पेट के लिए कौन सा टेस्ट होता है? - pet ke lie kaun sa test hota hai?

गैस्ट्रिक कैंसर को ही पेट का कैंसर कहा जाता है। खाना हमारी ग्रासनली से गुजरते हुए पेट के ऊपरी हिस्से की एक थैली में जमा हो जाता है। इस थैली को आमाशय कहा जाता है। आमाशय खाना ग्रहण करके और गैस्ट्रिक रस स्रावित करके इसे पचाने में आपकी मदद करता है। पेट में कैंसर तब होता है, जब आमाशय की कोशिकाओं की डीएनए में कोई त्रुटि आती है। जब यह कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ती है, तो कैंसर बनती हैं। इसे ही पेट का कैंसर कहा जाता है। पेट का कैंसर की पहचान लक्षणों और कुछ टेस्ट के द्वारा की जा सकती है। अगर आप पेट का कैंसर पता लगाना चाहते हैं, तो उसके लक्षणों की पहचान करें। लक्षण महसूस होने पर तुरंत अपना टेस्ट कराएं। ताकि समय पर आपका इलाज शुरू हो सके। आइए जानते हैं पेट का कैंसर कैसे पता चलता है? 

पेट का कैंसर कैसे पता चलता है?

पेट का कैंसर की पहचान लक्षणों के आधार पर किया जा सकता है। हालांकि, इन लक्षणों को पहचानने के बाद कुछ टेस्ट की आवश्यकता होती है। ताकि इसके होने की पुष्टि सही ढंग से हो सके। आइए जानते हैं पेट का कैंसर का पता लगाने के तरीके-

इसे भी पढ़ें - किन लोगों को ज्यादा होता है कैंसर का खतरा? डॉक्टर से जानें इनके बारे में

पेट का कैंसर के लक्षण ( Stomach Cancer Symptoms )

1. शरीर में काफी ज्यादा कमजोरी महसूस होना। 

2. पेट फूलना, अपच और जलन की शिकायत होना। 

2. भूख न लगना

4. शरीर का वजन काफी कम होना। 

5. शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी 

6. पेट दर्द और बैचेनी

7. मल से खून आना।

8. मल का रंग काला या धब्बेदार होना।

9. पेट काफी ज्यादा भरा हुआ महसूस होना। 

11. मतली और उल्टी की शिकायत होना।

12. पेट के ऊपरी हिस्से में काफी ज्यादा परेशानी होना।

इन लक्षणों से पेट के कैंसर की पहचान की जा सकती है। हालांकि, लक्षणों के आधार पर इसका निदान नहीं किया जा सकता है। लक्षणों के साथ-साथ इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण टेस्ट की भी आवश्यकता हो सकती है। आइए जानते हैं उन टेस्ट के बारे में- 

पेट के कैंसर की जांच (Stomach cancer Test)

पेट में किसी भी तरह की परेशानी होने पर डॉक्टर से जांच कराएं। पेट के कैंसर की जांच करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपकी मेडिकल हिस्ट्री जानने की कोशिश करता है। इस दौरान अगर उन्हें किसी भी तरह का शक हो, तो वह शारीरिक टेस्ट करते हैं। इसके बाद कैंसर की पुष्टि के लिए डॉक्टर मरीज को कुछ लैब टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। जैसे - 

इसे भी पढ़ें -कैंसर से लड़ने के लिए क्यों जरूरी है मजबूत इम्यून सिस्टम, जानें कैसे बढ़ाएं प्रतिरोधक क्षमता

1. ब्लड टेस्ट

पेट में कैंसर का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपको कुछ ब्लड टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। इसमें डॉक्टर ब्लड में रिलीज किए जाने वाले कुछ खाद्य पदार्थों की मात्रा की जांच करता है। 

2. अपर एंडोस्कोपी

इस एंडोस्कोपी में डॉक्टर शरीर के अंदर की प्रक्रिया के बारे में जानने की कोशिश करता है। एंडोस्कोपी की मदद से ग्रासनली, छोटी आंत और इसोफेगस में होने वाले बदलावों की जांच होती है। 

3. बायोप्सी

इस टेस्ट में डॉक्टर आपके शरीर से कुछ ऊतकों का सैंपल लेते हैं। इन ऊतकों में कैंसर सेल्स होने की जांच की जाती है। कैंसर की पुष्टि होने के बाद डॉक्टर इलाज शुरू करता है। 

4. सीटी स्कैन

सीटी स्कैन के माध्यम से भी डॉक्टर पेट के कैंसर के बारे में पता लगा सकता है। इसमें कंप्यूटर पर तस्वीरों के माध्यम से कैंसर की पहचान की जाती है।  

5. अल्ट्रासाउंट 

कुछ स्थितियों में डॉक्टर मरीज को अल्ट्रासाउंट कराने की भी सलाह देते हैं। यह भी एक इमेजिंग टेस्ट है, जिसमें पेट के अंदर की तस्वीरों के माध्यम से कैंसर का पता लगाया जा सकता है।  

पेट में कैंसर का पता आप इन तरीकों से लगा सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि पेट में किसी भी तरह की परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। इस तरह  की समस्याओं को नजरअंदाज करने से बचें।

गैस्ट्रीन टेस्ट क्या है?

गैस्ट्रीन एक हार्मोन है जो कि जी-सैल्स द्वारा स्रावित किया जाता है। जी-सैल्स पेट के निचले हिस्से (पायलोरिक ऐंट्रम), छोटी आंत का पहला भाग (ड्यूडेनम) और अग्नाशय में पाए जाते हैं। यह गैस्ट्रिक एसिड के स्राव को उत्तेजित करता है। गैस्ट्रिक एसिड एक हार्मोन है जो कि पेट में पाचन क्रिया में मदद करता है।

गैस्ट्रीन कई अन्य कारणों से भी स्त्रावित हो सकता है जैसे भोजन को खाने, चबाने, सूंघने या चखने से, भोजन के कारण पेट फूल जाने, पेट में अम्लता की कमी होने और पेट में प्रोटीन, कैल्शियम या अल्कोहॉल होने पर। जब पेट में अम्लता या एसिडिटी बढ़ती है तो गैस्ट्रीन का स्राव कम हो जाता है।

गैस्ट्रीन टेस्ट रक्त में गैस्ट्रीन के स्तर की जांच करता है। यह टेस्ट मुख्य तौर पर गैस्ट्रिनोमा (गैस्ट्रीन द्वारा बनने वाला ट्यूमर) और जोलिंगर-एलिसन सिंड्रोम का परीक्षण करने के लिए किया जाता है। जोलिंगर-एलिसन सिंड्रोम एक स्थिति है जिसमें अग्नाशय और छोटी आंत के अंदर एक या एक से ज्यादा गैस्ट्रिनोमा बन जाते हैं। ये ट्यूमर बड़ी मात्रा में गैस्ट्रीन बनाते हैं जिससे पेट में बहुत से छाले हो जाते हैं और पेट में बार-बार गंभीर पेप्टिक अल्सर (पेट और ड्यूडेनम में फुंसियां)  होने लगती हैं, जिनका इलाज मुश्किल हो जाता है।

गैस्ट्रीन टेस्ट क्यों किया जाता है - Gastrin Test Kyu Kiya Jata Hai

गैस्ट्रीन टेस्ट क्यों किया जाता है?

यदि आपको एसिडिटी है, बार-बार पेट में छाले हो रहे हैं या गैस्ट्रिनोमा से जुड़े अन्य लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो डॉक्टर आपको यह टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं। इन लक्षणों में निम्न शामिल हैं :

  • पेट में दर्द - पेट में जलन जैसा दर्द जो कि भूख लगने पर अधिक गंभीर हो जाता है और खाने पर कुछ समय के लिए ठीक हो जाता है। यह दर्द लंबे समय तक ठीक और खराब होता रहता है।
  • दस्त
  • जी मिचलाना और उल्टी
  • भूख न लगना
  • वजन घटना

यह टेस्ट उन अन्य स्थितियों की जांच करने के लिए भी किया जा सकता है, जिनसे गैस्ट्रीन के स्तर अधिक हो जाते हैं जैसे जी-सेल हाइपरप्लासिया और पर्निसियस एनीमिया। जी सेल हाइपरप्लासिया रोग के कारण पेट में जी कोशिकाओं की संख्या बढ़ने लगती है और इसमें गैस्ट्रीन अत्यधिक मात्रा में स्त्रावित होने लगता है।

पर्निसियस एनीमिया के अंतर्गत पेट में एसिड बनाने वाली कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। अम्लता के कम होने से जी सेल की सक्रियता बढ़ जाती है जिसके कारण अत्यधिक गैस्ट्रीन बनने लगता है।

इसके अलावा, गैस्ट्रीन टेस्ट से जोलिंगर-एलिसन सिंड्रोम का परीक्षण भी किया जा सकता है जो कि गैस्ट्रीन के अत्यधिक उच्च स्तरों से जुड़ा रोग है। यदि गैस्ट्रीन के स्तर सामान्य रूप से उच्च हैं और डॉक्टर को इस स्थिति का संदेह है तो वे गैस्ट्रीन स्टिमुलेशन टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। इस टेस्ट में डॉक्टर आपके रक्त में मौजूद गैस्ट्रीन के स्तर की जांच करेंगे जिसके बाद आपको एक इंजेक्शन दिया जाएगा। यह इंजेक्शन आमतौर पर हार्मोन स्त्रावित करने वाला होता है और गैस्ट्रीन के स्त्राव को उत्तेजित करने के लिए दिया जाता है, इसके बाद गैस्ट्रीन के स्तर की फिर से जांच की जाती है। यदि आपको जोलिंगर-एलिसन सिंड्रोम है तो गैस्ट्रीन का स्तर इंजेक्शन लगने के बाद स्पष्ट रूप से बढ़ जाता है।

गैस्ट्रिनोमा के ट्यूमर को सर्जरी द्वारा निकाल दिए जाने के बाद, ट्यूमर फिर से न हुआ हो इसकी जांच करने के लिए भी गैस्ट्रीन टेस्ट की सलाह दी जाती है।

गैस्ट्रीन टेस्ट से पहले - Gastrin Test Se Pahle

गैस्ट्रीन टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए बारह घंटे तक भूखे रहने की जरुरत होती है। हालांकि, इस दौरान पानी पीया जा सकता है, टेस्ट से पहले चाय और कॉफी न पिएं। टेस्ट से चौबीस घंटे पहले शराब न पिएं। टेस्ट से एक हफ्ते पहले कोई भी इमेजिंग टेस्ट न करवाएं जिसमें रेडियोएक्टिव पदार्थ का प्रयोग हो रहा हो।

यदि आप किसी भी तरह की दवा या सप्लीमेंट ले रहे हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें। कुछ विशेष दवाएं इस टेस्ट के परिणाम को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसी दवाएं जिनसे गैस्ट्रीन के स्तर बढ़ जाते हैं जिनमें एसिड-सप्रेसिव दवाएं (जैसे एंटासिड, रेनिटिडिन और ओमेप्राजोल), कैल्शियम सप्लीमेंट, बीटा ब्लॉकर और इन्सुलिन शामिल हैं। ऐसी दवाएं जिनसे गैस्ट्रीन के स्तर कम हो सकते हैं जैसे कैल्शियम साल्ट, ट्राईसाइक्लिक एंटी-डिप्रेस्सेंट, स्टेरॉयड, एंटीकोलिनेर्जिक्स, कैफीन और एड्रेनर्जिक ब्लॉकर। प्रोटीन युक्त भोजन और पेप्टिक अल्सर सर्जरी से भी इस टेस्ट के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।

आपसे टेस्ट से एक हफ्ते पहले प्रोटोन को पंप करने वाली दवाएं (जैसे ओमेप्राजोल) और टेस्ट से तीन दिन पहले एच-2 रिसेप्टर (सिमेटीडाइन) ब्लॉकर लेने से मना किया जा सकता है।

कोई भी नियमित रूप से ली जा रही दवा को बिना डॉक्टर की सलाह के लेना बंद न करें।

पेट के कौन कौन से टेस्ट होते हैं?

पेट के कैंसर के अलग अलग तरह के लक्षण होते हैं, अगर इनके बारे में जैसे ही आपको महसूस हो तुरंत ही किसी चिकित्सक के संपर्क करना चाहिए..
ब्लड टेस्ट अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखता है तो चिकित्सक की परामर्श के बाद ब्लड टेस्ट करवाएं. ... .
अपर एंडोस्कोपी ... .
बायोप्सी ... .
सीटी स्कैन ... .
अल्ट्रासाउंट.

पेट की सबसे बड़ी जांच कौन सी होती है?

एंडोस्कोपी से पेट के कैंसर की पुष्टि होती है।

पेट में इन्फेक्शन के लक्षण क्या है?

लक्षणों में शामिल हैं:.
भूख में कमी.
अपने मल में रक्त.
पेट में ऐंठन और दर्द.
उल्टी और मतली.

पेट में कौन कौन सी बीमारी होती है?

सबसे पहले तो जान लेते हैं कि पेट में कौन सी बीमारियां हो सकती हैं।.
एसिडिटी हमारे पेट में एसिड भोजन को पचाने का काम करता है लेकिन कई बार पेट में एसिड जरूरत से ज्यादा बनने लगता है। ... .
गैस की समस्या ... .
कब्ज ... .
उल्टी ... .
लूज मोशन.

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग