प्रयोगवादी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियां क्या है?
मन की नग्न एवं अश्लील वृत्तियों का चित्रण करता है। अपनी असामाजिक एवं अहंवादी प्रकृति के अनुरूप मानव जगत के लघु और क्षुद्र प्राणियों को काव्य में स्थान देता है। भावुकता के स्थान पर बौद्धिकता की प्रतिष्ठा करता है। कवि के मन की स्थिति,अनुभूति,विचारधारा तथा मान्यता इस कविता में विशेष रूप से अभिव्यक्त हुई है।
नई कविता की प्रमुख प्रवृत्तियां कौन कौन सी है?
नयी कविता की प्रमुख विशेषताएँ.
प्राचीन कविता अर्थात् छायावाद तथा प्रगतिवाद की परम्परा-बद्धता और रूढ़िग्रस्तता।.
बदलते हुए समाज के सत्यों और मूल्यों को उद्घाटित करने के लिए नवीन अभिव्यंजना की आवश्यकता।.
जीवन या अनुभव जगत् के नये पहलुओं को नयी दृष्टि से देखना उन्हें नये चित्रों, प्रतीकों, अलंकारों द्वारा अभिव्यक्त करना।.
प्रयोगवाद और नयी कविता में क्या अंतर है?
यह मत भी उचित नहीं माना जा सकता क्योंकि प्रयोगवाद में प्रयोगशीलता की केन्द्रीयता है जबकि नयी कविता में 'प्रयोग' केन्द्रीत प्रवृत्ति के रूप में नहीं दिखता। गिरिजाकुमार माथुर एवं रामस्वरूप चतुर्वेदी का मानना है कि नई कविता प्रगतिवाद और प्रयोगवाद दोनों की विरासत से निर्मित संश्लेषण की कविता है ।
नई कविता से आप क्या समझते हैं इसकी प्रवृत्तियों पर विचार कीजिए?
नयी कविता हिन्दी साहित्य में सन् १९५१ के बाद की उन कविताओं को कहा गया, जिनमें परंपरागत कविता से आगे नये भावबोधों की अभिव्यक्ति के साथ ही नये मूल्यों और नये शिल्प-विधान का अन्वेषण किया गया। यह प्रयोगवाद के बाद विकसित हुई हिन्दी कविता की नवीन धारा है।