंत छोटी हो गई हैं ।

संचार के साधनों के विकास ने अन्य क्षेत्रों में वाणिज्यिक प्रगति को अपेक्षाकृत सरल बना दिया है । आज व्यापार से संबंधित कार्य संचार के साधनों के बदौलत घर या कार्यालय में बैठे-बैठे संपन्न किए जा सकते हैं ।

प्राचीन समय में संचार कैसे किया गया?

प्राचीन काल में एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश भेजने के लिए 'दूत' भेजे जाते थे जो प्राय: आवागमन के लिए घोड़ों आदि का प्रयोग करते थे । पक्षियों द्‌वारा संदेश भेजने के भी अनेक उदाहरण मिलते हैं । उस काल में एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश भेजने में महीनों लग जाते थे परंतु आज स्थिति पूर्णत: बदल चुकी है ।

प्राचीन काल में संदेशों का संचार कैसे होता था?

प्राचीन काल में संदेश पहुँचाने की सुविधाएँ नहीं थी। तब कबूतर ही संदेशवाहक का काम करते थे। संदेश एक चिट्ठी में लिखकर उसे एक नली में रखते और वह नली कबूतर के पैरों में बाँध दी जाती थी। इसके अतिरिक्त कबूतर को आवश्यक निर्देश भी दिए जाते थे।

प्राचीन काल में संचार के कौन से साधन थे?

प्राचीन काल में कबूतरों को भी अच्छा संदेशवाहक माना जाता था। स्वतंत्रता-संग्राम के दौरान आन्दोलनकारी व सत्याग्रही हमेशा खतों के द्वारा व कबूतर के द्वारा ही संवादों का आदान-प्रदान किया करते थे

प्राचीन काल में ही संदेशों का आदान प्रदान का माध्यम क्या है?

प्राचीन काल से ही संदेशों के आदान-प्रदान का माध्यम पत्र रहा है। संदेशों के आदान-प्रदान के लिए पत्र बेहद बेहद प्राचीन परंपरा रही है। पहले के समय में पत्र ही संदेशों के आदान-प्रदान का एकमात्र माध्यम था। पत्र माध्यम जितना प्राचीन काल में लोकप्रियता था।

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