■ संधि-विच्छेद - जिन ध्वनियों या वर्णों के बीच संधि हुई है, उन्हें वापस अलग-अलग करके रखा जाए, तो उसे संधि-विच्छेद कहते हैं।
जैसे - गणेश = गण + ईश
■ संधि के प्रकार - संधि तीन प्रकार की होती है।
1. स्वर संधि, 2. व्यंजन संधि, 3. विसर्ग संधि
1. स्वर संधि - (स्वर + स्वर = स्वर) :- दो स्वरों के परस्पर मेल को स्वर संधि कहते हैं।
● स्वर संधि के भेद
I. दीर्घ संधि, II. गुण संधि, III. वृद्धि संधि, IV. यण् संधि, V. अयादि संधि
I. दीर्घ संधि - यदि पूर्व पद में कोई भी हृस्व या दीर्घ स्वर (अ, इ, उ, ऋ) हो तथा उत्तर पद में कोई भी समान (अ, इ, उ, ऋ) हृस्व या दीर्घ स्वर आये तो दीर्घ ऐकादेश होता है। जैसे :-
अ/आ + आ/अ = आ
अधिक + अधिक = अधिकाधिक
वेद + अंत = वेदान्त
चर + अचर = चराचर
चरण + अमृत = चरणामृत
दीक्षा + अंत = दीक्षान्त
दया + आनन्द = दयानन्द
धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
शत + अब्दी = शताब्दी
पुरूष + अर्थ = पुरूषार्थ
मुर + अरि = मुरारि
महा + आशय = महाशय
राम + अयन = रामायण
राम + आनन्द = रामानन्द
शास्त्र + अर्थ = शास्त्रार्थ
इ/ई + ई/इ = ई
श्री + इन्दू = श्रीन्दू
अधि + इन = अधीन
परि + इक्षा = परीक्षा
हरि + इश = हरीश
अधि + इक्षक = अधीक्षक
लक्ष्मी + इच्छा = लक्ष्मीच्छा
मही + ईश = महीश
रजनी + ईश = रजनीश
नदी + ईश = नदीश
रवि + इंद्र = रवीन्द्र
उ/ऊ + ऊ/उ = ऊ
भानु + उदय = भानूदय
गुरु + उपदेश = गुरूपदेश
लघु + उत्तर = लघुत्तर
कटु + उक्ति = कटूक्ति
भू + उपरि = भूपरि
विधु + उदय = विधूदय
भू + ऊर्जा = भूर्जा
वधू + उल्लास = वधूल्लास
सरयू + ऊर्मि = सरयूर्मि
ऋ+ऋ=ऋ
पितृ + ऋद्धि = पितृद्धि
पितृ + ऋण = पितृण
II. गुण संधि - यदि पूर्व पद में ‘अ’ या ‘आ’ हो तथा उत्तर पद में इ, ई, उ, ऊ, ऋ आये तो क्रमशः ऐ, ओ, अर एकादेश होता है। जैसे :-
आ, आ + इ,ई = ए
उमा + ईश = उमेश
उप + इन्द्र = उपेन्द्र
गण + ईश = गणेश
गज + इन्द्र = गजेन्द्र
धर्म + इन्द्र = धर्मेन्द्र
नर + ईश = नरेश
मृग + इन्द्र = मृगेन्द्र
परम + ईश्वर = परमेश्वर
महा + इन्द्र = महेन्द्र
जल + ऊर्मि = जलोर्मि
महा + उदय = महोदय
महा + उत्सव = महोत्सव
यमुना + उर्मि = यमुनोर्मि
सूर्य + उदय = सूर्योदय
देव + इन्द्र = देवेन्द्र
रमा + ईश = रमेश
महा + ईश = महेश
अ, आ + उ, ऊ = ओ
ईश्वर + उपासना = ईश्वरोपासना
चन्द्र + उदय = चन्द्रोदय
प्रश्न + उत्तर = प्रश्नोत्तर
भाग्य + उदय = भाग्योदय
पुत्र + उत्सव = पुत्रोत्सव
सर्व + उच्च = सर्वाेच्च
वीर + उचित = वीरोचित
मानव + उचित = मानवोचित
अ, आ + ऋ = अर्
ग्रीष्म + ऋतु = ग्रीष्मर्तु
वर्षा + ऋतु = वर्षर्तु
देव + ऋषि = देवर्षि
महा + ऋषि = महर्षि
ब्रह्म + ऋषि = ब्रह्मर्षि
अपवाद - अक्ष + ऊहिनी = अक्षौहिणी
III. वृद्धि संधि - यदि पूर्व पद में ‘अ’ या ‘आ’ हो तथा उत्तर पद में ए, ऐ, ओ, औ आये तो क्रमशः ‘ऐ’ व ‘ओ’ एकादेश होते हैं। जैसे:-
अ/आ + ए/ऐ = ऐ
स्व + ऐच्दिक = स्वैच्छिक
तथा + एवं = तथैव
तदा + एव = तदैव
एक + एक = एकैक
सदा + एव = सदैव
लठ + एत = लठैत
मत + ऐक्य = मतैक्य
महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
लोक + एषणा = लोकैषणा
धन + ऐश्वर्य = धनैश्वर्य
अ/आ + औ = औ
जल + ओध = जलौध
वन + ओषधि = वनौषधि
परम + ओषध = परमौषध
महा + ओज = महौज
महा + ओजस्वी = महौजस्वी
गंगा + ओध = गंगौध
परम + औदार्य = परर्मौदार्य
महा + औत्सुक्य = महौत्सुक्य
अपवाद - दंत + ओष्ट = दंतोष्ट
VI. यण संधि - यदि पूर्व पद में इ, ई, उ, ऊ या ऋ हो तथा उत्तर पद में अ, आ आये तो इ के स्थान पर य्, उ के स्थान पर व् तथा ऋ के स्थान पर र् आदेश होता है। (उत्तर पद में कोई परिवर्तन नहीं) होगा। जैसे:-
इ, ई + विजातीय स्वर = य्
अति + आवश्यक = अत्यावश्यक
अति + अन्त = अत्यन्त
अति + अल्प = अत्यल्प
अभि + उदय = अभ्युदय
अभि + आगत = अभ्यागत
अति + आचार = अत्याचार
विधि + अनुकूल = विध्यनुकूल
उपरि + उक्त = उपर्युक्त
प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर
प्रति + आशा = प्रत्याशा
उ, ऊ + विजातीय स्वर = व
अनु + अय = अन्वय
अनु + एषेण = अन्वेषण
गुरू + आज्ञा = गुर्वाज्ञा
वधु + आगमन = वध्वागमन
सु + अल्प = स्वल्प
सु + आगत = स्वागत
ऋ + विजातीय स्वर = र्
पितृ + अर्पण = पित्रर्पण
पितृ + आदेश = पित्रादेश
पितृ + अनुमति = पित्रनुमति
मातृ + अनुमति = मात्रनुमति
मातृ + आज्ञा = मात्राज्ञा
V. अयादि संधि - यदि पूर्व पद में ए, ऐ, ओ, औ हो तथा उत्तर पद में कोई भी स्वर आये तो ए के स्थान पर अय् , ऐ को आय्, ओ को अव् तथा औ का आव् आदेश होता है। (उत्तर पद में कोई परिवर्तन नहीं होगा) जैसे :-
ए + कोई स्वर = अय्
चे + अन = चयन
ने + अन = नयन
ऐ + कोई स्वर = आय्
गै + अक = गायक
गै + अन = गायन
नै + अक = नायक
सै + अक = सायक
ओ + कोई स्वर = अव्
गो + एषणा = गवेषणा
पो + अन = पवन
भो + अन = भवन
औ + कोई स्वर = आव्
पौ + अन = पावन
पौ + अक = पावक
नौ + इक = नाविक
भौ + उक = भावुक
अपवाद - गै + अक्ष = गवाक्ष
2. व्यंजन संधि :-
पूर्व पद + उत्तर पद
व्यंजन + स्वर = व्यंजन
व्यंजन + व्यंजन = व्यंजन
स्वर + व्यंजन = व्यंजन
नियम - 1. :- यदि पूर्व पद में किसी भी वर्ग का प्रथम वर्ण हो तथा उत्तर पद में कोई भी स्वर, किसी भी वर्ग का 3, 4 वर्ण अथवा य, र, ल, व, ह आये तो पूर्व पद के अन्तिम वर्ण के स्थान पर उसी वर्ग का तीसरा वर्ण आदेश होता है। जैसे:-
दिक् + दर्शन = दिग्दर्शन
दिक् + अम्बर = दिगम्बर
जगत् + ईश = जगदीश
जगत् + अम्बा = जगदम्बा
वणिक् + वर्ग = वणिग्वर्ग
प्राक् + ऐतिहासिक = प्रागैतिहसिक
अच् + अंत = अजंत
षट् + दर्शन = षड्दर्शन
षट् + आनन = षड़ानन
षट् + यंत्र = षड्यंत्र
तत् + उपरान्त = तदुपरान्त
षट् + विकार = षड्विकार
सत् + आशय = सदाशय
सत् + आचार = सदाचार
तत् + अनन्तर = तदनन्तर
उत् + यान = उद्यान
उत् + घाटन = उदघाटन
नियम - 2. :- यदि पूर्व पद में किसी भी वर्ग का प्रथम वर्ण हो तथा उत्तर पद में किसी भी वर्ग का पंचम वर्ण (ङ, ´, ण्, न्, म्) आये तो पूर्व पद के अन्तिम वर्ण के स्थान पर उसी वर्ग का पंचम वर्ण आदेश होता है। जैसे:-
वाक् + मय = वाङ्मय
दिक् + नाग = दिङ्नाग
षट् + मास = षण्मास
उन + नति = उन्नति
उत् + मूलन = उन्मूलन
विद्वत् + मंडली = विद्वन्मंडली
उत् + धनायक = उन्नायक
विक् + मण्डल = विङ्मण्डल
प्राक् + मुख = प्राङ्मुख
षट् + मुख = षण्मुख
जगत् + नाथ = जगन्नाथ
जगत् + माता = जगन्माता
अप् + मय = अम्मय
नियम - 3. :- यदि पूर्व पद में न, म हो और उत्तर पद में क से म तक कोई भी वर्ण आये तो उत्तर पद का पंचम वर्ण या अनुस्वार होता है। जैसे :-
सम् + कल्प = संकल्प
सम् + ख्या = संख्या
सम् + गम = संगम
सम् + घर्ष = संघर्ष
अलम् + कार = अलंकार
शम् + कर = शंकर
सम् + गठन = संगठन
सम् + चय = संचय
किम् + चित = किंचित
सम् + जीवन = संजीवन
किम् + चन = किंचन
सम् + चालन = संचालन
सम् + पूर्ण = संपूर्ण/सम्पूर्ण
सम् + भव = संभव
दम् + ड = दण्ड
खम् + ड = खण्ड
सम् + तोष = संतोष/सन्तोष
किम् + नर = किन्नर
सम् + देह = संदेह
सम् + ताप = सन्ताप
धुरम् + धर = धुरन्धर
सम् + भावना = संभावना
अपवाद - सम् उपसर्ग + कृ धातु = स् का आगम तथा म को अनुस्वार
सम् + कृत = संस्कृत, सम् + करण = संस्करण
सम् + कार = संस्कार, सम् + कृति = संस्कृति
नियम - 4. :- यदि पूर्व पद में म् हो तथा उत्तर पद में अन्तःस्थ वर्ण या उष्म वर्ण आये तो म् के स्थान पर सदैव अनुस्वार आदेश होता है। जैसे:-
सम् + योग = संयोग
सम् + रचना = संरचना
सम् + लग्न = संलग्न
सम् + वत् = संवत्
सम् + शय = संशय
सम् + हार = संहार
सम् + योजना = संयोजना
सम् + विधान = संविधान
सम् + सर्ग = संसर्ग
सम् + श्लेषण = संश्लेषण
नियम - 5. :- यदि पूर्व पद में त्, द् हो और उत्तर पद में च, छ आये तो त्, द् के स्थान पर च् आदेश होगा। जैसे :-
उत् + चारण = उच्चारण
शरत् + चन्द्र = शरच्चन्द्र
उत् + छिन्न = उच्छिन्न
उत् + छेद = उच्छेद
विद्युत् + छटा = विद्युच्छटा
वृहत् + चयन = वृहच्चयन
नियम - 6.:- यदि पूर्व पद में त्, द् हो और उत्तर पद में ज्, झ् आये तो त्, द् के स्थान पर ज् आदेश होगा। जैसे:-
सत् + जन = सज्जन
जगत् + जीवन = जगज्जीवन
उत्/उद् + ज्वल = उज्ज्वल
यावत् + जीवन = यावज्जीवन
वृहत् + झंकार = वृहज्झंकार
महत् + झंकार = महज्झंकार
नियम - 7.:- यदि पूर्व पद में त्, द् हो तथा उत्तर पद में त, ठ आये तो त् या द् के स्थान पर ट् आदेश होता है। जैसे :-
तत् + टीका = तट्टीका
वृहत् + टीका = वृहट्टीका
नियम - 8.:- यदि पूर्व पद में त्, द् हो और उत्तर पद में ड, ढ आये तो त्, द् के स्थान पर ड आदेश होता है। जैसे:-
उत् + डयन = उड्डयन
भवत् + डमरू = भवड्डमरू
नियम - 9.:- यदि पूर्व पद में त्, द् हो और उत्तर पद में ल आये तो त्, द् के स्थान पर भी ल् आदेश होता है। जैसे:-
उत् + लेख = उल्लेख
तत् + लय = तल्लय
तत् + लीन = तल्लीन
उत् + लास = उल्लास
विद्युत् + लेखा = विद्युल्लेखा
उत् + लंघन = उल्लंघन
भगवत् + लीन = भगवल्लीन
नियम - 10.:- यदि पूर्व पद में विसर्ग से पहले अ या आ के अतिरिक्त अन्य कोई भी स्वर हो तथा उत्तर पद में किसी भी वर्ग का 3, 4, 5वां वर्ण, अन्तःस्थ या ह आये तो विसर्ग के स्थान पर र आदेश होता है। जैसे :-