पत्रकारिता क्या है पत्रकारिता के विविध आयामों पर चर्चा कीजिए? - patrakaarita kya hai patrakaarita ke vividh aayaamon par charcha keejie?

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  • मनुष्य अपने सहज स्वभाव के कारण अपने आस-पास व दूर की जानकारी रखना चाहता है, ज्ञान अर्जित करना चाहता है I उसकी इस जिज्ञासा को शांत करने के लिए ही पत्रकारिता का विकास हुआ है I अतः पत्रकारिता का मूल तत्त्व जिज्ञासा है I
  • पत्रकारिता क्या है ?

                     पत्रकारिता, अंग्रेजी शब्द जन्र्लाजिम का हिंदी अनुवाद है I जर्नल शब्द का प्रयोग पत्रिका के लिए होता है I मैथ्यू आर्नाल्ड के अनुसार :- “पत्रकारिता शीघ्रता में लिखे जाने वाला साहित्य है I पत्रकार देश-विदेश की घटनाओं, समस्याओं और सूचनाओं को संकलित कर समाचार रूप में ढाल प्रस्तुत करते हैं I इसी प्रक्रिया को पत्रकारिता कहते हैं I

  • समाचार :- हर घटना समाचार नहीं होती I समाचार के रूप में उन्हीं घटनाओं, सूचनाओं और मुद्दों को चुना जाता है I जिन्हें जानने में अधिक से अधिक लोगों की रूचि हो I किसी घटना को समाचार बनने के लिए उसमें नवीनता, जनरुचि, निकटता, प्रभाव जैसे तत्त्वों का होना आवश्यक है I समाचार किसी भी ऐसी ताजा घटना, विचार या समस्या की रिपोर्ट है जिसमें अधिक से अधिक लोगों की रुचि हो और जिसका प्रभाव अधिक से अधिक लोगों पर पड़े I

समाचार के आवश्यक तत्त्व :-

  • नवीनता :- समाचार बनने के लिए ‘न्यू’ होने पर ही वह न्यूज है I दैनिक समाचार पत्र रात 12 बजे तक के समाचार कवर करता है, जो (डेडलाइन) समय सीमा होती है I

  • निकटता :- लोग उन घटनाओं को जानना चाहते हैं जो भौगोलिक, सामाजिक व सांस्कृतिक रूप में उनसे जुड़ी हो I

  • प्रभाव :- घटना की तीव्रता उससे पता चलती है कि उससे कितने लोग प्रभावित होते हैं I

  • जनरुचि :- किसी घटना, विचार या समस्या के समाचार बनने के लिए यह भी आवश्यक है कि आम लोगों की रुचि हो I

  • टकराव या संघर्ष :- लोगों को टकराव या संघर्ष के बारे में स्वाभाविक दिलचस्पी होती हैं I चुनाव के दिनों में राजनैतिक दलों के संघर्ष में लोग रुचि रखते हैं I

  • महत्वपूर्ण लोग :- महत्वपूर्ण लोगों से सम्बंधित जानकारी में लोग विशेष रुचि रखते हैं I

  • उपयोगी जानकारी :- उपयोगी जानकारियाँ भी समाचार की समाचार की भूमिका निभाती हैं, इन्हें जानने में आम लोगों की सहन दिलचस्पी होती है I

  • पाठक वर्ग :- समाचारीय घटना का महत्व इससे भी तय होता है कि खास समाचार का पाठक वर्ग कौन है ? पाठक वर्ग की रुचियों और जरूरतों का विशेष ध्यान रखा जाता है I

नीतिगत ढांचा :-

          विभिन्न समाचार संगठनों की समाचारों के चयन और प्रस्तुति को लेकर एक नीति होती है I इस नीति को ‘सम्पादकीय नीति’ कहते हैं I नीतिगत ढांचा तथा संपादक ही तय करता है कि कौन-सी खबर चुनी जाए तथा उसकी प्रस्तुति किस प्रकार की जाए I

संपादन :-

         संपादन का अर्थ है  किसी सामग्री की अशुद्धियों को दूर करके उसे पठनीय बनना I उपसंपादक अपने संवाददाता की ख़बरों की भाषा, व्याकरण वर्तनी तथा तथ्यपरक अशुद्धियों को दूर करके उसे प्रकाशित करने का स्थान तय करता है I

संपादन के सिदान्त :-

  • निष्पक्षता :- पत्रकार के लिए निष्पक्ष होना जरूरी है I पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है I निष्पक्षता का अर्थ तटस्थता नहीं है I सही-गलत, न्याय-अन्याय को ध्यान में रख कर किया जाता है I

  • तथ्यों की शुद्धता :- मीडिया या पत्रकारिता यथार्थ का प्रतिबिम्ब है अतः तथ्यों को तोड़-मोड़ कर नहीं प्रस्तुत किया जाना चाहिए I

  • वस्तुपरकता :- एक पत्रकार समाचार के लिए तथ्यों का आकलन अपनी धारणा आधार पर न करें उसका वास्तविक रूप प्रस्तुत करें I

  • संतुलन :- समाचार को किसी एक पक्ष में झुका नहीं होना चाहिए, दोनों पक्षों की बात बराबर लानी चाहिए I

  • स्त्रोत :- किसी भी समाचार में शामिल की गई सूचना एवं जानकारी का कोई स्त्रोत होना आवश्यक है I स्त्रोत का उल्लेख आवश्यक हो जाता है I

पत्रकारिता के अन्य आयाम :-

  • संपादकीय :- यह समाचार पत्र का सबसे महत्वपूर्ण पृष्ठ होता है I संपादक इस पृष्ठ पर अपनी राय प्रकट करता है I इस पृष्ठ पर विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों के लेख होते हैं I संपादक के नाम पत्र भी इसी पृष्ठ पर होते हैं I

  • फोटो पत्रकारिता :- जो बात हजार शब्द स्पष्ट नहीं कर सकते उसे एक फोटो स्पष्ट कर देती है I यह बहुत प्रभावशाली माध्यम है I

  • कार्टून कोना :- कार्टून के माध्यम से की गई धारदार टिपण्णी सीधे पाठक के मन को छूती है I

  • रेखांकन और कार्टोग्राफ :- इनके प्रयोग से शब्दों के बिना ही आंकड़ों को ग्राफ के द्वारा एक नज़र में समझाया जाता है I इसका प्रयोग समाचार पत्रों के अलावा टी.वी. में भी होता है I

पत्रकारिता के प्रकार :-

  • खोजपरक पत्रकारिता : – ऐसी पत्रकारिता जिसमें गहराई से छानबीन करके ऐसे तथ्यों व सूचनाओं को सामने लाने की कोशिश की जाती है, जिन्हें दबाने या छुपाने का प्रयास किया जा रहा हो I आज इसी को स्टिंग ऑपरेशन कहा जाता है I

  • विशेषीकृत पत्रकारिता : – संसदीय, न्यायालय (कानून), आर्थिक, खेल, विज्ञान, विकास, अपराध, फैशन और फिल्मों से सम्बंधित पत्रकार उस क्षेत्र की विशेषज्ञता प्राप्त होते हैं I

  • वाचडॉग पत्रकारिता : – जब मीडिया सरकार के काम-काज पर निगाह रखकर होने वाली गड़बड़ी के पर्दाफाश कर जनता के समक्ष लाती है, तो उसे वाचडॉग पत्रकारिता कहते हैं I

  • एडवोकेसी पत्रकारिता : – जब कोई समाचार संगठन किसी मुद्दे को उछाल कर उसके पक्ष में जनमत हासिल करने के लिए अभियान चलाते हैं, तो उसे एडवोकेसी पत्रकारिता कहते हैं I

  • वैकल्पिक पत्रकारिता : – जो मीडिया स्थापित व्यवस्था के विकल्प को सामने लाने और उसके अनुकूल सोच को अभिव्यक्त करता है, उसे वैकल्पिक पत्रकारिता कहा जाता है I

  • पीत पत्रकारिता : – पीट पत्रकारिता उस पत्रकारिता को कहते हैं, जिसमें सही समाचारों की अपेक्षा सनसनी फैलाने वाले समाचार या ध्यान-खींचने वाले शीर्षकों का बहुतायत में प्रयोग किया जाता है I पीत पत्रकारिता में समाचारों को बढ़ा-चढ़कर प्रस्तुत किया जाता है I पीत पत्रकारिता में अखबार अफवाहों, व्यक्तिगत आरोपों –प्रत्यारोपों, प्रेम-संबंधों, भंडाफोड़ और फ़िल्मी गपशप को समाचार की तरह प्रकाशित करते हैं I

  • पेज थ्री पत्रकारिता : – पेज थ्री, पत्रकारिता का एक अलग ही रूप है इसमें फैशन, अमीरों की पार्टियों, महफिलों और जाने माने लोगों के निजी जीवन के बारे में बताया जाता है I यह आमतौर पर पृष्ठ तीन पर प्रकाशित होती है, इसलिए इसे पेज-थ्री पत्रकारिता कहते हैं I

  • न्यूजपेग : – किसी मुद्दे पर लिखे जा रहे लेख या फीचर में उस नवीनतम घटना का उल्लेख जिसके कारण वह मुद्दा चर्चा में आ गया हो I

पत्रकारिता के मूल्य :-

       एक अच्छे पत्रकार को सफल होने के लिए पत्रकारिता के मूल्यों को ध्यान में रखना पड़ता है I इन्हीं मूल्यों को पत्रकार की बैसाखियाँ कहा जाता है :-

  • सच्चाई
  • संतुलन
  • निष्पक्षता
  • स्पष्टता

संपादक मंडल :-

यह एक संगठन है, जिसमें संपादक, संयुक्त संपादक, सहायक संपादक, विशेष संपादक, मुख्य संपादक, उप-संपादक, संवाददाता और प्रूफ रीडर आदि शामिल होते हैं I

समाचार माध्यमों का रुझान : –

व्यापारीकरण के कारण सभी अधिक से अधिक धन कमाना चाहते हैं I अतः अपने समाचार-पत्र अथवा चैनल को लोकप्रिय बनाने के लिए सनसनी खेज ख़बरें ‘पीत पत्रकारिता’ या ‘पेज-थ्री’ का प्रयोग अधिक से अधिक करते हैं I

पत्रकारिता का महत्व : –

  • देश-विदेश की गतिविधियाँ की जानकारी देती है I
  • जनसामान्य को उसके कर्तव्य और अधिकारों की जानकारी देती है I
  • रोजगार के अवसर तलाशने में सहायक हैं I
  • राष्ट्रीय चेतना का सशक्त आधार है I
  • युगीन समस्याओं से जनता को जोड़ती है I
  • मानव कल्याण की प्रेरणा देती है I

पत्रकारिता से आप क्या समझते हैं पत्रकारिता के विविध आयामों पर प्रकाश डालिए?

समाचार संगठनों में काम करने वाले पत्रकार देश-दुनिया में घटने वाली घटनाओं को समाचार के रूप में परिवर्तित करके हम तक पहुँचाते हैं। इसके लिए वे रोज़ सूचनाओं का संकलन करते हैं और उन्हें समाचार के प्रारूप में ढालकर प्रस्तुत करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को ही पत्रकारिता कहते हैं

पत्रकारिता के विविध आयाम क्या क्या हैं?

पत्रकारिता के विविध आयाम - संपादन का अर्थ है किसी सामग्री से उसकी अशुद्धियों को दूर करके उसे पठनीय बनाना। एक उपसंपादक अपने रिपोर्टर की खबर को ध्यान से पढ़ता है और उसकी भाषा - शैली, व्याकरण, वर्तनी तथा तथ्य संबंधी अशुद्धियों को दूर करता है

पत्रकारिता के विविध क्षेत्र कौन कौन से हैं समझाइए?

खोजी पत्रकारिता खोजी पत्रकारिता वह है जिसमें आमतौर पर सार्वजनिक महत्व के मामले जैसे भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और गड़बड़ियों की गहराई से छानबीन कर सामने लाने की कोशिश की जाती है। ... .
वाचडाग पत्रकारिता ... .
एडवोकेसी पत्रकारिता ... .
पीत पत्रकारिता ... .
पेज थ्री पत्रकारिता ... .
खेल पत्रकारिता ... .
महिला पत्रकारिता ... .
आर्थिक पत्रकारिता.

पत्रकारिता के विविध संदर्भ के लेखक कौन हैं?

साहित्यिक दृष्टि से "हिंदी प्रदीप" (1877), ब्राह्मण (1883), क्षत्रियपत्रिका (1880), आनंदकादंबिनी (1881), भारतेन्दु (1882), देवनागरी प्रचारक (1882), वैष्णव पत्रिका (पश्चात् पीयूषप्रवाह, 1883), कवि के चित्रकार (1891), नागरी नीरद (1883), साहित्य सुधानिधि (1894) और राजनीतिक दृष्टि से भारतमित्र (1877), उचित वक्ता (1878), ...

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